सुबह से आज मौसम सुहाना था।घर के सारे काम निपटा कर मैं मौसम का लुत्फ उठाने को घर से बाहर निकल पड़ी। टहलते टहलते समीप के एक पार्क में जाकर बैठ गई। ठंडी ठंडी हवा के झोंके मन को सुकून दे रहे थे।इतने में एक दो ढाई साल का बच्चा भागते भागते मेरे पैरों के पास आकर गिर पड़ा ।
मैंने उसे बड़े प्यार से उठाया और इधर उधर देखने लगी कि किसका बच्चा है। तभी मोनू मोनू की आवाज कानों में पड़ी। शायद बच्चे की मां बच्चे को ढूंढ रही थी।मैं भी बच्चे को लेकर थोड़ा आगे बढ़ी जिधर से आवाज आ रही थी। तभी बच्चे की मम्मी नजदीक आ गई उसे देखकर मैं चौंक गई,आरे नंदनी भाभी आप वो भी मुझे देखकर चौंक गई अरे रचना तुम हां मैं आपसे इस तरह मुलाकात होगी पता नहीं था ।और ये बच्चा किसका है नंदनी भाभी मेरा है ।
नंदिनी रचना के पड़ोस में रहती थी रचना उम्र में नंदनी से छोटी थी की साल पहले की बात है । नंदिनी भाभी बेचारी किस्मत की मारी थी ।इस समय नंदिनी की उम्र 55,57 के बीच की होगी ।जब वो मेरे पड़ोस में रहने आई थी तब उनके पास दो छोटे बच्चे थे एक बेटी थी छै साल की और एक बेटा था करीब चार साल का ।
उसके पति बैंक में नौकरी करते थे । एक दिन रात को अचानक वो मेरे (रचना) के घर आई मदद मांगने को कि मेरे पति को अभी उल्टियां हुई तो उसमें थोड़ा खून निकला प्लीज़ मेरी मदद करो मुझे अपनी गाड़ी से डाक्टर के पास ले चलो । फिर हमलोग उनको डाक्टर के पास ले गए। कुछ चेकअप करने के बाद डाक्टर ने उनको दिल्ली ले जाने की सलाह दी ।
कुछ दिनों बाद नंदिनी अपने भाइयों की मदद से पति को दिल्ली ले गई । वहां चेकअप कराने के बाद पता चला कि पति को कैंसर है ज्यादा दिन की लाइफ नहीं है उनकी । दिल्ली से आने के बाद हालचाल पूछने को मैं नंदिनी भाभी के घर गई । इसी तरह धीरे-धीरे आत्मीयता बढ़ती गई मेरी और नंदिनी भाभी की ।
तब पता चला कि ये दोनों बच्चे नंदिनी भाभी के नहीं हैं ।ये नंदिनी की दूसरी शादी है और पति की भी दूसरी शादी है ये दोनों बच्चे पति के पहली पत्नी के है ।बेटे के पैदाइश के समय कुछ काम्पीलीकेशन हो गया था जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी उस समय वो गांव में सांस ससुर के पास रहती थी सही इलाज नहीं मिल पाया था तो मृत्यु हो गई थी।
नंदिनी भाभी भी उसी गांव में रहती थी उनकी भी शादी हो चुकी थी , लेकिन किसी जमीन के विवाद में लड़ाई झगडे में नंदनी के पति को गोली लग गई थी जिससे उनकी भी मृत्यु हो गई थी।उस समय नंदिनी ने इंटर तक की पढ़ाई की थी फिर बाद में उन्होंने ग्रेजुएशन किया था ।
इस तरह नंदिनी भाभी की शादी वर्तमान में पति प्रकाश से हो गई थी ।दो वर्ष बाद ही नंदनी के गांव वाले पति की मृत्यु हो गई थी उस समय छोटी उम्र थी नंदिनी की तो प्रकाश से शादी हो गई थी।अब नंदिनी की किस्मत कहे कि हालात का मारा कहे इन्हें भी कैंसर निकल आया।
छै महीने बाद नंदिनी के पति प्रकाश की मौत हो गई। नंदिनी गेजूएट थी तो बैंक में पति की जगह नौकरी मिल गई और नंदिनी का गांव के ही पास ट्रांसफर हो गया ।इस तरह रचना से नंदिनी का संपर्क टूट गया।
नंदिनी के सांस ससुर जब तक थे तब-तक तो बच्चों की थोड़ी ठीक से देखकर होती रही लेकिन जब सांस ससुर दोनों नहीं रहे तो नंदिनी बच्चों की तरफ से थोड़ी लापरवाह हो गई ।और उधर गांव और आसपास के लोगों ने बच्चों के कान भरने लगे कि ये तुम्हारी सौतेली मां है ।
बच्चे भी धीरे धीरे बड़े हो रहे थे और बच्चों को भी पता चल गया कि नंदिनी मेरी सगी मां नहीं है तो वो भी उसकी बात न सही सुनते थे । लड़की ने तो ठीक ठाक पढ़ाई कर ली लेकिन लड़के का पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था धीरे-धीरे गलत आदतों में पड़ गया और नशे का आदी हो गया।
इस समय दोनों बच्चे जवान हो चुके थे । लड़की किसी लड़के को पसंद करती थी सो उसने उससे विवाह कर लिया और अपने घर में है ।और लड़के को चूंकि गलत आदत लग गई थी तो उसे मां की रोक-टोक अच्छी नहीं लगती थी सो एक दिन जबरदस्ती घर से निकाल दिया।
किस्मत का खेल देखिये दो दो बार शादी करने के बाद भी नंदिनी को वैवाहिक जीवन का सुख नहीं मिला ।अब नंदिनी को अपना अकेलापन बहुत अखरता था ।।सो उसने किसी रिश्तेदार के बच्चे को गोद ले लिया।अब उसी के साथ हंसती बोलती है और अपना समय व्यतीत करती है। रचना ने पूछा भाभी इतनी उम्र में इतना छोटा बच्चा गोद लिया है तो नंदिनी भाभी बोली तो क्या करें बड़ा बच्चा किसका गोद लेंगे फिर वही सगे सौतेले की बात उठेगी छोटा रहेगा तो इसे कुछ मालूम नहीं रहेगा।
मैं सोंचने लगी किस्मत भी किसी किसी की जिंदगी में कैसा खेल दिखाती है बहुत से लोग बहुत सारा दर्द अपने अंदर छुपाए रहते हैं जब नजदीक से किसी को जानो तभी पता चलता है। मैंने पूछा नंदिनी भाभी अब आप कहां रह रही हैं तो बोली यही पास में एक कमरा किराए पर लिया है। अच्छा चलो आती रहियेगा भाभी जी घर पर बातचीत करते रहेंगे तो आपका भी मन लगा रहेगा। हां रचना इतना कहकर भाभी बच्चे को गोद में लेकर चली गई और मैं बहुत देर तक उनके हु बारे में सोचती रही ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
2 फरवरी
दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी सच्ची कहानी है जो मैंने आपके समक्ष प्रस्तुत की है आपके विचारों का स्वागत है।