कातिल : आओ रूपा आओ, स्वागत है तुम्हारा मेरे आशियाने में,
रूपा : कहां कहां पर हूं मैं !!! यहां इतना अंधेरा क्यों है और इतनी ठंड !!!तुम मुझे कहां लेकर आए हो?? मैं कहां पर हूं?? तुम सामने क्यों नहीं आते??
कातिल : हा हा हा ..तुम्हें पता है रूपा …तुम मेरे दिल के बिल्कुल करीब हो इस समय…. तुम अपनी प्यारी सहेली रेखा से सिर्फ 300 फीट की गहराई पर हो…..
रूपा : 300 फीट की गहराई !!!!मतलब …..
कातिल : मतलब पाताल लोक में हो तुम ….
रूपा : पाताल लोक में ???तो क्या मैं मर गई ??
कातिल : हा हा हा …अरे बेवकूफ लड़की यह मेरा आशियाना है …तुझे हल्की खट की आवाज नहीं आई थी..
मैंने रिमोट से बटन दबाया था ..बस गुप्त दरवाजा खुल गया और तुझे लिफ्ट यहां नीचे तक ले आई …पल भर में तुम मेरे दिल के बिल्कुल पास आ गई हो… अब तुमको मुझसे कोई नहीं बचा सकता रूपा…. मेरी प्यारी रूपा …तुम जब इस घर में आई होगी तब तुमने खूबसूरत लड़कियों की तस्वीरें तो देखी होंगी नीचे हॉल में ….अब मैं तुम्हारी वैसे ही खूबसूरत सी तस्वीर बनाऊंगा …. उसके बाद तुम सुकून की नींद सो जाना….
रूपा : सुकून की नींद सो जाना मतलब??? क्या तुम मुझे मार दोगे ???
कातिल : देखो रूपा डार्लिंग ….मैं तुम्हें मारना तो नहीं चाहता लेकिन जो जो लड़कियां मेरा आशियाना देख लेती हैं …
मैं उन्हें सुकून की नींद सुला देता हूं… आज तक 6 लड़कियों को सुकून की नींद सुला चुका हूं लेकिन हां जो मेरे सामने रोने लगती हैं मैं उन्हें अधमरा छोड़ देता हूं …जिंदगी भर मुझे याद करती रहती है …मरते दम तक …
(रूपा में सोचने लगती है यह आदमी मानसिक रूप से पूरी तरह विकलांग है। इसे अगर हराना है तो इसके दिमाग के साथ खेलना होगा ।ऐसे तो उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता ।रूपा ने ह्यूमन साइकोलॉजी पर बहुत अध्ययन किया हुआ था ।उसने अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल किया और इस सनकी कातिल के दिमाग के साथ खेलना शुरू कर दिया)
रूपा : लेकिन तुम हो कहां?? मुझे दिखाई क्यों नहीं देते?? तुम हो या फिर सिर्फ तुम्हारी आवाज ही है !!
कातिल : मैं हूं लेकिन तुम मुझे देख नहीं पाओगी।मैं इतना डरावना हूं कि मुझे देखते ही तुम्हारी जान निकल जाएगी…
रूपा : तुम्हारी आवाज इतनी प्यारी है मैंने जब पहली बार तुम्हारी आवाज सुनी उसी पल मुझे तुमसे प्यार हो गया था।
कातिल : प्यार और मुझसे !!!मुझसे कोई प्यार नहीं करता और ना मैं किसी से प्यार करता हूं !!!! ऐसे तो मुझे तेरी सहेली रेखा मैं ज्यादा कशिश लगी थी लेकिन वह मेरे झांसे में नहीं आई …मैं उसे फंसा नहीं पाया… लेकिन कोई बात नहीं …अगली बार ही सही वह फसेगी जरूर।
रूपा : सुनो तुम जो कोई भी हो, मैं तुम्हें “प्रीतम “कह कर पुकारूंगी ।मेरे प्यारे प्रीतम रेखा चाहे कितनी भी खूबसूरत हो लेकिन वह तुम्हें वह सब नहीं दे सकती जो मैं दे सकती हूं!!
कातिल : तुम मुझे क्या दे सकती हो??
रूपा : मैं तुम्हें जिंदगी भर के लिए अपना प्यार दूंगी। देखो तुम्हारा आशियाना कोई ढूंढ नहीं पाएगा, क्यों ना इस प्यारे से आशियाने में हम तुम जिंदगी बिताएं ।तुम मेरी सुंदर सुंदर तस्वीरें बनाना और मैं तुम्हें निहारती रहूंगी ।
कातिल : क्या मजाक कर रही हो !!!
रूपा : यह मजाक नहीं है प्रीतम!! मैं तुम्हें अपना दिल दे बैठी हूं !!जब तुम्हारी आवाज इतनी अच्छी है तो तुम देखने में चाहे कितने भी बुरे क्यों ना हो मेरा प्यार तुम्हारे लिए ऐसा ही बना रहेगा।
कातिल : मजाक मत करो रूपा ।मैं जानता हूं तुम मुझे बेवकूफ बना रही हो !!लेकिन मुझे बेवकूफ बनाना इतना आसान नहीं!! तुम जानती हो ना मैं तुम्हें वह सुख नहीं दे सकता जो एक मर्द एक औरत को देता है !!
रूपा : प्रीतम तुम्हारा और मेरा तो आत्मा का रिश्ता है फिर इस दैहिक सुख कि मुझे क्या आवश्यकता?? मेरे पास आओ मैं चाहती हूं मैं तुम्हें नजर भर के देख लूं। फिर तुम मेरी तस्वीर बनाना।
कातिल : तुम नहीं जानती हो रूपा मैं बहुत डरावना हूं। मैंने आज तक 35 लड़कियों को अधमरा किया है और 6 लड़कियों का कत्ल किया है ।जब भी मैं अपना शिकार करता हूं तो अपने चेहरे पर भी एक घाव लगाता हूं ।तुम सोच सकती होगी मेरा चेहरा कैसा कुरूप होगा !!!मेरे चेहरे पर कितने घाव होंगे !!!
रूपा : तुम्हारा चेहरा चाहे कैसा भी हो प्रीतम!! मुझे तो तुम्हारी आत्मा से प्रेम हो गया है ।वह कहते हैं ना, पहली नजर का प्रेम वही हो गया है मुझे तुमसे। तुम चाहे कैसे भी हो देखने में ,पर मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी भी कम नहीं होगा।
कातिल : रूपा मुझसे इस तरह की बातें कभी किसी ने नहीं की ।मुझे तो हमेशा से नफरत ही मिली है ।सिर्फ नफरत।
रूपा : यही तो मैं कह रही हूं प्रीतम। हमारी तुम्हारी एक ही कहानी है ।मुझे भी बचपन से सिर्फ नफरत मिली और मेरी बड़ी बहन को सब का प्यार मिला।
कातिल : सच रूपा !!!तुम्हें भी बचपन से सिर्फ नफरत मिली, मेरी तरह !
रूपा :हां प्रीतम बिल्कुल ,तुम्हारी तरह, क्या तुम्हारा भी कोई बड़ा भाई था जिसे सारा प्यार मिलता था??
कातिल : हां रूपा था. बल्कि है ।लेकिन वह मेरा सगा भाई नहीं है ..सारा प्यार उसे ही मिला, बचपन से मेरे साथ हमेशा नाइंसाफी हुई।
रूपा : कैसी नाइंसाफी हुई प्रीतम !!क्या तुम पढ़ने लिखने में कमजोर थे ??
कातिल : नहीं रूपा ऐसी बात नहीं । मैं पढ़ने लिखने में बहुत होशियार था ,लेकिन ,
रूपा : लेकिन क्या प्रीतम ??क्या तुम्हारे साथ कोई हादसा हुआ था ??
कातिल : हां रूपा बहुत बड़ा हादसा!! ऐसा हादसा जिसने मेरा बचपन मुझसे छीन लिया… लेकिन मैं यह सब बात तुम्हे क्यों बता रहा हूं ??तुम तो सिर्फ मेरा शिकार हो!! मैं तुम्हारी मीठी मीठी बातों में नहीं आऊंगा…
रूपा : प्रीतम चाहे तुम मेरी मीठी बातों में आओ या ना आओ पर मैं तो तुम्हें अपना दिल दे बैठी हूं। क्या हुआ था तुम्हारे साथ ??तुम चाहो तो मुझे अपने दिल की बात बता सकते हो ,क्योंकि इसके बाद तो तुम मुझे मार ही डालोगे… मेरी मौत के साथ ही तुम्हारा राज भी मेरे साथ दफन हो जाएगा ….
कातिल : मेरे साथ बहुत बुरा हुआ था रूपा ,बहुत बुरा हुआ था ।बचपन से मैंने हमेशा ताने सुने हैं ।मुझे मंदबुद्धि कहा गया ।मुझे कहा गया कि मैं अपने मां-बाप को खा गया। मैं राक्षस योनि में पैदा हुआ ।मैं इंसान नहीं…..
रूपा : प्रीतम तुम यह कैसी बातें कर रहे हो?? एक बच्चा भला राक्षस कैसे पैदा हो सकता है ??
कातिल :हो सकता है रूपा ,हो सकता है …मैं राक्षसी ही तो था …सब कहते थे मैंने राक्षस योनि में जन्म लिया …जब मैं 4 साल का था ….
रूपा : बोलो प्रीतम ,आगे बोलो ,जब तुम 4 साल के थे तो क्या हुआ था !!बता दो !!वैसे भी मैं किसी को कहा यह बातें बता पाऊंगी… मैं थोड़ी देर में मर ही जाऊंगी …
कातिल : नहीं रूपा …मैं तुम्हें नहीं मारूंगा ….
रूपा : पर क्यों प्रीतम ???
कातिल : तूने मेरा दिल छू लिया है …
रूपा : तो फिर तुम मेरे सामने क्यों नहीं आते…
कातिल : नहीं मैं किसी के सामने नहीं आऊंगा… रूपा जाओ मैं तुम्हें आजाद करता हूं ।तुमने मेरा दिल छू लिया रूपा …मैं तुझे नहीं मारूंगा …
पलक झपकते ही रूपा वापस ऊपर हॉल में थी। रूपा का बदन बर्फ का ठंडा था।सब इंस्पेक्टर उसे देखते हैं तो तुरंत इंस्पेक्टर विक्रम को कांटेक्ट करते हैं ।रूपा जिंदा वापस आ गई थी ,वह भी सही सलामत ।अगर सही समय पर रूपा ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल न किया होता तो शायद वह इस दुनिया में ना होती लेकिन वह सनकी कातिल तो आज भी जिंदा था। वह कौन था?? उसके साथ 4 वर्ष की उम्र में इतना बुरा हादसा क्या हो गया कि उसे राक्षस कहकर बुलाया गया?? उसका वह बड़ा भाई कौन था जिसके कारण उसे हमेशा उलाहना मिली ताने मिले… रूपा के मन में उसके लिए दया भी थी और दूसरी तरफ उसके कर्म देख कर नफरत ही होती थी ।रूपा के पास बताने के लिए बहुत कुछ था लेकिन दूसरी तरफ उसे रेखा की भी चिंता हो रही थी क्योंकि उस सनकी कातिल ने कहा था कि अब उसका अगला शिकार रेखा हो सकती है…
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रिक्त स्थान (भाग 41) – गरिमा जैन
गरिमा जैन
Very nice n interesting story. Please upload next part soon.
Garima ji 40th part ke baad ke next part jaldi upload kijiye please. Bahut lamba intezar ho gaya 🙁
Next part please
Age k parts k liye kb se wait kr rhe h itne lambe intjar me mja nhi rah jata plz pause itna lamba na rakha kre…next parts jldi upload kijiye plz
Are bahut din ho gye next part na aya
Next part kb aayega 1 month ho gya. Itna gap Pura interest khtam kr rha h
Maine to apki khaniya padni hi chhod di he … itna lamba wait
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