आज आरना की बर्थडे पार्टी थी ।पूरा बंगला खचा-खच शहर के नामी-गिरामी रइसों से भरा था। आरना और अनूप दोनों बेसब्री से अंजली का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अंजली आई सबकी नजरें उस पर जम कर रह गई ।व्हाइट स्लीवलेस गाऊन में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। कुछ देर के लिए तो अनूप भी उसे देखते ही रह गए ।सच अंजलि को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल था कि वह आरना की माँ है या बहन। आरना ने मचल कर कहा….” मॉम केक कटिंग करना है ना”?
तभी अनूप भी कह उठा…..” तुम्हारी इजाजत हो तो अब इसे पैदा किया जाए” ?और सब हँस पड़े। अंजलि का चेहरा शर्म से और गुलाबी हो गया। फिर म्यूजिक बजते ही अनूप अंजलि के पास आए और बड़ी ही नजाकत से कहने लगे…. “मे आई डांस विथ यू”? और हल्की -हल्की धुन पर सब थिरकने लगे। अंजलि थी तो अनूप की बाँहों में पर दिल उसका किसी और की यादों में खोया था।
…. अहान …अपने नाम के अनुरूप उसकी जिंदगी के सफर में खुशी की रोशनी बन कर आया था।
वह प्यार जो उसे अनूप कभी भी नहीं दे पाए। हकीकत में अनूप ने उसे वह हर चीज दी, जो पैसों से खरीदी जा सकती है। पर प्यार व बातों के लिए उसके पास कभी टाइम ही नहीं था। आरना को भी अंजलि ने अनूप के हिस्से का प्यार दिया। पर प्यार तो सबका अपना-अपना होता है ।
भला उसे हिस्सों में कैसे बांटा जा सकता है? आरना के बड़े होते-होते उसने वह सारे रंग अपना लिए जो एक हाई सोसाइटी की पहचान होते हैं। एक दिन क्लब में जब उसके कदम लड़खड़ाए तो किसी के मजबूत हाथों ने उसे संभाल लिया।… “थैंक्स” कहकर वह आगे बढ़ गई। दूसरे दिन दोपहर में डोर-बेल बजी। सर्वेंट ने आकर कहा….” मैडम कोई आपसे मिलने आए हैं “।जाकर देखा तो एक खूबसूरत ,लंबा गोरा-चिट्टा युवक मुस्कुराते हुए खड़ा था ।
उसने कहा….” कहिए”तो उस युवक ने उसकी तरफ एक पर्स बढ़ा दिया यह कहते हुए कि….” यह शायद आपका पर्स है “।उसे याद आया …ओह …”कल रात क्लब में यह वहीं रह गया होगा”। उसने …”थैंक्स “कहते हुए पर्स वापस ले लिया और फिर जैसे ही खड़ी हुई लड़खड़ा गई। तभी युवक ने आगे बढ़कर उसे थाम लिया। वो स्पर्श,वो खुशबू ….उसे अपना मन भी कहीं लड़खड़ाता सा लगा। …”सॉरी” बोल कर उसने अलग होने की कोशिश की, पर बाँहों का घेरा और मजबूत हो गया यह कहते हुए कि….” आप लड़खड़ाती बहुत हैं। आपको जरूरत है मेरी”।
ना चाहते हुए भी उसे अच्छा लगा किसी का यह कहना कि …..”आपको जरूरत है मेरी”। उसने खुद को अलग करते हुए कहा ….”थैंक्स”। युवक ने मुस्कुराते हुए गौर से उसकी आँखों में देखा और कहा….” यह दूसरी बार है। सिर्फ थैंक्स नहीं कुछ और भी चाहिए”। उसे परेशान देख वो कहने लगा ….”अरे घबराइए मत। सिर्फ एक कप चाय चाहिए “।वो रिलैक्स हो गई। चाय पीते- पीते उसने कहा… मैं अहान हूँ और आपको क्लब में अक्सर देखता हूँ।
वह सब समझ गयी। उसने कुछ नहीं कहा ।जाते वक्त अहान ने उसे अपना कार्ड दिया और कहा ….”कभी जरूरत हो तो याद कर लीजिएगा। बंदा हाजिर रहेगा” और चला गया ।वह तो चला गया ,पर उसकी बातों का घेरा अंजलि को दिन-ब-दिन खयालों में जकड़ते चला गया। वह खुशबू ,वह स्पर्श जब भी उसे याद आता एक अलग ही एहसास करा जाता।
फिर एक दिन…. “हैलो मैं अंजली बोल रही हूँ “।…”जी कहिए” पर अंजलि ने फोन काट दिया। एक घंटे बाद ही डोरबेल बजी। सामने अहान था।…” तुम”?..”.हाँ मैं “….”पर “….”पर क्या? आपने याद किया ना मुझे? आपको जरूरत है मेरी” कहकर वह अधिकार पूर्वक भीतर आ गया। चाय की चुस्कीयों के साथ गजलों और गानों के साथ कब दिन बीता पता ही नहीं चला। जाते वक्त अंजलि ने पूछा….”कल फिर आओगे”?…” यदि आप चाहो तो “कहकर आहान ने उसकी आँखों में झांका। अंजली शर्मा गई। अब यह रोज का क्रम हो गया ।अंजलि जानती थी कि वह उससे छोटा है, पर उसकी चुलबुली हरकतें, उटपटांग जोक्स, उसे बहुत भाते । वह हँसी से दोहरी हो जाती ।उम्र में फासला होने के बावजूद दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे। पर उसका पहला स्पर्श याद आते ही अंजलि को न जाने क्या होता। वह उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगती। हालांकि अहान ने फिर कभी उसे छुआ नहीं ।पर उसकी बातें हर पल उसे छूकर निकल जाती ।उसकी तनहाइयां अहान की कंपनी पाकर जैसे खिल उठी । अब अंजलि को अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं थी ।पत्नी और माँ का धर्म वह बखूबी निभा रही थी। आजकल आरना भी बहुत खुश रहने लगी थी। कहती …”मॉम क्या बात है? आजकल तो आपका चेहरा बहुत ही खूबसूरत दिखने लगा है”। वह कहती…” क्यों “?आरना आकर उसके गले से लिपट जाती और कहती…” मॉम आपको खुश देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है”। फिर बोलती ….”मॉम आपकी वह गजल …”झुकी –झुकी सी नजर “लगा दो। अंजलि खुश हो जाती और कहती …”क्या बात है?आजकल तो बड़ी गजलें सुनी जा रही है” तो वह कहती …”आपकी बेटी हूँ तो पसंद भी आपके जैसी ही होगी ना मॉम”?
आज आरना के बर्थडे पर वह अहान को बहुत मिस कर रही थी। तभी म्यूजिक बंद हुआ। वह वर्तमान में लौट आई। तभी आरना की आवाज गूंजी …”लेडीज एंड जेंटलमैन। अटेंशन प्लीज। मॉम और पापा आप दोनों यहाँ आ जाइए”। आप दोनों के लिए एक रिटर्न गिफ्ट है”। जैसे ही दोनों वहाँ पहुंचे आरना ने कहा ….”प्लीज आँखें बंद कर लीजिए”। उन्होंने आँखें बंद कर ली।आरना ने कहा …अब धीरे-धीरे आँखें खोलो आप दोनों। जैसे ही आँखे खुली ,लाइट्स ऑन हुई। आरना के साथ खड़े शख्स को देखकर अंजलि की आँखों के सामने अंधेरा छा गया ।आरना कहने लगी ….मीट माय बेस्ट फ्रेंड …”अहान चोपड़ा” अब वह आरना के खुश रहने की वजह जान गई थी। दोनों की खुशी और पसंद एक ही थी। वह रात अंजलि के लिए बहुत भारी थी। सुबह जब आरना मॉम के पास आई तो उसकी मॉम उससे बहुत दूर जा चुकी थी। हाथों में एक चिट नजर आई जिसमें सिर्फ एक वाक्य लिखा था…. “तुम्हारा रिटर्न गिफ्ट बहुत अच्छा लगा”…….
विजया डालमिया