रिश्तों के रूप – रचना कंडवाल

“गरिमा तुम मेरी बेटी की तरह हो।”

ये सुनकर गरिमा को काटो तो खून नहीं।

प्रोफेसर श्रीनिवास की आवाज ने उसे सहमा कर रख दिया।

गरिमा का कालेज में नया दाखिला हुआ था। गरिमा दिखने में बेहद खूबसूरत थी। चंप‌ई रंग,कत्थ‌ई आंखें, मोहक हंसी,कमर तक लहराते हुए बादामी कलर के बाल उस पर सोने पर सुहागा कि दिमाग की बेहद तेज इन सारे गुणों ने उसे अव्वल दर्जे का घमंडी और सिरफिरा बना दिया था। ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ था कि किसी ने उसे पीछे मुड़कर न देखा हो।

आते ही तमाम लड़कों में उसके चर्चे हो ग‌ए।हर कोई उससे दोस्ती करने को आतुर था। वो अक्सर अपनी सहेलियों से कहा करती कि मैं तो अपनी सिक्स्थ सेंस से पहचान जाती हूं कि सामने वाले बंदे के दिमाग में क्या चल रहा है??

उसकी सहेलियां भी उसे चने के झाड़ पर चढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी।

प्रोफेसर अग्रवाल की तो वो चहेती थी। अनीता अक्सर उसे छेड़ती कि बुढ‌ऊ तो तेरा दीवाना है।

प्रोफेसर श्रीनिवास मैथ्स के प्रोफेसर थे। हैंडसम, स्मार्ट

छह फिट दो इंच हाइट रंग हल्का सांवला कोट पैंट में जबरदस्त कांबिनेशन की शर्ट और टाई पहनते और बड़ी बांकी अदा से चलते आवाज का जादू, पढ़ाने का तरीका तो ऐसा कि तारीफ तो हर कोई करता था।

एक दिन गरिमा की सहेलियों ने कहा कि प्रोफेसर श्रीनिवास तो लगता है तुम पर विशेष कृपा रखते हैं। क्लास में भी तुझे देख कर पढ़ाते हैं। और हमने तो क‌ई बार चोरी छिपे उन्हें तुझे घूरते हुए भी देखा है।



अब गरिमा भी ध्यान देने लगी उसे भी लगने लगा कि सचमुच ही सर उसे नोटिस करते हैं विशेष तरह से। अपनी कल्पनाओं में उड़ते हुए वह कॉलेज और बन संवर कर आने लगी। सबसे आगे बैठती और क्लास में ‌श्रीनिवास सर की नजरों में आने के लिए हर क्वेस्चन का‌ आंसर करने की कोशिश करती। सर भी उसकी कोशिश को सराहते और शाबाशी  देते। कुछ महीने बीत गए।अब तो उसे पक्का यकीन हो गया कि सर उसे चाहते हैं।वह‌ सर से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करने लगी।

एक दिन सर ने उसे कहा गरिमा क्लास खत्म होने के बाद मुझे कालेज के बाहर मिलना तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। अब तो उसे लगने लगा कि उसने बाजी मारी ली। आज दिन उसे बहुत बड़ा लग रहा था क्लास खत्म होने के बाद वह जल्दी से बाहर ग‌ई। उसने देखा कि सर उसका इंतजार कर रहे हैं। आज तो वह अपने दिल की बात कह देगी।

प्रोफेसर श्रीनिवास उसे देखकर मुस्कुराए “गरिमा कैसी हो??”

मैं ठीक हूं सर।

मुझे कुछ दिनों से लग रहा है कि तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो??

सर मैं वोअअअ… आपको पसंद करने लगी हूं।

“गरिमा तुम तो मेरी बेटी की तरह हो।” प्रोफेसर श्रीनिवास के शब्द सुन कर वह जम गई।

वो उन्हें ताकने लगी।

प्रोफेसर श्रीनिवास कहने लगे तुम क्या इस कालेज की हर लड़की मेरी बेटी की तरह है।

गरिमा तुम बेहद खूबसूरत, होशियार और स्मार्ट लड़की हो। ये वक्त तुम अपनी पढ़ाई और कैरियर बनाने पर लगाओ। मैं तुम्हारे लिए दिल से प्रे करूंगा कि तुम आसमान की ऊंचाइयों को छुओ।

रिश्ता केवल एक ही नहीं होता बल्कि और भी रिश्तों के और भी रूप होते हैं।

गरिमा की आंखों में आंसू आ गए। ये आंसू दिल टूटने के नहीं सर के प्रति आदर और पश्चाताप के थे।

सॉरी सर

प्रोफेसर श्रीनिवास मुस्कराए और बोले “चलो अब जाओ कभी पढ़ाई में कुछ पूछना हो तो पूछ सकती हो” ऐसा कह कर सर चले गए।

गरिमा सोच रही थी कि सर वाकई में बाहरी रूप से ही नहीं बल्कि मन से भी सुंदर हैं।

अगर उनकी जगह कोई और होता तो मेरा फायदा उठा सकता था।

सर आज उसकी नज़रों में बहुत ऊंचा स्थान पा चुके थे।

© रचना कंडवाल

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