रिश्तों की घुटन…. नीलिमा सिंघल

वृंदा बहुत परेशान थी आजकल किसी से कुछ कह भी नहीं पा रही थी,

कुशाग्र उसका 24 साल का बेटा रोज लड़खड़ाते कदमों से घर आ रहा था खाना कभी खाता कभी नहीं, किसी से बात नहीं करता, रोज सुबह बाहर जाता और देर रात घर आता,

वृंदा ने बहुत बार कोशिश की राजीव (अपने पति ) से बात करने की पर राजीव कुछ सुनना और समझना ही नहीं चाहता था, जबकि वृंदा को लगता कुशाग्र लड़का है तो राजीव उसको अच्छे से समझा पाएंगे, पर रोज रोज कल परसों करते हुए 6 महीने बीत गए,

आज वृंदा ने ठान लिया कि उसको खुद ही अपने बेटे से बात करनी होगी, सुबह कुशाग्र जाने के लिए तैयार हुआ तो वृंदा ने बोला, “बच्चे आज मुझे तुम्हारी जरूरत है क्या छुट्टी ले सकते मुझे तुमसे बात करनी है”

कुशाग्र अचकचा गया फिर बोला “माँ शाम को जल्दी घर आता हूं फिर बात करते हैं”

“पर बेटा शाम तक तो देर हो जाएगी तेरा कोई समय ही नहीं आने का”

“Promise माँ शाम को जल्दी……”

कहते कहते कुशाग्र रुक गया क्यूंकि माँ की उदासी उससे देखी नहीं गयी उनकी पलकों में समाए आँसू कुशाग्र को बैचेन कर गए। बैग कन्धे से उतार कर धीरे से माँ को कुर्सी पर बैठाया और बोला

“आज हम माँ बेटा साथ मे रहेंगे कहीं नहीं जा रहा आज, अब खुश हो जाओ और कहो क्या कहना है “

“बच्चे मेरी दुनिया है तू, और तुझको पता है कि सिर्फ तुझे देख देख कर ही मेरी सांसे चल रही हैं “

कुशाग्र चुपचाप माँ को देखे जा रहा था

“मैं कुछ नहीं चाहती बस जानना चाहती हूं कि खिलखिलाने वाला मेरा बच्चा कहां खो गया, आते ही माँ को ढूंढने वाला मेरा किशु कहां खो गया? तेरे बहकते कदम मुझे अंदर तक चीर जाते है”।

कुशाग्र मौन रहा और गरदन घुमा कर आँखों की नमी  माँ से छुपाने लगा ।

“बेटा कौन है वो जिसने तेरी ये हालत कर दी है “

सुनते हैं कुशाग्र के दिमाग मे झनाका सा हुआ बोला “कैसी बात कर रही हो माँ कोई नहीं है काम ज्यादा है और ऑफिस मे……….”

“मुझे सच जानना है बहाने नहीं सुनने” बीच मे रोकते हुए वृंदा ने कहा।


कुशाग्र को समझ नहीं आ रहा था वो माँ को क्या बताये कैसे समझाये, उसने माँ का हाथ पकडा और अपने कमरे मे लाकर बिस्तर पर बैठाया और सिर झुकाकर बोला ” माँ याद है स्कूल के समय मेरी एक दोस्त हुआ करती थी मिताली, वो मुझे 2 साल पहले सोशल मीडिया पर फिर मिल गयी, मैंने उसको दोस्त की ही तरह समझा पर उसकी बेबाकी की वज़ह से जल्दी ही relationship मे आ गए वो कहती थी कि मैंने उसको समझा है समझाया है वो मेरे अलावा कभी किसी और के बारे मे सोच भी नहीं सकती उसके बिखरे हुए परिवार से अलग उसके वज़ूद को निखारा है, वो मुझसे बहुत-बहुत प्यार करती है “

वृंदा ने कहा “तूने उसको मेरा नंबर दिया था ” कुशाग्र ने एकदम से माँ को देखा और सहमति मे गरदन झुका ली ।

वृंदा ने अपना फोन देकर कुशाग्र से कहा “देख उसका msg मेरे पास तुम्हारे मिलने के 3 महीने बाद आया था “

कुशाग्र ने फोन हाथ मे लिया और msg देखा जिसमें लिखा था “आंटी pls कुशाग्र को समझाये मैं उससे सिर्फ दोस्ती रखना चाहती हूं पर वो मेरे पीछे पड़ा है “

कुशाग्र ने कहा “माँ तब हमारा झगड़ा हुआ था उसने कहा था कि अब वो मेरी सुरत भी देखना नहीं चाहती  पर तीसरे दिन ही उसने सॉरी बोला और कहा घर पर उसकी मॉम ने उसको खूब डाँटा था फिर वो सही हो गयी “

माँ ने फिर एक msg दिखाया जो उनके रिश्ते के 5 महीने बाद का था।

कुशाग्र ने बोला “माँ उसने मुझसे रिश्ता खत्म करने की बात कही थी दुबारा उसने कहा मेरा काम बेकार है इसमे ज्यादा पैसे नहीं है, मैंने उसको बोला जल्दी ही सैलरी बढ़ेगी पर वो नहीं मानी 1 हफ्ते बाद फिर उसका कॉल आया और वो फूट फूट कर रो रही थी, मैंने मिताली को फिर समझाया था कहा भी था अगर वो मेरे साथ खुश नहीं तो जा सकती है , हम साथ मे हैं माँ “

वृंदा ने 3-4 msg scrool किए और चुपचाप कुशाग्र को सुनती रही,

जब कुशाग्र चुप हुआ तब वृंदा ने कहा “किशु  मिताली ने दिल से रिश्ता नहीं निभाया था वो सिर्फ timepass कर रही थी तू सीधा है इन दो सालो मे तुम्हारे रिश्ते मे बार बार अलगाव हुए वो भी सिर्फ उसकी तरफ से, बहुत बार तूने खुद को सम्भाला और जब सही होता वो फिर आ जाती और तुझे भटका जाती “

“माँ ” लगभग चिल्ला पड़ा था कुशाग्र अपनी माँ पर, वृंदा ने दिल मजबूत करते हुए आखिरी msg जो कि 10 दिन पहले का था, कुशाग्र को पड़ने को दिया जिसमें लिखा था ” मुझे कैंसर की लास्ट स्टेज है और आपका बेटा मुझसे relation बनाने की बात कर रहा है आप उसको समझाओ “

कुशाग्र बोला ” माँ ये सब उसका बचपना है,वो ऐसी ही है मुझे सब बताती है और सॉरी बोलती है “

“तो अब क्या बात है जो तू लड़खड़ाते कदमों से घर आ रहा है ना खाने का होश ना सोने की फिक्र “

सुनते ही माँ की गोद मे सिर रखकर बिलख पड़ा कुशाग्र ” माँ उसने मुझे छोड़ दिया, उसने कहा तुम्हारी कभी तरक्की नहीं हो सकती ना ही तुम मुझे अच्छी जिंदगी देख पाओगे,  वो चली गयी माँ और इस बार हमेशा के लिये, उसने मुझे अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ अपनी तस्वीरें भेजी उसने मुझे ब्लॉक कर दिया, “


वृंदा अपने सेंसेटिव बेटे को बिलखते हुए देख रही थी उसकी आँखों से गंगा यमुना बह रही थी थोड़ी देर बाद बोली “किशु बेटा किसी के जाने से जिन्दगी नहीं रुकती ठहरा हुआ पानी भी बदबू देने लगता है खुद को सम्भाल कर आगे बढ़ो कोई अच्छी लड़की मिलेगी तुम्हें देखना तुम “

कुशाग्र ने कहा “नहीं माँ मिताली नहीं तो कोई नहीं, कोई भी नहीं “

“बेटा मैं लेकर आऊंगी एक अच्छी लड़की देखना तुम “

“नहीं माँ क्या चाहती हो उस लड़की की हालत आपकी तरह हो एक और वृंदा चाहती हो आप इस घर मे, नहीं माँ बिल्कुल नहीं।

कुशाग्र की बात सुनकर वृंदा को एक झटका सा लगा

उसकी आँखें पथरा गयी, वो उठी ,अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया और बिस्तर पर गिर कर धराशाई हो गयी ,आँखों से गंगा यमुना बह निकली,

कुशाग्र भी अपने कमरे में जाकर बंद हो गया उसको पता था आज उसकी माँ कमरे से बाहर नहीं आएगी तभी उसका फोन बजा उसके पापा राजीव का फोन था हालचाल पूछे 2 दिन बाद की फ्लाइट का बता कर फोन रख दिया था,

कुशाग्र बचपन से देखता आ रहा था पापा का आधिपत्य, माँ की खामोशी या कभी अपनी बात करने की कोशिश करती माँ,

पापा पर माँ के अलावा सबका हक था और ये खुद अपनी आँखों से कुशाग्र ने देखा था, और अब 6 महीने से माँ ने बोलना बंद कर दिया जो पापा कहते कर देती।

उधर वृंदा 27 साल पहले पहुंच गयी थी जब…..

राजीव के पास उसकी फोटो गयी हुई थी पर कोई जबाव नहीं आया था पापा की सख्ती और मम्मी की डांट की वज़ह से वृंदा भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि राजीव उससे विवाह को तैयार हो जाए, पापा के बहुत बार फोन करने पर रमन (जो कि मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे थे ) ने राजीव और उसके घरवालों पर दबाव बना दिया था कि एक बार लड़की देख लो,  राजीव और उसके घरवाले वृंदा को देखने आये पर किसी ने वृंदा से कहा वो जिद पर आए हैं पर मना करने, सुनते ही वृंदा सकते में आ गयी और बाहर जाने से मना कर दिया था पर मम्मी की डांट ने उसको राजीव के सामने ला खड़ा किया, वृंदा को देखते ही  राजीव और उसके घरवालों ने हाँ कर दिया,

सगाई और विवाह के बीच 4 महीने का अन्तराल था पर उस बीच राजीव ने ना तो एक कॉल की ना ही कभी मिलने आया था, वृंदा रोज राजीव के फोन का इंतजार करती और ऐसे 4 महीने बीत गए और विवाह का दिन आ गया,

वृंदा बहुत खुश थी मेहंदी, पार्लर सब देख रही थी पर मम्मी पापा ने सब मना कर दिया, उसको मेहंदी छोटी बहन की सखियों ने लगायी और उल्टा सीधा तैयार बड़ी बहन ने किया, वृंदा ने चुपचाप हर बात मान ली, यही सोचकर कि राजीव उसको सारे जहाँ की खुशियाँ देगा आखिर वो उसका पति है,

विवाह के बाद वृंदा सपनों की दुनिया मे खोयी थी पर कानो में सभी की आवाजें आती थी राजीव हनीमून पर जाने को तैयार नहीं था उसके भाई ने भेजा जबर्दस्ती, वृंदा को समझ नहीं आया ऐसा क्यूँ,

हनीमून पर शिमला गये थे जहाँ राजीव ने अपने इश्क के बारे में बताया जो वो सीमा से करता था पर सीमा उसको छोड़ गयी, उसने कसम खा रखी थी कि वो अपनी शादी तभी करेगा जब सीमा की शादी हो जाएगी। फिर तो जितने दिन शिमला में रहे दिन सीमा की बातों में जाता, रात जिस्म नोचने में,

वृंदा ने सोचा कोई नहीं वो अपने प्यार से राजीव के दिल मे जगह बना लेगी और राजीव उसका अपना होगा। जब वापस आए तो राजीव ने अपनी ओर सीमा की फोटो एल्बम और सारे खत वृंदा के सामने रख दिए, वृंदा का दिल रो दिया था,पर राजीव के दिल मे जगह बनाने की उम्मीद में दिन हफ्ते महीने बीत गए, वृंदा गर्भवती हुई तो उसकी उम्मीद और बढ़ गयी पर राजीव को कोई फर्क नहीं पड़ा,वो अपने दोस्तों और घर पर माँ बहन के साथ व्यस्त रहता, वृंदा का कुछ खाने का मन करता तो वो राजीव से कह नहीं पाती क्यूंकि राजीव के लिए वृंदा का साथ सिर्फ जिस्म का था वर्ना अजनबियों की तरह ही रहता,

वृंदा के भाई का विवाह था जिसमें राजीव ने वृंदा को अकेले भेज दिया खुद अपने भाई की ससुराल चला गया, वृंदा भारी मन से विवाह में शामिल हुई और  दिन बाद ही उसने कुशाग्र को जन्म दिया पर राजीव का व्यवहार कुशाग्र के साथ भी सिर्फ थोड़ी देर गोद में लेने भर का था,


वृंदा अब छटपटाने लगी थी, गाहे बगाहे राजीव से बोलने लगी थी अपने साथ हुए राजीव के व्यवहार को समझ नहीं पायी और अब कुशाग्र के साथ भी उसका ऐसा व्यवहार,

अब दोनों में झगडे की शुरुआत होने लगी जिसमें घी राजीव की बहन डालती क्यूंकि उसको डर था कहीं उसका भाई उससे छिन ना जाए, वृंदा ने लाख बार अपनी नन्द को समझाया पर वो नहीं समझी यहां तक कि वृंदा की सास जो अब कभी-कभी वृंदा का साथ देने लगी थी उसकी नन्द को अच्छा नहीं लगा,

जब जब वृंदा की नन्द सुगंधा को लगता कि राजीव वृंदा का साथ देने वाला है वो सीमा का जिक्र ले आती क्यूंकि सीमा सुगंधा की पक्की वाली सहेली थी,

ये भी एक राज था कि सुगंधा ने सीमा को राजीव के पीछे लगाया था जिससे सुगंधा और राकेश का सच राजीव के सामने ना आ पाए और जब राकेश और सुगंधा दूर हुए तभी सीमा भी बहाना करते हुए राजीव की जिंदगी से निकल गयी, पर राजीव के दिल से नहीं निकल सकीं थी।

सास के गुजर जाने के बाद वृंदा को लगा अब राजीव के दिल मे उसकी जगह बन जाएगी पर सुगंधा कोई मौका नहीं छोड़ती अब वृंदा की उम्मीद बस यही थी की कभी तो राजीव को उसकी कदर होगी,पर वो दिन कभी नहीं आया,

विवाह के 15 साल बाद सीमा राजीव की जिंदगी में सोशल मीडिया से वापस आ गयी वो फिर जुड़ गए उन्होंने अपने नंबर कब एक्सचेंज कर लिए ये तक वृंदा को पता नहीं चला। राजीव और सीमा ने मिलना शुरू कर दिया था, और जब मिलना होता तब राजीव घर मे बताता उसको बिजनेस मीटिंग के लिए टूर पर जाना है।

अब वृंदा ने राजीव से बात करना बंद कर दिया था अपना दर्द अपनी तकलीफ बतानी बंद कर दी थी, अब वो सिर्फ कुशाग्र की माँ थी ।

पर आज कुशाग्र ने उसके दिल के ज़ख्मों को फिर हरा कर दिया था।

वृंदा सोचो से बाहर आयी उसके आँसू सूखे चुके थे कमरे में उसके दिल का अंधेरा उतर आया था ।

वृंदा उठी बाथरूम में जाकर आईने के सामने खड़ी रही और नल खोलकर पानी से चेहरा धोती रही बार बार।

वृंदा को कुशाग्र से बात करनी थी इसीलिए नहाकर रसोई में गयी कुशाग्र का मनपसंद खाना बनाया और कुशाग्र के कमरे के बाहर दस्तक दी, कुशाग्र को उम्मीद नहीं थी कि उसकी माँ आज कमरे से बाहर आयेंगी,

माँ को देखकर कुशाग्र चौंका माँ हाथ मे थाली लिए खड़ी थी कुशाग्र ने माँ के हाथ से थाली ली और मेज की तरफ बढ़ गया।

वृंदा ने अपने हाथ से कुशाग्र को खाना खिलाया फिर बोली ” बेटा मैं भी नहीं चाहती कि कहानी दुहराई जाए इस घर मे एक और औरत वृंदा की किस्मत लेकर आए, पर “

“पर क्या माँ “

तुझे जितना समय लेना है ले, पर एक वादा कर कि अब कभी मिताली की बातों मे नहीं आएगा उसका नंबर डिलीट और ब्लॉक कर देगा, अपना नंबर बदल लेगा और अपने किसी कॉमन दोस्त को भी अपना नया नंबर नहीं देगा।

“इससे क्या होगा माँ”

जब तेरा दिल इस धोखे से बाहर आएगा तो तुझे दुनिया की अच्छी बात दिखाई देंगी, तब अपने दिल को धड़कने से रोकना नहीं  और जब तेरा दिल तेरा कहना मानेगा तब मुझे बताना मैं उस धड़कन को तेरी जिंदगी मे ले आऊंगी।

कुशाग्र अपनी माँ के सीने से लगकर रो पड़ा और अपनी माँ से वादा करते हुए कहा “मैं आपकी बात मानूँगा माँ ,धोखेबाज को कभी अपनी जिंदगी मे आने नहीं दूंगा और खुद को एक मौका जरूर दूंगा आपकी कसम माँ  ।

शुभांगी

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