रिश्तों की डोर यूं न तोड़ो – मंजू ओमर: Moral Stories in Hindi

संगीता कई दिनों से यूं उदास बैठी थी ,कारण संगीता के बड़े भाई की तबियत कुछ ज्यादा ही खराब थी ।आई,सी यू में भर्ती हैं की दिनों से ।वो भाई से मिलने जाना तो चाहती है लेकिन संगीता के पति पंकज बिल्कुल भी

तैयार नहीं है जाने को।और अकेले भी नहीं रहेंगे क्योंकि उनको स्वास्थ्य संबंधी काफी दिक्कतें हैं । अकेले छोड़ना संभव नहीं है संगीता के लिए।

           संगीता तो बराबर फोन करके भाभी से हालचाल पूछती रहती है लेकिन पंकज फोन नहीं करते ।की बार संगीता ने कहा रिश्ते ऐसे नहीं चलते हम तो फोन कर ही रहे हैं लेकिन तुम्हारा भी फर्ज बनता है कि एक बार

फोन करके भइया का हालचाल पूछों आखिर इतना नजदीकी रिश्ता है हम सबका।

और फिर इतना मेल-मिलाप रहा है हम दोनों का एक दूसरे के यहां इतना आना-जाना ‌रहा है । छोटी छोटी बातों को मन में रख लेने से रिश्ते कमजोर हो जाते हैं ।और एक दिन दरक जाते हैं ।पर पंकज के कान पर जूं नहीं

रेंग रही थी बस जिद पकड़कर बैठे थे कि हमें नहीं करना फोन वोन।

                 जब भी संगीता कहती फोन करने को तो बोलते अच्छा ठीक है ठीक है पहले तो मैं बराबर फोन करता था न तुम्हारे भाई के पास कोई सुख हो दुख हो और वैसे भी , लेकिन तुम्हारे भइया , अपने भइया को तो

तुम हमसे भी अच्छी तरह से जानती हो न । हां हां मैं जानती हूं भइया भी ऐसे ही है

लेकिन इस समय तो उनके जान पर बन आई है । ढाई साल से बीमार चल रहे हैं और अब हालत बिलकुल नाजुक हो गई है ऐसे रिश्ते टूट जाते हैं ।और चार लोग बातें भी बनाते हैं ।कि एक फोन तक तो किया नहीं आने की

कौन कहे।

तीन बहनें और दो भाइयों में संगीता बहनों में बड़ी और भाइयों में छोटी थी ।आपस में संगीता उनके पति पंकज और भाई में अच्छी पटती थी ।खूब आना जाना उठना बैठना था ।भाई थोड़े अकड़ वाले थे बड़ी जल्दी बात का

बुरा मान जाते थे। लेकिन बात सामने वाले को भी बुरी लग सकती है ये भी तो समझना चाहिए। फिलहाल ये सब तो आपस में एक दूसरे के साथ चलता रहता है। इससे रिश्ते तो नहीं तोड़े जाते।

भाई इधर दो ढाई साल से बीमार चल रहे थे । किडनी की प्राब्लम हो गई थी उनको और धीरे-धीरे लंस में भी प्राब्लम आ रही थी सांस लेने की दिक्कत हो रही थी ।अब कुछ काम वगैरह भी नहीं कर पाते कहीं आना जाना

भी सब बंद हो गया है। सांस फूलने लगती है।

वैसे तो संगीता के पति पंकज अक्सर फोन कर लेते थे लेकिन अभी दो साल पहले पंकज के बड़े भाई की मृत्यु हो गई थी तो भाई को आना चाहिए था ,उस समय तबियत की इतनी प्राब्लम नही थी ,तो आए नहीं तो एक फोन

भी नहीं किया ।इस बात को लेकर पंकज संगीता को बोलते थे कि देखो तुम्हारे भाई ने एक फोन भी नहीं किया

आने की बात तो दूर। फिर पंकज के पोता हुआ तो संगीता ने भाई के साथ सबको खबर कर दी , सभी के बधाई के फोन आ गए पंकज के पास लेकिन भाई ने नहीं किया ।तो पंकज बोले संगीता से सभी के फ़ोन आए बधाई

के लेकिन तुम्हारे भैया ने बधाई भी नहीं दी । जबकि तुम्हारे भतीजे को दोनों बच्चों में हमने आगे बढ़ चढ़कर फ़ोन किया बधाई दी

और हालचाल भी पूछता रहा ।तो हर समय पंकज संगीता को ताना मारते कि तुम्हारे भाई ने एक बधाई का फोन भी नहीं किया अब मैं भी नहीं करूंगा कोई फोन ।ऐसी छोटी छोटी बातों को लेकर दोनों में तनातनी लगी

रहती थी । लेकिन अभी भाई ज्यादा बीमार हो गए थे तो संगीता को लगता था कि एक बार फोन करना चाहिए था ।

संगीता को रिश्तों की डोर दरकती नजर आ रही थी । पांच दिन से भाई आई सी यू में भर्ती हैं संगीता काफी परेशान थी ।उसका मिलने का भी मन कर रहा था क्या करें भाई बहन का आपस का प्रेम है ।हालत नाज़ुक थी

फिर भी डाक्टरों ने बचा लिया था आज वो वापस घर आ गए थे।बच तो गए हैं लेकिन कंडिशन बहुत अच्छी नहीं है ‌

संगीता ने पंकज को बताया कि भाई घर आ गए हैं ।बच तो गए हैं लेकिन कंडिशन बहुत अच्छी नहीं है । फिर पता नहीं क्या सोचा पंकज ने भाई को फोन किया ।जब संगीता ने सुना कि पंकज भाई से बात कर रहे हैं तो वो

बहुत खुश हुई। चलो कुछ तो समझ आया इनको , कुछ तो अच्छा हुआ।

हालचाल पूछने के बाद बताया पंकज ने कि ठीक से बात नहीं कर पा रहे हैं तो संगीता बोली मेरा मिलने का मन कर रहा है ‌पता नहीं क्या सोचकर पंकज ने दो दिन बाद चलने का मन बनाया कि चलो अच्छा

मिल आते हैं ।

                  आज संगीता और पंकज भाई के पास मिलने गए । दरकती रिश्तों की डोर फिर से बंधती नजर आ रही थी ।अपनों से मिलकर एक दूसरे को अच्छा लगता है।एक नई स्फूर्ति का संचार होता है।इस लिए कुछ

बातों को भुलाकर रिश्तों को बनाए रखें । रिश्तों की डोर को टूटने न दे इसी में समझदारी है ।

क्यों पाठकों आप बताएं क्या सही है और क्या ग़लत 

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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