रुठा ना करो-   विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” ये रंग तुम पर खूब जँचेगा बड़ी बहू…और फिर ये कलर तेरा फेवरिट भी तो है..।” शकुन्तला जी अंजू को अंगूरी रंग की चंदेरी साड़ी दिखाती हुई मनुहार करने लगीं लेकिन अंजू तो बस गाल फुलाकर बैठी रही।

        शकुन्तला जी के दो बेटे थें।घर में जब अंजू उनकी बड़ी बहू बनकर आईं तब उन्होंने अंजू को बहुत प्यार दिया था।हर काम उससे पूछकर करतींम….शादी-ब्याह और त्योहारों की खरीदारी पर अंजू की पसंद अवश्य पूछती थीं।अंजू भी अपनी सास का बहुत मान करती थी।एक दिन भी सास उससे ना बोले तो वो बेचैन हो जाती थी।वह दो बच्चों की माँ बनी लेकिन उन बच्चों का पालन-पोषण शकुंतला जी के हाथों ही हुआ।

       छोटे बेटे आशीष की नौकरी लगे तीन महीने हो गये तो शकुंतला जी ने उसके लिये लड़की देखना शुरु कर दिया।तब आशीष ने कहा कि वह नित्या से विवाह करना चाहता है।नित्या के पिता एक स्कूल में संगीत के अध्यापक थे…यह जानकर शकुंतला जी ने विवाह के लिये साफ़ इंकार कर दिया कि हमारा-उनका तो कोई मेल ही नहीं है।समाज-रिश्तेदारों में मेरी थू-थू हो जाएगी।लेकिन जब आशीष अपनी ज़िद पर अड़ा रहा तो उन्हें हाँ कहनी ही पड़ी।शुरु-शुरु में तो वह नित्या से खिंची-खिंची ही रहतीं थीं…फिर नित्या के सरल स्वभाव ने उनका दिल जीत लिया।अब वो नित्या की पसंद का ख्याल रखने लगी जो अंजू को पसंद नहीं आया।

     शकुंतला जी ने करवा-चौथ के लिये दोनों बहुओं के लिये साड़ियाँ खरीदी।इत्तेफ़ाक की बात थी कि हल्के गुलाबी रंग की साड़ी उनकी दोनों बहुओं को पसंद आ गई।उन्होंने वो साड़ी नित्या को दे दी और अंगूरी रंग वाली अंजू को देकर समझाने लगी कि वो तो बिन माँ की बच्ची है..और फिर तुम उससे बड़ी हो…गुलाबी रंग वाली साड़ी नित्या को ही पहनने दो और तुम ये रख लो…।कहते हुए उन्होंने अंगूरी रंग की साड़ी अंजू को दे दी…, इसी बात पर अंजू उनसे रूठी हुई थी।

     बहुत मनुहार के बाद भी जब अंजू नहीं मानी तब शकुन्तला जी ने अंजू को मनाना छोड़ दिया।अब वो अंजू के किसी बात का जवाब नहीं देती जिससे अंजू को बहुत दुख हुआ।तब उसे एहसास हुआ कि एक साड़ी के लिये उसे मम्मी जी से नहीं रूठना चाहिये था..और फिर नित्या तो उसकी छोटी बहन ही जैसी है।अंजू ने हाथ जोड़कर अपनी सास की नाराज़गी दूर करनी चाही,” मम्मी जी…रूठा ना करो..।”

    शकुन्तला जी चुप रही तब अंजू ने बच्चों से कहा कि दादी अम्मा- दादी अम्मा..मान जाओ’ वाला गाना गाओ लेकिन उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिये। ससुर-पति से भी अंजू ने मिन्नत की कि मम्मी जी को मना लीजिये।उन्होंने कहा,” सास-बहू आपस में निपटो…।”अब अंजू से रहा नहीं गया..वो सास के पास जाकर रो पड़ी।फिर तो शकुन्तला जी हँस पड़ी।तब नित्या ने कहा कि जीजी..मम्मी जी आपसे कभी नहीं गाल फुला सकती…आपसे मज़ाक कर रहीं थीं।तब अंजू बोली,” मम्मी जी…मुझे माफ़ कर दीजिए लेकिन ऐसा मज़ाक फिर नहीं..।” कहते हुए वह भावुक हो उठी।

       बहुओं का स्नेह देखकर शकुंतला जी ने भावविभोर होकर अपनी दोनों बहुओं को सीने से लगा लिया।घर के पुरुष मुस्कुराते हुए बोले ,” सास-बहू के रूठने-मनाने से ही तो घर की रौनक बनी रहती है।”

 ” क्या…!” शकुन्तला जी के साथ दोनों बहुएँ बोल पड़ी।फिर तो घर में ठहाकों के पटाखे फूटने लगे।

                              विभा गुप्ता

                                स्वरचित

# गाल फुलाना

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