रिश्तो की पहचान – मुकेश कुमार

आकृति और समीर नोएडा के एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे दोनों कंपनी में एक दूसरे के अगल-बगल ही बैठते थे इसीलिए उन दोनों में दोस्ती हो गई और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में तब्दील हो गई।

1 दिन लंच के समय समीर और आकृति बैठकर लंच कर रहे थे तभी आकृति ने कहा समीर ऐसा कब तक चलेगा हमारे रिलेशनशिप का यह पांचवा साल है अब हमें एक दूसरे से शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मेरे घर में भी मेरे पापा मम्मी शादी के लिए पूछते हैं तुम ही बताओ मैं क्या कहूं क्या कोई लड़की अपनी शादी की बात अपने आप घर में कहे यह क्या अच्छा लगता है तुम मेरे मम्मी पापा से आज ही चल कर बात करो।

उसी शाम समीर आकृति के घर गया और उसके पापा से उसका हाथ मांगा।  आकृति के घर वाले समीर से बहुत ज्यादा अमीर थे समीर भले सॉफ्टवेयर इंजीनियर था लेकिन उसके मां पिताजी गांव में रहते थे और वह ज्यादा अमीर नहीं थे लेकिन आकृति के मम्मी पापा का दिल्ली में बहुत बड़ा बिजनेस था वह अपनी लड़की की शादी एक अमीर घर में करना चाहते थे  क्योंकि आकृति समीर से प्यार करती थी उन्होंने समीर से अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार हो गए लेकिन उन्होंने शर्त यह रखा की शादी नोएडा से ही होगी और शादी का सारा खर्चा हम देंगे।



अगले 1 महीने के अंदर ही आकृति और समीर की शादी हो गई आकृति अब अपने  ससुराल पहुंच चुकी थी।  आकृति इससे पहले कभी भी गांव में नहीं रही थी।  लेकिन वह यह सोच कर खुश थी कि कुछ ही दिनों की तो बात है फिर वह वापस नोएडा लौट जाएगी।  आखिर यहां भी तो लोग रहते हैं तो मैं भी रह लूंगी।

आकृति को अपने ससुराल गए 1 सप्ताह से ज्यादा हो गया था उसने नोट किया कि समीर अपने मां पिताजी से बात नहीं करता है ।  उसने कभी भी अपने मां पिताजी से बात करते हुए नहीं देखा।  नोएडा भी वह अगर साथ रहता था तो कभी भी अपने माता-पिता का जिक्र नहीं करता था।  आकृति के लिए समीर का इस तरह का व्यवहार कुछ अजीब सा लगा।

आकृति को यह लग रहा था कि शायद उसके मम्मी पापा इस शादी से खुश नहीं है कहीं हमारी शादी बिना उनके रजामंदी  के तो नहीं हुई  है  समीर के मम्मी पापा मुझसे  और समीर से नाराज तो नहीं है।

आकृति ने ठान लिया कि वह पता लगाकर रहेगी कि आखिर क्या हुआ है हमारी शादी से घर में सब खुश है या और कोई बात है जो समीर अपने मम्मी पापा से बात नहीं करते हैं।



वह सोच रही थी कि किससे इस बारे में पूछे तभी उसे ध्यान आया क्यों ना समीर की दादी से ही मैं यह सब पूछ लूं।  आकृति समीर के दादी के पास गई और उनका पैर दबाते हुए बोली, “दादी जी मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं आप सच-सच बताइएगा क्योंकि इस घर की आप सबसे बुजुर्ग है और मुझे उम्मीद नहीं नहीं पूरा विश्वास है कि आप मेरे हर सवाल का जवाब देंगी।”

आकृति ने सबसे पहला सवाल यही पूछा कि मुझे आए 1 सप्ताह से भी ज्यादा दिन हो गए लेकिन मैंने कभी भी समीर को अपने मां पापा से बात करते हुए नहीं देखा।

तभी समीर की दादी तपाक से बोल पड़ी, “बेटा इस दुनिया में भलाई का जमाना नहीं है समीर को जितना हमारे बेटे ने किया है उतना अगर उसका सगा बाप भी जिंदा होता तो शायद नहीं करता आज समीर  दर दर की ठोकर खा रहा होता।”

आकृति को कुछ भी समझ नहीं आया कि दादी यह क्या कह रही हैं  क्या समीर के पिता समीर के सगे बाप नहीं हैं।  समीर की दादी ने कहा, “बैठो बेटी मैं तुम्हें  सब सच सच बताती हूं।”

समीर जब बहुत छोटा था तभी इसका पिता जी का एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी। समीर की मां गायत्री मेरी सहेली की बेटी है और मैं इसे बचपन से जानती थी तो मैंने अपने बेटे से गायत्री के बारे में बात की की गायत्री बहुत अच्छी लड़की है एक बच्चे की मां है तो क्या हो गया शादी कर लो इससे।  मेरे बेटे ने एक बार में ही हाँ  कर दिया और गायत्री और मेरे बेटे की शादी हो गई लेकिन समीर को यह पसंद नहीं था कि उसकी मां किसी और से शादी करें।



समीर पढ़ने में बहुत होशियार था इस वजह से इसको हॉस्टल में रखकर मेरे बेटे ने पढ़ाया कि कहीं बड़ा होकर उसको यह ना लगे कि सौतेला बाप होने की वजह से उसको केयर नहीं किया ।  लेकिन समीर के मन में यह लगा कि उसे हॉस्टल में रहकर उसकी मां से मेरे बेटे ने दूर कर दिया।

इसी बात को लेकर वह मेरे बेटे और अपनी मां पर गुस्सा रहता है।

समीर की दादी ने कहा, “बेटी तुम ही बताओ हमने क्या गलत किया है हमने तो समीर की मां को आश्रय दिया हमने सोचा  जवानी में विधवा हो गई है इतनी लंबी जिंदगी कैसे कटेगी।”

आकृति एक महिला थी और  और वह एक दूसरी महिला की दर्द अच्छी तरह समझ सकती थी उसे पता था जब किसी महिला के साथ उसका पति नहीं होता है उसे समाज में किस नजर से देखा जाता है।  आकृति समीर की  मां को कहीं से भी गलत नहीं समझती थी।  क्या औरत को दूसरा शादी करने का अधिकार नहीं है ? क्या पति मर जाए तो उसके गम में पूरी जिंदगी  तन्हा गुजार दें?

आकृति उसी दिन ठान लिया कि वह समीर को उसके मम्मी पापा से समझौता जरूर कराएगी क्योंकि इसमें उन लोगों का कोई दोष नहीं था।

बल्कि समीर को तो अपने नए पापा के एहसानमंद होना चाहिए उन्होंने समीर के लिए इतना कुछ किया कि  समीर आज सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

रात में समीर और आकृति जब सोए हुए थे आकृति ने समीर से कहा, “मैं आपसे एक चीज जानना चाहती हूं।

समीर को ना जाने कैसे यह आभास हो गया की आकृति उसके मम्मी पापा और उसके रिश्ते के बारे में पूछना चाहती है समीर ने पहले ही कह दिया, “देखो आकृति अगर तुम मेरे मम्मी पापा और मेरे रिश्ते के बारे में कुछ पूछना चाहती हो तो मैं तुम्हारी इसमें कोई मदद नहीं कर सकता और ना मैं किसी सवाल का जवाब दे सकता हूं।



अभी  तक तो आकृति सॉफ्ट थी लेकिन अब थोड़ी कड़क हो गई आकृति ने कहा समीर तुम क्या समझोगे एक औरत का दर्द तुम पुरुष हो पुरुष कभी औरत का दर्द नहीं समझ सकता तुम्हारी मां ने जो किया वह बिल्कुल सही किया आज अगर उन्होंने तुम्हारे पिताजी से शादी नहीं की होती तो शायद तुम कहीं दर-दर की ठोकरें खा रहे होते तुम्हारे पिता ने तुम्हें शहर में हॉस्टल में रखा था कि तुम अच्छे से अपनी पढ़ाई कर सको तुम्हारे इंजीनियरिंग  का फीस भरा।  तुम जब अपने पापा से इतनी नफरत करते थे तो उनके पैसे क्यों लेते थे उनकी पैसे से तुमने पढ़ाई क्यों किया तुम अपने दम पर ही सब कुछ कर लेते।

समीर बिल्कुल चुप था।  आकृति ने कहा, “समीर पुरुष के बिना एक औरत की जिंदगी साइकिल के एक पहिए की तरह हो जाती है वह घूम तो सकती है लेकिन चलकर कहीं जा नहीं सकती।  पुरुष और स्त्री मिलकर जिंदगी की साइकिल को चलाते हैं।  तुम्हें क्या पता यह समाज एक अकेली औरत को किस नजर से देखता है।

समीर मुझे नहीं पता था कि तुम इतने पढ़े लिखे होने के बाद इस तरह के दकियानूसी सोच रखते हो।

आजकल तो शहरों में बूढ़े मां बाप की लोग शादी करा देते हैं तुम्हारी मां ने तो फिर भी अपनी जवानी में शादी की थी।

आकृति की बातों से समीर को भी लगने लगा था कि शायद अब तक अपने मम्मी पापा के बारे में सच में गलत सोच रहा था आज अगर वह लोग नहीं होते तो आज वह इस मुकाम पर नहीं होता क्या उसकी मम्मी उसे इंजीनियर बना सकती थी कभी नहीं।  मेरे पापा ने कभी भी मुझे किसी चीज के लिए मना नहीं किया है जो कुछ मैंने चाहा सब कुछ मुझे मिला।  समीर ने आकृति से को सॉरी बोला और कहा, “आकृति मैं कल सुबह ही अपने मम्मी पापा से माफी माँगूँगा  कि मैंने उनको आज तक बहुत दुख पहुंचाया है।  आकृति ने कहा, “नहीं समीर ऐसे नही   मैं बताऊंगी कब तुम्हें माफी मांगना है।”

इसी महीने समीर के मम्मी पापा का मैरिज एनिवर्सरी आने वाला था और आकृति और समीर ने इस मैरिज एनिवर्सरी को अपने मम्मी-पापा के लिए यादगार बना देना चाहते थे।

आज 17 तारीख था और घर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था  आकृति के सास ससुर  समझ नहीं पा रहे थे कि घर में क्या हो रहा है क्योंकि बेटे की शादी तो अभी हाल ही में निपटाया है अब किस लिए घर को सजाया जा रहा है।  उन्होंने फूल वालों से पूछा कि भाई यह किस लिए घर को सजा रहे हो तो उन्होंने बताया कि आज किसी का मैरिज एनिवर्सरी है उसी के लिए इस घर को हम लोग फूलों से सजा रहे हैं।



समीर के पापा को याद आया अरे आज तो हमारा ही मैरिज एनिवर्सरी है।

शाम हुई और स्टेज पर समीर के पापा ने उसकी मम्मी को फूलों का माला पहनाया समीर स्टेज पर ही आकर अपने मम्मी पापा से माफी मांगी और सबके सामने स्वीकार किया कि उसने आज तक अपने मम्मी पापा के साथ जो अन्याय किया है उसकी माफी तो नहीं हो सकती लेकिन मुझे समझ  आ गया है कि मां-बाप कभी भी अपने बेटे के लिए बुरा नहीं सोच सकते और एक पिता कभी भी बुरा नहीं होता

मां के बिना तो पूरा घर बिखर जाता है

लेकिन पिता के बिना तो पूरी दुनिया बिखर जाती है ।

आज समीर की मां और पापा को अपने बहू आकृति पर गर्व हो रहा था कि बहू ने आकर उनके बेटे को लौटा दिया यहां तो यह कहा जाता है कि शादी होने के बाद मां बाप से बेटा छिन जाता है वह बहू का होकर रह जाता है लेकिन यहां उल्टा हुआ बहू ने  एक बेटे को उसके मां-बाप से मिला दिया था।  आज आकृति ने सही मायनों में रिश्तो की पहचान करा दी थी।

स्वरचित और मौलिक

मुकेश कुमार

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