रिक्त स्थान (भाग – 3) – गरिमा जैन

रूपा और रेखा खुशी-खुशी अपने कमरे में आती है। रूपा तुरंत अपने मोबाइल पर इंस्टाग्राम खोलती है और जितेंद्र वशिष्ठ का इंस्टाग्राम अकाउंट खोलती है। रूपा देख क्या एक से एक पिक्चर है जितेंद्र की।ये देख ये वाली लंदन की है और ये देख बंजी जंपिंग करते हुए।रूपा इसमें कितना हैंडसम लग रहा है उफ़। यह देख यह इसकी यूरोप टूर की पिक्चर्स है और यह देख अरे यार इसके पास तो बहुत माल है क्या एक से एक धांसू जगह जाता है।तेरी तो किस्मत  खुल गई पर जब रूपा ने हंसते हुए रेखा का चेहरा देखा तो देखा रेखा का चेहरा बिल्कुल फीका पड़ चुका है ।वह बोली” क्या हुआ रेखा! देख तेरे जितेंद की क्या एक से एक तस्वीरें हैं और क्या फैन फॉलोइंग है ” रेखा ने रूपा की तरफ अचरज भरी निगाहों से देखा ।रूपा तू कब से पैसे के पीछे भागने लगी  !रूपा ने कहा “अरे पैसे के पीछे नहीं भाग रही हूं बस हंसी मजाक कर रही थी।” नहीं रूपा आज से हम दोनों में से कोई भी जितेंद्र वशिष्ठ की कोई बात नहीं करेगा ।

” पर क्यों ?वह तो तेरे सपनों का सपनों का…..”

सपने सच नहीं होते तो देख रही है यह कोई मामूली जितेंद्र वशिष्ठ नहीं ” द जितेंद्र वशिष्ठ” है मैं इसके पैरों की धूल भी नहीं हूं । अच्छा चल एक बार सोच ले अगर इसने जानू के प्यार में मुझे अपना भी लिया तो क्या यह कभी मुझे जीवनसंगिनी की इज्जत देगा ,!या फिर मुझे वह प्यार दे पाएगा जिसके लिए हर स्त्री विवाह करती है? मेरी मुस्कान में उसे अपनी पत्नी स्वाति दिखाई देगी ।कभी मेरा कोई अलग अस्तित्व भी हो पाएगा !रूपा बोली एक बात और भी है  इसने अपनी पिक्चर में अपनी पत्नी की कोई पिक्चर शेयर नहीं की, ठीक है अभी 3 महीने पहले ही …….पर उसके पहले की तस्वीर होनी चाहिए थी ।जानू के साथ बहुत ही तस्वीर है ।जानू के पैदा होने की की भी तस्वीरें डाली हैं लेकिन इस जितेंद्र वशिष्ट ने कहीं भी अपनी पत्नी स्वाति वशिष्ठ की कोई भी पिक्चर नहीं डाली। क्या लोग किसी के मरते ही उसकी सारी यादें भी मिटा देते हैं।




रेखा बोली तुझे किसने कहा कि उसकी पत्नी स्वाति मर चुकी है क्या पता उनका तलाक हुआ हो !रूपा ने कहा” यह तो मैंने सोचा ही नहीं हां यह भी तो हो सकता है।  जितेन्द्र ने स्वाति की सारी तस्वीरें हटा दी है उसकी एक भी तस्वीर नहीं है”

इसीलिए मैं कहती हूं रूपा यह बड़े लोग की बहुत बड़ी बड़ी बातें हैं ।हम जैसे आम आदमी इन लोग के बीच ना ही फंसे तो अच्छा है। स्वाति कौन थी ?वह जिंदा है या नहीं ?मुझे इससे क्या करना है । जानू बहुत प्यारा बच्चा है ।उसे कभी भी मेरी याद आई तो इंसानियत के नाते मैं उसकी मदद जरूर करूंगी और जैसा आंटी ने कहा वह भी बहुत छोटा है 5 महीने में ही मुझे भूल जाएगा। देख लो जितेंद्र जी के आस पास एक से एक  खूबसूरत लड़कियां है ।उनसे तो शादी करने के लिए कोई भी तैयार हो जाएगी और अभी मैंने जिंदगी में किया ही क्या है ? BBA की परीक्षा ही तो उत्तीर्ण की है अभी मेरे कई सपने हैं। अभी मुझे अपने माता-पिता अपने भाई के लिए कुछ करना है। सिर्फ प्रेम की पींगे मारने से जिंदगी में सफलता नहीं मिलेगी और वह भी आकाश को चाहने की गलती मैं  नहीं करूंगी। रूपा और रेखा दोनों गुमसुम बैठ जाती हैं ।




तभी  रूपा चहकते हुए  कहती है ,ला रेखा अपना लिफाफा ला जो आंटी ने तुझे दिया था ।चल उससे पिज़्ज़ा मंगाकर पिज़्ज़ा पार्टी करते हैं। मेरे लिफाफे में तो  ग्यारह सौ हैं तेरे लिफाफे में क्या है ? खोल देखे कितने रुपए दिए तुझे! जब रूपा रेखा का लिफाफा खोलती है तो उसमें एक भी रुपए नहीं थे बल्कि  एक चिट्ठी रखी होती है। रूपा निकालकर रेखा को देती है ।रेखा  कहती है मेरा तेरा क्या अलग है तू ही पढ़ दे। रूपा शुरू करती है

प्यारी बेटी रेखा

मैं नहीं जानती जिंदगी ने हमे क्यों मिलाया। तुम्हारे बारे में जितना सुना है वह कम है। तेरी झलक में स्वाति की झलक मिलती है ।स्वाति और जितेंद्र दोनों ने प्रेम विवाह किया था। दोनों बचपन से ही साथ पले बढ़े थे। एक ही कॉलेज में पढ़ने गए ।उसके बाद विदेश भी  दोनों साथ ही पढ़ने गए थे ।दोनों दो जिस्म एक जान थे। हमें तो पहले ही पता था कि यह दोनों विवाह करेंगे। स्वाति का परिवार और हम तुरंत तैयार हो गए थे इस विवाह के लिए । विवाह के चार साल कहां बीत गए कुछ पता ही नहीं चला। स्वाति हमारे घर में ऐसी रची बसी थी जैसे दूध में शक्कर मिल जाती हो और सिर्फ उसकी मिठास का ही स्वाद आता है। फिर ना जाने क्या हुआ जैसे दोनों को किसी की नजर लग गई। तब जानू सिर्फ चार माह का था ।उसके बाद से जितेंद्र जैसे बिल्कुल बदल गया। स्वाति और जितेंद्र की जिंदगी में इतने कुछ घटनाक्रम आए जिसने हमारी जिंदगी को कुचल  कर के रख दिया। जितेंद्र को आज तुम जैसा देखती हो पहले वह ऐसा नहीं हुआ करता था ।वह बहुत ही मस्त मौला हवा से बातें करता  लड़का था। उसमें इतना ठहराव नहीं था जितना ठहराव इतनी गंभीरता आज है।रेखा बेटी जितेंद्र आज बहुत दिनों के बाद मुस्कुराया है ना जाने उसने कितने दिनों के बाद ढंग के कपड़े पहने हैं अच्छे से तैयार हुआ तेरे घर में आने से मुझे एक आशा की किरण दिखाई दी। मैं तुम पर कोई दबाव डालना नहीं चाहती लेकिन अगर जितेंद्र तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं तो इस समय उसे इंकार मत करना। डेढ़ साल से जितेंद्र के डिप्रेशन का इलाज चल रहा है ।बहुत मुश्किलों से हम ने यह समय काटा है तो उसे गलत मत समझना। अगर उसके मुंह से कोई गलत बात निकल जाए तो उसे माफ कर देना ।इस समय उसका कोई दोस्त नहीं है ।उसने अपनी पिछली जिंदगी को जैसे अलविदा कह दिया है। वह उसे याद ही करना नहीं चाहता ।तुम एक समझदार लड़की हो यह मैंने एक पल में ही उस दिन जान लिया था। मैं आशा करती हूं कि मेरी बातों पर तुम ध्यान दोगी और उसका मान भी रखोगी।बहुत सारे प्यार और आशीर्वाद के साथ




                                            मां समान आंटी

अरे रेखा आंटी जी ने तो हमें मुश्किल में डाल दिया। इन्होंने खत में क्या लिखा आधी बात तो मुझे समझ में ही नहीं आई। स्वाति आज जिंदा है या नहीं है !जब सब कुछ अच्छा चल रहा था फिर आंटी ने ऐसा क्यों लिखा कि स्वाति की वजह से उनकी जिंदगी कुचल के रह गई और जितेंद्र को देखकर लगता तो नहीं कि व डेढ़ साल से डिप्रेशन का शिकार रहा हो! हां थोड़ा चुप-चुप तो जरूर थे लेकिन इतना बड़ा बिजनेस संभालना कोई बच्चों का खेल नहीं ।

देख रूपा मैं नहीं जानती कि कौन सच्चा है और कौन झूठा लेकिन आंटी की बात का मान एक बार जरूर रखूंगी। अगर जितेंद्र अपनी तरफ से दोस्ती का हाथ मेरी तरफ बढ़ाएगा तो सिर्फ एक दोस्त होने के नाते मैं उसका साथ जरूर जरूर दूंगी उससे ज्यादा वह मुझसे उम्मीद ना रखे क्योंकि मैं नहीं चाहती कि बाद में किसी का भी दिल टूटे। और जहां तक बात है  स्वाति की तो मुझे नहीं लगता कि वह मर चुकी है! क्योंकि मरे हुए लोग के बारे में ज्यादातर लोग बुरा नहीं बोलते । वह जिंदा है और शायद उसने जितेंद्र को धोखा दिया हो या फिर कोई और ऐसी गहरी बात हो जो वह लोग हमें बताना नहीं चाहते। मुझे भी उनकी निजी जिंदगी में कोई दखल देने का इरादा नहीं है ।

चल रेखा यह सब बातें छोड़ चल बाहर चलते हैं और अमित के साथ मिलकर एक पिज़्ज़ा पार्टी करते हैं। अंकल आंटी को भी जो पिज़्ज़ा पसंद है ।ग्यारह सौ में दो पिज़्ज़ा तो आ ही जाएगा साथ में आइसक्रीम भी। मजा किया जाए ।

क्या रूपा तू भी ,तू तो हर जगह मजा ढूंढ लेती है ।सच में यह सारी गमगीन बातें सुनकर मेरा मन भी बड़ा उदास हो गया है ।चल बाहर चलते हैं।

सारे बाहर आ जाते हैं थोड़ी देर में ही पिज़्ज़ा आ जाता है सब मिलकर पिज्जा खाते हैं और खूब हंसी मजाक करते हैं। तभी रेखा के पापा  कहते हैं “अरे बेटा यह जितेंद्र साहब आज आए थे यह उसी फेयर एंड लविंग कंपनी के मालिक है ना जो इस समय बहुत घाटे में चल रही है ।” रेखा यह सुनकर सोच में पड़ जाती है” नहीं पापा कंपनी घाटे में तो नहीं चल रही होगी क्योंकि बहुत बड़ा प्रोग्राम अभी इन्हीं की कंपनी ने तो आयोजित करवाया था”




अरे बेटा जितेंद्र पूरी कोशिश कर रहा है अपनी कंपनी को उठाने की ।सुना है वह दो साल से अपने बिजनेस में ठीक से ध्यान नहीं दे रहा था शायद  विदेश गया हुआ था। कुछ लोग तो कहते हैं कि अपना इलाज करवा रहा था ।मुझे नहीं पता देखने में तो बिल्कुल स्वस्थ लगता है। इसे क्या बीमारी हुई होगी ?रेखा सुनकर सोच में पड़ जाती है । अरे बेटा उसकी कंपनी के हाल-चाल ठीक नहीं है। आज कचहरी में भी बात चल रही थी शायद कोई केस चल रहा है उसके ऊपर।

” कैसा केस पापा “

शायद उसके तलाक का केस चल रहा है ।लोग कह रहे थे बहुत ही हाई प्रोफाइल केस है। उसकी पत्नी ने उसके ऊपर बहुत से आरोप लगाए हैं। शायद वह अपने बच्चे की कस्टडी भी लेना चाहती है ।तलाक के एवज में उसने बहुत मोटी रकम वसूली है। कुछ लोग कहते हैं जितेंद्र ने अपनी पत्नी को बहुत दबाव में रखा था तो  कुछ कहते हैं कि वह बहुत सीधा साधा है ।वास्तविकता क्या है बेटा मुझे तो पता नहीं ।लेकिन लड़का तो भला मालूम पड़ा ।जिस तरह से उसने हमसे बात की, हम तो  उसके अपने ही हो गए । रेखा आइसक्रीम खा रही थी लेकिन उसके मन में ना जाने कितने तरह के ख्याल आ जा रहे थे….

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रिक्त स्थान (भाग 4) – गरिमा जैन

रिक्त स्थान (भाग – 2) – गरिमा जैन

गरिमा जैन

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