रिश्तेदारों से मनमुटाव ठीक नहीं। – सुषमा यादव   : Moral Stories in Hindi

नीलू मार्केट गई थी,उसका फोन बार बार बजे जा रहा था। घर आकर देखा तो उसके मामा ससुर के पोते का फोन था,चार पांच मिस्ड कॉल थे।

फिर फोन आया, उसने हेलो कहा और व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ कहा,,कहो, आज़ ढाई साल बाद कैसे मेरी याद आई,

उधर से रमेश की आवाज आई, अरे,आप ही फ़ोन नहीं करती हैं, हम सबको भुला दी हैं।

 नीलू ने बेरूखी से कहा, सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है, कैसे फोन किया, ये बताओ,

जी, वो छोटी बहन की शादी मई में है तो हमने सोचा, आपको पहले से ही बता दें,ताकि आप शादी में शामिल होने के लिए पहले से ही तैयारी कर लें,,

नीलू ने मन में सोचा, मैंने सही अनुमान लगाया,बहन की शादी के लिए ही फोन था,

उसने सीधे सपाट लहजे में कहा,, मैं तो बाहर जा रहीं हूं, पता नहीं कब तक वापस आऊंगी,, कुछ कह नहीं सकती,मेरा आना तो मुमकिन नहीं है। 

रमेश ने निराश हो कर कहा, अच्छा, ठीक है,पर कोशिश करियेगा। 

नीलू ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया।

वो उदास हो कर बैठ गई और पिछले सालों का बीता हुआ कल उसके सामने एक एक करके अपनी झलकियां दिखाने को आतुर होने लगा।

एक एक करके सबके चले जाने के बाद नीलू ससुराल में अकेले रह गई,, गांव में अकेलापन काटने को दौड़ता था।   पति के जाने के बाद सभी रिश्तेदारों ने दूरी बढ़ा ली थी,पर नीलू ने सोचा, अपने रिश्तेदारों से मनमुटाव नहीं करना चाहिए। मनमुटाव ठीक नहीं है। उन्हें मनाने की कोशिश करतीं हूं।

उसने अपने ससुराल के रिश्तेदारों से रिश्ता बनाए रखने के लिए सबको फोन करके हालचाल लेना शुरू कर दिया।  बहन बेटियां ससुराल से आईं, सबको कपड़े, रुपए,भेंट स्वरूप देने लगी,,सब बहुत खुश हुए,आना जाना लगा रहा।

 नीलू के मामा ससुर और मामी सास का स्नेह नीलू पर जरा ज्यादा ही था, क्यों कि उसकी सास उनकी इकलौती बहन थी, भांजे के गुज़र जाने के बाद अब नीलू पर वो पूरी ममता लुटा रहे थे, पर अस्वस्थ और उम्रदराज होने के कारण वो नीलू और अपने जीजा जी से मिलने आ नहीं सकते थे,ना उन्हें कोई ले आता।

एक दिन नीलू अपने श्वसुर के साथ उनके घर बहुत सारी मिठाइयां,फल वगैरह लेकर पहुंची,पूरा परिवार ख़ुश हो गया,पर मामा,मामी की खुशी देखते ही बनती थी,खाना पीना होने के बाद नीलू ने सबको पांच पांच सौ रुपए हाथ में दिए, करीब आठ दस लोगों का भरपूर परिवार था, मामा ससुर के पास घूंघट निकाले नीलू ने जाकर धरती पर स्पर्श करके प्रणाम कहा,मामा जी ने भी ज़मीन को छू कर प्रणाम किया, क्यों कि मामा ससुर को छूते नहीं हैं ना,

मामा जी रोते हुए बोले, भैया,अब आपकी ही आशा है , दीदी और भैया चले गए,अब आप हम सबकी सुधि लेते रहना, हमें भुलाना नहीं, ऐसे ही आते रहना।

जी मामा जी, बिल्कुल हम आते रहेंगे, और उसने सबको अपने यहां भी आने का आग्रह किया, ताकि सबको जोड़ सके। 

सब आने जाने लगे और नीलू उन पर बहुत सारा पैसा लुटाती, वापसी में बहुत गिफ्ट्स वगैरह देती,

एक बार नीलू उनके यहां गई, स्वागत सत्कार हुआ,पर केवल मिठाई लेकर गई और बोली कि आप लोग आईये और कुछ दिन मेरे साथ रहिए,यह कहकर वो किसी को भी बिना एक पैसे दिए, वापस लौट आई, सोचा कि जब घर आएंगे तो सबको उपहार के साथ पैसे भी दे देगी।

लेकिन वो इतंजार ही करती रही, कोई नहीं आया, नीलू के श्वसुर खतम हुए, उसने खबर की तो सबसे पहले रमेश ही संगम पर आया,जब उसे दाह संस्कार करने को कहा तो वो कूद कर दूर खड़ा हो गया था, सबने बहुत समझाया पर वो नहीं माना, आखिरकार नीलू को ही सब करना पड़ा।

नीलू को करोना हुआ,,कई बार बीमार पड़ी, काफी दिन गांव में रही पर किसी ने झांका तक नहीं,

मामा,मामी सबका देहांत हो गया, नीलू को खबर नहीं मिली,

जब पता चला तो बहुत रोई,मन मसोस कर रह गई,जब कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता तो क्या मतलब है । आखिर मनमुटाव बढ़ता चला गया।

और आज इतने सालों बाद फोन आया,,बहन की शादी में आयेंगी तो अच्छा खासा उपहार, जेवर वगैरह तो मिलेगा ही।

वाह, कैसे कैसे लोग हैं,जब तक नीलू के पति और सास थे तब तक खूब लूट कर ले जाते रहे और अब कितने मतलबी और स्वार्थी हो गये।।

,, नीलू सोचने लगी,

मनमुटाव, मतभेद आपस में दूर कर लेना चाहिए,पर यदि किसी को अपनी जरूरत ना हो तो ऐसे बनावटी, मतलबी रिश्तेदारों से दूरी बनाए रखने में ही बेहतरी है।

अब उसने सबके नकली चेहरे पहचान लिए हैं।

सबसे रिश्ते नाते तोड़ लिए हैं।

सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र

#मनमुटाव

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