साहब आपसे मल्होत्रा साहब मिलने आए हैं ।”
अरे तो उन्हें बाहर क्यों खड़ा रखा है, अंदर लेकर आओ। “आइए आइए मल्होत्रा साहब बैठिए और बताइए क्या हाल-चाल ,आज हमारे गरीब खाने पर कैसे आना हुआ!!”
तभी ऊपर से जितेंद्र उतरता है “
अरे मल्होत्रा अंकल नमस्ते और बताइए सब हाल-चाल ठीक है!!”
” मुझे और शर्मिंदा मत करो जितेंद्र बेटा, मैं पहले ही नैना के कारण बहुत शर्मिंदा हूं .मैं जान ही नहीं पाया वह कितने गलत रास्ते पर निकल चुकी थी ।तुमसे जब उस दिन बात हुई तब मुझे इस बात का पता चला। मैंने उसे समझा दिया है,वह बहुत शर्मिंदा है ,अपने किए पर!! अब तुम्हें कभी परेशान नहीं करेगी। वह बाहर गाड़ी में बैठी है ,अंदर आने की हिम्मत नहीं हो रही।”
जितेंद्र की मां कहती है “अरे सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए। नैना बिटिया बाहर बैठी है ,रुको मैं उसको अंदर लेकर आती हूं !”
जितेंद्र उनको रोक देता है ।”नहीं मां मैं नैना से खुद बात कर लूंगा ।” कहकर जितेंद्र घर के बाहर चला जाता है ।
नैना गाड़ी की पिछली सीट पर काला चश्मा लगाए बैठी थी। वह गाड़ी का दरवाजा खोलता है ।”नैना आओ अंदर चलो सबके सामने मुझे तुमसे बात करनी है ।नैना धीमे से बाहर निकलती है। आज उसने बहुत सभ्य कपड़े पहने हुए थे। जितेंद्र को नैना के इस बर्ताव पर थोड़ा शक होता है ।वह नैना को बहुत अच्छे से जानता था ।वह बहुत जिद्दी और अपनी बात मनवाने वाली लड़की थी ।इतनी जल्दी हार वह नहीं मानेगी ।वह चुपचाप एक अच्छे बच्चे की तरह अंदर चली जाती है ।अंदर सबका अभिवादन करती है और सोफे पर बैठ जाती है। थोड़ी देर इधर-उधर की बातें होती हैं फिर जितेंद्र सीधी बात करता है ।
“देखो नैना मैं रेखा से बहुत प्यार करता हूं और कुछ ही दिनों में हमारी शादी हो जाएगी ।जानू उसे अपनी मां मानता है। मैंने कभी भी तुमसे कोई प्यार का वादा नहीं किया था हां बचपन में तुम मुझे अच्छी लगती थी लेकिन सातवीं आठवीं में उम्र ही क्या होती है?? तुम समझ रही हो ना !!”
नैना हां में सिर हिला देती है ।
“नैना मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है ।मैं बीती सारी बातें भूलने को तैयार हूं जबकि वह बातें भूलने लायक नहीं है। तुम जानती हो ना मैं मौत के मुंह से बाहर आया था!!
नैना फिर सिर हिला देती है।
जितेंद्र फिर कहता है” नैना ,चश्मा उतारो आंखों में आंखें डाल कर बात करो ।तुम सच बताओ कि क्या तुम अपने किए पर शर्मिंदा हो !!”
पर नैना चश्मा नहीं उतारती।
मल्होत्रा साहब कहते हैं “बेटा इसने रो रो कर अपनी आंखें लाल कर रखी है और यह सब के सामने बहुत शर्मिंदा है । मैं तुम्हें नैना की तरफ से आश्वस्त करता हूं कि वह तुम्हें अब कभी भी परेशान नहीं करेगी ।यह मेरी गारंटी समझो।”
माहौल थोड़ा गमगीन हो जाता है ।तभी नौकर चाय नाश्ता टेबल पर लगा देता है लेकिन जितेंद्र साथ में चाय नहीं पीता। उसे नैना के ऊपर अब भी विश्वास नहीं है ।
जितेंद्र फिर कहता है “नैना मेरे साथ जरा ऊपर आओ “
नैना फिर से अच्छे बच्चे की तरह जितेंद्र के पीछे पीछे ऊपर चली जाती है ।अकेले में जितेंद्र नैना से कहता है
“नैना यह नाटक बंद करो !!मैं जानता हूं तुम कोई शर्मिंदा नहीं हो। तुम अपने पापा को बेवकूफ बना सकती हो पर मुझे नहीं। सबसे पहले अपना यह चश्मा उतारो ।मैं जानता हूं तुम इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं ।”
नैना चश्मा उतारती है ।उसकी आंखें सच में रो कर लाल हो चुकी थी।वह जितेंद्र की तरफ से देखती है और कहती है” तुम्हें मुझ पर तरस नहीं आता !!तुम्हें मुझ में क्या बुराई दिखती है? तुम मुझे इतना बुरा क्यों समझते हो? मैं बुरी नहीं हूं!! तुम जानते हो मुझे ,हम बचपन से साथ पढ़े है। उस रेखा में आखिर ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है?? वह तुम्हारे स्टेटस कि नहीं है !!वह तुम्हारे फ्रेंड सर्किल में कभी भी एडजस्ट नहीं कर पाएगी !!उसका लिविंग स्टैंडर्ड …..”इतना कहते ही जितेंद्र उसे चुप करा देता है।” रेखा मेरा सच्चा प्यार है और सच्चा प्यार यह सब नहीं देखता ।मैं जानता हूं तुम हार मानने वालों में से नहीं हो लेकिन आज मैं तुम्हें खुली चेतावनी देता हूं कि मुझसे, रेखा से ,जानू से और मेरी जान पहचान वाले सभी लोग से कोसों दूर हो जाओ नहीं तो तुम जिंदगी भर बहुत पछताओगि।”
नैना जितेंद्र की आंखों में आंखें डाल कर कहती है” ठीक है देख लेंगे कौन पछताता है !!मैं भी यहीं हूं और तुम भी !!”
फिर वह चश्मा पहनती है और धीरे-धीरे एक अच्छे बच्चे की तरह फिर से नीचे उतरने लगती है ।जितेंद्र समझ जाता है कि नैना अच्छाई का नाटक कर रही है ।वह सबकी आंखों में धूल झोंक रही है और वह और खतरनाक दुश्मन बन चुकी है। उसे जल्द से जल्द कुछ करना होगा इससे पहले कि कोई अनहोनी हो जाए ।
सारे इकट्ठा नीचे हॉल में बैठते हैं ।जितेंद्र के पापा और नैना के पिता आपस में बातें कर रहे हैं। नैना चुपचाप काला चश्मा लगाए सोफे पर बैठी है । वह बिल्कुल सीधी साधी लड़की होने का नाटक कर रही है। वह अपने पिता की आंखों में धूल झोंक रही है!! जितेंद्र यह बात जान रहा है लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा !!
लगभग आधे घंटे के बाद नैना अपने पिता के साथ वापस लौट जाती है ।जितेंद्र गार्डन में चहल कदमी कर रहा है फिर वह इंस्पेक्टर विक्रम को फोन करता है और उन्हें सारी सच्चाई बताता है। वह पूछता है कि उसे क्या करना चाहिए?? इस पर विक्रम कहते हैं कि उन्हें बहुत चौकन्ना रहना होगा ।जैसे एक घायल शेरनी बहुत ज्यादा हमलावर हो जाती है और चुपके से वार करती है उसी तरह नैना भी हम पर छुपकर वार कर सकती है ।वह अपने वास्तविक व्यवहार से बिल्कुल उल्टा व्यवहार करके सबको धोखे में रख रही है।
रात बहुत कठिनाई से बीतती है। जितेंद्र का बार-बार दिल करता है कि वह रेखा से बात करें लेकिन वह रेखा को परेशान करना नहीं चाहता था। सुबह का उजाला एक दुखद खबर अपने साथ लेकर आता है ।जितेंद्र को सुबह उठते ही मालूम पड़ता है कि नैना के पिता उसके प्यारे मल्होत्रा अंकल इस दुनिया में नहीं रहे !!!सुनकर वह हक्का-बक्का रह जाता है !!!अपने पिता से पूछता है कि क्या हुआ था?? जितेंद्र के पिता उसे बताते हैं कि मल्होत्रा साहब को हार्ट अटैक आया जिससे उनकी मृत्यु हो गई लेकिन जितेंद्र को इस बात पर यकीन नहीं है ।उसे पूरा शक है कि नैना ने अपने रास्ते का कांटा हटा दिया ।उसके पिता ही थे जो उसे रोक रहे थे, बुराई की राह पर चलने से लेकिन उसने उनको भी रास्ते से हटा दिया है ।
जितेंद्र विक्रम को फोन करता है और पूछता है कि क्या पुलिस कुछ कर सकती हैं ??इंस्पेक्टर विक्रम अपनी टीम के साथ नैना के घर पर ही थे।वह बताते है कि नैना बहुत अजीब बर्ताव कर रही है ।वह किसी से बोल नहीं रही और अभी तक काला चश्मा लगाए चुपचाप कोने में बैठी है ।नैना के घर वाले पोस्टमार्टम की इजाजत नहीं दे रहे लेकिन पुलिस इन्वेस्टिगेशन के तहत पोस्टमार्टम तो होगा ही और उससे शायद कोई बड़ा राज खुले !!नैना अपना पूरा जोर लगा देगी कि इस केस की आगे छानबीन ना हो लेकिन इंस्पेक्टर विक्रम भी अपना पूरा जोर लगा देंगे!! ताकि केस सच्चाई के दम पर आगे अपने अंजाम तक पहुंचे…
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रिक्त स्थान (भाग 24) – गरिमा जैन
रिक्त स्थान (भाग 22) – गरिमा जैन
गरिमा जैन
Bahut rochak