“रिश्ते खट्टे मीठे” –  पूजा शर्मा  : Moral stories in hindi

मम्मी देखो तो आपकी शादी में पापा से ज्यादा आप सुंदर लग रही हो बिल्कुल पुराने जमाने की हीरोइन की तरह और दादी को देखो कितने प्यार से आपके सर पर हाथ रखकर आपके आशीर्वाद दे रही हैं चाचा और बुआ भी कितने छोटे बच्चे थे आपकी शादी में। दोनों बच्चे अरुणा की शादी की एल्बम देखते देखते अरुणा से बात भी कर रही थे, अरुणा भी आकर उनके पास बैठ गई और अपनी शादी के फोटो ध्यान से देखने लगी सच ही तो कह रही है उसकी 15 साल की बेटी सोनाली ।

इन 17 सालों में कितना जमाना बदल गया है सबकी उम्र बढ़ गई थी तभी उसकी नजर अपनी एल्बम के उस फोटो पर पड़ी जिसमें दिनेश के गले में हाथ डाले उनका 14 साल का छोटा भाई मुकुल खड़ा था और अरुणा के लहंगे की चुन्नी को पकड़े उसकी 9 साल की छोटी सी नंद मीनाक्षी। कितनी देर तक बैठ एल्बम हाथ में लेकर बैठी हुई वह तस्वीर निहारती रही थी अरुणा। वहां बैठी बैठी अरुणा अतीत के गलियारे में पहुंच गई। अरुणा जब ब्याहकर इस घर में आई थी।कितने छोटे-छोटे थे दिनेश के भाई बहन। दिनेश एक सरकारी स्कूल में अध्यापक के पद पर नौकरी करते थे। उनके पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका था। वह भी सरकारी स्कूल में मैथ के ही टीचर थे उन्ही की जगह दिनेश को नौकरी मिली थी। और हर महीने मां की पेंशन भी आती थी।

दिनेश घर पर ही मैथ का ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे। उनका भाई जब दसवीं क्लास में था और बहन तो चौथी क्लास में ही पढ़ती थी। शादी से पहले ही दिनेश ने अपनी पत्नी को स्पष्ट बता दिया था कि मुझे अपने भाई बहन की जिम्मेदारी भी निभानी है। अगर तुम्हें इससे कोई आपत्ति हो तो तुम खुशी से इस रिश्ते को मना कर सकती हो। लेकिन अरुणा खुशी से उसकी हर जिम्मेदारी में उसका साथ निभाने को तैयार हो गई थी। मीनाक्षी ने तो कभी अपनी भाभी का पल्ला ही नहीं छोड़ा वह प्यार से उसे भाभी मां ही कह कर बुलाने लगी।

अरुणा को भी मीनाक्षी से बेटी जैसा ही प्यार हो गया था। मीनाक्षी अपनी भाभी से इतना प्यार करती थी कि उसके मना करने के बाद भी उसके साथ काम कराया करती थी। अरुणा की बेटी सोनाली जब 2 साल की ही थी तब उसकी सास का भी अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। अब तो सचमुच दिनेश और अरुणा सोनाली के साथ-साथ उन दोनों के भी मां-बाप बन गए थे। अपनी सास की मृत्यु के 1 साल बाद ही अरुणा का बेटा दीपक भी पैदा हो गया था। धीरे-धीरे समय यूं ही बीत गया था।

मुकुल अब इंजीनियर बन चुका था और गुड़गांव की एक कंपनी में नौकरी करता है और उसकी पत्नी भी उसी कंपनी में नौकरी करती है उनका 4 साल का एक बेटा भी है। 2 साल पहले ही मीनाक्षी की शादी भी हो गई थी अब मीनाक्षी का। 1 साल का बेटा भी है। शुरू शुरू में तो सब ठीक था लेकिन बाद में मीनाक्षी के पति का व्यवहार उसके प्रति बहुत बदल गया था, अपनी ही कंपनी में काम करने वाली एक लड़की के साथ उसके प्रेम संबंध थे। वह आए दिन शराब पीकर आता था और मीनाक्षी पर हाथ भी उठाने लगा था मीनाक्षी की सास ने तो जैसे अपनी आंख और कान दोनों बंद किए हुए थे

उन्हें अपने बेटे की कोई गलती नजर नहीं आती थी और सारा दोष मीनाक्षी के सर मढती रहती थी कि तुमसे अपना पति भी बांधकर रखा नहीं जाता। अगर तुम उसके साथ अच्छे से समय व्यतीत करती तो वह बाहर क्यों मुंह मारता फिरता?लेकिन मीनाक्षी ने कभी अपने भाई से कोई शिकायत नहीं की। चुपचाप उसके जुल्म सहती रही। एक दिन दिनेश अचानक ही मीनाक्षी के घर चले गए थे तो उन्होंने उसे मीनाक्षी के ऊपर हाथ उठाते हुए देख लिया था

अपनी जान से प्यारी बहन की ऐसी दशा देख कर दिनेश अपनी बहन को अपने साथ ले आए थे उन्होंने मीनाक्षी के पति से कह भी दिया था कि मेरी बहन मेरे ऊपर बोझ नहीं है लेकिन मैं तुम्हें भी कहीं का नहीं छोडूंगा तुमने मेरी बहन पर हाथ उठाया है। तुम्हारे ऊपर केस करूंगा। मीनाक्षी को अपने मायके में आए 3 महीने हो चुके हैं। मीनाक्षी का पति राजीव दो-तीन बार उसे लेने के लिए आ चुका है लेकिन दिनेश अपनी बहन के भविष्य के साथ अब कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहते अपनी बहन मीनाक्षी के मना करने पर वह उसके खिलाफ केस भी नहीं कर पा रहे थे।

अब अरुणा का व्यवहार भी थोड़ा-थोड़ा अपनी नंद के प्रति बदलने लगा था। मीनाक्षी भी अपने भाभी के इस बदले व्यवहार को समझ नहीं पा रही थी। अरुणा अपने पति से यही कहती रहती थी तुम्हारे छोटे भाई का अपनी बहन के प्रति कोई फर्ज नहीं है दो-तीन बार फोन करने के अलावा उसने कभी उसका हाल-चाल जानने की कोशिश भी नहीं की लेकिन दिनेश हर बार यही कहते थे मीनाक्षी को मैं कैसे उस आदमी के पास भेज दूं जो उससे प्यार नहीं करता और उसे मारता पीटता है

अगर मेरी बहन को कुछ हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा? आज एल्बम में अपने साथ मीनाक्षी की बचपन की फोटो को देखकर अरुणा की आंखों से टप टप आंसू गिरने लगे और सोचने लगी मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हूं? क्या हो गया है मुझे? दोनों बच्चे अपनी मां से पूछते हैं मम्मी आपको क्या हुआ क्यों रो रही हो लेकिन वह बिना कुछ कहे ही मीनाक्षी के कमरे में चली जाती है। मीनाक्षी अपने बेटे के गले में हाथ डाले सो रही थी।

अरुणा उसी के सिरहाने बैठ जाती है और उसके बालों पर हाथ फेरने लगती है और उसकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। मीनाक्षी चौककर उठ जाती है और पूछती है भाभी माँ आप क्यों रो रही हैं क्या हुआ आपको, तब अरुणा कहती है माँ भी कहती है और पूछती भी नहीं कि भाभी मां मेरे प्रति आपका व्यवहार क्यों बदल गया है मेरी क्या गलती है?क्या आप मुझे अब पहले जैसा प्यार नहीं करती।

 मैं कुछ दिनों से बहुत स्वार्थी हो गई थी मीनाक्षी मुझे, माफ कर दो। एक बेटी अपनी मां पर कभी बोझ नहीं हो सकती। अरे सोनाली से पहले तो तुम मेरी बेटी हो।

 जिसने इस घर में आने के बाद कभी मेरा पल्ला छोडा ही नहीं और उसके कोमल मन ने मुझे ही अपनी मां मान लिया। तूने B.Ed किया हुआ है तो अपनी नौकरी कल से ही ढूंढना शुरू कर दे तुझे खुद के पैरों पर खड़ा होना है। दरवाजे पर खड़े हुए दिनेशऔर बच्चे जो बहुत देर से खड़े हुए उनकी बातें सुन रहे थे उनकी आंखों में भी आंसू आ गए थे। दिनेश बोले अरुणा मुझे पूरा विश्वास था ये तुम्हारा स्वभाव नहीं है तुम एक दिन अपने पुराने वाले रूप में जरूर आ जाओगी। जो अरुणा रिश्तो को स्वार्थ की तराजू से कभी नहीं तोलती,मुझे गर्व है तुम पर।

कल से ही एक स्कूल में पढ़ाएगी मीनाक्षी मैंने वहां के प्रिंसिपल से बात कर ली है। हां जी बिल्कुल सही कह रहे हैं आप । मुन्ना की बिल्कुल चिंता मत करना मीनाक्षी मैं हूं उसे पालने के लिए। मीनाक्षी स्कूल में पढ़ाने जाने भी लगती है लेकिन एक महीने बाद ही उसका पति और सास दोनों उनके पास आते हैं और माफी मांगते हैं। राजीव कहता है। भाई साहब मैं आपसे वादा करता हूं मैं कभी गलत रास्ते पर नहीं चलूंगा और ना ही मीनाक्षी को कभी भी तंग करूंगा मैंने उस लड़की से भी अपना हर संबंध तोड़ दिया है। फिर भी आपको मुझ पर यकीन ना हो तो आप मेरे ऑफिस में जाकर पता कर सकते हो।

 मीनाक्षी के बिना मेरा घर श्मशान के जैसा लग रहा है। इस को मेरे साथ भेज दीजिए। राजीव की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे। मीनाक्षी पति के साथ जाने को तैयार हो जाती है। अरुणा और दिनेश एक बेटी की तरह उसे विदा करते हैं। और राजीव से कहते हैं मेरी बेटी मेरे लिए बोझ नहीं है अगर तुमने इसके साथ कुछ गलत किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। राजीव हाथ जोड़कर कहता है भाई साहब मैं आपको कभी शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा। मीनाक्षी अपनी भाभी के गले लग जाती है।

 पूजा शर्मा 

स्वरचित 

अप्रकाशित।

2 thoughts on ““रिश्ते खट्टे मीठे” –  पूजा शर्मा  : Moral stories in hindi”

  1. 👌👌ये तो सच हैं की वक्त के साथ रिश्ते भी बदलते हैं लेकिन अपनापण भी तो कोई चीज होती हैं. रिशोटोकी डोर दिल से बंधी होती hai वॊ यूही नही तुटती.

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  2. Oye tera spelling to sudhar le sister, tab likhna baki, Eg. (1) अपनापन, (2) रिश्तों, (3) टूटती,

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