जितेंद्र उस खाली वीराने घर से खाली हाथ वापस लौटता है। उसे परेशान देख उसके पिता बहुत चिंतित हैं। वह पूछते हैं कि आखिर वह ऐसे दीवानों की तरह रात की दो ढाई बजे कहां घूम रहा था। तब जितेंद्र अपने पिता से पूछता है
” पापा क्या आपको हेमंत याद है ?”
“कौन हेमंत बेटा ,मुझे तो कोई भी हेमंत नाम का आदमी याद नहीं आ रहा”
“पापा हेमंत, हेमंत नागपाल ,वह मेरा चचेरा भाई जिसके माता-पिता बचपन में ही मर गए थे ।जिसे आप यहां लेकर आए थे और कई वर्षों तक वह घर में रहकर पढ़ा था।
पापा :अच्छा छूटकन ,छूटकन की बात कर रहा है। हां ,हां याद आया ।उसे तो सब गांव में छुट्टन कह कर पुकारते थे। तुझे आज अचानक वह कहां से याद आ गया !!कहीं मिला था क्या तुझे??
जितेंद्र :अरे नहीं पापा मिला नहीं था ।उसने हमारी जिंदगी नरक बना दी है ।आपको पता है रेखा लापता है!! वह एक हत्यारा बन चुका है और वह कई लड़कियों का कत्ल कर चुका है ।वह मानसिक रूप से बीमार है विकलांग है।
पापा : क्या कह रहा है जितेंद्र!! मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा, इतने सालों से उसके बारे में कुछ सुना भी नहीं। मैं बबुआ से उसके बारे में पूछता हूं ।वह गांव में ही रहता है ना। उसका मामा। वही तो उसे ले गया था अपने साथ। मैंने कितना कहा था उसे यही शहर में रहने दे पढ़ लिखकर ढंग का इंसान बनेगा लेकिन ना जाने किस ज्योतिषी ने उन्हें बता दिया था। कहते थे छुट्टन राक्षस योनि में पैदा हुआ है और जहां रहेगा बर्बादी करेगा ।बस यह बात गांव वालों के मन में बस गई और उस बेचारे बच्चे की जिंदगी बर्बाद कर डाली।
जितेंद्र : पापा क्या हम उस गांव फिर से चल सकते हैं जहां पर वह रहता था ।शायद हमें उसके बारे में कुछ पता चल सके। वह रेखा को ना जाने कहां लेकर चला गया है ।कुछ पता नहीं चला। जिस वीरान घर में उसने रूपा को बुलाया था मैं वहां हो आया ।पुलिस भी बहुत परेशान है ।उसका पता कहीं नहीं चल रहा। मुझे बहुत डर है कहीं मेरी रेखा को कुछ हो गया तो फिर मेरा क्या होगा ??जानू का क्या होगा??
पापा : अरे बेटा तू ऐसे ही परेशान हो रहा है। कुछ नहीं होगा हमारी रेखा को । ठहर बस सुबह होने दे हम तुरंत गांव के लिए निकलेंगे ।गांव वाले सब हमारा साथ देंगे और वह दुष्ट जरूर पकड़ा जाएगा।
जितेंद्र : पौ फटते ही जितेंद्र उसके पापा और इंस्पेक्टर विक्रम गांव के लिए रवाना हो जाते हैं ।एक-एक पल जितेंद्र के ऊपर 1 बरस जैसा गुजर रहा था। तीन दिन बीत चुके थे अभी तक रेखा का कुछ पता नहीं चला था। रेखा किस हाल में थी ?वह जीवित भी थी या नहीं !!कोई नहीं जानता था!!
दूर वीराने में
रेखा जब भी होश में आती कमरे में खुद को कुर्सी से बंधा पाती। उसके जिस्म पर अजीब सी फूल पत्तों की बेल लपेट दी गई थी जिसमें से सड़ी हुई सी महक आ रही थी। तभी वह देखती है कि सामने एक कैनवास रखा है और वही कातिल उस पर उसकी तस्वीर बना रहा है।
कातिल : अरे रेखा भाभी तुम जाग गई ?यह तो अच्छा हुआ अब तुम्हारी तस्वीर और भी खूबसूरत बनेगी। पर तुम्हे पता है रेखा भाभी मैं तस्वीर बनाने में बड़ा सुस्त हूं ।जितेंद्र तेरी तस्वीर बहुत जल्दी बना लेता था। मुझसे जल्दी बन ही नहीं पाती। थोड़ा सुस्त हूं मैं। जब तक तुम्हारी यह तस्वीर पूरी नहीं हो जाती तब तक मैं तुम्हें मार भी तो नहीं सकता ।फिर मैं तुम्हारी तस्वीर अपने ड्राइंग रूम में लगाऊंगा और यह मेरी ड्राइंग रूम में लगी आखिरी तस्वीर होगी ।उसके बाद मुझे किसी से बदला नहीं लेना क्योंकि मुझे पता है उसके बाद जितेंद्र पूरी तरह टूट जाएगा ।उसे बर्बाद करने के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा। फिर मैं चैन से अपनी जिंदगी दुनिया के किसी कोने में आलीशान घर में रहूंगा ।सब कहते थे ना मैं राक्षस योनि में पैदा हुआ हूं, तो यह राक्षस ही इस दुनिया पर राज करके दिखाएगा।
रेखा बहुत कुछ बोलना चाहती है लेकिन जैसे उसकी जुबान उसका साथ ही नहीं दे रही थी। उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं रह गई थी कि वह उसका विरोध कर सकें। अपना पक्ष रख सके। वह चुपचाप से आंखें बंद कर लेती है और उसी तरह कुर्सी पर बंधी एक जिंदा लाश की तरह पड़ी रहती है।
सुबह के 9:00 बजे जितेंद्र और उसके पिता गांव पहुंच चुके थे। गांव के लोग उन्हें देखकर बहुत खुश हुए। गांव में सबसे पहले वह कातिल के मामा के घर जाते हैं। वह उन्हें वहां देखकर चिंतित हो जाते हैं ।उन्हें देखते ही उसके मामा पूछते हैं
“भाई साहब छूटकन ने कुछ बुरा कर दिया क्या आपके साथ?? जाने क्यों वह जितेंद्र से बहुत बैर रखता है और मुझे इस चीज़ का बहुत डर रहता है कि कहीं वाह आपके परिवार को नुकसान न पहुंचा दे ।जल्दी बताइए भाई साहब आपका यहां आना कैसे हुआ??
पापा : अरे बबुआ तूने यह बात हमें पहले क्यों नहीं बताई? उसे हम तुरंत पुलिस के हवाले करते ।उसने हमारी जिंदगी नरक बना के रख दी है और सिर्फ हमारी ही नहीं उसने कई लड़कियों का कत्ल भी किया है ।कहता है बचपन में उसके साथ बहुत बुरा हुआ अब वह लोगों के साथ बुरा करेगा और वह हाथ धोकर जितेंद्र के पीछे पड़ गया है।
बबुआ : बुरा तो हुआ था भाई साहब उसके साथ। मैंने बहुत बड़ी गलती की जो उसे शहर में पढ़ने नहीं दिया और आप की बात नहीं मानी। मैं गांव वालों के कहने में आ गया कि वह राक्षस योनि में पैदा हुआ है और वह आपका घर बर्बाद कर देगा। सिर्फ आपसे प्यार के चलते हम उसे गांव में ले आए जिससे उसका काला साया आपके घर परिवार पर ना पड़े पर भाग्य का लिखा हम नहीं बदल पाए। बचपन में जब हमने इसकी कुंडली बनवाई थी उसी समय ज्योतिषी ने बताया था कि अपने दूर के रिश्ते के भाई से यह बहुत चिढ़ रखेगा और उसकी जिंदगी को बर्बाद करने के लिए खुद को बर्बाद कर देगा ।हमने कोशिश तो बहुत की भाई साहब लेकिन असफल रहे हमें माफ कर दीजिए।
पापा : अरे बबुआ तुम्हारी माफी से हम क्या करेंगे ?तुम तो यह बताओ कि हमें वह मिलेगा कहां ?ढूंढ ढूंढ के हम सब परेशान हो चुके हैं ।इंस्पेक्टर साहब भी हमारे साथ आए हैं लेकिन वह कहां मिलेगा हमें कुछ भी पता नहीं चल रहा ।क्या तुम कुछ बता सकते हो इस बारे में?
बबुआ : भाई साहब वह जब 18 साल का था तभी गांव में कत्ल करके भागा था । चंपा नाम था उसका ।यही गांव में एक औरत थी।बहुत बदनाम थी। वह उसे नामर्द कहकर बुलाती थी ।एक सुबह वह मरी मिली ।लोगो ने गवाही भी दी छुट्टन के खिलाफ ।पुलिस को हमने रपट भी लिखाई थी। पुलिस बहुत ढूंढी लेकर उस समय भी पुलिस उसे नहीं पकड़ पाई ।तब से गांव में किसी ने उसे नहीं देखा। लेकिन हां उसका एक दोस्त था ,रामलाल ।सुना है रामलाल से वह कभी कभी मिलता है ।उसे कुछ पैसे रुपए से मदद भी करता है ।शायद हमें उससे कुछ पता चल सके….
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रिक्त स्थान (अंतिम भाग) – गरिमा जैन
गरिमा जैन