सारी मुसीबतों के बीच सिर्फ एक अच्छी खबर थी किआज जितेंद्र का जन्मदिन था। रेखा जितेंद्र के जन्मदिन को लेकर बहुत उत्साहित थी ।सुबह-सुबह उसने लाल चुनरी का सूट पहना और वह अपने घर के पास देवी मंदिर में गई जहां प्रायः जाया करती थी। उसने जितेंद्र की लंबी उम्र की कामना की और जितेंद्र की खुशहाली के लिए सोलह शुक्रवार व्रत रखने का निर्णय किया। पंडित जी ने रेखा के हाथों में देवी मां का प्रसाद दिया। रेखा आज बहुत खुश थी ।
बीते हफ्ते बहुत खुशगवार नहीं गुजरे थे लेकिन आज का दिन तो रेखा जी भर के जीना चाहती थी ।शाम को जितेंद्र ने एक शानदार पार्टी रखी थी। पार्टी में उसके सारे दोस्त आने वाले थे ।आज जितेंद्र अपने सब दोस्तों से रेखा को मिलवाएगा। उसने रेखा के लिए बहुत सुंदर सी ड्रेस भेजी थी। रेखा के साथ रूपा और उसका भाई अमित भी जायेंगे।इंस्पेक्टर विक्रम भी वहां पर आएंगे ।
शाम को लेकर रेखा के मन में बहुत उत्साह था लेकिन शाम होने से पहले ही जितेंद्र रेखा को एक और सरप्राइज देना चाहता था ।वह दोपहर के तकरीबन 1:00 बजे रेखा के घर आया और रेखा के मां-बाप से इजाजत लेकर रेखा को अपने साथ घुमाने ले गया ।आज वह दोनों लोंग ड्राइव पे जाएंगे। रेखा और जितेंद्र बहुत खुश हैं।
मौसम भी बहुत सुहावना है ।गुलाबी ठंड शुरू हो गई है। ऐसे में शहर से दूर हरियाली के बीच जितेंद्र अचानक एक मोड़ पर गाड़ी को रोक लेता है ।वह रेखा को दूर से एक शानदार बंगला दिखाता है ।वह बताता है यह बंगला वह रेखा के लिए खासकर बनवा रहा है ।फिर दोनों गाड़ी से उतरते हैं और सारा रास्ता पैदल ही जाते हैं।
सड़क पतली थी ।सड़क के दोनों किनारे क्यारियों में सुंदर फूल लगे थे जिसकी सुगंध से मौसम और रोमानी होता जा रहा था । जितेंद्र रेखा की कमर को हौले से पकड़ता है तो रेखा शर्म से लाल पड़ जाती है ।फिर दोनों आहिस्ता आहिस्ता अपने सपनों की दुनिया की तरह बढ़ने लगते हैं।
इस बंगले में जितेंद्र ने कोशिश की थी कि सब कुछ रेखा की पसंद का हो ।दीवारों का रंग ,बगीचे में लगे फूल और एक सुंदर सी मंदिर भी बनवाई थी , साथ ही घर के पीछे एक स्विमिंग पूल भी है। रेखा को ऐसा लग रहा है जैसे वह सपनों की दुनिया में आ गई है। जैसे कोई परी लोक है ।
जब वह बचपन में कहानियां सुनती थी कि सफेद घोड़े पर बैठकर एक राजकुमार आता है और राजकुमारी को अपने साथ सपनों की दुनिया में ले जाता है। जितेंद्र बंगले की सारी खूबियां बता रहा था लेकिन रेखा की निगाहें तो सिर्फ जितेंद्र के चेहरे पर थी। उसके मुस्कुराते हुए लबों पर थी ।जब वह मुस्कुराता उसका रोम-रोम पुलकित हो जाता।जितेंद्र रेखा को लेकर छत पर जाता है ।वहा उसने बहुत सुंदर सा बगीचा बनवाया है जिसके ऊपर की दीवारें शीशे की हैं जो बटन दबाने से खुल जाएंगी।
पानी डालने के लिए फव्वारे लगे हैं।क्यारियों में छोटे छोटे टमाटर हो गए थे। यह सब देख कर रेखा बहुत उत्साहित हो जाती है ।उसकी बचपन से एक ख्वाहिश थी कि उसका एक छोटा सा बगीचा हो जिसमे फल सब्जियां लगी हो। वह इतनी खुश हो जाती है कि हर तरफ तितलियों सी उड़ने लगती है ।वह छोटी-छोटी चीज को देखकर ऐसी पुलकित होती जैसे छोटी सी बच्ची अपने खिलौनों को देखकर होती है ।
जितेंद्र रेखा को देख रहा था और वह चाह रहा था कि सारी जिंदगी इस पल में ही यूं ही बीत जाए।रेखा मुस्कुराती रहें, हंसते रहें ,उसकी हंसी की गूंज जितेंद्र के कानों में जिंदगी भर रहे ।काश इस पल में सारी जिंदगी समा जाए। गम का साया कभी जिंदगी में ना पड़े। काश प्यार भरे लम्हे कभी खत्म ना हो ,कभी खत्म ना हो।
सूरज ढलने को है। रेखा ने हल्की आसमानी रंग का जोड़ा पहना है। वह बेहद खूबसूरत लग रही है। रेखा ,रूपा ,अमित और इंस्पेक्टर विक्रम सारे इकट्ठा ही जितेंद्र की पार्टी में जायेंगे।पार्टी एक बड़े से फाइव स्टार होटल में रखी गई है। जितेंद्र के सारे दोस्त वहां आएंगे। रेखा बहुत घबराई हुई है। उसे बार-बार वह बात याद आ रही है कि वह जितेंद्र के स्टेटस में सेट नहीं हो पाएगी। कहीं उसके दोस्त उसका मजाक ना बनाएं !!
कहीं जितेंद्र की निगाहें रेखा की वजह से नीचे ना हो जाए!! रूपा उसे लगातार प्रोत्साहित कर रही है। इंस्पेक्टर विक्रम तब रेखा से कहते हैं की रेखा नहीं जानती कि वह जितेंद्र की निगाहों में किस मुकाम पर बैठी है । जितेंद्र के दोस्त क्या इस संसार का कोई भी इंसान जितेंद्र की निगाहों से उसे गिरा नहीं सकता।
ईश्वर के बाद जितेंद्र ने किसी को अगर अपने जीवन में स्थान दिया है तो वह रेखा है। रेखा यह सब सुनकर आश्चर्य में पड़ जाती है। इंस्पेक्टर विक्रम की वह बहुत इज्जत करती थी पर वह नहीं जानती थी कि वह इतनी गहराई वाली बात भी करते हैं ।थोड़ी देर में वह होटल में पहुंच जाते हैं ।
होटल मेहमानों से खचाखच भरा था। जितेंद्र के व्यवसायिक मित्र ,बचपन के दोस्त और भी कई जान पहचान वाले लोग थे ।जैसे ही रेखा हॉल में अंदर आती है जितेंद्र झट से उसका हाथ पकड़ के सबसे उसको मिलवाता है। रेखा के हाथ बर्फ से ठंडे हो रहे थे लेकिन जितेंद्र के गर्म हाथों ने उसे नई ऊर्जा दी।
जितेंद्र का साथ उसे हमेशा ही संभल देता था ।थोड़ी ही देर में रेखा वहां सब से ऐसे घुल मिल गई जैसे वह सब सालों से उसके दोस्त रहे हो ।उसके अंदर की सारी हिचक ,सारी आशंकाएं मिट गई थी ।जितेंद्र का कोई भी दोस्त घमंडी नहीं था जैसा कि रेखा ने सोचा था ।उन सब ने रेखा को वैसे ही अपना लिया जैसे जितेंद्र को अपनाया था ।वहां उसे पूनम भी मिलती है ।पूनम रेखा से मिलकर बहुत खुश थी।
पार्टी पूरे शबाब पर थी ।रात के 11:00 बज चुके हैं ।रूपा रेखा से कहती है कि अब उन्हें घर चलना चाहिए ,काफी देर हो चुकी है ।इंस्पेक्टर विक्रम भी थक चुके हैं ।जितेंद्र चाहता है रेखा पूरी रात उसके साथ वही पार्टी में रहे लेकिन रेखा के मां-बाप उसे इतनी रात तक बाहर रहने की इजाजत नहीं देना चाहते ।
रेखा जितेंद्र से विदा लेती है और कहती है कि वह अपने बर्थडे को खूब एंजॉय करें। इंस्पेक्टर विक्रम के साथ वह वापस चली जाएगी। जब सारे गेट से बाहर निकल रहे होते हैं तभी रेखा की नजर किसी एक खास शख्स पर जाकर रुक जाती है।वह उसे पलट कर देखती है लेकिन ठीक से पहचान नहीं पाती कि वह कौन है ?उसने उस लड़की को पहले कहीं तो देखा था लेकिन कहां वह फिर से उसे देखती है लेकिन तब तक वह उसकी नजरों से ओझल हो चुकी थी..
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रिक्त स्थान (भाग 23) – गरिमा जैन
गरिमा जैन
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