रिश्तो में गलतफहमी की गुंजाइश न हो – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

क्या बात है चारु…  आज तुमने अपनी भाभी को जन्मदिन का ना कोई मैसेज भेजा ना फोन किया और न हीं स्टेटस लगाया, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है या फिर कुछ भाभी से अनबन हो गई, रितेश ने अपनी पत्नी चारु से पूछा! नहीं तो.. ऐसी तो कोई बात नहीं है बस मन नहीं किया और मेरे पास इन फालतू कामों के लिए समय भी नहीं है!

अच्छा.. अपने मायके वालों को जन्मदिन की बधाइयां देना तुम्हें फालतू काम लगने लग गया… कब से..? बताओ ना क्या बात है..? कुछ तो हुआ है वरना तुम अपनी सबसे प्रिय भाभी को जन्मदिन की बधाई ना दो ऐसा हो ही नहीं सकता! रितेश की बातें सुनकर चारु से नहीं रहा गया उसने कहा.. हां नहीं किया मैंने उन्हें विश, क्यों..

हर बार मैं ही क्यों करूं? अभी 3 दिन पहले मेरा भी जन्मदिन आया था भाभी के अलावा सब ने मुझे शुभकामनाएं दी, भाभी ने ना तो मुझे मैसेज किया ना फोन किया ना मेरा स्टेटस लगाया, क्यों ऐसा मैंने भाभी का क्या बिगाड़ दिया हर बार आजकल में ही फोन करती हूं वह कभी आगे से मुझे फोन नहीं करती

अगर वह अपनी दुनिया में बिजी है तो मैं भी कोई फालतू नहीं हूं मेरे पास भी हजारों काम है, तुम खुद बताओ रितेश अगर कोई आदमी जिसे तुम बार-बार फोन करते हो उसका हाल-चाल जानते हो और वह तुम्हें फोन ही ना करें तो तुम कब तक सब्र करोगे कभी ना कभी तो सब्र का  बांध टूटेगा ही ना, बस आज मुझे भी गुस्सा आ गया

उन्हें भी तो पता चलना चाहिए किसी को फोन न करने पर उसे कितना दुख होगा! लेकिन चारु हो सकता है उनकी कोई मजबूरी रही हो हमेशा से तो तुम्हें फोन मैसेज सब करती ही है और आज तो उन्होंने हमारे फैमिली ग्रुप पर किसी भी  मैसेज का रिप्लाई नहीं किया, इसका मतलब कोई ना कोई तो परेशानी होगी ना,

देखो चालू रिश्तो में गलतफहमी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, तुम्हारे भाई की शादी को 5 साल हो गए क्या कभी भी इस दौरान तुम्हें महसूस हुआ कि तुम्हारी भाभी ने तुम्हारे संग कोई नाइंसाफी की हो या कभी भी तुम्हारे किसी बात का हंसकर उत्तर ना दिया हो,  या तुम्हारे मायके जाने पर  वहां खुश नहीं हुई हो बल्कि वह तो तुम्हें कितना बुलाती है

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तुम्हारी मम्मी से ज्यादा तो तुम्हारी भाभी तुम्हें याद करती है! रहने दो सब दिखावा है उनका, ज्यादा तरफ्तारी मत करो उनकी, मम्मी पापा की जगह कोई नहीं ले सकता वह तो बस मम्मी की नजरों में अच्छी बहु बनने के लिए सब नाटक करती हैं!  चारु… आज तुम्हेंहो क्या गया, तुम तो झांसी की रानी  लक्ष्मीबाई बन गई,

अच्छा छोड़ो सब बातें ऐसा करो अपनी भाभी को एक फोन तो कर लो आज उनका जन्मदिन है, हो सकता है तुम्हारे फोन का इंतजार कर रही  हो,नहीं… मुझसे तो यह नहीं होगा, आजकल जमाना जैसे को तैसा वाला है, देखो चारु मैं तो इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह छोटी-छोटी बातों ही रिश्तो में दूरियों को बढ़ावा देती है,

क्या हो जाएगा अगर तुम एक फोन करोगी तो! अच्छा ठीक है अपनी भाभी के लिए ना  सही मेरे लिए उनसे एक बार बात तो कर लो, हो सकता है तुम्हारे सारे गिले शिकवे  दूर हो जाए! रितेश के कहने पर चारु ने उन्हें बेमन से फोन लगाया, उधर तुरंत ही भाभी ने फोन उठा लिया चारु को गुस्सा तो बहुत आया.

. देखो एक घंटी बजने से पहले ही वैसे तो फोन उठा लिया और करने का टाइम नहीं है उनको  हमारे लिए! जन्मदिन मुबारक हो भाभी और कैसा रहा तुम्हारा जन्मदिन, खूब पार्टी पार्टी हो रही होगी, हां भई अब हम नंद कहां याद रहेंगे आपको, फिर भी… आप मे और मुझ में यही तो अंतर है मेरा दिल तो इतना बड़ा है

किमैंने आपको फोन कर लिया, अरे जन्मदिन पर कैसी दुश्मनी, माना कि आपने  मुझे फोन नहीं किया था पर मैं तो कर ही लेती हूं आप हो तो मेरी भाभी! धन्यवाद चारु दीदी…. और मैं आपको फोन नहीं करने के लिए माफी मांगती हूं, दरअसल 5 दिन पहले मेरे पापा को दिल का दौरा पड़ा था और उनकी बाईपास सर्जरी भी हुई है,

मैं मायके आई हुई हूं सर्जरी के बाद भी डॉक्टर ने कहा है उनकी जीने की उम्मीद बहुत कम है क्योंकि उनकी किडनी में भी इंफेक्शन फैल गया है, दिनभर इतनी टेंशन रहती है दीदी क्या बताऊं.. इसलिए ना तो किसी को फोन कर पाई और रही जन्मदिन की बात वह तो याद ही नहीं आया, की  आज मेरा जन्मदिन भी है,

फोन तो इसलिए हाथ में रहता है पता नहीं कब किसका फोन आ जाए, मैं अभी अस्पताल में हूं पापा के पास, मम्मी और भैया थोड़ी देर के लिए घर गए हैं आपको तो पता ही है मेरी भाभी की डिलीवरी को भी अभी 10 दिन ही हुए हैं तो वह भी अभी कुछ नहीं कर सकती तो मैं मम्मी भैया कभी अस्पताल में पापा का ध्यान रखने आते हैं

कभी भाभी का ध्यान रखते हैं, परेशान से हो गए हम पर  बस इस उम्मीद में है की पापा को कुछ ना हो! पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं फिर भी डॉक्टर संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे, दीदी मैंने आपको आपके जन्मदिन पर फोन नहीं किया ना ही काफी समय से आपसे फोन पर बात कर पाई, मुझे क्षमा कर दो! पर मैं क्या करूं

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पापा की तबीयत तो कई दिनों पहले से ही खराब चल रही थी ऊपर से भाभी की डिलीवरी की टेंशन, लेकिन जब पापा को  दिल का दौरा पड़ा  तो हमारी तो जैसी जान ही निकल गई, बड़ी मुश्किलों से मम्मी को संभाला है! लेकिन भाभी.. भैया या मम्मी पापा ने भी मुझे कुछ नहीं बताया, चलो आप बिजी थी पर मम्मी भैया तो बता सकते थे ना!

हो सकता है कि तुम  बिना काम को परेशान हो जाओगी इसलिए नहीं बताया हो! हां भाभी..वैसे भी मेरी कई दिनों से उनसे बात नहीं हो पाई है अच्छा भाभी अब आप आराम कीजिए और किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बिना हिचकीचाए  बस एक फोन कर दीजिएगा क्योंकि इस समय पैसों की और अपनों के साथ ही बहुत जरूरत होती है,

मैं हूं ना आप बिल्कुल मत घबराना बस आप पापा और अपनी भाभी का अच्छे से ध्यान रखिएगा! थैंक यू दीदी… आपने मेरा सारा बोझ हल्का कर दिया! दो दिन बाद चारु के भाभी के पापा की मृत्यु हो गई, लाख कोशिशें के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका, चारु सुनते ही रितेश के साथ अपनी भाभी के मायके पहुंच गई

और हर संभव अपनी भाभी का तन मन धन से सहयोग किया, दो दिन रुक कर चारु अपने घर आ गई और अपने पति को धन्यवाद देते हुए बोली …रितेश तुम बिल्कुल सही कह रहे थे अगर किसी का कई दिनों तक फोन नहीं आए तो हो सकता है उसकी कोई मजबूरी रही होगी और हम उन मजबूरियों को न देखकर

बल्कि उनके बारे में उल्टे सीधे विचार अपने मन में बसा लेते हैं और फिर यही रिश्तो में दूरियों के कारण बनते हैं थैंक यू  रितेश तुमने सही समय पर मेरी आंखें खोल दी वरना मैं तो हमेशा इसी भ्रम में रहती कि मुझे अगर उन्होंने आगे से फोन नहीं किया तो मैं भी क्यों करूं और मेरी यह जिद कितनी गलत साबित होती,

मेरा गुस्सा ही मेरे रिश्तो पर भारी पड़ जाता! आजकल वैसे ही छोटी-छोटी बातों पर रिश्तो में बढ़ती दूरियां कितनी देखने को मिलती हैं शुक्र है भगवान का कि हमारे रिश्तों में दूरियां आने से पहले ही सब कुछ संभल गया!

     हेमलता गुप्ता स्वरचित 

   (  रिश्तो में बढ़ती दूरियां)

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