“रिश्ते तोड़ना आसान है जोड़ना मुश्किल” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 तनु बेटा.. यह सब क्या है तू आए दिन अपने ससुराल से यहां चली आती है  छोटी-मोटी लड़ाई झगड़े तो हर घर में चलते हैं तेरे घर में तो लड़ाई झगड़ा भी नहीं होता फिर तू क्यों चली जाती है? पापा आप नहीं जानते मेरे ससुराल वालों को मुझे उनके संग रहना बिलकुल भी पसंद नहीं है

उन्होंने तो जैसे  ठान ली है मैं जो कहूंगी उसका उल्टा ही उनको करना होता है उनकी हर बात में हां मिलाओ तब तो ठीक नहीं तो मेरी तो कोई मर्जी ही नहीं है, जो वह चाहते हैं वही उस घर में बनता है और वही सब होता है! अरे ऐसा क्यों कह रही है हर बात तो तेरी मानते हैं तू ही कम नहीं है

अब बता इस बार किस लिए आई? तनु की मम्मी को तनु के आए दिन मायके में आने की वजह से गुस्सा आ रहा था तनु का ससुराल इसी शहर में था इसलिए वह आए दिन आती रहती थी! मम्मी की बात सुनकर तनु बोली.. अब देखो मम्मी मेरी ननद की शादी है 15 दिन पहले मैंने उनसे बोला कि

मुझे भी आपके साथ शॉपिंग के लिए चलना है तो मम्मी जी बोली ..अरे बेटा बाहर इतनी गर्मी हो रही है तू क्या करेगी वैसे भी आज तो कुछ खास सामान नहीं लाना तो तू घर पर ही आराम करना और परसों मुझे कहने लगी तनु बेटा घर का काम जल्दी खत्म कर ले फिर हम खरीदारी करने चलेंगे

आज मानसी के लिए जेवर और कपड़े खरीदने हैं तो मुझे गुस्सा आ गया और मैंने  कह दिया नहीं आज मैं आपके साथ नहीं जाऊंगी आज आप लोग ही जाइए, मम्मी जी आज गर्मी नहीं लग रही? अभी कुछ दिन पहले मानसी दीदी के ससुराल वाले खाने पर आने वाले थे और उसी दिन मैंने अपनी सहेली को समय दे रखा था

तो पापा मम्मी बोले बेटा तुम अपनी सहेली से कल मिल लेना आज मानसी के ससुराल वाले खाने पर आएंगे तो घर की बहू जब घर में नहीं होगी तो वह  हमारे बारे में क्या सोचेंगे? मतलब उन्हें तो सिर्फ अपनी बेटी की पड़ी है मेरी इच्छा अनइच्छा से कोई मतलब ही नहीं है? तभी तनु के पापा बोले

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बेटा क्या तुझे नहीं लगता अपनी ननद के ससुराल वालों के सामने तुम्हारा वहां रहना कितना जरूरी था, तेरी सास कितनी अच्छी है 15 दिन पहले जब वह बाजार गए थेउस दिन वह पूरे दिन भर धूप में परेशान होते रहे फिर  शाम को जाकर उन्हें कोई ढंग का सा मैरिज गार्डन और हलवाई पसंद आया इसलिए उन्होंने सोचा था

कि तुम कहां उनके साथ-साथ दिनभर परेशान होगी, क्या उस दिन तेरी नंद को साथ लेकर गए थे.. नहीं ना और  परसों जब तुझे लेकर जा रहे थे साथ में मतलब की वह अपनी बेटी के लिए गहने और कपड़े खरीद रहे थे यानी तेरी राय उन सब में बहुत महत्वपूर्ण थी तेरी नंद चाहती थी कि उसकी भाभी उसके साथ जाए

और दोनों ननंद भाभी मिलकर पसंद की सारी वस्तुएं ले  पर तेरी अकल पर तो पत्थर पड़ गए हैं तुझे तो हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है, तू इतनी समझदार होकर ऐसी बातें कैसे सोचने लग जाती है बेटा ऐसे तो तू एक दिन अपनाघर  तोड़कर हमेशा के लिए यहां आ बैठेगी, एक बात बता क्या तेरे ससुराल वाले तुझे मारते हैं

ताने देते हैं या कभी  परेशान करते हैं नहीं ना!  बेटा ऐसे रिश्ते बड़ी मुश्किल से मिलते हैं तेरे ससुराल वाले तो तुझे इतना प्यार करते हैं, बेटा रिश्ते तोड़ना बहुत आसान होता है किंतु जोड़ना बहुत मुश्किल! जब वह तेरी पसंद की सब्जी बनाते हैं तेरी पसंद का काम करते हैं तब वह तुझे कितने अच्छे लगते हैं

लेकिन जब कभी वह किसी चीज की तुझे मना करते हैं उसी दिन वह बुरे बन जाते हैं बेटा तू भी उनको थोड़ा सा प्यार और सम्मान दे फिर तुझे सब कुछ अच्छा लगने लगेगा! मम्मी पापा के समझाने पर तनु को समझ आ गया कि वह कितना गलत करने जा रही थी उसकी ननद तो सारे दिन भाभी भाभी  करते-करते उसके पीछे घूमती है

और उसके सास ससुर भी उसको किसी भी चीज की रोक टोक  नहीं करते और पति का तो क्या कहना उनकी खुशी तो जैसे तनु की हंसी में ही है, किस घर में छोटी-मोटी बातें नहीं होती क्या उसके मम्मी पापा के घर में नहीं होती थी तो हर बात में ससुराल वालों की बात ही गलत क्यों लगती है छोटी-छोटी बातों पर क्या ससुराल छोड़कर मायके आ बैठना सही है, नहीं नहीं

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मैं अपने रिश्ते टूटने नहीं दूंगी और वह अगले दिन ही अपने ससुराल चली गई और अपने किए पर माफी मांगने लगी तब उसकी सास ने बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा बेटा मेरे लिए तू और मानसी दोनों एक जैसी हो जब मानसी अपने ससुराल चली जाएगी तब तू ही तो मेरे पास रहेगी क्या मैं तेरी मां नहीं हूं? नहीं मां आप सचमुच में मेरी मां हो बल्कि यह तो मेरा ही परिवार है

मां आज के बाद में दोबारा कभी ऐसी बेवकूफी नहीं करूंगी और अगर कभी कुछ मुझे ऐसा हो तो आप मुझे अपनी बेटी समझ कर डांट देना और अब तनु को लगने लगा सच में जिन रिश्तों को वह तोड़ने चली थी वह तो पहले से ही जुड़े हुए हैं और आज फिर से टूटे रिश्ते जुड़ने लगे!

     हेमलता गुप्ता स्वरचित

   # टूटते रिश्ते जुड़ने लगे

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