Moral Stories in Hindi : “बाबूजी आज तो आपने हद ही कर दिया…आपकी ऐसी हरकतों की वजह से ही कुंती परेशान रहने लगी है…अरे वो तो आपकी बेटी जैसी है और आप…. आपने तो रिश्ते को ही अपमानित कर दिया..भला कोई पिता समान ससुर बहू के साथ… छिः छिः।”“ बेटे किशोर के मुँह से ऐसी ओछी बात सुन कर नवल जी की नज़रें उठ ही नहीं पा रही थी
सामने बिस्तर पर किशोर की पत्नी कुन्ती अपने दो साल के बच्चे कुश के साथ सो रही थी…. उसकी हालत ऐसी नहीं थी की वो कुछ बोल भी सके … वैसे भी बेहोशी की हालत में किसी को क्या ही सुझ सकता है…कुश माँ की छाती से चिपक दूध पीने के लिए चित्कार रहा था पर बेहोश माँ को बच्चे की सुध ही कहाँ थी…
नवल बाबू एक हाथ में दूध की बोतल लिए दूसरा हाथ सिर पर रखें नज़रें झुकाए दूसरे कमरे में बैठे हुए थे ।
किशोर कुन्ती को होश में लाने की कोशिश कर रहा था…. कुछ समय बाद जब कुन्ती को होश आया वो झट से कुश को सीने से लगा दूध पिलाने लगी और पूछी,“ बाबूजी कहाँ है?”
“ तुम सच कहती थी कुन्ती जब से माँ गई है बाबूजी बहुत अजीब हो गए हैं…. वो हमेशा तुम्हारे आस पास ही मंडराते रहते…आज तो मैंने खुद देख लिया… अब वो इस घर में नहीं रह सकते …. मैं उन्हें वृद्धाश्रम भेज कर रहूँगा…. यहाँ रहेंगे तो तुम्हें भी हमेशा डर बना रहेगा और मैं भी चिंता और शर्म के मारे कहीं मुँह दिखाने लायक ना रहूँगा ।” किशोर ने कहा
“ हाँ वो मैं तुमसे कहती रहती थी ना…… पर आज समझ आया बाबूजी मेरे आसपास ही क्यों घुमते रहते थे…. किशोर तुम भी जानते हो मुझे अचानक से दौरा पड़ने लगता है और मैं गिर जाती हूँ दो महीने पहले तक तो माँ जी साथ साथ रहती थी वो सँभाल लेती थी मुझे…और उतने में बाबूजी कुश को देख लेते थे…. आज भी मेरे साथ वही हुआ….
मैं कुश को गोद में लेकर रसोई में जा रही थी उसके लिए दूध लाने… ताकि वो पीकर सो जाए… पर अचानक मुझे दौरा पड़ा और मैं गिर गई…. बाबूजी वही पास में थे…. मुझे उठाकर बिस्तर पर लाए होंगे तभी तुम आ गए…. हम गलत सोच रहे थे किशोर…. वो तो पिता की तरह मेरा ख़याल रख रहे थे… कुश के लिए पक्का वो दूध भी लेकर आ गए होंगे पर ये बदमाश माँ के साथ चिपककर पीने के चक्कर में दादा की गोदी भी नहीं गया
होगा….बाबूजी किधर है तुमने कुछ कहा तो नहीं उनसे…. तुम इतने ग़ुस्से में बोल रहे हो मतलब तुमने उन्हें कुछ तो कहा ही होगा….।”
कहते हुए कुन्ती खुद को सँभालते हुए बाबूजी के पास गई देखा तो सच में उनके हाथ में दूध की बोतल थी….
“ बाबूजी हम आपको ग़लत समझ बैठे…. वो पड़ोसी विमला अक्सर अपने ससुर के बारे में ऐसी वैसी बातें बोलती रहती थी बस हमें भी यही डर सताने लगा कहीं आप भी तो…. मैं बहुत गलत सोच गई बाबूजी… मुझे माफ कर दीजिए…।” कुन्ती बाबूजी के पैर पकड़कर रोने लगी
“ बहू रिश्तों के बीच विश्वास का एक पतला धागा होता है जब वो टूट जाए तो उसे जोड़ने की कोशिश कितनी कर कर लो उसमें फिर गाँठ पड़ ही जाती है….जिसे हम चाहे कितनी ही मज़बूती से क्यों ना बाँधे ना तो पहले सी मज़बूती आती ना ही गाँठ मज़बूत हो सकती वो फिर खुल जाएगी और रिश्ते टूट जाएँगे…. मुझे तो मनोरमा ने आख़िरी समय तक यही कहा …. देखो जी हमारी बहू का ज़्यादा ध्यान रखना होता… वो कभी भी चक्कर खा कर गिर पड़ती… फिर कुश के चक्कर में अपना ध्यान नहीं रखती ऐसे में जब किशोर ना हो आप उसका विशेष ध्यान रखना… बहू हमारी बेटी जैसी ही है जी…तो उसकी माँ ना भी साथ हो पिता तो साथ रहेगा ना…बस मैं यही सोचकर बहू और कुश का तुम्हारे पीछे पूरा ध्यान रखने की कोशिश करता था पर पता नहीं था तुम लोगों की सोच इतनी घटिया हो सकती है… ना जाने मनोरमा की आत्मा को आज कैसा महसूस हो रहा होगा….वैसे जब मेरे यहाँ रहने से तुम्हें दिक़्क़त हो रही है तो मैं खुद अपना इंतज़ाम कर सकता हूँ…. रिटायरमेंट के बाद ऐसा तो नहीं की कोई काम ही नहीं कर सकता…. ।” नवल जी ने कहा
बेटा बहू दोनों बहुत माफी माँगते रहे पर नवल जी के दिल को लगी चोट का दर्द बस वही समझ सकते थे…. रात को बिना खाना खाए कमरे में जाकर सो गए….
दूसरे दिन फिर किशोर पिता से माफी मांगने कमरे में गया तो देखा पिता गहरी नींद में सो रहे थे …. उन्हें उठाने की कोशिश किया तो वो हिले तक नहीं…. नींद के आग़ोश में ही वो सदा के लिये सो चुके थे….. बेटे बहू का ऐसा इल्ज़ाम वो बर्दाश्त ना कर सके और सब कुछ छोड़ कर मनोरमा जी के पास चल दिए थे।
आजकल सास ससुर के साथ रहना बहू को नागवार गुजरता है ऐसे में सास के ना होने पर ससुर पर आरोप लगाने से भी कितनी बहुएँ बाज नहीं आती…. और कभी कभी नतीजा इस रूप में भी निकल कर आता है…..।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
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