रंगरेज़ (भाग 7 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

अजय अनी के साथ रामनगर उसके घर आता है और कुछ समय बिता कर दिनों वापस चले जाते है….

अब आगे…

समय अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था … अनी हर छुट्टियों में आता और कुछ दिन रह कर चला जाता…… उसने अभी तक अपने मन की बात मनु को नहीं बतायी थी…..मनु ने 12th में भी टॉप किया था…. और graduation में addmission ले लिया था…..साथ में वो CAT की भी तैयारी कर रही थी…अनी से उसकी बात लगभग रोज़ ही होती थी……इसी के साथ वृंदा ने भी एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया था जो दोनों घरों का खिलौना था उसका नाम उन्होंने  अंश रखा था…..

अनी  का एम बी बी एस पूरा हो गया था और एक साल की internship करनी थी इसी बीच उसकी मुलाक़ात डॉ. बिजॉय घोष से हुयी थी…. पढ़ने में अनि, अजय और विधि तीनो ही अच्छे थे….. अनी का intrest देखते हुए ही डॉ बिजॉय ने उसे रिसर्च करने की सलाह दी थी…

घर जाने से एक दिन पहले उनके सभी क्लास मटेस् ने छोटी सी पार्टी रखी थी..

अनी और विधि एक ही टेबल पर बैठे हुए थे तभी अजय उनके पास आया और बोला ” अनी ज़रा फोन देना मैं चार्ज करना भूल गया.. घर से फोन आ रहा था.. “

अनि ने अपनी पॉकेट में सी फोन निकाला और उसे दे दिया….

कुछ देर बाद अजय वापस आयर और उसने अनी का फोन वापस देतेर हुए कहा ” मनु का फोन आ रहा है “

मनु का नाम सुनते ही अनी के चेहरे पर  बड़ी सी smile आ गयी…

उसने अजय के हाथ से फोन लिया विधि को एक्सक्युज़ मी कह कर वो मुस्कुराते हुए मनु का नंबर मिलाते हुए उठ गया..

विधि ने अजय से पूछा” ये मनु कौन है…? पहली बार नाम सुन रहीं हूँ “

अजय ने चेयर पर बैठते हुए कहा ” मनु….मनस्वी नाम है उसका अनी की नेबर है.. “

अच्छा… उसने थोड़ा रुकते हुए फिर पूछा…” क्या करती है “?

“Graduation final  में है… मैं गया अनी के साथ तब मिला था “

“अच्छा तो कुछ काम होगा ?? “विधि ने अनी की तरफ देखते हुए पूछा जो मुस्कुराते हुए मनु से बात कर रहा था

“नहीं घर जैसा रिश्ता है  ” अजय ने कहा

अजय ने देखा विधि अनी को देखे जा रही है…. उसने कहा ” विधि अगर अनी के लिए कुछ फीलिंग्स है तो उन्हें वहीं पर रोक लो…. क्योंकि मनु उसकी नेबर ही नहीं उसकी मुहब्बत भी है…. “

विधि ने हैरानी से अजय की तरफ देखा…

” सच कह रहा हूँ मैं…. मैंने देखा है दोनों को क़रीब से….बचपन से साथ हैं दोनों….ऐसी मुहब्बत बहुत कम देखने को मिलती है…. लेकिन अनी ने अभी तक उसे बताया नहीं है….. “

“मतलब? “

“मतलब ये कि अनी ने उस से इज़हार नहीं किया है “

“क्या पता वो किसी और को चाहती हो? “विधि ने कहा

” तुमने देखा नहीं ना अभी तक इसलिए बोल रही हो…..मैं शब्दों में बता नहीं सकता कि इन दोनों के बीच क्या रिश्ता है..

“हो सकता है वो उसे अच्छे दोस्त की तरह ट्रीट करता हो ….कभी – कभी होता है कि कोई बहुत अच्छा लगता है तो उस से बन जाता है रिश्ता …. Attraction हो जाता है…और जो नेबर्स होते है उनके साथ तो ऐसा अक्सर हो जाता है …उसमें कोई बड़ी बात नहीं है…. फिर समय के साथ जब हम आगे बढ़ते है तो खत्म भी हो जाता है… इसलिए तुम्हें लगता है कि अनी मनु से मुहब्बत करता है… “

“तुम आज़मा के देख लो जवाब तुम्हें खुद मिल जायेगा “अजय मुस्कुराते हुए बोला

कुछ देर में अनी मनु से बात करके वापस आ गया….

विधि ने पूछा ” बड़ी देर तक बात कर रहे कौन है ये मनु तुमने कभी बताया नही “?

अनी ने अजय की तरफ देखा… अजय ने अपनी गर्दन हिला कर हाँ कहा… अनी मुस्कुराते हुए बोला… “सब कुछ है…. मेरी दोस्त, मेरी राज़दार, मेरा सुकून और मेरी पहली और आखरी मुहब्बत…”

“तुमने कभी बताया नही ” विधि ने कहा

“जिसको बताना चाहिए उसे ही नही बताया अभी तक ” और हँसने लगा

“चलें डिनर कर लें कल जाना है “….. अजय ने कहा

अनी अपनी जगह से उठा लेकिन विधि नही उठी….. अनी ने उसे कहा ” चलो “

“मैं आती हुँ तुम चलो “

अजय के साथ अनी चला गया….

कुछ देर बाद सबने डिनर किया और अपने  होस्टल की तरफ निकल गए….

अगले दिन अनी रामनगर के लिए निकल गया और अजय मुंबई के लिए… अनी ने सोच लिया था इस बार मौका देख कर अपने दिल की बात मनु से कह देगा ..

मनु अपनी पढाई में लगी हुयी थी…. उसे CAT  क्लीयर करना था….

अनी को आए हुए काफी दिन हो गए थे…लेकिन वो अपने दिल की बात अभी तक मनु से कह नहीं पाया था…..उसके वापस जाने में सिर्फ तीन दिन बचे थे…..

अंश का बर्थडे था रामेश्वर जी ने घर में पूजा रखी थी…. फिर शाम को पार्टी थी… सब  तैयारियों में लगे हुए थे ..

मनु अनी के साथ केक का order देने और बाक़ी पार्टी के डेकोरेशन का सामान लेने के लिए मार्किट गयी थी….लौट कर . थोड़ा सामान वो अपने साथ ले आयी थी बाक़ी उसने अनी को दे दिया था… ये कह कर कि कल ले लेगी…

शाम को वृंदा ने मनु से पूछा ” मनु वो डेकोरेशन के सामान के साथ मैंने तुम्हें जो चूड़ियाँ लाने के लिए बोला था वो दे दो मैं सेट कर के रख देती हूँ… “

“भाभी उसी सामान में होंगी. जो मैंने आपको दिया  “

“नहीं उसमें नहीं है मैंने देखा… “

“लेकिन मैंने तो ली थी…. अच्छा शायद अनी के पास होंगी मैं कुछ सामान वहीं छोड़ कर आयी हूँ अभी आयी लेकर…

मनु छत पर से होती हुयी अनी के घर उतर गयी….. और अनी के कमरे में गयी तो वो वहाँ नहीं था… मनु ने मन में बोला “अब ये कहाँ गया “? तभी उसे टेबल पर लाया हुआ सामान रखा दिखा…

“ये यहाँ है देखती हूँ इसी में होंगी भाभी की चूड़ियाँ ” कहते हुए वो टेबल की तरफ बढ़ गयी और रखे हुए सामान में चूड़ियाँ देखने लगी…

“ये रही मिल गयी”…. उसने चूड़ियाँ लीं….और पीछे घूमी ही थी कि अनी से टकरा गयी…. वो गिरने को हुयी तो अनी ने उसे थाम लिया…. अनी का एक हाथ उसके हाथ में और एक उसकी कमर पर था…. मनु ने अपनी आँखों को बंद कर रखा था.. उसने धीरे से अपनी आँखें खोली तो अनी उसे ही देख रहा था….वो संभल कर खड़ी हो गयी और बोली – “वो मैं भाभी की चूड़ियाँ लेने आयी थी …और जाने लगी… “

अनी ने पीछे से उसका हाथ पकड़ा तो मनु पीछे घूमी… उसने इशारे से पूछा ” क्या हुआ? “

अनी उसकी तरफ देख रहा था वो कुछ कदम आगे बढ़ा और उसके पास आ गया… मनु हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी…..

अनी ने उसके खुले हुए बालों को धीरे से उसके कान के पीछे किया..

.”अनी ये…?”.

.मनु कुछ बोलती उस से पहले अनी ने उसके होंठों पर अपनी उंगली रख दी और उसको आंखों में देखते हुए बोला ” कुछ मत कहना बहुत मुश्क़िल से मैंने हिम्मत जुटायी है…. मुझे कहने दो … “

मनु उसे देखे जा रही थी…. अनी फिर बोला ”  मनु पता नहीं ये कब हुआ कैसे हुआ….बस हो गया…तुम्हारी बातें,  शरारते ….तुम्हारा मुझे परेशान करना ये सब कब मुझे अच्छा लगने लगा…..कब  तुम मेरे दिल में उतर  गयी मुझे पता नही चला ……. जब मैं यहाँ से गया तो पता चला तुम दोस्त से ज़्यादा हो….धीरे- धीरे मुझे एहसास हुआ कि  मैं तुम्हारे बिना रह नहीं सकता…

“अनी ये तुम क्या कहे जा रहे हो?? “

“सच बोल रहा हूँ….”

मनु थोड़ा पीछे हुयी तो अनी ने उसे अपनी तरफ खींचा मनु अनी के बहुत क़रीब खड़ी थी….. उसकी पलकें झुक गयी

“देखो मेरी तरफ…”

मनु ने अपनी पलकों को ऊपर किया

“क्या तुम ऐसा महसूस नहीं करती…. कि कुछ है जो हम दोनों के बीच है…. जो दोस्ती या और कोई रिश्ते से ज़्यादा है….”

मनु के दिल की धड़कनें अनी की बातों से तेज़ हो गयीं थी….. ऐसा कोई पहली बार नही था कि अनी उसके इतना क़रीब था…. लेकिन आज कुछ अलग था उसके क़रीब होने से मनु अपने में ही सिमटी जा रही थी

वो मुड़ी तो पीछे से अनी ने उसे अपनी बाहों के घेरे में ले लिया तो मनु की आँखें बंद हो गयी… उसने वैसे ही मनु को पकड़े हुए कहा…. “बोलो क्या तुम ऐसा महसूस नहीं करती  जैसा मैं कर रहा हूँ “

मनु शांत खड़ी थी लेकिन उसके दिल में जैसे तूफान उठ रहा है उसकी धड़कनें बढ़ती ही जा रही थी….

अनी ने धीरे से उसके कान के पास आते हुए कहा….. मुझे कोई जल्दी नहीं है तुम आराम से जवाब दो…. मुझे जो कहना था मैंने कह दिया….. ये कह कर उसने मनु को अपनी बाहों के घेरे से आज़ाद कर दिया….

मनु ने अपनी आँखें खाली…. और बिना देरी किए भागते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरी और अपने घर चली गयी….

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मनु ने टैक्सी में बैठ कर अतुल को फोन किया….

हाँ मनु बैठ गयी टैक्सी में?

हाँ दादा… पापा अब कैसे है?

ठीक है शायद उन्हें कल तक छोड़ दें….

कुछ खाया तुमने?

नहीं दादा मन नहीं है मेरा

शिव को फोन दो….

मनु ने शिव को फोन दिया

शिव….

जी सर

गाड़ी रोक कर कहीं कुछ खिला दो मनु को अभी टाइम लगेगा आने में..

जी ठीक है….

शिव ने टैक्सी वाले को किसी ढाबे या रेस्टुरेंट में रोकने के लिए बोला….

अनिरुद्ध अजय के साथ मुंबई से दिल्ली आ गया था और आगे का सफर टैक्सी से करने वाला था…….

क्रमश:

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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