रंगरेज़ (भाग 9 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

मनु रामनगर आ जाती है और अनी भी….. मनु को परेशान देख कर अनी मनु से बात करता है ..

अब आगे…..

मनु डेकोरेशन का सामान हाथ में लिए हुए अपने घर आती है और वृंदा को दे देती है…

शाम को अंश की पार्टी में सब आ गए थे…. अनी की नज़रें मनु को खोज रहीं थी वो अभी आयी नहीं थी….

मालाती ने वृंदा से कहा  “सब आ गए मनु कहाँ रह गयी “?

” मैं देखती हूँ ” कह कर वृंदा उसे देखने जा ही रही थी कि सामने से मनु आती हुयी दिखायी दी उसने पीच कलर का अनारकली सूट पहना हुआ था गले में चेन जिसमें एक पेंडेंट था…. ढीली छोटी बनायी थी… छोटी सी बिंदी, आँखों में काजल और  हल्का मेकअप किया हुआ था वो बहुत प्यारी लग रही थी

“मनु “” वृंदा ने आवाज़ दी… मनु मुस्कुराती हुयी वृंदा के पास जाने लगी

“वाह आज तो हमारी मनु बहुत प्यारी लग रही है नज़र ना लगे किसी की.”.. कहते हुए मालती ने उसके कान के पीछे काला टीका लगा दिया…

“क्या माँ आप भी ना.”.. मनु ने कहा

“वैसे बात तो सच है आज तुम बहुत प्यारी लग रही हो क्या बात है ?? ” वृंदा ने उसे छेड़ते हुए धीरे से कहा

“भाभी कुछ भी नहीं है”

“मैं एक पिक ले लूँ आपके साथ “अनी ने सामने से आते हुए कहा

“हाँ.. हाँ क्यों नहीं ” वृंदा ने कहा

“मुझे नहीं..”.. मनु ने कहा

“अरे क्यों नहीं.”… अनी तुम ले लो पिक वृंदा ने कहा और मुस्कुराते हुए पिक क्लिक करवाने लगी

अनी मनु के बगल में आ कर खड़ा हो गया….मनु कि दिल की धड़कने फिर तेज़ हो गयी… अनी ने एक सेल्फी ली और मुस्कुराते हुए चला गया… मनु ने मन में कहा ” ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ “

वृंदा और बाक़ी सब आए हुए मेहमानों से बातें करने मे लग गए ….. अंश ने केक काटा सबने उसे बधाई दी और गिफ्ट…कुछ देर में खाना खा कर सब चले गए

अंश थक गया था तो वृंदा उसे सुलाने कमरे में ले गयी ..  विशम्भर जी रामेश्वर , दीनदयाल, अतुल और बाक़ी सब के साथ बैठ कर बातें कर रहे थे

मनु अंश को मिले हुए गिफ्ट्स को लेकर कमरे में जा रही थी… तभी अनी ने उस से कहा ” मैं हेल्प कर देता हूँ “और कुछ  गिफ्ट्स को मनु के हाथ से लेकर कमरे में ले जाने लगा

मनु गिफ्ट्स को अपने ही कमरे में ले जा रही थी क्योंकि वृंदा अंश को सुलाने गयी थी…. अनु ने कमरे में गिफ्ट्स को रखा और अनी ने भी…. मनु चोर नज़रों से अनी को देख रही थी….

वो  उसके पास गया और वहीं बेड पर बैठ गया…. मनु को अब घबराहट होने लगी और फिर से उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा….

अनी ने अपना मोबाइल निकाला और बोला  ” आज की पिक्स देखोगी? “और मोबाइल मनु को दिया….

मनु ने मोबाइल लिया और पिक्स देखने लगी… वो पिक्स देख कर मुस्कुरा रही थी….. अनी उठा और  उसके पास गया

मनु ने जब ये देखा कि अनी उसके पास खड़ा है ….. उसने अनी का मोबाइल उसकी तरफ बढ़ा दिया और बोली ” अच्छी है पिक्स… मुझे कुछ काम है कह कर जाने लगी…

” मनु  .”..अनी ने पुकारा

मनु रुक गयी

” इतने दिनों से जो बात  मेरे दिल में थी मुझे खुशी है  वो मैंने कह दी ” …कहते हुए वो उसके पास आ गया… उसने मनु को अपनी तरफ घुमाया और  बोला ”  मैं कल जा रहा हूँ….अपना ख़्याल रखना …. और ज़्यादा सोचना मत …इन सब बातों का तुम्हारी पढाई पर कोई असर नहीं होना चाहिए ….मैं पहुँच कर फोन करूँगा  “अनी ने आगे बढ़ कर उसके माथे को चूमा और मुस्कुराते हुए उसके कमरे से बाहर निकल गया

मनु स्तब्ध सी खड़ी थी….उसे समझ ही नहीं आया कि ये क्या हुआ?? वो वैसे ही जाकर बेड पर बैठ गयी..

“.उफ्फ़ ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ…?मैं अनी को कुछ कह क्यों नहीं पा रही हूँ.. उसे ये सब करने से रोक क्यों नहीं पा रही हूँ… क्या मुझे भी अनी से?? मनु ने अपनी आँखें बंद की और लेट गयी… “

दीनदयाल जी सबके साथ घर वापस चले गए थे… अगले दिन सबसे मिल कर अनी दिल्ली के लिए निकल गया… अनी चला गया था लेकिन मनु को सोचने के लिए छोड़ गया था…..

मनु अपने कमरे किताब हाथ में लिए बैठी हुयी कुछ सोचे जा रही … तभी वृंदा उसके कमरे में आयी और उसके कपड़े अलमारी में रखने लगी

“मनु तुम्हारे कपडे यहाँ रख दिए है… “

“हम्म “मनु ने जवाब दिया …उसने मनु की तरफ देखा तो मनु किताब के पन्ने पलट रही थी

वो मनु के पास बैठ गयी और बोली ” मनु ये किताब उल्टी करके क्या पढ़ा जा रहा है “?

मनु ने किताब को सीधा करते हुए कहा ” वो मैं…

वृंदा ने उसके हाथ से किताब ली और बोली ” क्या हुआ है मैं देख रही हूँ तुम तीन चार दिन से खोयी – खोयी सी हो … और तुम आज गयी नही अनी गया तब…. कुछ कहा है क्या अनी

ने “?

मनु ने उसकी गोदी में सिर रखा और सांस भरते हुए बोली  “भाभी अनी ने मुझे प्रोपोज़ किया है “

“ओहो तो ये बात है … “

“आपको पता है? “

” नहीं मुझे कैसे पता होगा.. तो तुमने क्या कहा “?

“मैं क्या कहती मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा…. उसने कहा सोचो और बताओ “

“तो सोचा तुमने “?

“क्या सोचूँ वो तो कह कर चला गया … “

“तुम्हें कैसा फील होता है उसके साथ ‘”

मनु ने उसकी गोदी में से उठते हुए कहा “मैं तो बचपन से उसके साथ हूँ… वो मेरी हर बात में हेल्प करता है.. हम लड़ते है… फिर मान भी जाते है … उसको मेरी और मुझे उसकी सब बात पता है…. वो एक अच्छा दोस्त है….. उसके बिना मैं अपने को अधूरा महसूस करती हूँ…. कोई बात हो मुझे उसकी सलाह चाहिए होती है… मैं उसके साथ अपने को मेहफ़ूज़ समझती हूँ…..”

वृंदा ने उसकी तरफ देखा और बोली ” जब हम किसी के साथ अपने मेहफ़ूज़ समझे…. वो हमेशा हमारे लिए खड़ा रहे.. फिर चाहे कुछ भी होतो वो रिश्ता दोस्ती से ज़्यादा हो जाता है…तुम्हारे दादा मेरे लिए कुछ ऐसे ही हो गए थे… पहले मुझे भी लगा था कि ये सिर्फ एक साथ काम करते है इसलिए है लेकिन फिर धीरे- धीरे मुझे एहसास हुआ कि ये दोस्ती से ज़्यादा है “

मनु वृंदा की बातें सुन रही थी….

” कुछ नहीं बस अपने दिल की सुनो… और अब सो जाओ… “

“हम्म …. “मनु ने कहा

वृंदा कमरे से बाहर निकली और मुस्कुराते हुए मन में ही बोली ” मैं कुछ दिनों में जान गयी तुम दोनों के रिश्ते को..तुम अभी अंजान हो उस मुहब्बत से जो तुम्हें आज से नहीं अनी से कब से है…अनी ने कह दिया बस तुम्हारा कहना  बाक़ी है “

********

दीनदयाल जी रात को वापस आ गए थे आते ही उन्होंने अनी से रामेश्वर जी के बारे में पूछा…..अनी ने उसे बताया कि वो अब ठीक हैं और कल उनको ले आयेंगे…

दीनदयाल जी ने कहा वो भी  साथ में चलेंगे …. उन्होंने अतुल को फोन किया अपने वापस आने का बताया कुछ देर उन्होंने अतुल से बात की और फोन रख दिया…

रात को डिनर करके अनी अजय के साथ कमरे में आया तो उसने पूछा ” मनु नहीं दिखी वो नहीं आयी….”

अनी ने बेड पर बैठते हुए कहा ” पता नहीं मैंने पूछा नहीं… हर बार दादा एक ही जवाब देते है…. वो ठीक ही होगी “

” क्या कुछ पता चला … ऐसे बिना किसी को बताए वो कहाँ चली गयी .. और इतने साल हो गए कुछ खबर नही है

उसकी “?

अनी ने बेड पर लेटते हुए कहा ” नहीं कुछ पता नहीं कि हुआ क्या… उसका एम बी ए हो गया था…. जॉब ऑफर उसे बहुत कंपनीज़ से आया था…. वो बहुत खुश भी थी.. उस रात फोन आया उसका तो वो कुछ बताने वाली थी मुझे बोली कल बताऊँगी…… और वो कल आया ही नहीं..

“बहुत खोजा उसे … सोशल मीडिया पर तो वो थी नही…..एक व्हाट्सएप  था लेकिन उसका नंबर आज भी बंद है मैंने कितने मेल किए उसे लेकिन कोई जवाब नहीं… एक बार तो वो मुझे बताती … लेकिन वो तो चली गयी बिना कुछ बोले… “

अजय ने” हम्म ” कहा और बेड पर लेट गया… कुछ देर में दोनों सो गए….

सुबह मनु रेडी हो कर जल्दी ही हॉस्पिटल  के लिए निकल गयी…. वो अतुल के लिए नाश्ता और रामेश्वर जी के कपड़े ले कर गयी थी…… वो हॉस्पिटल पहुँची तो रामेश्वर जी के कमरे में अतुल के अलावा दो लोग और थे…. वो मुस्कुराते हुए कमरे गयी और बोली ” गुड मोर्निंग सबको “

सबने उसकी तरफ देखा अतुल ने उस से कहा.. “आ गयी

तुम? “

हाँ दादा … और माँ ने नाश्ता भेजा है और इसमें आपके कपड़े और पापा के कपड़े है.. आप फ्रेश हो जाइए नाश्ता करिए  फिर बाक़ी फोर्मेलिटि पूरी करेंगे….

अतुल ने उसके हाथ से बैग लिया….रामेश्वर जी ने मनु को अपने पास बुलाया और जो दो लोग कमरे में थे उनका परिचय कराते हुए बोले ” ये रघुनंदन अग्रवाल जी है  हमारे दोस्त और ये उनका बेटा शशांक… और ये हमारी बेटी मनस्वी जिसे हम प्यार मनु कहते है…. “

मनु ने रघुनंदन जी को नमस्ते किया और शशांक को हैलो बोला

“कब आयी बेटा तुम…? “

“जी कल आयी… “

“अतुल ने बताया था कि तुम बाहर जॉब करती हो… “

“जी …. न्यूयॉर्क में “

अतुल अपने कपड़े ले कर वाशरूम में गया और कुछ देर बाद चेंज कर के आ गया

मनु ने तब तक नाश्ता लगा दिया था….. उसने रघुनंदन जी और शशांक को भी नाश्ता करने के लिए बोला लेकिन उन्होंने मना कर दिया सिर्फ चाय ले ली …

मनु ने अतुल से कहा दादा आप नाश्ता कीजिए तब तक मैं पूछ कर आती हूँ कितनी देर में डॉक्टर आयेगें और पापा के डिस्चार्ज के पेपर्स रेडी करने के लिए बोलती हूँ…

अतुल ने ठीक है बोला मनु जाने लगी तो रघुनंदन जी ने कहा..” .रुको बेटा…शशांक  तुम जाओ मनु के साथ “

“अंकल मैं चली जाऊँगी “

“हाँ पता है आप चले जाओगे लेकिन आपको कंपनी मिल जायेगी बस इसलिए ले जाओ “

मनु ने फिर कुछ नही कहा

शशांक मनु के साथ reseption पर आ गया और मनु रामेश्वर जी के बारे में और डॉक्टर के बारे में पूछने लगी..

वहाँ जो लड़की बैठी थी उसने बताया डॉक्टर थोड़ी देर में आयेंगे और वो बतायेंगे तभी पेपर्स रेडी हो जायेंगे….

मनु शशांक के साथ वापस आ रही थी…. शशांक ने उस से कहा ” अंकल जब मिलते थे  बहुत तारीफ करते थे आपकी आज आपसे मिलना भी हो गया “

मनु बस मुस्कुरा दी….

मनु ने उसके बारे में पूछा तो उसने बताया की वो सॉफ्टवेयर इंजिनियर है और दिल्ली में एमएनसी में काम करता है…..अभी तीन साल पहले ही रामनगर शिफ्ट हुए है…. रघुनंदन जी एक बार यहाँ आये थे उन्हें ये जगह अच्छी लगी तो यहीं घर ले लिया.. अभी एक साल पहले वो रिटायर हो गए… और यहाँ आ गए…….

वो दोनों बातें करते हुए जा रहे थे कि मनु को  सामने से दीनदयाल जी, अनी और अजय आते हुए दिखायी दिए…..

मनु  अनी को देख कर वहीं रुक गयी . और अनी उसे देख कर रुक गया….. !!

क्रमश:

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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