Moral Stories in Hindi : मम्मी मम्मी ..कहां हो तुम..? जल्दी आओ! अरे हां बाबा.. आ रही हूं, इतना तूफान क्यों मचा रखा है घर में …क्या बात है.. जो बताने के लिए इतना बेसब्र होने जा रहे हो ?मम्मी.. क्या मैं आपका बेटा नहीं हूं? सच सच बताना… मम्मी, क्या आपने मुझे गोद लिया है? क्या आपने मुझे जन्म नहीं दिया ..?15 वर्ष के तरुण के मुंह से यह सब बातें सुनते ही आस्था जैसे सकते में आ गई!
आज क्या हो गया तरुण को.. तरुण ऐसी बातें क्यों कर रहा है? यह बात इस तरह सामने आएगी, इसकी तो उसने कभी कल्पना ही नहीं की थी! नहीं.. नहीं… बेटा तुझे यह सब किसने कह दिया! तू सिर्फ और सिर्फ मेरा बेटा है! और किसी का नहीं..! नहीं मम्मी.. आज आप मुझे सच-सच बताओगे, कि मैं किसका खून हूं! मम्मी.. क्या आपने वास्तव में मुझे जन्म नहीं दिया? क्या आप मेरी मां नहीं हो?
मां.. सारे बच्चे क्यों कहते हैं.. कि तू अपने मम्मी पापा का सगा बेटा नहीं है ?मुझे तो आपने गोद लिया है ?मम्मी अगर यह बात सच है तो आपने अब तक मुझ से इतनी बड़ी बात क्यों छुपाई ?बताओ ना मम्मी.. प्लीज मम्मी.. बताइए ना.. तरुण की बातें सुनकर आस्था 15 साल पहले के अतीत मे पहुंच गई! आस्था की शादी को 6 वर्ष पूरे हो गए, किंतु अभी तक घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी!
आस्था के सास ससुर, आस्था के पति अविनाश पर दूसरी शादी का जोर बनाने लगे! किंतु अविनाश आस्था के साथ अन्याय नहीं करना चाहता था! वह आस्था को बेहद प्रेम करता था! आस्था अविनाश के साथ अस्पताल में रुटीन चेकअप के लिए गई हुई थी तभी वहां उनके डॉक्टर ने उन्हें बताया कि हमारे पास एक ऐसा कपल आया है, जिसकी होने वाली संतान पांचवें नंबर की है, और वह उसे अब नहीं रखना चाहते,
और वह उसका गर्भपात करवाना चाहते हैं! अगर तुम चाहो तो तुम वह बच्चा ले सकती हो! यह सुनकर तो आस्था और अविनाश के चेहरे खुशी से खिल उठे! उन्होंने तुरंत उस कपल को उन्हें अपना बच्चा देने को राजी कर लिया, और उनसे गर्भपात करने की मना कर दी! 6 7 महीने तक अविनाश और आस्था ने उस गर्भवती महिला का बहुत ध्यान रखा, और बच्चे को जन्म देते ही वह चली गई!
आस्था मां बन गई थी,.. एक बेटे की! धीरे-धीरे घर में भी सभी ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया !किंतु कहते हैं ना कभी ना कभी अतीत बाहर झांकने लगता है !आस्था और अविनाश ने तरुण को हर वह खुशी, संस्कार दिए.. जिनका वह अधिकारी था! अपना प्यार जताने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी! इस बात को लगभग एक महीना होने को आया, की एक दिन अचानक से एक महिला और पुरुष घर आए !उस समय तरुण भी घर पर ही था ,और आते ही वह महिला तरुण को बहुत प्यार करने लगी! तरुण को समझ नहीं आया,
यह सब क्या हो रहा है! वह औरत, आस्था अविनाश से अपना बच्चा वापस मांगने की जिद करने लगी, और कहने लगी की तरुण मेरा खून है ,इसे मैंने जन्म दिया है, यह मेरा बेटा है, और मैं इसे लेने आई हूं! बहुत तड़पती हूं मैं इसके लिए !तो आस्था ने कहा.. क्यों… 15 साल पहले क्या हो गया था? 15 साल पहले तो तुम इसे मारना चाहती थी, फिर यह बच्चा आज अचानक तुम्हारा कैसे हो गया?
हमने इसे पाल कर बड़ा किया है !यह सिर्फ और सिर्फ हमारा बेटा है, और किसी का इस पर कोई अधिकार नहीं है! तब वह महिला उनको कोर्ट में घसीटने की धमकी देने लगी, और तरुण को जबरदस्ती खींचकर अपने साथ ले जाने लगी! तब तरुण ने उसे महिला से अपना हाथ छुड़ाकर कहा… आप मेरी मां नहीं हो, मेरे मम्मी पापा सिर्फ आस्था और अविनाश हैं, मैं सिर्फ इनका बेटा हूं!
अरे ..आपने तो मुझे पैदा होने से पहले ही मार ने की सोच लिया था ,तो मैं आपका बेटा कैसे हुआ! आपके लिए तो मैं कब का मर गया! जरूरी नहीं है.. की खून का रिश्ता ही सबसे ऊंचा हो, मैं सिर्फ अपनी मम्मी पापा के साथ रहना चाहता हूं! और रही बात कोर्ट की ..तो कोर्ट में भी मैं यही जवाब दूंगा! कृष्ण भगवान भी तो यशोदा मैया के सगे बेटे नहीं थे, तो क्या यशोदा मां कृष्ण की मां नहीं थी या कृष्ण उनके बेटे नहीं थे! इस तरह मैं जिनके साथ अब तक रहा हूं,
वही मेरे असली माता-पिता है! अतः आप दोनों यहां से जा सकते हो! मेरा आपसे कोई भी, किसी भी तरह का रिश्ता नहीं है! और यह कहकर वह आस्था अविनाश से लिपट गया! आस्था और अविनाश नेवी भी अपने बेटे को गले लगा दिया लिया! दरअसल वह महिला तरुण के बदले उनसे पैसे मांगने की नीयत से वहां आई थी, किंतु उसकी वहां दाल नहीं गली और वह केवल उन्हें धमकी देकर वापस आ गई!
हेमलता गुप्ता (स्वरचित)
# खून का रिश्ता