सुन, सुन, सुन अरे दीदी सुन, तेरे लिए एक रिश्ता आया है। रिया को जब से पता चला था कि उसकी दीदी को लड़के वाले देखने आ रहे हैं। यही फिल्मी गाना गा, गा कर अपनी दीदी सीमा को चिढ़ा रही थी।
यह है रमाकांत जी की दो बेटियां रिया और सीमा। दोनों एक दूसरे की जान। दोनों ही बेटियां बेहद खूबसूरत और संस्कारी गृह कार्य में निपुण बिल्कुल अन्नपूर्णा।
लड़के वालों को पहली नजर में ही सीमा पसंद आ गई। शादी की तारीख भी तय हो गई और रस्मों- रिवाज के साथ रिश्ता पक्का कर दिया गया। जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे थे, दोनों ही बहने बहुत दुखी थी। क्योंकि कभी भी वे एक दूसरे के बिना नहीं रही थी। समय पंख लगाकर उड़ रहा था, जल्दी ही शादी का दिन भी आ गया।
शादी की हंसी-ठिठोली में कब सीमा का देवर रिया को अपना दिल दे बैठा यह उसे भी पता नहीं चला। भाई की शादी के कुछ समय बाद उसने अपनी भाभी से इस बारे में बात की, सीमा तो इस बात को सुनते ही बहुत खुश हो गई। उसने अपने ससुराल और मायके दोनों तरफ यह प्रस्ताव रखा तो सभी मान गए। रमाकांत जी को तो यही संतुष्टि थी कि दोनों बहने एक घर में रहेंगी तो एक दूसरे के सुख-दुख में साथ देंगी।
कुछ समय बाद रिया और सीमा के देवर की शादी धूमधाम से संपन्न हो गई। दोनों बहने बहुत प्यार से रहती और सब घर वालों का ध्यान रखती। उनकी सास भी अपनी हँसती-खिलखिलाती बहुओं को देख कर बहुत खुश थी।
लेकिन उनकी खुशियों को नजर लग चुकी थी उनकी मौसेरी बहन की जो कुछ दिनों के लिए उनके घर रहने आई थी। एक दिन वे सीमा की सास से बोली, सरला देखा मैंने भी जमाना देखा है थोड़ा बहुओं पर अपना रौब रख कहीं ऐसा ना हो दोनों तेरे सिर पर ही तांडव करें क्योंकि दोनों ही सगी बहनें हैं। अरे नहीं दीदी ऐसा नहीं है दोनों बहुत ही प्यारी हैं। एक दिन यही बात सरला जी की पड़ोसन ने भी कह दी एक ही बात को बार-बार सुनने पर सरला जी के दिमाग में बात बैठ ही गई।
बस शुरू हो गई कवायद दोनों बहनों को अलग करने की। अरे सीमा बेटा सारा दिन तुम ही क्यों रसोई में लगी रहती हो रिया को भी कहा करो ना रसोई में काम करने के लिए। मम्मी जी वह दूसरे काम देख लेती है तो मैं रसोई का कर लेती हूं। देख लो बेटा जैसे तुम्हें सही लगे मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही कह रही हूं।
अरे बेटा रिया तुम ऊपर के काम में लगी रहती हो जिसे कोई इतना महत्व नहीं देता और देखो सीमा खुद रसोई का काम करके सब की वाहवाही बटोर ले जाती है। कोई बात नहीं मम्मी जी दीदी खाना बहुत अच्छा बनाती हैं।
ऐसे ही छोटी-छोटी बातें इधर-उधर करके सरला जी ने आखिर दोनों बहनों में फूट डाल ही दी, उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि ऐसा करने से उनके घर का ही माहौल खराब होगा। दोनों बहनें जो सारा दिन एक-दूसरे के साथ हंसी मजाक करते हुए काम करती थी, अब चुपचाप काम निपटाती और अपने-अपने कमरों में चली जाती। यह देखकर सरला जी बहुत खुश थी क्योंकि दोनों बहने पहले आपस में ही लगी रहती थी अब सरला जी को खुश करने में लगी रहती।
एक दिन बाथरूम में नहाते हुए सरला जी का पैर फिसल गया और उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई, वे चलने फिरने से भी लाचार हो गई। लेकिन सीमा और रिया दोनों ने मिलकर उनकी पूरी सेवा की। अच्छी तीमारदारी और डॉक्टर की दवाओं से भी जल्दी ही ठीक हो गई। लेकिन अब उनकी आंखें खुल चुकी थी उन्हें बहुओं की खामोशी चुभने लगी। और सोचने लगी मैंने कैसे दूसरों के कहे में आकर अपने घर के हंसते- खेलते फूलों को मुरझाने पर मजबूर कर दिया। फिर उन्होंने मन ही मन एक निर्णय लिया और रिया और सीमा को अपने पास बुलाकर बोली, बेटा मैं तुमसे माफी मांगती हूं मैं तुम दोनों की गुनहगार और तुम्हारी रिश्ते में बढ़ती हुई दूरियों का कारण हूं हो सके तो मुझे माफ कर दो बेटा।
दोनों बहने खिलखिला कर हंस पड़ी। अरे मम्मी हम आपका डर समझ चुके थे, इसलिए आपके सामने हमने अपने रिश्ते में दूरी बना ली थी। ऐसा तो कभी हम बहने सपने में भी नहीं सोच सकती मम्मी। तो फिर ठीक है मुझे अब अपने सामने भी पहले जैसी हँसती मुस्कुराती लक्ष्मी चाहिए ना कि उदास या मुझ से डरी सहमी। जो आज्ञा मम्मी जी और प्यार से दोनों सरला जी के गले लग गई।
नाम: नीलम शर्मा
मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश