रिश्ते, एक मज़ाक

   ” ओह कौन है? मेरी आंखें किसने बंद की हैं? बताओ न?

देखो मेरी आंखें दर्द करने लगीं”

” अरे रीता…. तुम कब आईं ससुराल से… बता.. कैसी है

   ” ओह कौन है? मेरी आंखें किसने बंद की हैं? बताओ न?

देखो मेरी आंखें दर्द करने लगीं” जल्दी बताओ!!

” अरे रीता…. तुम कब आईं ससुराल से… बता.. कैसी है तेरी ससुराल वहां के लोग और तेरे दूल्हे राजा ” ?

” अच्छे हैं सभी, प्यार भी करते हैं, बहुत अच्छे हैं सब ” कहकर रीता चुप हो गई!!

” क्या बात है यार… पतिदेव का टॉपिक तो तुम गोल कर गई, कुछ उनके बारे में भी तो बता “

” कहा तो सब बढ़िया है… चल मैं अब जाती हूं, आज जल्दी में हूं, बाद में आऊंगी “!!

अरे..” रीता चली भी गई, इतनी जल्दी!!

” मैं तो पूछने आई थी।  क्या खाओगी तुम दोनों तो बनाकर लाऊं ” मम्मी आते हुए बोलीं!!

” पता नहीं मम्मी… ज्यादा कुछ बोली नहीं.. सब अच्छे हैं यही कहा.. रमन के बारे में कुछ कहा नहीं और चली गई “!!

” ऐसा कुछ नहीं, ज्यादा सोचो मत, कुछ काम होगा इसीलिए जल्दी चली गई” !!

कुछ समय के बाद माला का भी विवाह हो गया, तक़दीर से दोनों सखियां….  दिल्ली में मिलीं,

माला तो रीता से मिलकर बहुत ज्यादा खुश पर रीता के प्रेम में वो गर्माहट नदारद थी जिसकी अपेक्षा करके, माला उससे मिलने रीता के घर पहुंची थी!!

फोन पर भी रीता खामोश रहती… काम का बहाना करके जल्दी ही फोन बंद कर देती

माला को कुछ खटकने लगा…. आख़िर बात क्या है? वो पूछे तो पूछे किससे? जब रीता खुद ही कुछ बताती नहीं!!




आखिर.. एक दिन माला को मौका मिल गया…..

उसके पति को कंपनी के काम से दूसरे शहर जाना पड़ा… दिन में बोरियत दूर करने के लिए वो रीता के घर बिना बताए पहुंच गई, काफ़ी देर बाद दरवाज़ा खुला… रीता के पति के साथ

एक आदमी और था, दोनों अस्तव्यस्त से थे

माला को देखकर उन दोनों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं… माला स्तब्ध सी खड़ी रह गई ? ” रीता कहां है ?

” वो अंदर है “

माला अंदर घुसती चली गई… देखा माला अपने बेडरुम में है…. आंसुओ से चेहरा भीगा हुआ… माला को देख.. दौड़कर आई और गले लगकर खूब रोई, माला के बार बार पूछने पर भी कुछ नहीं बोली, बस रोती रही, माला ने उसके आंसू

पोंछे, दुपट्टा कंधे पर डाला, उसके बाल ठीक किए… हाथ पकड़ा और बाहर आई.. गंभीरता से पर कठोर शब्दों में बोली….

” मैं रीता को अपने घर ले जा रही हूं ” 

रमन के मुंह से एक शब्द भी न निकला पर वो माला की ओर देखने से भी नजरें चुरा रहा था!!

माला रीता को लेकर अपने घर आई, पानी का ग्लास पकड़ाया और कॉफी के दो कप लेकर आई..

” आराम से बैठ रीता… अब भी चुप रहेगी? कुछ नहीं बताएगी अपने बचपन की सहेली को “?

अब रीता को अपने को रोकना मुश्किल था, रोते रोते उसने सारी हक़ीक़त बताई ” उसका पति समलिंगी था, महिलाओं में कोई रुचि नहीं “

रीता को डरा धमकाकर रखा था, अगर किसी को कुछ भी बताया तो तेरे ऊपर इतने गंदे लांछन लगाऊंगा, तुझे चरित्रहीन साबित कर दूंगा”, बेचारी रीता…. साधारण घर की… पिता थे नहीं, भाई साधारण सी नौकरी में था, उसी का फायदा उठाकर , साधारण घर की सुन्दर लड़की से रिश्ता कर लिया!!

रीता की मां और भाई खुश… चलो खाते पीते घर का रिश्ता मिला, कम से कम लड़की सुखी रहेगी!!

सच्चाई माला के सामने थी, उसने रीता का साथ देने का वादा किया!! 

रमन को उसने  खूब धिक्कारा, कोर्ट में केस करने को कहा, रमन ने बहुत हाथ पांव जोड़े पर उसे उसकी करनी का फल तो भुगतना ही था, रीता का परिवार तो साथ था ही रमन के परिवार ने भी रीता को साथ दिया और दोनों का “तलाक़” करवाया!!

 सबसे पहले रीता को उसके पैरों पर खड़ा खड़ा किया, जिससे उसका खोया आत्मविश्वास वापस आए!! रीता..

विवाह के नाम से डर गई है, विश्वास ही नहीं रहा

उसे इस सम्बंध पर!!

रिश्तों का मज़ाक बनाकर रख दिया है लोगों ने

कुसुरवार लड़की को ही समझा जाता है, उसको चरित्रहीन ठहराकर उसे ही प्रताड़ना सहनी पड़ती है!!

आज सबसे बड़ा प्रश्न…. कैसे पता किया जाए, वर या वधू के बारे में ? 

असामान्य लोग..    जीवन बरबाद न करें निरीह लड़कियों का, अपने जीवन का सत्यानाश तो कर ही रहे हैं, दूसरों के जीवन को होम न करें, कोई हक नहीं उन्हें ऐसा करने का!!

प्रीति सक्सेना

इंदौर

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