Moral stories in hindi : मैं मेहंदी लगवाकर लौटी तो बीनू को घर के बाहर बरामदे में देखकर उसके पास चली गई ,मेरी मेहंदी देखकर बोली – बड़ी तैयारियां हो रही है राखी की ।
तुमने मेहंदी नही लगाई मैंने बीनू से पूछा
नही मुझे कहीं जाना तो है नही
और भाई मेरे आने वाले नही कहते हुए वह उदास हो गई ।
बीनू मेरी सहेली भी है मेरी बहिन जैसी भी है ,हम दोनों अपने दिलों की बात आपस मे कह सुनकर मन हल्का कर लेते हैं ।मैं उसे उदास देखकर कहती -‘यार कह दो क्या बात है टेंशन मत लो नही तो बी पी और शुगर पाल लोगी “
ये हमारी दोस्ती का कमाल है हम दोनों पांच दसक से ऊपर है और बीमारियो से दूर है ।
दोनों मन का दर्द बता देते है और विश्वास के साथ अपने दुख सुख अपने तक ही रखते है ।
जब भी राखी या दूज आती है बीनू बहुत उदास हो जाती है ।
उसके तीन भाई है मेरा एक ही भाई है मुझसे छोटा ,उसके तीनो भाई बड़े हैं दोनों बहनों से फिर भी मैंने कभी राखी दूज पर उनको आते नही देखा ।कभी पूछा नही वह क्यों नही आते परंतु आज वह खुद बता रही थी अपने मन की बात त्योहार का दर्द मिटाने के लिये ।रचना मेरे माम् और पापा थे तब हम खुद जाते थे भाई दूज और राखी करने
सौ किलोमीटर पर हमारा मायका था सुबह से जाने की खुशी होती थी भाई भी सब होते थे हम दोनों बहनें पहुचते तो घर मे एक त्योहार की रौनक ही अलग होती थी ।पापा बहुत खुद्दार थे हम बहनों को बहुत प्यार सम्मान देते ।भतीजियों बुआ सब को वह दूज का नेग खुद ही देते ,पूड़ी पकवानों मे भरे उस प्यार और स्नेह को समेटे हम शाम को वापस आ जाते थे ।
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उनको लगता था मेरी बेटियाँ है मेरे जीते जी भाई से कुछ क्यों लेंगी मैं दूंगा मेरे घर आई हैं ,कुछ सालों बाद जब ममी पापा नही रहे तो हम भाई बहनों के बीच वह प्यार वह अपनापन हो ही नही पाया ।
हम दोनों बहनों को पापा का घर संम्पति कुछ नही चाहिये था पर एक अपनापन रिश्तों में मजबूती नही रह गई सब बातें स्टेटस के हिसाब से होने लगी ।
फिर हमारा मन भी इन त्योहारों से हट सा गया ,प्रेम का धागा है रक्षाबंधन आस्था का टीका है दूज ।
न धागा मजबूत रहा नही रोचना में कोई रुचि रही न भाई को न बहिन को कहते हुए बीनू की आंखे भर आईं ।
बीनू तेरे अंदर अभी स्नेह का सागर सूखा नही है तभी तो आंखों से बह रहा है ,कल तुम भाई के यहाँ खुद चली जा वह अब बुजुर्ग हो रहे हैं ।
रचना कभी प्यार से भाभी भाई कहते बीनू तुम आ जाओ हम तुम्हारा राखी बँधवाने के लिये राह देखेंगे ।
तुम्हारा भाई छोटा है पर वह राखी रोचना के लिये तुम्हारा इन्तजार तो करता है ।
अभी मेरे अम्मा बाबा हैं क्या उनके बाद मेरा भी मन ऐसा हो जाएगा ,?
नही ,मैं बड़ी दीदी की तरह रजत को कभी नही भूलने दूंगी की साल में दो दिन बहिन के भी होते है दूज और रक्षाबंधन ।
#रक्षा
पूजा मिश्रा
कानपुर