न्यू इयर पर आफिस स्टाफ ने पार्टी अरेंज की। पार्टी के 2 ही मुख्य अट्रैक्शन थे, शराब और मुर्गा। मैं इन दोनों चीज़ो से दूरी बनाए रखता था, पर न चाहते हुए भी मना न कर सका, क्योंकि बॉस ओर सहकर्मी सभी अपनी फैमली के साथ आ रहे थे। पार्टी में कुछ पुरुषों और महिलाओं नेअपने हाथों में गिलास या मुर्ग़ा पकड़ रखा था
और मैं उनकी सेवा में लगा था। बॉस ने पूछा, क्या तुमने कभी शराब/मुर्गा नही चखा? जी, मैं पहले लेता था पर अब छोड़ दिया है। इस पर बॉस ने कुटकी लेते हुए पूछा, क्या बीवी ने मना कर दिया है? सब हँसने लगे, पर मैंने कहा कि जब मैं कॉलेज के तीसरे साल में था तभी से बन्द कर दिया। बॉस ने कारण जानना चाहा तो मैने बोला, सर्, अभी पार्टी एन्जॉय करो, बाद मैं बताउगा।
सब लोग पार्टी में व्यस्त हो गए और मैं लोगो की सेवा में। रात लगभग 1 बजे हम अपने घर पहुंचे ओर मैंने कॉफी बनाई कॉफी पीते पीते पार्टी पर चर्चा करके सो गए।
अगली सुबह जब मैं ऑफिस पहुंचा तो थोड़ी देर बाद बॉस ने बुलाया। मैं बॉस के केबिन में गया तो मुझे बैठने का इशारा किया। मेरे बेठते ही बॉस बोला, अब बताओ, तुमने शराब/मुर्गा क्यों त्याग दिया? मुझे ऐसा लगा कि बॉस रात भर ये जानने की उत्सुकता में सोया ही नहींहोगा। मैंने बोलना शुरू किया,
कि वे बात है जब मैं थर्ड ईयर में था। हमारी पूरी क्लास डैम पर पिकनिक मनाने गई थी। पिकनिक में खाना लड़कियों को बनाना था ओर सब्जियां छीलना व काटना लड़कों का काम था। मुर्गा काटने का काम में करता था। मैं मुर्गे काट रहा था, जब चोथा मुर्ग़ा काटने के लिये उठाया, तो वो अपनी गोल गोल आँखों से मुझे घूर रहा था
ओर शायद कह रहा था कि मुझे मत मारो। ये देख कर मेरी आत्मा कांप गई, ओर मेरा उठा हुआ चाकू वाला हाथ रुक गया। मेरे दिल मे एक बेचेगी सी होने लगी। मैने चाकू वही रख दिया और वहाँ से चला गया। बाकी मुर्गे किसने काटे, मुझे नहीं पता। उस दिन मैंने ठीक से खाना नहीं खाया या कहूं खाया नहीं गया।
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मैं सारी रात सोचता रहा, कि आखिर हमें क्या अधिकार है कि अपने थोड़े से स्वाद के लिए किसी बेजुबाँन कि हत्या कर दे। बस उसी दिन से मैंने मुर्गा शराब सब बन्द कर दिया। अपनी बात बताकर मैं परमिशन लेकर अपनी सीट पर चला गया।
कुछ दिन बाद बॉस का मैसेज आया कि मकर सक्रांति पर बॉस के घर पर पार्टी है, केवल स्टाफ को बुलाया है।
तय समय पर हम सब आफिस से सीधे बॉस के घर चले गए। पार्टी शुरू हुई तो मैं सबको शराब बाँट रहा था ओर सब लोग नॉनवेज ढूंढ रहे थे जो नही था। सब लोग हैरान थे कि जो बॉस नॉनवेज के बिना न अभी खाना खाता है न कभी खिलता है, आज वेज खाना खिला रहा है, पर कोई पूछने की हिम्मत नहीं कर रहा था।
तभी मैंने देखा कि बॉस हाथ में 2 गिलास जूस के लेकर मेरी तरफ आ रहे थे, उन्होंने 1 गिलास मेरी तरफ बडा दिया और दूसरा अपने मुँह से लगा लिया। मेरे मुंह से निकला, सर् आप? बॉस मुस्कुराकर बोला, 1जनवरी को तुमने मेरे ऑफिस में जो कहानी सुनाई, तो मुझे भी अहसास हुआ
कि तुम्हारी बातो में सच्चाई है ओर मुझे गिल्ट होने लगा कि हम अपने स्वाद के लिये किसी की भी जान कैसे ले सकते है। बस,फिर मैंने उसी समय फैसला लिया कि सन 2025 में मेरा रेजोल्यूशन , नो ड्रिंक्स एंड नो नॉन वेज।
अब आप ही बताये की जब हमारा कोई अपना मिलने वाला मर जाता है और हम उसे कंधा देते हैं या उसके घरवालों से मिलते हैं तो घर आकर सबसे पहले नहाते हैं, अपने आप को शुद्ध करते हैं।
क्या फिर मुर्गे को मारकर, उसकी लाश को पकाकर खाने से शरीर के साथ साथ आत्मा भी विशुद्ध होनी चाहिये या नहीं ???
एम पी सिंह
(Mohindra Singh)
स्वरचित, अप्राकृतिक
16 Jan. 25