रूपा मैं विक्रम बोल रहा हूं जल्दी करो फॉरेन पुलिस थाने आ जाओ। बहुत जरूरी बात तुम्हें बतानी है ।रूपा 15 मिनट के अंदर इंस्पेक्टर विक्रम के साथ थी।
“रूपा देखो एक और मेल आई है , किडनैपर की तरफ से!! हम इसे कई बार देख रहे हैं ,इसमें रेखा कुछ अजीब से शब्द बड़बड़ा रही है ।हमें समझ नहीं आ रहा। तुम उसकी सहेली हो देखो क्या तुम समझ पाओगी वह क्या कह रही है? कह के स्पेक्टर विक्रम वीडियो प्ले कर देते हैं .वीडियो में एक अंधेरा कमरा आता है जिसमें मध्यम प्रकाश जल रहा था। जितेंद्र बेहोशी की हालत में कुर्सी पर बैठा था और रेखा को इंजेक्शन लगने जा रहा है। वह कुछ सेकंड के लिए होश में आती है और कुछ बड़बड़ाती है। कुछ अलग सी भाषा में!! रूपा उस क्लिप को बार-बार सुनती है ।वह कहती है वह जानती है कि रेखा क्या कहना चाह रही है ।यह रेखा और उसकी कोड भाषा थी ।इसमें वह हर शब्द के आगे ‘ त ‘ लगा देते थे जिससे सुनने वाले को समझ में नहीं आता था वह क्या बोल रहे हैं लेकिन उन्हें एक दूसरे की भाषा समझ में आ जाती थी ।रेखा कह रही थी कि वह जिस जगह पर कैद है वहां खिड़की से मछली की बू आती है और कई बार दिन में एक फैक्ट्री का सायरन सुनाई देता है ।यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी थी ।इंस्पेक्टर विक्रम और उनकी टीम हरकत में आ जाती है।वो तुरंत पता लगाने को कहते हैं उन सारी प्रॉपर्टीज के बारे में ,जो मछली बाजार के पास में है और शायद खाली पड़ी है ।बाहर से देखने में वह हो सकता है खाली दिखाई दे लेकिन शायद उसी में किडनैपर छिप कर बैठा है । साथ ही बड़ी फैक्ट्री भी हो जिसका सायरन सुनाई देता है !!ऐसी जगह शहर में कम ही है।
पुलिस की टीम तुरंत बाहर निकल जाती है ।तभी रूपा इंस्पेक्टर विक्रम को फिर से आगाह करती है!! जीजू रेखा कुछ और भी कह रही है ।अंत में नैना नैना कह रही है ।मैं आपसे ठीक कहती थी !!! वही रेखा को इंजेक्शन लगा रही है। जल्दी कुछ करिए मेरी दोस्त को बचा लीजिए ।कहीं ज्यादा देर ना हो जाए और यह दोनों मर ना जाए !!
इंस्पेक्टर विक्रम खबरी को फोन लगाते हैं ,वह कहते हैं कि अगर नैना बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीद रही है तो ड्रग डीलर से बहुत कुछ मालूम लग सकता है। शायद कोई उसे ड्रग सप्लाई करता होगा । खबरी तुरंत हरकत में आ जाते हैं ।सब कुछ बहुत जल्दी करना होगा नहीं तो कहीं देर ना हो जाए!! जितेंद्र और रेखा की जिंदगी तलवार की धार पर चल रही है। दोनों के पास समय कम है।
उधर नैना पागलों की तरह हंसती जा रही थी। उसे अपनी जीत पर बहुत गुमान हो रहा था ।वह जितेंद्र और रेखा को एक टिकट निकाल कर दिखाती है ।टिकट स्वीटजरलैंड का था।वह कहती है कि 1 दिन के बाद वह जा रही है ।जितेंद्र और रेखा को इसी तरह कमरे में बंधा छोड़ देगी और वह लोग धीरे-धीरे करके मौत की आगोश में चले जाएंगे ।जितेंद्र का शरीर कुछ हरकत नहीं कर पा रहा था। वह हर समय बेहोशी की हालत में पड़ा रहता ।रेखा अभी भी कभी-कभी होश में आती और जितेंद्र को देख कर बहुत दुख महसूस करती ।उसका जी चाहता है वह किस तरह जितेंद्र को ठीक कर दे।वह जितेंद्र को आवाज भी लगाती है लेकिन अब वह उसकी आवाज का भी जवाब नहीं देता ।
दो घंटे बीत चुके हैं ।पुलिस कई जगह छापे मार रही है लेकिन अभी तक नैना तक नहीं पहुंच सकी।तभी रूपा इंस्पेक्टर विक्रम को फोन करती है ।वह कहती है कि वह कुछ ऐसी प्रॉपर्टी का पता लगाएं जो शायद फेयर एंड लविंग कंपनी की हो तभी तो नैना के पास उस जगह की चाभी होगी!!! यह बात कह कर वह फॉरेन जितेंद्र के घर चली जाती है । जितेंद्र के मां-बाप से वह बहुत पूछताछ करती है पर कुछ नहीं पता नहीं चलता ।जितेंद्र के पिता के पास कोई ऐसी प्रॉपर्टी नहीं थी जो मछली बाजार के पास में हो या जिसके पास बड़ी फैक्ट्री हो ।तभी जितेंद्र की मां को कुछ याद आता है ।वह कहती हैं कि अखिल जो जितेंद्र का एक दोस्त था उसने शायद ऐसा कोई घर खरीदा था क्योंकि एक बार जितेंद्र और स्वाति उसका मजाक उड़ा रहे थे कि तुम ने घर खरीदा भी तो कहा मछली बाजार के पास!! अब जिंदगी भर तुम फैक्ट्री का सायरन सुनना ,कहकर सब उसका मजाक बना रहे थे ।अखिल, अखिल कौन है ?कहां रहता है ?जल्द से जल्द रूपा को पता करना था ।जितेंद्र की मां अपने मोबाइल से अखिल का नंबर रूपा को देती है ।रूपा अखिल से तुरंत कांटेक्ट करती है ।वह उसे बताता है कि हां उसकी एक प्रॉपर्टी है जो मछली बाजार के पास में है और उसे नैना खरीद रही है।
नैना ने उसे पिछले हफ्ते ही चाभी ली थी लेकिन फिर 2 दिन के बाद ही उसने वापस भी कर दी। उसने कहा कि उसे वह प्रॉपर्टी पसंद नहीं आई ।रूपा अखिल से उस जगह का एड्रेस लेती है और इंस्पेक्टर विक्रम के साथ रेखा और जितेंद्र को ढूंढने निकल पड़ती है।
उस जगह रूपा और पुलिस को पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी है ।सब लोग बहुत सतर्क हैं कुछ भी हो सकता है अगर नैना को पुलिस के आने की आहट मिल गई तो वह पागल लड़की कुछ भी कर सकती है ।पुलिस को बहुत चौकन्ना रहना है बहुत धीमी गति से और चारों तरफ से उस घर को घेर लेते हैं। घर के अंदर कोई भी बत्ती नहीं जल रही ।हर तरफ अंधेरा छाया हुआ है ।पुलिस पीछे के दरवाजे से अंदर घुसने का प्रयास करती है। घर पर अब वह काली मर्सिडीज भी नहीं खड़ी है। रूपा को कुछ तो गड़बड़ लगती है। कहीं उन्हें आने में देर तो नहीं हो गई !! पुलिस घर के अंदर प्रवेश करती है। हर तरफ छानबीन की जाती है ,घर की सारी बत्तियां जलाई जाती हैं लेकिन वहां उन्हें कोई नहीं मिलता। वह दोनों कुर्सियां तो मिलती है जिस पर रेखा और जितेंद्र को बांधा गया था पर वहा सिर्फ रस्सी ही होती है और साथ ही ढेरों खाली इंजेक्शन ।वहां न रेखा थी ना जितेंद्र और ना नैना। क्या पुलिस सही वक्त पर नैना को पकड़ पाएगी? क्या जितेंद्र और रेखा जीवित हैं ? जानने के लिए कहानी के अगला भाग का इंतजार करिए…..
अगला भाग
रिक्त स्थान (भाग 17) – गरिमा जैन
रिक्त स्थान (भाग 15) – गरिमा जैन
गरिमा जैन