रिश्तों के बीच विश्वास की एक पतली रेखा होती है – मंजू ओमर   : Moral Stories in Hindi

बेटा मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तुम ऐसा कुछ करोगे।इस तरह के संस्कार तो मैंने तूझे नहीं दिए थे बेटा । तुम्हारी हरकतों के बारे में सुनकर तो मैं बहुत शर्मिन्दा हो रही हूं। लता ने अपने बेटे अनुज को फोन करके कहा।

क्या सुन लिया मां तुमने मेरे बारे में जो ऐसा कह रही हो ।सुना है तभी तो कह रही हूं । हां तुम्हें कुछ ऐसा करते देखा जरूर नहीं है लेकिन कुछ बात होती है तभी सुनाई देती है ऐसे तो नहीं।आज बाजार में तुम्हारा दोस्त हर्ष मिला था उसने नमस्ते की और अपना और तुम्हारा हालचाल बताने लगा ।

क्या बताने लगा अनुज ने पूछा अरे वही सब जिसकी हमें उम्मीद नहीं थी ,अरे मां आप तो , क्या आप तो , तूने इतनी मेहनत से कम्पटीशन निकाला था। इतनी अच्छी रैंक आई थी तेरी और इतने अच्छे इंस्टीट्यूट से तुमने डिग्री ली है ये कोई मामूली बात नहीं है। बच्चे जब घर से बाहर जाते हैं न तो मां बाप के लिए हुए संस्कार उनको गलत कामों से बचाते हैं । क्यों कि घर पर ऐसा कुछ उनने देखा नहीं होता है।

अनुज ने कड़ी मेहनत करके आई आई टी निकाला था और उसे खड़गपुर के इंस्टीट्यूट में एडमिशन मिला था एमटेक का डबल डिग्री कोर्स किया था । काफी टफ कम्पटीशन होता है । मां बाप ने भी बड़ी मेहनत से अनुज को पढ़ाया था ।अपनी उम्मीदों और सपनों को पीछे धकेल कर सारा खर्च उठाया था।और जब बेटा नौकरी पर आ जाएगा तो सहारा हो जाएगा।

लेकिन ये क्या बेटा नौकरी पर तो आ गया लेकिन पैसे से कोई मदद घर पर नहीं करता था ।गलत आदतों का शिकार हो गया था , कहता पैसा बचता ही नहीं है । पहले हिसाब से पैसे भेजते थे मां बाप लेकिन अब बेटा अच्छा खासा कमाने लगा मां से कहता मां अभी नई नई नौकरी है

न तो अभी कुछ नहीं बचता घर का किराया और बहुत सारे खर्चें में पैसा लग जाता है । लेकिन अनुज की गलत आदतें लग गई थी शराब सिगरेट क्लब आदि जगहों पर पैसा जाया करने लगा था । कुछ अन्य तरीके के नशे का भी आदि होता जा रहा था जिसकी लता की जानकारी नहीं थी ।अब बाहर में रहकर बच्चा क्या कर रहा है कैसे रह रहा है जबतक कोई बताए नहीं कैसे पता चलेगा।

लता बोली इन सबमें तू पैसा बर्बाद कर रहा है बेटा ।इतने सालों से पैसा जोड़ जोड़ कर अपने साथी जरूरतें और खर्चें को पीछे करके पहले तूझे पैसा भेजतीं थी ।इसी उम्मीद में कि जब तू कमाने लगेगा तो हमें भी सहारा हो जाएगा । बेटा अभी तेरी छोटी बहन भी तो है

उसकी भी पढ़ाई लिखाई पूरी होनी है । फिर शादी ब्याह भी तो करना है कुछ पैसा उसके लिए भी तो जोड़ना है । फिर शादी ब्याह भी तो आजकल बहुत मंहगे है। कुछ तो पैसों कि इंतजाम रखना पड़ेगा न । तुमसे कहा तो तू कहने लगा अभी नई नई नौकरी है अभी पैसे नहीं निकाल पा रहा हूं

तमाम जरूरतें है हमारी।और तूने तो शराब और नशे की आदत डाल ली ,इन सब आदतों से अपने को बर्बाद मत कर बेटा।कल को तेरी शादी भी करनी है पत्नी से कैसे पटेगी। आगे परिवार बनाने के लिए भी तो पैसों कि जरूरत पड़ेगी।भले ही हमें न भेज लेकिन अपने आपको और अपने पैसे को इस तरह बर्बाद न कर ।

अपने पास ही बचा कर रख वैसे अगर मेरे पास भेज देगा तो तेरे पैसे सुरक्षित रहेंगे और जब तूझे जरूरत होगी मिल जाएंगे। अच्छा देखता हूं मां मैं अभी हर्ष की खबर लेता हूं।जो जाकर तुमसे शिकायत करके आया है।अरे नहीं बेटा उससे तू झगड़ना मत उसने अपने आप कुछ नहीं बताया मैंने ही की बार उससे पूछा तो उसने बताया।

मुझे मालूम था बच्चे जब बाहर रहते हैं अकेले और पैसा हाथ में आ जाता है तो इस तरह की आदतों का शिकार हो जाते हैं। अच्छा बेटा फोन रख रही हूं सोचना समझना जो कुछ भी मैंने कहा है ।

फोन कट हो गया और अनुज के लिए बात आई गई हो गई। लेकिन दीवाली में अनुज घर आया तो उसने देखा केवल बहन के लिए नये कपड़े आए थे और मम्मी पापा पुरानी साड़ी और र्शट में थे । अनुज ने कहा अरे मम्मी पापा दीवाली का त्योहार है आपने ने कपड़े नहीं बनवाए क्या

,तू अपने लिए लाया है कि नहीं ने कपड़े लता बोली हां मैं तो लाया हूं अपने लिए ने कपड़े । फिर ठीक है बेटा हमारा क्या बस ऐसे ही ठीक है पापा बोले।इस बार बहन की एडमिशन फीस भरनी थी डेढ़ लाख रुपए हाथ जरा तंग था अगली बार बनवा लेंगे।

ऐसा सुनकर अनुज के नए कपड़े उसको मुंह चिढ़ा रहे थे ।वो सोचने लगा मुझे नहीं मम्मी पापा को ने कपड़े पहनने थे । मुझे कुछ मदद करनी चाहिए । अपने खर्चे पर रोक लगानी है ।

अभी पूजा में समय था अनुज तुरंत बाजार गया मम्मी के लिए साड़ी और पापा के लिए र्शट और एक सूट बहन के लिए भी लेकर आया और लिफाफे में पचास हजार रुपए डाल कर मम्मी पापा को लेकर पैर छूए । मम्मी पापा बोले ये क्या हैं बेटा बस कुछ नहीं मां छोटा सा तोहफा है ।

लता जी ने पैकेट खोला तो नई साड़ी और पापा के नए कपड़े देखें और लिफाफे में पचास हजार रुपए भी थे । देखकर लता जी की आंखें छलछला आई ।बेटे को गले से लगा लिया ।

माफ करना मां मैं भटक गया था ।सब ग़लत आदतें छोड़ने की कोशिश करूंगा।आप लोगो ने इतनी मेहनत से पढ़ाया है वो जाया नहीं होगा।आपका बेटा अब सही रास्ते पर चलेगा। लता जी ने पूरे परिवार के साथ खुशी खुशी लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की ।है विघ्नहर्ता तुम्हीं सारे विघ्न हरते हो ।अनुज को सद्बुद्धि दो , सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देना ।आपका बहुत बहुत धन्यवाद भगवान और सभी खुशी से झूम उठे ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर। झांसी उत्तर प्रदेश

3 जून 

#रिश्तों के बीच में विश्वास का एक पतला धागा होता है

 

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