रेखा का मन बड़ा विचलित हो रहा था। घर आकर भी उसे चैन नहीं था ।अमित पार्टी की बातें अपने मम्मी पापा को बता रहा था लेकिन रेखा बिल्कुल गुमसुम बैठी थी ,उसे बार-बार वह लड़की याद आ रही थी ।उसे ना जाने क्यों खतरा सा महसूस हो रहा था ।आखिर वह लड़की उसे इतनी जानी पहचानी क्यों लगी ?वह इतनी तेजी से चल के अंदर क्यों जा रही थी? वह इतनी देर से पार्टी में क्यों आई थी? जितेंद्र ने अपने दोस्तों से मिलवाया था तब वह कहां थी ?
उस लड़की को देखकर ना जाने क्यों उसे नैना याद आ रही थी ।वैसे ही हाव भाव ,वैसे ही चाल, वैसे ही कपड़े ,नैना, नैना का नाम याद आते ही रेखा बेचैन हो जाती थी। नैना अभी भी आजाद थी और उसकी आजादी जितेंद्र और रेखा के लिए चिंता का सबब था ।फिर रेखा सोने चली गई ।रेखा की आदत थी वह सोने से पहले रेडियो अवश्य सुनती थी। धीमा धीमा रेडियो बज रहा था ।तभी रेडियो पर कहानियों का सिलसिला शुरू हुआ। कहानी का शीर्षक था “तीन सहेलियां ” तीन सहेलियां !! यह सुनते ही रेखा के मन में बिजली कौंध गई ।उसे अचानक कुछ याद आया।
“तीन सहेलियां” नैना की वह दो सहेलियां जो उसके अगल-बगल हमेशा चलती थी !!हां वह लड़की उन्हीं में से एक थी ,इसीलिए रेखा को जानी पहचानी लग रही थी ।जरूर नैना ने ही उसे जितेंद्र की पार्टी में भेजा होगा ।रेखा चौक कर खड़ी हो गई। रात के 12:00 बज चुके थे। वह बेचैन हो गई ।उसे जितेंद्र के पास जाना है, तुरंत जाना है!! लेकिन इतनी रात में उसके माता-पिता उसे जाने की अनुमति नहीं देंगे ।वह घबराई हुई सी बाहर आई ।
उसने कहा “पापा जितेंद्र की जान को खतरा है “रेखा के पापा बेचैन हो गए उन्हें वह बीते दिन याद आने लगे जब रेखा ने पहले भी यह बात कही थी लेकिन तब उन्होंने रेखा की बात हो इतना महत्व नहीं दिया था ।उसके पिता बोले ” क्या हो गया बेटा”
रेखा ने कहा उसने एक लड़की को जितेंद्र की पार्टी में देखा है जो नैना की सहेली है !! वह जरूर जितेंद्र को नुकसान पहुंचाने गई होगी। रेखा के पिता तुरंत तैयार हो गए और उसे अपने स्कूटर पर बैठा कर उसी होटल की तरफ चल दिए जहां जितेंद्र की पार्टी थी ।रास्ते में नैना ने इंस्पेक्टर विक्रम को भी फोन किया ।दिन भर ड्यूटी करने के बाद और रात को पार्टी में जाकर वे बहुत थक चुके थे लेकिन जैसे ही नैना का नाम सुना वह तुरंत अपनी टीम के साथ आने को तैयार हो गए ।
पार्टी अभी भी पूरे शबाब पर थी। बाहर से ही काफी चहल-पहल सुनी जा सकती थी। गाड़ियों की लंबी कतारें थी। रेखा के पिता थोड़ा संकोच कर रहे थे अंदर जाने में लेकिन फिर अपनी बेटी का साथ देने के लिए वह उसके साथ अंदर जाने को तैयार हो गए। इंस्पेक्टर विक्रम भी वहां थोड़ी देर में पहुंच गए ।सारे पार्टी के अंदर जाते है।पुलिस सादे कपड़ों में थी।उन्हें जितेंद्र कहीं भी दिख नहीं रहा था। जितेंद्र के दोस्तों से रेखा ने पूछा तो सब ने बताया कि लगभग 15 मिनट पहले जितेंद्र वॉशरूम गया था ।रेखा की चिंता और बढ़ गई ।15 मिनट और जितेंद्र पार्टी में नहीं है !!आखिर वह कहां था ?? सारे तेजी से वॉशरूम की तरफ जाते है ,वॉशरूम खाली था। इंस्पेक्टर विक्रम तुरंत सिक्योरिटी टीम से मिलते हैं और सीसीटीवी कैमरे चेक करने को कहते हैं ।जहां भी जितेंद्र दिखाई दे उन्हें तुरंत उसके पास पहुंचना है। खतरा उन्हें भी लग रहा है।
सीसीटीवी कैमरे चेक किए जाते हैं और तीसरे माले पर जितेंद्र दिखाई देता है ।वह एक लड़की के साथ है। जितेंद्र बहुत नशे में लग रहा है । वह लड़की के कंधे पर सिर रखे है और लड़की तेजी से उसे एक कमरे में की तरफ ले कर जा रही है। इंस्पेक्टर विक्रम तुरंत सबको अलर्ट करते हैं और अपनी टीम के साथ फौरन ऊपर तीसरी मंजिल पर जाते हैं। रेखा और उसके पिता भी आते हैं ।डुप्लीकेट चाभी से रूम खोल दिया जाता है। जितेंद्र बिस्तर पर औंधे मुंह पड़ा था और वह लड़की एक इंजेक्शन हाथों में लिए जितेंद्र को लगाने जा रही थी।
लड़की तुरंत गिरफ्तार कर ली जाती है। इस बार पुलिस नहीं छोड़ने वाली।वह रंगे हाथों पकड़ी गई थी।उन्हें पूरा यकीन है कि इसमें नैना का ही हाथ है। लड़की को गिरफ्तार करके पुलिस थाने ले जाता है लेकिन पार्टी में किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगने दी जाती। रेखा जितेंद्र के पास बैठती है और उसके पिताजी भी रुकते हैं ।
वह लड़की नैना की दोस्त ही थी ।महिला कांस्टेबल उसे जोरदार तीन चार थप्पड़ मारती है और वह सब कुछ कबूल कर लेती है कि उसे यहां जितेंद्र का इंजेक्शन लगाने के लिए नैना ने भेजा था। उसने पहले ही जितेंद्र के कोल्ड ड्रिंक में नशे की दवाई मिला दी थी और उसे बहाने से ऊपर तक लेकर आ गई थी ।लेकिन एक अकेली लड़की यह नहीं कर सकती थी।उसकी और खातिरदारी की जाती है तब बोलती है कि उसके साथ एक आदमी और था यह वही काली हूडी पहने वह आदमी था जो उन्हें रिजॉर्ट पर दिखाई दिया था। सीसीटीवी कैमरे में वह आदमी भी नजर आता था लेकिन वह स्पेक्टर विक्रम की गिरफ्त से बाहर निकल चुका था। इस बार इंस्पेक्टर विक्रम के पास सबूत है। नैना को इस बार नहीं छोड़ेंगे ।नैना को अब अपने कर्मों की सजा मिलकर रहेगी।
अगली सुबह जितेंद्र की आंखें खुलती है तो वह होटल के कमरे में था ।रेखा बगल की कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो रही थी और बगल में पड़े काउच पर उसके पिता सो रहे थे। जितेंद्र समझ नहीं पाता कि आखिर उसके साथ क्या हुआ है ??वह इस अनजान कमरे में कैसे आ गया और रेखा !!वह तो वापस जा चुकी थी और वह अपने पिता के साथ यहां क्या कर रही है?? जितेंद्र के सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आती है ।
सुबह के 8:00 बज रहे थे। रेखा हड़बड़ा कर उठती है और जाकर दरवाजा खोलती है। इंस्पेक्टर विक्रम थे ।इंस्पेक्टर विक्रम बहुत खुश दिखाई दे रहे थे लेकिन उनके चेहरे पर रात भर जागने की थकान भी थी ।वह रेखा से कहते हैं “हमारे लिए एक खुशखबरी है रेखा ,हमारे वकील ने नैना का नारको टेस्ट करवाने के लिए अर्जी दे दी है। अगर हमें नारको टेस्ट की इजाजत मिल गई तो नैना भरी अदालत में अपने सारे जुर्म खुद कबूल करेगी और इससे हमारा केस बहुत मजबूत हो जाएगा। नैना !! जितेंद्र चौक कर पूछता है !!क्या उसने फिर कुछ किया है ??मुझे कुछ बताओ, मुझे कुछ याद नहीं आ रहा !! मैं तो पार्टी में दोस्तों के साथ था फिर …
रिलैक्स !! इंस्पेक्टर विक्रम कहते हैं ।रेखा ने एक बार तुम्हें फिर बचा लिया है। रेखा को शक हुआ जब उसने नैना की एक दोस्त को पार्टी के अंदर आते देखा पर उसे पहचान नहीं पाई थी ।जैसे ही उसे याद आया कि वह नैना की दोस्त है उसने फौरन यहां वापस आने का फैसला किया। वह लड़की एक आदमी के साथ थी,वही हुडी वाला आदमी जो गाड़ी से हमारा पीछा कर रहा था।नैना की दोस्त तुम्हें इस कमरे में लेकर आई थी और तुम्हें ड्रग्स का इंजेक्शन देने वाली थी। वह रंगे हाथों पकड़ी गई है ।इस बार हम नैना को नहीं छोड़ने वाले ।साथ ही उसकी सहेली भी इस बार जेल की हवा खाएगी ।
जितेंद्र बिल्कुल सकते में आ जाता है। वह कहता है” अब जब तक मैं नैना को उसके किए की सजा नहीं दिलवा देता मैं एक पल भी चैन से नहीं बैठूंगा और वह इंस्पेक्टर विक्रम के साथ बाहर चला जाता है ,फिर वह पलट के रेखा को देखता है ।वह कहता कुछ नहीं लेकिन उसकी नजरें रेखा को लाख-लाख धन्यवाद दे रही थी
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रिक्त स्थान (भाग 24) – गरिमा जैन
गरिमा जैन