सासू मां ने किया ही क्या है?? –  कनार शर्मा

मां देखो आज मुझे प्रमोशन मिला है और इसी खुशी में मैंने तुम्हारे लिए बनारसी साड़ी ऑर्डर करी है मिलते ही मुझे जरूर बताना राधिका ने अपनी मां प्रभा को फोन पर कहा।

अरे राधिका बेटा इसकी क्या ही जरूरत थी?? इतनी साड़ियां भरी पड़ी है मेरे पास मगर पहनकर जाने का अवसर ही नहीं मिलता और तू है कि जब मौका मिलता है मेरे लिए एक नई साड़ी, सूट और भी ना जाने क्या-क्या भेजती रहती है।

मां आज मैं आप ही की वजह से तो इतनी ऊंची पोस्ट पर काम कर रही हूं। अगर आपने हिम्मत ना की होती तो आज मैं बेलन चकला लेकर रसोई संभाल रही होती। अच्छे से याद है दादी और पापा तो मुझे कभी घर से दूर रहकर पढ़ने की इजाजत देने तैयार नहीं थे लेकिन आप ढाल की तरह मेरे सामने खड़ी हो गई और मुझे सीए करने के लिए अहमदाबाद भेज दिया कितनी बार खुद भी सूरत से बस में अकेले सफर कर आई… मैं तो आपका ये एहसान इस जन्म में क्या अगले सात जन्म में नहीं चुका सकती!!

बस कर बेटा कभी मां भी अपने बच्चों पर एहसान करती है… मैंने तो अपनी तीनों बेटियों को समान शिक्षा दिलवाई,आज तुम सभी अच्छे पदों पर कार्यरत हो इस बात की मुझे बहुत संतुष्टि है। दुनिया वाले कहते रहे तीनों की शादी कर दो और छुट्टी पाओ लेकिन मैं अपने निश्चय से पीछे नहीं हटी और देखो आज तुम तीनों ने मेरा सर गर्व से ऊंचा कर रखा है।

अच्छा यह बता समधन जी कैसी हैं? और तुमने उनके लिए कुछ खरीदा? वो तो बड़ी भाग्यशाली है तू अपने हाथ से उन्हें गिफ्ट देगी तो उनकी खुशी दुगनी हो जाएगी।

मां कैसी बातें करती हो… मैं उनके लिए कुछ क्यों लूंगी भला आखिर उन्होंने आज तक मेरे लिए किया ही क्या है?? इन पांच सालों में कभी भी मेरे काम आई, आपको बहुत अच्छे से पता है जचकी के वक्त अपनी बेटी के पास चली गई थी। नौकरी छोड़ने तक की नौबत आई मगर उन्होंने एक बार भी नहीं कहा कि मैं हूं ना फिक्र क्यों करती हो? वो तो मैंने विदाउट पे छुट्टी ली फिर वर्क फ्रॉम होम ले लिया तो आज मेरी नौकरी मेरे हाथों में है। हर बार आपने ही मेरा साथ दिया, और अभी भी मैंने पीहू के लिए पूरे दिन की आया लगा रखी है वरना… बोल चुप हो गई!




माना बेटा कुछ गलतियां उनसे हो गई हम चाहकर भी उन्हें नहीं भुला सकते। कभी-कभी इंसान “वक्त” के हाथों इतना मजबूर हो जाता है कि उसे दो में से किसी एक को चुनना पड़ता है। उन्होंने अपनी बेटी को चुना शायद उनकी जगह में होती तो यही करती बहू को छोड़ो अपनी बेटी के पास चली जाती… गलत तो वह भी होता ना… माना तूने आया लगा रखी है मगर तू पीहू को छोड़कर तू निश्चित ऑफिस जाती है,उसकी सुरक्षा, उसके खाने पीने के लिए तू चिंतित रहती है। तुम तो अच्छे से जानती हो नौकरों के भरोसे बच्चों को सौंप दिया जाए तो क्या अनर्थ हो सकता है।

और तेरी सासू मां ससुर जी को भी संभालती है आखिर वो भी हार्ट पेशेंट है पूरा दिन वह भी तो मेहनत करती ही है ना बेटा… अब हर बार इंसान को उसकी पुरानी गलतियों के लिए बार-बार सजा तो नहीं दी जा सकती। तू कोशिश करके देख उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा। मेरी बात मान उनके लिए भी कुछ अच्छा सा खरीद आखिर “सास भी तो मां ही होती है”!!

समझ मेरी प्यारी गुड़िया मां तो मां होती है फिर चाहे वह बेटी की मां हो या बेटे की मां अब दुनिया अपवादों से भरी पड़ी है तो उसका क्या कर सकते हैं।

बस मम्मी सब समझ गई आपको तो किसी कॉलेज में प्रोफेसर होना चाहिए था। जो बेटियों को अच्छी बहू कैसे बनना चाहिए पर लपक के लेक्चर दे सके… सिर्फ आप कहती हो इसलिए मैं सासू मां के लिए भी सुंदर सी बनारसी साड़ी ऑर्डर करती हूं और जब वो आएगी तो अपने हाथों से उनके हाथों में रख दूंगी और उन्हें पहनाकर, अच्छे से तैयारकर आपको वीडियो कॉल भी करवा दूंगी…राधिका मुंह बिचकाते हुए बोली!!




शाबाश यह हुई ना मेरी बेटी वाली बात और बेटा तूने आज मुझे कम से कम प्रोफेसर तो बनाया वरना तेरे पापा,दादी द्वारा पूरी जिंदगी तुम करती क्या हो?? सुनकर बितानी पड़ी है मुझको… आज मेरी बेटियों ने मुझे इस काबिल तो समझा कि मैं लेक्चर दे सकूं… दोनों मां बेटी ठहाका लगा कर हंस पड़ी।

दोस्तों,

जीवन ऐसा ही है इसे हम जैसा देखेंगे तो वैसा ही दिखाई देगा माना सास बहू, ननद भाभी, देवरानी जेठानी का रिश्ता बड़ा ही उलझा सा होता है, शिकवे शिकायतें और खट्टे मीठे अनुभवों से बुना होता है। अगर थोड़ा सा प्यार,समझ और सूझबूझ का तड़का उसमें डाल दिया जाए तो घर आंगन अपनेपन की खुशबू से महक उठेगा।

आपकी क्या राय है जरूर बताइएगा…

आशा करती हूं मेरी रचना आपको जरूर पसंद आएगी  धन्यवाद 🙏🙏

#वक्त 

आपकी सखी

कनार शर्मा 🙂

(मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित)

 

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