आज बहुत खुशी का दिन है ।आज रेखा और जीतेंद्र दोनों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिल गया है। रेखा कितने दिनों के बाद आज अपने घर में इत्मीनान की नींद सोएगी लेकिन जितेंद्र को रात में नींद नहीं आ रही ।उसे रेखा से ढेरों बातें करनी है , रेखा को कितना कुछ बताना है ।उसके मन में भावनाओं का तूफान उठ रहा है ।
वह रेखा को फोन लगाता है। रेखा अपने मम्मी पापा के संग बैठकर एक मजेदार पिक्चर देख रही है ।वह समझ जाती है कि जितेंद्र उसे बहुत मिस कर रहा है। अब रेखा डरती नहीं है ।वह अपने पापा से कहती है कि क्या वह जितेंद्र को यहां बुला ले? वह भी उनके संग बैठकर पिक्चर देख लेगा ।रेखा के पिता भी अब जिंदगी की अहमियत समझ गए हैं। उनकी बेटी मौत के मुंह से बाहर आई है ।वह उसका दिल बिल्कुल तोड़ना नहीं चाहते। वह कहते हैं “हां बेटा बुला लो ,कहना हमारे साथ ही रात का खाना खाए “
जितेंद्र यह सुनकर बहुत खुश होता है ।उसे किसी भी तरह रेखा का साथ चाहिए था। वह रेखा को देखना चाहता था। थोड़ी देर में जितेंद्र आता है लेकिन वह खाली हाथ नहीं आता वह अपने साथ खूब सारा खाने का सामान लेकर आता है ।एक से एक बढ़िया केक ,पिज़्ज़ा ,पीने के लिए बेहतरीन ड्रिंक्स। वह रेखा से कहता है कि रूपा को भी यहीं बुला ले सारे मिलकर मजा करेंगे और हां अगर इंस्पेक्टर विक्रम भी यहां आ सके तो कितना अच्छा हो।
विक्रम तो नहीं आ पाते पर रूपा पलक झपकते आ जाती है।सारे एक परिवार की तरह मिलकर हंसते बोलते हैं, पिक्चर देखते हैं , पिज्जा खाते हैं और कोल्ड ड्रिंक पीते हैं ।हंसते-हंसते जीतेंद्र की आंखों से आंसू छलक जाते हैं।जानू रेखा से चिपक के सो चुका था। इतने दिन से वह रेखा को मिस कर रहा था। जितेंद्र रेखा के पिता से कहता है
“अंकल क्या हम कभी एक परिवार की तरह रह पाएंगे ?क्या मैं कहते कहते जितेंद्र चुप हो जाता है”
रेखा के पिता समझ चुके थे वह क्या कहना चाहता है। उसके पिता कहते हैं
” देखो जितेंद्र तुम आकाश का तारा हो और हम जमीन की धूल हैं ।अगर तुम रेखा को अपनाना चाहते हो तो हमारे लिए बहुत खुशी की बात होगी ।कौन पिता नहीं चाहता उसकी बेटी अच्छे घर में जाए उसे अच्छा वर मिले ।तुमसे अच्छा वर हमें चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा ,लेकिन बेटा एक बात है “स्टेटस” एक बहुत बड़ी चीज होती है ।कहीं कुछ दिनों के बाद तुम्हें रेखा में कुछ कमी ना लगने लगे।तुम्हें ऐसा न लगे कि तुम दोनों में बात करने के लिए कुछ बचा ही नहीं है । तुम्हारा मौहौल बिल्कुल अलग है और रेखा अलग माहौल में बड़ी हुई है।
तुम्हारे स्कूल के दोस्त अलग तरह की बातें करते होंगे ।रेखा की खुशियां बहुत छोटी छोटी चीजों में है। क्या तुम दोनों एक दूसरे से तालमेल बिठा कर आगे बढ़ पाओगे ।मैं कहता हूं अभी अपने रिश्ते को थोड़ा समय दो ।एक दूसरे को अच्छे से जान लो ।इतनी हड़बड़ी में कोई निर्णय लेना ठीक नहीं है। जानू जब चाहे रेखा के पास आ सकता है। मुझे अब तुम्हारे आने जाने से कोई आपत्ति नहीं ,मुझसे सिर्फ अपनी बेटी को खुश देखने कि चाह है।जहां तक बात रही रिश्ते की तो उसके लिए सही वक्त आने पर हम खुद तुम्हारे मम्मी पापा से बात करेंगे ।”
सारे चुप हो जाते हैं फिर रूपा कहती है “इतने टेस्टी खाने के बाद अदरक वाली चाय हो जाए तो कितना मजा आए,” रूपा और रेखा चाय बनाते हैं और घर का मौहौल फिर से हल्का हो जाता है। रेखा की मां वही ड्राइंग रूम में बिस्तर लगा देती हैं ।जानू और जितेंद्र दोनों रेखा के कमरे में सोते हैं।
रेखा और रूपा ड्राइंग रूम में सो जाती हैं ।रात लगभग बीत चुकी है यही कोई चार बजे का समय है ।रेखा को ऐसा लगता है कि कोई उसे छूते हुए निकल गया। रेखा हड़बड़ा कर उठती है तो जितेंद्र उसके होठों पर अपनी उंगली रख देता है और उससे छत पर चलने का इशारा करता है ।
रेखा घबरा जाती है उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें!! वह धीरे से उठती है और छत पर जाती है । हवा बहुत ठंडी ठंडी बह रही है। जितेंद्र ने सफेद रंग की टी-शर्ट पहनी हुई है उसके घुंघराले बाल हवा में लहरा रहे हैं ।वह रेखा से कहता है मुझे गलत मत समझना रेखा मैं कोई मौके का फायदा उठाना नहीं चाहता !!मुझे तुमसे एक बहुत जरूरी बात करनी है ,इतनी जरूरी जिस बात ने मेरी रातों की नींद उड़ा दी हैं । रेखा उसे पूछती है ऐसी क्या बात है?
जितेंद्र कहता है स्वाति ,स्वाति नहीं रही ।रेखा यह सुनकर चौंक जाती है !! नहीं रही मतलब !! वो कल रात को उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थी। बहुत इलाज कराने पर भी उसमें कोई सुधार नहीं आ रहा था और फिर लगभग एक महीना वेंटिलेटर पर रहने के बाद कल वह इस दुनिया को छोड़ कर चली गई….
इतना कहकर जितेंद्र रेखा के गले लग जाता है और बच्चों की तरह रोने लगता है ।रेखा के कंधे जितेंद्र के आंसुओं से भीगते जा रहे थे। रेखा की आंखें भी नम हो जाती हैं। फिर जितेंद्र कहता है रेखा मैं तुमसे और भी बहुत सी बातें करना चाहता हूं ।नैना ,नैना के बारे में तुम्हें बहुत कुछ बताना चाहता हूं ।कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि स्वाति की मौत का मैं ही जिम्मेदार हूं!! मुझे इसी बात का डर है कि कहीं मेरी वजह से तुम्हारी जान को एक बार फिर से खतरा न हो जाए…
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गरिमा जैन