रेशमा – पूनम रावल

उस लड़की में ऐसा खास कुछ नहीं था जिस पर कहानी लिखी जा सके । मगर कुछ तो था कि मैं अपने आप को उसके बारे में लिखने से रोक नहीं पाई ।

सुबह सुबह पार्क के बेंच पर मैं उदास बैठी थी । घर और बच्चो की परेशानियों से मन उदास था । तभी पांजेब की खनकती आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ । मेरे साथ एक बीस – बाईस साल की युवती आकर बैठ गई । मैंने उसे नजर भरके देखा । सांवला रंग, तीखे नैन नक्श, लंबे बाल और परांदा । चूड़ियों से भरे हाथ रेशमी काला सूट और पांव में पांजेब । मुझे उसका पहनावा कुछ अजीब लगा । मैंने पूछा ” तुम्हारा नाम क्या है” । वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और खनकती आवाज़ में बोली “रेशमा” और खिलखिला कर हंसने लगी । जैसा नाम वैसे ही पहरावा, मैंने सोचा ।


मुझसे रहा ना गया मैंने फिर पूछा ” कहां रहती हो “, वह फिर से खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली “हमारा कहां एक ठिकाना है, पशु चराते चराते जहां जगह मिले वहीं डेरा डाल लेते हैं । आजकल यहीं पास में डेरा डाला है” । “अच्छा तो खाना बदोश है” मैंने सोचा । मेरे मन में उसके प्रति जिज्ञासा जाग गई । मैंने फिर पूछा “तुम्हारी शादी हो गई?” । वह फिर से हंसने लगी । ” ये लड़की पागल है क्या , इसमें भला हंसने की क्या बात है” मैंने उसे हैरानी से देखा । “शादी हुई थी, पर मैंने उसे छोड़ दिया” इस बार वह कुछ संजीदा हुई । मैंने पूछा ” क्यों” । वह बोली “दारू पीता था, मुझे मारता पीटता था इसलिए छोड़ दिया”। एक पल को उसकी आंखें नम हो गई । मैंने कहा “अच्छा किया, ऐसे इंसान के साथ रहना भी नहीं चाहिए” । वह एकदम से चौंक गई “अरे दीदी आपने सही कहा, बाकी सब लोग तो मुझे ही कोसते हैं । पर मैं ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीती हूं” । वह फिर खिलखिला कर हंस पड़ी अब उसकी आंखों में एक चमक थी ।



मैंने कहा “तुम इतना हंसती क्यों हो” । वह बोली “दीदी हंसते रहना मेरी आदत है। हंसते रहने से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। ज़िंदगी रो कर काटने से अच्छा हंस कर काटली जाए” । मैंने पूछा “तुम किसके साथ रहती हो” । “भाई और भाभी के साथ, मां बाप तो कबके गुज़र गए” उसने एक आह भरी । मुझे उसकी चिंता होने लगी, मैंने पूछा “कब तक रहोगी उनके साथ? आगे कुछ सोचा है?” । “दोबारा शादी करूंगी ना अगर शाहरुख खान जैसा लड़का मिला तो” वह ज़ोर ज़ोर से खिलखिला कर हंसने लगी । मैं भी उसके साथ हंसने लगी। पार्क में  लोग हमारी तरफ देखने लगे ।

वह एक झटके से उठी और बोली “अच्छा दीदी चलती हूं, किस्मत में होगा तो फिर मिलेंगे”। मैंने मुस्कुरा कर उसे विदा किया । वह कमर लचकाती हुई चली गई । वह चली गई लेकिन, जाते जाते मुझे एक सबक दे गई  परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, हमें हंस कर सामना करना चाहिए । कहां मैं छोटी मोटी परेशानियों में उलझी थी और कहां वो इतने बड़े बड़े सदमे हंस कर झेल रही थी । अब जब भी मैं परेशान होती हूं तो रेशमा का खिलखिलाता चेहरा मेरे सामने आ जाता है और मैं मुस्कुरा देती हूं।

पूनम रावल

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