‘”रश्मि दीदी के लिए जल्दी से मटर-पनीर, मिक्स वेज, बूंदी का रायता और बदाम का हलवा बनाओ। आज दीदी बहुत दिनों के बाद हमसे मिलने आई हैं।'” राहुल ने अपनी पत्नी रश्मि से कहा तो उसकी बड़ी बहन पूनम बोली ‘रहने दो भैया! आज मेरा मूड ठीक नहीं है। इसलिए मैं कुछ भी नहीं खाऊंगी।’
‘अरे दीदी! आप खाना कैसे नहीं खाओगी? हम अभी आपका मूड ठीक कर देते हैं।’ राहुल हंसते हुए बोला तो पूनम दुखी स्वर में बोली ‘रहने दो भैया! आज मैंने जबसे मम्मी को बासी रोटी खाते देखा तो मेरा मन रो पड़ा था उन्हें देखकर। यहां आने से पहले मैं उनसे मिलने गई थी। सोचा था उनसे मिल कर मन खुश हो जाएगा परंतु, उन्हें वृद्ध अवस्था में नितांत अकेले टूटे-फूटे कमरे में देखकर मेरा मन द्रवित हो गया। जिन्होंने खेतों में मेहनत करके तुम्हें पढ़ा-लिखा कर डॉक्टर बनाया आज उन्हें ऐसी हालत में देखकर मेरा मन दुखी हो गया।’
अपनी ननंद पूनम की बात सुनकर उसकी भाभी रश्मि बोली ‘दीदी! इसमें हमारा क्या दोष ?हमने तो यहां आने से पहले मम्मी पापा से कई बार कहा था कि हमारे साथ शहर चलो। यहां गांव में क्या रखा है? परंतु, वे यहां पर हमारे साथ आने को तैयार ही नहीं हुये जब मैंने मम्मी से जहां आने के लिए कहा तो वे कहने लगी “मेरा मन तो गांव में ही लगता है मैं यहीं रहूंगी तुम्हारे पापा के साथ।’
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तब रश्मि की बात का समर्थन करते हुए राहुल बोला ‘दीदी! रश्मि ठीक कह रही है। 2 साल पहले जब पापा की मृत्यु के बाद मम्मी बिल्कुल अकेली रह गई थी। तब भी मैंने तुम्हारे सामने मम्मी से कितनी बार कहा था हमारे साथ यहां आने के लिए परंतु, उन्होंने हमारे साथ आने से साफ मना कर दिया था। अब उनकी मर्जी। अब हम कर भी क्या सकते हैं?’
राहुल की बात सुनकर पूनम दुखी होकर बोली ‘भैया! एक बात बताओ बचपन में तुम कितने ज़िद्दी थे। एक बार जब तुम पहली कक्षा में पढ़ते थे तब तुम्हारा पढ़ने में मन बिल्कुल भी नहीं लगता था पढ़ाई से बचने के लिए तुम रोजाना दर्द का बहाना लेकर छुट्टी लेकर घर भाग जाते थे। तब मम्मी ने तुम्हें कितना समझाया था
पढ़ाई के बारे में तुम्हें। वे तुम्हें प्यार से गोद में लेकर फिर से स्कूल छोड़ने गई थी। यदि वह तुम्हारे साथ इतनी मेहनत ना करती तो क्या आज तुम डॉक्टर बन जाते? अगर मम्मी ने तुम्हारे साथ आने से मना कर भी दिया तो क्या तुम्हारा फर्ज नहीं था दोबारा उनके पास जाकर उनका हालचाल जानने का? जब पापा थे तब और बात थी।
पापा मम्मी का बेहद ख्याल रखते थे परंतु, उनके जाने के बाद तो वे अकेली रह गई हैं। क्या ऐसा संभव है बेटा बुलाए और मां ना आए? यदि तुमने दिल से उन्हें अपने पास रखने की कोशिश की होती तो वे तुम्हारे पास जरूर आती। बेटा बुढ़ापे में अपनी मां का ख्याल ना रखे ऐसा हो सकता है। लेकिन एक मां बुढ़ापे में भी अपने बेटे का ख्याल रखती है।
याद रखो यदि आज तुमने उनकी सेवा नहीं की तो हो सकता है बुढ़ापे में तुमको भी बासी रोटी खाने को ही मिलें क्योंकि आजकल के बच्चे जैसा देखते हैं वे वैसा ही करते हैं।’
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पूनम की बात सुनकर राहुल शर्मिंदा होकर बोला ‘तुम ठीक कहती हो दीदी! तुमने मेरी आंखें खोल दी। मैं अभी गांव जाकर मम्मी को लेकर आता हूं तुम अभी यहीं रुको आज शाम का खाना हम मम्मी के साथ ही खाएंगे मैं अभी जिद करके उन्हें यहां लेकर आता हूं।’ यह कहकर राहुल ने जल्दी से अपनी गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया अपने गांव की ओर। अपने गांव में घुसते ही जब उसने अपना स्कूल देखा उसे वह समय याद आ गया था जब उसकी मम्मी उसे गोद में लेकर उसे स्कूल छोड़ने जाती थी जब वह पढ़ लिख कर डॉक्टर बन गया था तो उसकी जिद के कारण पापा ने शहर में उसका मकान बनवाने के लिए अपनी सारी जमीन बेच दी थी जिस जमीन पर उन्होंने दिन रात मेहनत करके चार पैसे कमा कर उसे डॉक्टर बनाया था।
जब उसका घर आया तो उसने गाड़ी से उतर कर देखा सामने एक टूटी सी चारपाई पर उसकी मम्मी विमला देवी लेटी हुई थी। विमला देवी ने जैसे ही बेटे की पदचाप सुनी खुशी के मारे वे अपने चारपाई से खड़ी हो गई थी। 2 साल बाद बेटे को सामने देखकर उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे। रोते हुए वह राहुल से बोली ‘बेटा!
बैठ इतने दिनों में आया है मैं तेरे लिए कुछ खाने को लाती हूं। जब तेरे पापा थे तब दोनों वक्त खाना बनता था। उनके जाने के बाद तो जैसे मेरी हिम्मत ही खत्म हो गई। अब मैं एक टाइम रोटी बनाती हूं उन्हे ही दोनों टाइम खा लेती हूं।’
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अपनी मम्मी की बात सुनकर राहुल दुखी स्वर में बोला “मम्मी मैं यहां कुछ नहीं खाऊंगा धिक्कार है मुझ पर! जो मेरे रहते हुए आप बांसी रोटी खाती हो। आज के बाद आप दोनों वक्त गरम-गरम खाना हमारे साथ ही खाएंगी। मम्मी तुम्हें मेरी कसम है। अब तुम्हें मेरे साथ शहर चलना ही होगा। नहीं तो मैं आज के बाद खाना नहीं खाऊंगा।’
राहुल की बात सुनकर उसकी मां बोली ‘बेटा! मैंने अपनी पूरी जिंदगी ही काट दी अब मैं वहां जाकर क्या करूंगी? तब राहुल बोला मम्मी जी जिंदगी के कुछ पल आप हमारे साथ भी गुजार लो। मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं यह कहते हुए।’
राहुल की आंखें भर आई थी एक मां सब कुछ देख सकती है परंतु, अपने बच्चे की आंखों में आंसू नहीं देख सकती विमला देवी राहुल की आंखों में आंसू देख कर पिघल गई थी। वह राहुल के आंसू पौंछकर बोली” बेटा रो मत अभी चलती हूं तेरे साथ।’अपनी मम्मी के ये शब्द सुनकर राहुल खुशी-खुशी अपनी मम्मी का हाथ पकड़कर उन्हें जल्दी से गाड़ी में बिठा कर अपने घर ले आया था। जब विमला देवी अपने बेटे के घर पहुंची तो उन्होंने देखा उनकी बहू रश्मि उनकी बेटी पूनम और बच्चों के साथ आरती का थाल सजाकर उनका इंतजार कर रही थी। रश्मि ने अपनी सासू मां का आरती उतार कर स्वागत किया तो विमला देवी की आंखें भर आई थी।
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उन्होंने रश्मि को ढेरों आशीर्वाद दिए यह देखकर पूनम हंसते हुए राहुल से बोली ‘ मैंने सही कहा था ना आपसे यदि बच्चा जिद करें और मां ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता आज आपके जिद करने से मम्मी आपके साथ आ गई ना तब राहुल हंसते हुए बोला” दीदी आपने बिल्कुल ठीक समझाया था मुझे आज मेरे जिद करने पर मम्मी घर आ ही गई अब तो आप हमारे साथ खाना खाओगी ना यह सुनकर पूनम हंसते हुए बोली “भाभी! अब जल्दी से मेज पर खाना लगा दो बड़े जोर से भूख लगी है। अब हम सब मम्मी के साथ बैठकर खाना खाएंगे।’
आज के जमाने में बहुत से लोग ऐसा करते हैं जब वह जिंदगी में अपना मुकाम हासिल करने पर बुढ़ापे में अपने माता पिता को छोड़कर अपना अलग आशियाना बना लेते हैं वे यह भी नहीं सोचते कि बुढ़ापे में उनके माता-पिता उनके बगैर कैसे रह रहे होंगे? क्या सिर्फ माता-पिता का अधिकार होता है बच्चों का जिद करके भविष्य संवारने का…. बच्चों का कोई फर्ज नहीं होता
… यदि उनके मम्मी पापा जिद करें तो उन्हें प्यार से समझ के अपने माता-पिता का बुढ़ापा सवारने का ?यदि आजकल के बच्चे यह समझ जाएं तो बुढ़ापे में ना तो कोई माता-पिता वृद्ध आश्रम में जाए और ना ही बुढ़ापे में गमगीन अवस्था में अपना जीवन यापन करें।
बीना शर्मा