जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है ।रेखा और जितेंद्र के स्वास्थ्य में काफी सुधार हो चुका है। अगले हफ्ते से रेखा को फिर से जितेंद्र की कंपनी में काम करने जाना है। उसके फोटो शूट होंगे ,नया ऐड कंपेन भी लॉन्च होगा ।रेखा थोड़ी घबराई हुई है। क्या वह पहले की तरह काम कर पाएगी ?क्या वह आत्मविश्वास वह जोश जो उसमे पहले था वह फिर से आ पाएगा ?कहीं बोलते वक्त उसकी जबान न लड़खड़ा जाए !!लेकिन जितेंद्र का साथ उसे हमेशा से ही संभल देता था और देता रहेगा.।
जितेंद्र उसके शरीर का आधा अंग बन चुका है। उसके बिना वह अधूरी सी लगती है। जितेंद्र अगर उसके साथ ना हो तो उसे ऐसा लगता है कि उसका शरीर तो यहां है लेकिन उसकी आत्मा ना जाने कहां भटक रही है। थोड़े दिनों के बाद जितेंद्र पास में ही एक रिसॉर्ट में जाने का प्रोग्राम बनाता है। सारे साथ मिलकर जाएंगे। रेखा का परिवार ,रूपा का परिवार साथ जितेंद्र के मम्मी पापा जानू सारे जाने के लिए बहुत उत्साहित हैं। जाड़े ही खूब सर्द रातें हैं और गुलाबी ठंड लिए हुए दिन ।बहुत सुहाना मौसम है।
जितेंद्र ने रिसोर्ट में बेहतरीन इंतजाम कराया होता है। जिंदगी के कुछ खुशनुमा पल सारे एक साथ वहां बिताएंगे। इंस्पेक्टर विक्रम भी अपने परिवार के साथ वहां जाते हैं ।शाम हल्की हल्की ढल रही है जब सारे रिजॉर्ट पहुंचते हैं ।रेखा ,रूपा , विक्रम और उसकी पत्नी रश्मि और जितेंद्र यह सारे मिलकर देर रात तक आग जलाकर उसके चारों तरफ बैठ के गाना गाते हैं।
गरम-गरम कॉफी बनाते हैं और आग में फल भूनकर खाते हैं। सब को बहुत मजा आ रहा है। रेखा आज बहुत दिनों बाद रश्मि दीदी से मिलती है। उसे बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं जब सारे मिलकर ऐसे ही खेला करते थे ।वह तिरछी निगाहों से जितेंद्र को देखती है। जितेंद्र भी इंस्पेक्टर विक्रम के साथ बहुत घुल मिल गया है। दोनों खूब हंसी मजाक कर रहे है। जितेंद्र को खुश देखकर रेखा के मन में जैसे तितली नाचने लगती है। उसे फिर से रूपा इशारा करती है ।”बस कर रेखा ,जितेंद्र को ऐसे देखती है तो लगता है बस उसे खा जाएगी “रेखा शर्मा जाती है ।
देर रात सारे जाकर अपने कमरों में सो जाते हैं ।अगले दिन पास में ही झरना देखने जाना था। रात को रेखा को प्यास लगती है तो वह पानी पीने के लिए उतर के नीचे आती है
दो मंजिला घर जो उन्होंने लिया था उसमें कुल 6 कमरे थे। और चौका नीचे ही था। जब रेखा पानी पीने आती है तो उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे खिड़की के पास किसी की परछाई निकल गई ।वह जोर से बोलती है “कौन है” लेकिन कोई जवाब नहीं आता ।शायद जो मेहमान रुके हैं कोई रात में बाहर घूम रहा हो ।रेखा इस ओर ध्यान नहीं देती और पानी पीके लौट रही थी तभी उसे ऐसा लगता है कि कोई दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा है ।
दरवाजे के हैंडल से हल्की आवाज होती है। रेखा चौक जाती है ।वह दरवाजे के पास जाती है और दरवाजे के बगल में एक स्क्रीन लगी थी जिससे बाहर कौन आया है यह देखा जा सकता है लेकिन उसे कोई नहीं दिखता ।रेखा लौट के जा रही थी तभी उसे स्क्रीन में किसी की परछाई दिखती है ।वह चौक जाती है ।
वह गौर से देखती है ,काले रंग का हुडी पहने एक लंबा चौड़ा आदमी तेजी से वहां से निकल कर चला जाता है ।रेखा बिना डरे दरवाजा खोलती है और तेजी से बोलती है “कौन है वहां” लेकिन बाहर इतनी ठंड होती है और इतना घना कोहरा था उसे कोई नहीं दिखता । रेखा फिर से दरवाजा बंद करती है।
वह पलटती है तो वहां रूपा खड़ी थी। “रेखा तू क्या कर रही है ,इतनी रात में “रेखा बहुत तेज डर जाती है ।वह कहती है “रूपा बाहर एक बहुत लंबा-चौड़ा सा आदमी था जिसने काले रंग का हुडी पहना था पर इस घने कोहरे में मुझे ठीक से दिखाई नहीं दिया। रूपा रेखा को गले लगा लेती है रेखा से कहती है “रेखा यह सब तेरी यादें हैं या शायद जिस बुरे वक्त से तू गुजरी है ,तेरे दिमाग पर अभी भी उसका असर हो ।
यहां पर जितेंद्र जी ने बहुत कड़ी सुरक्षा का इंतजाम कर रखा है। उसे भेद कर कोई अंदर नहीं आ सकता तुम निश्चिंत हो जाओ रेखा और चैन की नींद सो जाओ।तेरी जिंदगी का काला अध्याय अब समाप्त हो चुका है ।तेरी जिंदगी के हसीन लमहे तेरे आगे बाह खोले तेरा इंतजार कर रहे हैं ।उसे तू जी भर के जी ले ।
रेखा हल्के से मुस्कुरा देती है और दोनों सहेलियां जाकर अपने अपने कमरे में सो जाती हैं ।सुबह रेखा की नींद बहुत देर से खुलती है ।रिजॉर्ट के कमरों में काफी हलचल है ।सारे तैयार हो चुके हैं। रेखा ही देर तक सोती रह गई। सुबह के 9:30 बज चुके हैं। रेखा को कोई नहीं जगाता। सब चाहते हैं कि वह अपनी नींद पूरी कर ले ।
जब रेखा नीचे आती है तो देखती है सारे तैयार होकर उसका इंतजार कर रहे हैं। उसे अपने ऊपर बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती है ,वह 15 मिनट में नहा धोकर तैयार होकर नीचे आ जाती है ।टेबल पर गरम-गरम नाश्ता सर्व हो रहा है। सारे हसी मज़ाक करते नाश्ता कर रहे हैं।
रेखा को ऐसा लगता है जैसे उसका ही भरा पूरा बड़ा सा परिवार है। उसकी प्यारी सहेली रूपा ,विक्रम जी उसके मम्मी पापा जितेंद्र के मम्मी पापा सारे ऐसे इक्कठा हैं जैसे बड़ा सा संयुक्त परिवार हो ।रेखा का सपना था कि उसकी शादी एक बड़े संयुक्त परिवार में हो जहां सब मिलकर खुशियां और गम साथ साथ बांटे ।ऐसा लगता है जैसे उसका यह सपना पूरा हो गया है । जानू उसे देख कर मुस्कुरा रहा है ।
उसे आया गरम गरम आलू के पराठे खिला रही है।सबके चेहरे पर मुस्कान है ।जितेंद्र भी बहुत खुश दिख रहा है । उसकी जिंदगी में सब कुछ ठीक होता जा रहा है तभी उसे रात का वाकया याद आता है ।वह काली हूडी पहने लंबा चौड़ा सा आदमी जो रात में उसे दरवाजे के बाहर दिखाई दिया था ।क्या सच में कोई उनका पीछा कर रहा था? या रेखा का सिर्फ एक वहम था !वो इस बात को भूल जाना चाहती थी लेकिन जैसे वह बात उसके दिमाग में बार-बार दस्तक दे जाती थी।
अगला भाग
रिक्त स्थान (भाग 21) – गरिमा जैन
रिक्त स्थान (भाग 19) – गरिमा जैन
गरिमा जैन
“I can’t wait to read more of your work.”
Such s suspense story
Part 21 kab aayega
Very nice story
bahut se part repeat kiye h plz unhe correct kijiye beech beech me se story missing correction plz