रूपकुंड झील  – गरिमा जैन

रूपकुंड झील जहां कहते हैं रात बिताने वाला कभी वापस नहीं आता ।हिमालय की सुंदर पहाड़ियों के बीच स्थित यह झील अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं और इन रहस्यों को सुलझाने के लिए पैरानॉर्मल एक्सपर्ट गौरव  सुमित के साथ वहां जाने का प्रोग्राम बनाता है। सुमित और गौरव ने पहले भी कई पैरानॉर्मल एक्टिविटी साथ की हैं। इनके साथ ही  अन्य दोस्त भी जा रहे हैं ।

क्या सच में रूपकुंड झील से कोई वापस नहीं आता ?

क्या सच्चाई थी वहां की?

क्या उस कुंड में मिले हजारों नर कंकाल किसी त्रासदी के शिकार हुए या फिर सच्चाई कुछ और थी ?

जानने का प्रयास करेंगे कहानी रूपकुंड में

सुमित :अच्छा गौरव यह बता मैंने तो अपना सारा सामान पैक कर लिया है। सुबह की बस से ही हम अपने गंतव्य की तरफ निकल जाएंगे। तूने क्या जरूरत का सारा सामान रख लिया है। मेरे एक उपकरण की बैटरी थोड़ी लो है तू अलग से चार्जर भी रख लेना समझ गया न..

गौरव :हां मैंने जरूरत का सारा इंतजाम कर लिया  हैं। मैंने अपने परिवार वालों को अपने सारे बैंक डिटेल्स और जो भी इंश्योरेंस मैंने अपने नाम का करा रखा है उसकी डिटेल भी दे रखी है ।क्या पता हम वहां से वापस आ पाएंगे या नहीं? सुना है रूपकुंड झील पर जाने वाले वापस नहीं आते…

सुमित: पहले पूरी बात तो पता कर लिया कर ।उस झील पर हमें रात के वक्त नहीं जाना है ।रात के वक्त वह झील बहुत खतरनाक हो जाती है ।तब वहां पर जाने वाला कोई लौट के नहीं आता। हम वहां पर दिन के वक्त जाएंगे ।शाम होते-होते अपने सारे प्रयोग करके वापस आ जाएंगे। फिर हमारे साथ हमारे अन्य दोस्त भी तो होंगे ।वह भी तो हमारी मदद करेंगे। सब साथ होंगे तो डरने की कोई बात नहीं है।


गौरव :तू ठीक कह रहा है ।डरने की कोई बात नहीं है। लेकिन हम लोग की जिंदगी खतरों से भरी हुई है ।पैरानॉर्मल प्रयोगों में कब हमारा सच से सामना हो जाए कोई नहीं जानता ।कहने को तो लोग इसे भ्रम मानते हैं  लेकिन हम जानते हैं कि पिसाच , चुरैल , डायन  सच में होते हैं और  इनके साथ कैसा बर्ताव करना है यह भी हमने सीखा है। तुम्हें वह कहानी याद है ना कृष्ण और बलराम की…

सुमित :हां यार मुझे याद है। जब बलराम एक राक्षस से डर गए थे उस राक्षस का आकार बढ़ता ही चला गया था लेकिन कृष्ण ने उस राक्षस को छोटा समझा और बांसुरी बजाने लगे। अगर हम अपने सामने आने वाली मुसीबतों से घबरा जाएंगे तो वह मुसीबत अवश्य हमारे आगे छोटी हो जाएगी। यह एक बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी जिसे मैं हमेशा याद रखता हूं।

गौरव :फिर शाम के ठीक 5:00 बजे हम सारे बस स्टैंड पर मिलेंगे। हम लोग जहां पर रुकने वाले हैं उस जगह का रिजर्वेशन पहले से ही हो गया है ।रूपकुंड झील वहां से कोई 20 किलोमीटर की दूरी पर है। वह रास्ता हमें थोड़ी दूर तक दो पहिया वाहन से पार करना होगा लेकिन अंत के 4 किलोमीटर हमें पैदल ही जायेंगे। वहीं पर आसपास कहीं हमें टेंट लगाना होगा जहां हम रात गुजारेंगे और दोपहर होते-होते हमें किसी भी तरह रूपकुंड झील पहुंच जाना होगा।

सुमित: हां सारा प्रोग्राम पक्का है। हम लगभग शाम के 6:30 बजे बांडा गांव पहुंच जाएंगे। बांडा गांव से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर रूपकुंड झील है। वहां से हम बाइक से 20 किलोमीटर दूर स्थित मुंडा गांव में अपना टेंट लगाएंगे। वहीं पर रात गुजारनी है और फिर सुबह होते ही हम रूपकुंड झील के लिए निकल जाएंगे ।वहां पर पूरा दिन बिताकर शाम के 4:00 बजे तक हमें वापस अपने टेंट के लिए चल देंगे।

गौरव :और एक बात याद रखनी है हमें ।रूपकुंड झील पर जाते वक्त हमें कोई भी गाना नहीं सुनना है ,ना ही हमें मौज मस्ती करनी है ।वहां श्रद्धा के साथ जाना है। याद है ना उज्जैन के राजा के साथ क्या हुआ था!

सुमित :अच्छे से पता है। रूपकुंड झील के बारे में पढ़ते समय मैंने उज्जैन के उस राजा के बारे में भी सुना था। उन्होंने जो गलती की उसकी सजा पूरी प्रजा ने भुक्ती थी  हमें वह गलती बिल्कुल भी करनी।

गौरव :ठीक है फिर ठीक शाम के 5:00 बजे बस स्टैंड पर।

बांडा गांव शाम के लगभग 7:00 बजे। सुमित और गौरव अपने दोस्तों के साथ बांडा गांव के गेस्ट हाउस में रुक जाते है। आज गेस्ट हाउस में काफी हलचल है। लगता है दूसरे कमरे में भी काफी मेहमान रुके हुए हैं।


सुमित :यार हम लोग के आने पर तो रूपकुंड झील में जैसे हलचल मच गई है ।सुना है दो ग्रुप और है जो कल सुबह रूप  कुंड झील के लिए निकल रहे हैं। हमें उनसे मिलना चाहिए। एक साथ निकलेंगे तो  हमारी यात्रा और भी सुखद रहेगी।

गौरव :एक ग्रुप तो यहां पर ट्रेकिंग के लिए आया है। ट्रेकिंग करने वाला ग्रुप क्या यहां पर मौजूद मान्यताओं का ध्यान देंगे? क्या वे नंदा देवी की पवित्रता को बना के रख पाएंगे?

सुमित :दूसरा ग्रुप जो यहां पर रुका है उसमें 4 लड़के और 3 लड़कियां हैं। वह सभी एक्सपीडिशन में हमारे साथ ही जाएंगे शायद वह भी पैरानॉर्मल एक्सपर्ट है।

गौरव : पैरानॉर्मल एक्सपर्ट नहीं है ।मैंने पता किया है वह सब कॉलेज से यहां पर आए हैं ।वह हिस्टॉरिकल मॉन्यूमेंट्स और प्राकृतिक धरोहर के बारे में पढ़ते हैं उसी में सर्वे के लिए आए हैं ।उनके लिए रूपकुंड झील सिर्फ एक साइंटिफिक सर्वे है लेकिन हम जानते हैं कि रूपकुंड झील से जुड़े हुए कितने गहरे राज हैं। शायद वह विज्ञान से जुड़े हुए स्टूडेंट है वह यहां की मान्यताओं से अनभिज्ञ है। हमें उनसे मिलकर बात अवश्य करनी चाहिए।

सुमित :हां हमें उन्हें बताना पड़ेगा कि यहां रूपकुंड झील से जुड़ी हुई कितनी मान्यताएं हैं ।यहां पर हमें चमड़े की कोई भी वस्तु का प्रयोग नहीं करना है ,ना ही रास्ते में अश्लील गाने बजाने हैं और धूम्रपान या मदिरापान तो बिल्कुल नही। सिर्फ हम भजन बजा सकते हैं या गा सकते हैं। मन शुद्ध करके ही हमें रूपकुंड झील की तरफ जाना है क्योंकि वह त्रिशूल पहाड़ पर स्थित है।

रूपकुंड झील। सुबह के लगभग 11:00 बजे।

गौरव :यार सुमित हमारे आने पर तो लग रहा है रूपकुंड झील बिल्कुल गुलजार हो गई है .आज यहां पर काफी चहल-पहल है .काफी लोग भी आए हुए हैं।

सुमित :पर हमें तो अपने मिशन पर ध्यान रखना है और अपना सारा काम समय पर करके यहां आपसे 4:00 या 5:00 बजे तक निकल लेना है ।तुम्हें पता है यह नर कंकाल कितने वर्ष पुराने हैं !

गौरव :हां काफी पुराने हैं। पहले लगता था कि यह जापानी सैनिकों के कंकाल हैं लेकिन यह तथ्य भी गलत हो गया ।फिर जनरल जोरावर सिंह की सेना के कंकाल साबित किए गए ।उसके बाद उज्जैन के राजा के सैनिकों के शव का प्रमाण मिलता है ।अभी तक कोई ठीक से नहीं कह सका कि यह किसके शव के कंकाल हैं ?लेकिन यहां कंकालों में औरतों के गहने और चूड़ियां भी मिली थी ।मुझे तो ऐसा लगता है कि उज्जैन के राजा जब इस पर्वत पर आए थे और उन्होंने पर्वत की पवित्रता को भंग किया था, और उनकी प्रजा  यहां पर भयंकर ओलावृष्टि से दब के मर गई ।

तभी  गौरव को कुछ दृश्य दिखाई देने लगते है।गौरव के पास यह शक्ति है की कुछ अनहोनी होने वाली हो तो उसे उसका आभास पहले से हो जाता है। गौरव का सिस्थ सेंस बहुत तेज है और सुमित अपने उपकरणों के मामले में बहुत होशियार है।वह तुरंत सतर्क हो जाते हैं ।सुमित अपने उपकरणों को तुरंत वहां पर सेट करना शुरू कर देता है और गौरव अपनी आंख बंद करके  झील के किनारे बैठ जाता है।

गौरव देवी मां का बहुत बड़ा भक्त है। उसे कुछ दृश्य अपनी आंखों के सामने नाचते हुए दिखाई देते हैं ।वह दृश्य में देखता है


कि रात का अंधियारा है ,तारे टिमटिमा रहे हैं ।चांद नहीं निकला शायद अमावस की रात है और वह वही रूपकुंड झील के किनारे बैठा हुआ है ।कुछ लड़के और लड़कियां उस रूपकुंड झील के अंदर रात में उतर गए हैं और कुछ लड़के उनका वीडियो बना रहे हैं ।यह लड़के लड़कियां वहां शराब लेकर आए हैं और झील के अंदर वह शराब पी रहे हैं और कुछ लड़के हंस हंस के उनका वीडियो बना रहे हैं और शायद इंटरनेट पर अपलोड कर रहे हैं। तभी मौसम में एक अजीब सी ठंडक आती जा रही है। गौरव को वहां बैठे-बैठे भी ठंड का अनुभव होने लगता है। हर तरफ बादल घिर आते हैं। तारे आसमान में छुप जाते हैं। बहुत ठंडी हवाएं चलने लगती हैं। झील के अंदर लड़के और लड़कियां डरने लगते है।उन्हें भी बहुत तेज ठंड लगने लगती है। ऐसे भी रूपकुंड झील काफी ऊंचाई पर है। यह सारे झील से बाहर आते हैं और अपने कोट पहन लेते हैं । वे तेजी से वहां से जाने का प्रयास करने लगते हैं लेकिन तभी ऊपर बादलों में से बड़े-बड़े ओले जमीन पर गिरने लगते हैं। इतने बड़े ओले गौरव ने पहले कभी नहीं देखे थे ।वह  क्रिकेट की बॉल के बराबर भारी और बड़े थे। ओले जब लड़के और लड़कियों पर पड़ रहे थे तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उनकी हड्डियां चटक रही हो।गौरव दूर से उन्हें देख रहा था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था ।आश्चर्य की बात यह थी कि गौरव पर ओले बिल्कुल भी नहीं पड़ रहे थे ।कट कट की आवाज से सारे लड़के लड़कियां उसी झील में जल मग्न होते जा रहे थे ।गौरव उन्हें बचाने का प्रयास कर रहा था  लेकिन जैसे उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे। वह कुछ नहीं कर पा रहा ।

इतनी देर में गौरव की आंख खुलती है ।वह पसीने से तरबतर है। इतनी ठंड में भी उसे जैसे गर्मी लग रही है ।वह सुमित से कहता है कि आज रात यहां कुछ बहुत बुरा होने वाला है।सुमित अपने उपकरण में गौरव के मस्तिष्क से उठती तरंगे रिकॉर्ड कर रहा था। बहुत बुरा, सुमित गौरव से कहता है। उसे भी कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जैसे यहां कुछ बहुत बुरा होने वाला है ।सुमित और गौरव वादा करते हैं कि वह ऐसा कुछ भी यहां घटित नहीं होने देंगे ।अपनी जान लगा देंगे लेकिन रूपकुंड झील पर कोई भी अनहोनी घटना  नहीं होने देंगे ।वैसा कुछ भी नहीं होने देंगे जिससे इसकी पवित्रता भंग हो और वर्षों पहले जो मंजर यहां लोगों ने देखा था वह मंजर फिर से दोहराया जाए ।

क्या गौरव और सुमित रूपकुंड झील पर घटित होने वाली अनहोनी को बचा पाएंगे या खुद भी उसी अनहोनी का शिकार बन जाएंगे

गौरव और सुमित रूपकुंड झील  पर रात में रुकना नहीं चाहते थे लेकिन वे इस तरह से यहां की शांति को भंग भी नहीं करना चाहते थे। ना ही यह चाहते थे कि किसी की भी जान इस हादसे में जाए। वे त्रिशूल पर्वत के पहाड़ की पवित्रता को बरकरार रखना चाहते थे ।उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वह शुरुआत कैसे करें?

धीरे-धीरे शाम होने लगती है। जो भी पर्यटक वहां आए थे वह अपना सामान पैक कर के वहां से जाने लगते हैं। सुमित और गौरव को तसल्ली होती है कि जब कोई रुकेगा ही नहीं तो फिर यह हादसा होगा कैसे ? वहां गिने-चुने लोग ही बचते हैं। गौरव सुमित और उनके दोस्त। गौरव अपने दोस्तों से कहता हैं कि वह वापस लौट जाए।उनके दोस्त बहुत ज्यादा इसरार करने पर वहां से चले जाते हैं।

शाम ढल चुकी थी। रात अंधारी थी ।अमावस्या थी शायद।त्रिशूल पर्वत की पहाड़ी बहुत सुंदर दिख रही थी। पर्वत के गोद में समाई हुई रूपकुंड झील की सुंदरता देखते ही बन रही थी। वहां पर एक अजीब सी शांति थी लेकिन गौरव और सुमित को डर था की कही कोई आ ना जाए।  कुछ ही घंटों में ठंड बढ़ने लगती है ।पानी बर्फ सा ठंडा हो जाता है। हर तरफ शीतलहर चलने लगती है ।

गौरव और सुमित रात को रुकने के लिए किसी भी तैयारी के साथ वहां नहीं आए थे । वे समझ जाते हैं कि इस तरह बिना टेंट के, बिना किसी सामग्री के यहां रात काटना आसान नहीं था । वे कोशिश करते है कि किसी तरह आग जला ले जिससे रात काटी जा सके लेकिन बहुत ढूंढने पर भी वहां उन्हें ना कोई सूखी लकड़ी मिलती है ना ही और कोई प्रबंध ही हो पाता है ।

गौरव और सुमित सोचते  हैं कि वे  जाएंगे और सारी सामग्री लेकर वापस आएंगे। फिर शायद वह अपने मिशन में कामयाब हो जाएं ।गौरव और सुमित इतनी ठंड में भी तेजी से वापस अपने टेंट की तरफ जाने लगते हैं ।टेंट वहां से कोई पांच से 6 किलोमीटर की दूरी पर लगाए गए थे ।उनके अलावा वहां और लोग भी रुके थे ।गौरव को चिंता थी कि कहीं उनके जाने के बाद वे लड़के और लड़कियां यहां आ ना जाए और उनकी जान को खतरा हो जाए ।


गौरव और सुमित मोबाइल की रोशनी में बढ़ने लगते हैं। रात के अंधेरे में ठंड बढ़ती जा रही थी ।तभी  झील के पास कुछ आहट होती है ।कुछ कदमों के चलने की आवाजें आने लगती हैं। तभी वहां पर साथ आठ  युवक और युवतियों का एक ग्रुप दिखाई देता है। वे सारे 20 से 24 वर्ष के बीच में थे। वे झील के किनारे बैठते हैं । वे अपने साथ आग जलाने का सामान भी लेकर आए थे। वहीं झील के किनारे आग जलाते हैं और उसके चारों तरफ नाचने लगते हैं।आग के ऊपर यह सारे  कुछ पका कर खाते भी हैं शायद वहां पर मांस पका कर खाने जा रहे थे!

एक युवक :  यार सब ने हमें कितना डराया था कि अगर हम इस झील के किनारे रुकेंगे यहां की पवित्रता को भंग करेंगे तो हम पर बहुत बड़ी विपदा आ जायेगी। देखा कितनी चालाकी से हमने यहां सारी शाम काट ली ।वह दो लड़के( सुमित और गौरव) ना जाने यहां इतनी देर तक क्या कर रहे थे? मुझे तो डर था कि कहीं वह यहीं बैठे रहे तो हमारी मस्ती में कमी ना आ जाए।

युवती : अरे यार मेरा तो मन कर रहा है ताजे ताजे गरम गोश्त के साथ ठंडी ठंडी बीयर भी पी जाए और उसके बाद गाने पर थिरकने में क्या मजा आएगा।

युवक : तो दिक्कत क्या है। अभी मैं बियर की कैन खोलता हूं और गाना जो कहो बजेगा मेरी जान।

सारे जोर-जोर से हंसते लगते हैं और तेज गाने की ध्वनि से पूरा पहाड़ गूंजने लगता है ।सारे नवयुवक उसके चारों तरफ घूम के नाचते हैं ,गाते हैं और बीयर पीते हैं।  खाना खाकर वे झूठे बर्तन भी वही फेक देते है ।

तभी आसमान में एक गड़गड़ाहट होती है। एक नवयुवक कहता है हम यह सब ठीक नहीं कर रहे ।देखो अभी आसमान एकदम साफ था ,अभी कहीं से बादल गरजने की आवाज आ रही है ।हमें जानबूझकर अपनी जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए ।

उधर सुमित और  गौरव अपने टेंट पहुंचते हैं और जरूरत का सारा सामान लेकर तेजी से रूपकुंड झील की तरह भागते हुए आने लगते हैं ।गौरव का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसे पक्का यकीन था कि वहां कुछ गड़बड़ ,कोई हादसा होने वाला है।

रूपकुंड झील के किनारे एक युवक युवती का हाथ पकड़ता है और उसे अपनी गोद में उठा लेता है। फिर वह दोनों झील में उतर जाते हैं ।कहते हैं देखते हैं कितनी ठंड है इस झील में। हम में सहनशक्ति ज्यादा है या नहीं ।सारे युवक उन्हें देखकर तालियां बजाने लगते हैं ।वे दोनों झील में जाते हैं और वही पानी के अंदर खड़े होकर मदिरापान करते हैं और एक दूसरे को आलिंगन में भर लेते हैं। सारे युवक उन लोगों की तस्वीरें खींचने लगते हैं और कहते हैं कि यहां से लौटने पर वह तस्वीरें सबको बहुत पसंद आने वाली हैं ।वह उसे इंटरनेट पर अवश्य डालेंगे और साथ ही लोगों का यह भ्रम भी दूर कर देंगे कि यह कोई खूनी झील है। यह आम झीलों की तरह ही एक झील है ।ना जाने इस झील के लिए इतना डर लोगों में क्यों बना हुआ है?

गौरव और सुमित झील की कुछ दूरी पर पहुंच जाते हैं। गाने की तेज ध्वनि उनके कान में पड़ती है ।सुमित और गौरव दोनों परेशान हो जाते हैं। उन्हें समझ में आ जाता है कि उन्होंने आने में देर कर दी। बादलों में हल्की सी गड़गड़ाहट होती है ।गौरव जल्दी जल्दी से अपना टेंट लगता है और सुमित तेजी से झील की तरफ  भागता है ।

वह सबसे कहता है कि तुरंत यहां से बाहर निकलो यहां से दूर चले जाओ नहीं तो मौत तुम्हारे सर पर नाचेगी। यह बात सुन के सारे लड़के लड़कियां तेजी से हंसने लगते हैं। उधर गौरव तेजी से टेंट लगाने लगता है और मजबूती से पकड़ने के लिए कीले गाड़ता है ।शायद इससे उन लड़के लड़कियों की जान बचा सके!

युवक: अगर तुम दोनों यहां से नहीं निकले तो तुम दोनों को सबक सिखाना हमें अच्छे से आता है ।यह सब अंधविश्वास की बात किसी और को सुनाना ।यह लो बियर पियो और मस्ती करो।

सुमित :यहां पड़े नर कंकाल तुमलोगो को  दिखाई नहीं देते! यह सारे किसी त्रासदी का शिकार हुए थे, जानते हो ना । इन्होंने भी इस पर्वत की ,इस झील की पवित्रता को भंग किया था और तुम सब ने तो हद पार कर दी।

युवती :हद ,हद पार कहां की अभी। अभी तो पार्टी शुरू हुई है। हमारे पास बहुत उम्दा नशा है। चल तेरे लिए फ्री ।जा अपने दोस्त को भी बुला ले सारे मिलकर दम मारेंगे।

गौरव :जल्दी चलो हमारे पास चंद मिनट हैं शायद हमारी जान बच जाए।

युवक :लो एक और कायर आ गया ।अच्छा यह बता तुम दोनों ही हो या कायरों की पूरी फौज लाए हो ।क्यों गब्बर कितने आदमी थे।

दूसरा युवक: दो सरदार !हा ,हा ,हा और बसंती कहां है? उसे कहां छोड़ आए।

सुमित: तुम सब नशे में डूबे हुए हो। तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा तो लो मेरा हाथ पकड़ो और अपनी आंखें बंद करो।


युवक ;वाह मजेदार है यह नया गेम है ।चल सब मिलकर पोशांपा पोशांपा खेलते हैं।

गौरव :समय बहुत कम है ,सब चलो जल्दी से टेंट की तरफ चलो।

युवती:नहीं हम तो  रिंगा रिंगा रोजेस खेलेंगे ।आओ सारे अंकल जी का हाथ पकड़ते हैं।

सारे सुमित का हाथ पकड़ते हैं और सुमित गौरव का। सभी आंखें बंद करते हैं और गौरव ध्यान मग्न हो जाता है ।आंखें बंद करने पर जो नजारा उनको दिखता है कि सारे सिहर उठते हैं।

युवक :अरे कौन हो तुम दोनों ।यह दोनों जरूर बहरूपिया है। ना जाने कहां से आए हैं और हमारे साथ क्या करना चाहते हैं मुझे तो लुटेरे लग रहे हैं दोनों।

युवती :अरे मुझे तो डर लग रहा है। चलो इनके साथ चलें ।जो हादसा हमने बंद आंखों से देखा है अगर वह खुली आंखों से हमारे सामने आ गया तो क्या?

दूसरा युवक: मैं तुम दोनों के साथ चलने को तैयार हूं बताओ कहां चलना है।

गौरव सुमित युवक और एक युवती तेजी से टेंट की तरफ सुमित के साथ भागते हैं ।जैसे यह सारे टेंट में प्रवेश करते हैं बहुत तेज बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे बड़े-बड़े पत्थर आकाश से गिर रहे हो! लड़कों की चीखने की तेज आवाज आ रही थी ।गौरव और सुमित का दिल दहल उठता है। सुमित कहता है कि वह चाहे कैसे भी हो पर हमें उनकी मदद करनी चाहिए ।हमें उनकी जान बचाने चाहिए। हम इस तरह से अपनी आंखों के सामने उन्हें मरता हुआ नहीं देख सकते। वह दोनों युवक और युवती भी गौरव और सुमित के साथ टेंट के बाहर निकलते हैं।

गौरव बार-बार देवी मां से प्रार्थना कर रहा था कि अपना कोप शांत कर दें और इन बच्चों को उनकी गलतियों के लिए माफ कर दें ।आसमान में क्या भयानक मंजर था ।हर तरफ घने कोहरे से पहाड़ी ढक चुकी थी। काले घने बादल थे और उसमें से बड़े पत्थर तेजी से उन लड़के और लड़कियों पर गिर रहे थे ।ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनकी हड्डियां चटक चटक के टूट रही हो। वे ऐसे चीख रहे थे मानो वे पाताल की आग में जल रहे हो।

गौरव और सुमित तेजी से उस तरफ भागते हैं।तभी कुछ आश्चर्यजनक घटित होता है वह है जो आसमान से ओले बड़े पत्थर की तरह बरस रहे थे उनका आकार अचानक छोटा होने लगता है। गौरव और सुमित पर भी वह ओले पड़ते हैं लेकिन उन्हें चोट नहीं पहुंचाते। अब वह धीरे-धीरे आकार में छोटे होने लगे थे ।

युवक और युवतियां जमीन पर पड़े थे। उनकी हड्डियां पूरी तरह से टूट चुकी थी । सारे मिलकर उन्हें उठाते हैं और टेंट में चले जाते हैं। सुबह होते ही गौरव और सुमित मदद मांगते हैं और उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। अस्पताल में डॉक्टर बताता है कि इस तरह टूटी हड्डियां वह जिंदगी में वह पहली बार देख रहा है।हमारे शरीर में जितनी हड्डियां होती हैं लगभग सारी टूट चुकी थी ।उन्हें एयरलिफ्ट करके दिल्ली के बड़े अस्पताल में ले जाते है जहां उनका महीनों इलाज चलता है ।तब भी उनमें से कई जिंदगी में दोबारा अपने पैर पर खड़े नहीं हो पाते ।उन्हें व्हीलचेयर का ही सहारा लेना पड़ता है। उस भयानक मंजर की यादें अभी तक उनकी आंखों में जिंदा थी। वह होश में आते थे तो बचाओ बचाओ चिल्लाने  लगते थे। वह बार-बार क्षमा मांगते दिखाई देते थे लेकिन जो घटित होना था वह हो चुका था ।उन्हें अपने कर्मों की सजा मिल चुकी थी और रूपकुंड झील की पवित्रता को भंग करने  का अक्षम्य अपराध का भाजन बन चुके थे। जिंदगी भर के लिए उन्हें अपने कर्मों का फल भोगना था।

समाप्त

 

 

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!