रंगरेज़ (भाग 17 ) (अंतिम भाग) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…

शशांक मनु बुरा भला कहता है और तब अनी मनु से उस मंडप में शादी कर लेता है..

अब आगे….

अनी ने मनु से सबके सामने शादी की थी… वो मनु का हाथ पकड़ कर सबका आशीर्वाद लेने के लिए आगे बढ़ता है….

सबसे पहले वो विषम्भर जी और कल्याणी के पास जाता है .. अनी और मनु दोनों उनके पैर छुए..विषम्भर जी ने अनी और मनु के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया….कल्याणी ने भी दोनों को आशीर्वाद दिया … अनी और मनु ने एक- एक करके सबके पैर छुए  और सब उन्हें आशीर्वाद दिया…. रामेश्वर जी थोड़ा दूर खड़े थे… अनी और मनु ने उनके पैर छुए तो रामेश्वर जी की आँखों में आँसू आ गए उन्होंने मनु को गले से लगाया और रोने लगे… मनु ने भी उन्हें कस के पकड़ रखा था दोनों की आँखों में आँसू थे…. मालती ने आगे बढकर दोनों को अलग किया और मनु को गले से लगा लिया…

” अब सब घर चलें “….विषम्भर जी ने कहा

रामेश्वर जी ने अतुल और वृंदा को सब मेहमानों को देखने के लिए बोला और खुद सबके साथ घर आ गए

सब मेहमानों को वापस होटल में छोड़ कर और सबके लिए खाने की व्यवस्था कर के अतुल और वृंदा घर पहुँचते है

सब मनु के घर ही थे…… अनी और मनु दोनों एक कोने में खड़े थे बाक़ी सब बैठे थे…

मालती ने रामेश्वर जी से कहा ” अब शादी हो गयी है तो बच्चों को माफ़ कर दीजिए… वैसे भी अनी हमारे घर का ही है और….

मालती आगे कुछ बोलती उस से पहले रामेश्वर जी बोले ” और ये सब जो शशांक बोल कर गया…. इतने मेहमानों के सामने मनु को इतना कुछ कह गया…. इन सबकी नौबत ही नहीं आती अगर ये दोनों पहले बता देते “

रामेश्वर जी का गुस्सा बढ़ रहा था…. तभी अनी उनके पास नीचे बैठ गया और उनके पैरों को छूते हुए बोला ” काका आप गुस्सा मत हो… आप जो चाहे मुझे सज़ा दें लेकिन शांत  हो जाइए.. “

विषम्भर जी ने कहा ” रामेश्वर सच तो ये है कि हम भी मनु को अपने घर की बहू बनाना चाहते थे.. और हम सब तैयार भी थे लेकिन जिस दिन दीनदयाल  तुमसे बात करने आया उसी दिन तुमने शशांक से मनु का रिश्ता तय कर दिया था…. वैसे हम ये बात नहीं जानते थे कि अनी मनु से… ” उन्होंने इतना ही कहा

रामेश्वर जी ने कहा ” मैं खिलाफ़ नहीं हूँ इस शादी के लेकिन बस ये सब जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था “

“हाँ आप कह सही रहे है ” दीनदयाल जी ने कहा और गुस्से से अनी की तरफ देखने लगे अनी ने अपनी नज़रें नीची कर ली..

“लोग तो हर बात का बतंगड बना देते है थोड़े दिन बोलेंगे फिर सब भूल जायेंगे ” इस बार सावित्री ने कहा वैसे मैं तो बहुत खुश हूँ मनु अनी की दुल्हन बन कर हमारे घर आयेगी क्यों अम्मा सही कहा ना “?

कल्याणी ने मुस्कुराते हुए कहा ” हाँ मेरी तो बहुत इच्छा थी कि मनु आए अनी की बहू बन कर “

“तो अब जब कोई गुस्सा है ही नहीं है तो हम बाक़ी की रस्में कर लें ” वृंदा ने उत्साहित होते हुए कहा

“बाक़ी की रस्म “मालती ने कहा

“अरे माँ अब हमें मनु की विदाई की तैयारी भी तो करनी है “

मालती ने मुस्कुराते हुए कहा  ” हाँ चलो मेरे साथ “

वृंदा मनु को अपने साथ ले गयी और उसे कमरे में बैठा दिया

अनी को रामेश्वर जी ने उठाया और गले से लगा लिया…. सब खुश थे लेकिन इनमें जो सबसे ज़्यादा खुश थे वो थी वृंदा और अजय….

अजय ने आगे बढ़ कर अनी को गले से लगाते हुए कहा ” शादी मुबारक हो मेरे यार “अनी ने भी कस कर उसे पकड़ लिया

अतुल जो ये सब देख रहा था अनी उसके पास गया अपने कान पकड़ते हुए अतुल की तरफ देखने लगा…

अतुल को हँसी आ गयी उसने एक हाथ अपना उसे मारने के लिए उठाया और फिर मुस्कुराते हुए अनी को गले से लगा लिया…

कुछ देर में मालती और वृंदा मनु को बाहर ले आए…. मनु की विदाई के वक़्त सबकी आँखें नम हो गयी….

सावित्री ने कहा ” अरे आप सब ऐसे मत करिए मनु बस एक घर से दूसरे घर जा रही है… और वो अभी भी छत पर से ही आयेगी क्यों मनु “?

सावित्री की इस बात पर सब हँस दिए…

मनु अपने घर से विदा होकर अनी के घर आ गयी…

सावित्री ने अनी और मनु को दरवाज़े पर ही रोक दिया….. और कुछ देर में एक कलश में चवाल, आलते की थाल और आरती की थाली ले कर आ गयी….

सावित्री ने दोनों की आरती उतारी….और कहा ” चलो मनु अपने दोनों हाथों की छाप दरवाज़े के दोनों तरफ लगा दो और फिर  पैर से इस कलश को गिरा कर आलते की थाल में रख कर घर में आओ “

मनु ने वैसा ही किया….. मनु के घर में आते ही सावित्री ने उसे गले से लगा कर कहा ” तुम्हारा इस घर में स्वागत है आज से ये घर तुम्हारा है वैसे तो पहले भी था लेकिन आज से पूरे हक़ से तुम्हारा हो गया “

मनु मुस्कुरा दी…. उसने सबके पैर छुए .. ये सब होते – होते शाम हो गयी थी…सावित्री सबके लिए चाय और नाश्ता ले आयी थी…

कल्याणी ने कहा ” अब शादी हो गयी तो सबको बताना भी होना… पूजा भी करनी होगी.. “

विषम्भर जी ने कहा” तो कल कर लेते है ये सब”

“पंडित जी से पूछ लेते है एक बार ” कल्याणी ने कहा

विषम्भर जी ने पंडित जी को फोन लगा कर सारी बात बतायी उन्होंने कुछ देर में वापस से फोन करेंगे ऐसा कहा…

कुछ देर में पंडित जी का फोन आया और उन्होंने एक दिन बाद पूजा रखने के लिए कहा..

दीनदयाल जी ने कहा ‘ ठीक है कुछ तैयरियों का समय हमें भी मिल गया .. और अब बच्चों को रेस्ट करने दो….”

ये सुनकर अनी खुश हो गया

“हाँ ठीक है.. मनु अभी तुम मेरे कमरे में चलो कुछ देर रेस्ट कर लो ” मालती ने कहा

“अरे आपके कमरे में क्यों ? ” मेरा कमरे में क्यूँ नहीं ” अनी ने पूछा

“वो इसलिए बेटा जी कि अभी कुछ रस्में बाक़ी है… शादी तो तुमने कर ली लेकिन हमें रीति रिवाज़ भी तो निभाने है जब तक सब हो नहीं जाता तब तक मनु मेरे कमरे में ही रहेगी ” मालती ने कहा

“और आप तब तक या तो अपने बेटे के कमरे में रहे या अम्मा बाउजी के ” मालती ने दीनदयाल जी की तरफ देखते हुए कहा

दीनदयाल जी ने हँसते हुए अनी से कहा “देख लो बहू के लिए अपने पति को कमरे से बाहर निकाल दिया तुम्हारी माँ ने.. संभल कर बेटा जी “

मालती मनु को लेकर चली गयी बाक़ी सब अनी को देख कर मुस्कुरा रहे थे अजय उसके पास गया और बोला ” हाय री किस्मत इतना सब हो जाने के बाद भी मनु से दूरी “और हँसते हुए उसने अनी का कन्धा थपथपाया और कमरे में चला गया

अनी ने बुरा सा मूँह बनाया और अपने कमरे में चला गया….

अगले दिन मनु ने लाल  रंग की लाल बॉडर वाली साड़ी पहनी…उसके गीले बाल कमर तक आ रहे थे …पानी की कुछ बूँदें अभी भी उसके बालों से टपक रही थी… हाथों में भरी हुयी चूड़ियाँ माथे पर लाल बिंदी और माँग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र वो बहुत प्यारी लग रही थी  ….मनु अपनी साड़ी की प्लेट्स ठीक कर रही… मालती उस समय कमरे में नहीं थी….. अनी ने इधर – उधर देखा मालती के कमरे में चला गया …मनु नीचे देखते हुए प्लेट्स को सीधा कर रही थी…

तभी अनी उसके पास आया और उसके बहुत पास जा कर बोला ” गुड मोर्निंग “

मनु चौँक गयी और गिरने को हुयी तो अनी ने उसे संभाल लिया मनु ने अपनी आँखें बंद कर ली….. अनी वैसे ही उसे देखे जा रहा था….. कुछ मिनट बाद मनु ने आँखें खोली और बोली ” तुम … आप यहाँ “?

अनी ने उसे सीधा खड़ा किया और बोला ” तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो कि मैं बता नहीं सकता …. पहले पता होता तो “

“तो “अनी के पीछे खड़ी हुयी मालती ने पूछा

“तुम्हारी आवाज़ माँ जैसी क्यों लग रही है “?

“क्योंकि ये तुम्हारी माँ की ही आवाज़ है बेटा उन्होंने अनी का कान खींचते हुए कहा मना किया था ना तुम्हें यहाँ आने से ” मालती ने कहा

“माँ ये तो सरासर अन्याय है..”

“कोई अन्याय नहीं है चलो जाओ बाहर…”

मनु हँसने लग तो अनी ने उसकी तरफ देखा और मन ही बोला ” एक बार ये सब हो जाने दो फिर मैं देख लूँगा तुम्हें ” और बाहर चला गया….

सब तयारियों में लगे हुए थे और पूजा का दिन भी आ गया…. विषम्भर जी ने अपने सभी जानने वालो को पूजा में बुलाया था….. अनी और मनु ने पूजा की सबने दोनों को आशीर्वाद दिया और गिफ्ट्स दिए….. शाम को मनु की रसोई पूजन की और बाक़ी रस्में भी मालती ने करवा दी थी..

रात को मालती ने मनु अनी के कमरे में पहुँचा दिया था…. अनी सबसे बात करके जब अपने कमरे में पहुँचा तो मनु खिड़की के पास खड़ी हुयी थी…. अनी ने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और मनु के पास जा कर उसे अपनी बाहों में भर लिया…मनु ने अपने दोनो हाथ उसके हाथ पर रख दिए…

अनी ने उसे वैसे ही बाहों में पकड़े हुए कहा ” देख रहा हूँ जब से शादी हुयी है तुम चुप – चुप सी हो क्या बात है ‘”?

मनु ने कहा ” मैं कुछ बताना चाहती हूँ तुम्हें… आपको “

“तुम ही ठीक है कहो क्या बताना चाहती हो “? अनी ने कहा

“ये बात तुम्हारे घर वालों में से अम्मा और बाउजी  को पता है.. माँ पापा को ये बात पता है या नहीं मुझे नहीं पता बाक़ी मेरे घर

में सबको पता है….. मनु ने थोड़ा रुकते हुए कहा ” मैं पापा की बेटी नहीं हूँ… मुझे गोद लिया था उन्होंने “

“तो ” अनी ने कहा

“तो गोद लेने वाले लोग धोख़ा देते है ऐसा मैंने कल्याणी अम्मा को कहते सुना… और मैं डर गयी “

“और इसलिए सब कुछ छोड़ कर चली गयी सबसे दूर मुझसे भी.. और उस शशांक से शादी कर रहीं थी “

मनु अनी की तरफ घूमी और उसे हैरानी से देखने लगी….

“सब बात पता है तुम्हें लेकिन आगे की बात नहीं पता मैंने अम्मा से बात की थी और अनी ने बाक़ी की सब बात उसे बता दी “

मनु की आँखों से आँसू बहने लगे  अनी ने उसके आंसूओ को पोछते हुए कहा ” एक बार मुझसे बात तो करती… पागल लड़की इतना सब अकेले कर गयी और सोचा अगर जैसा तुमने सोचा वैसा हो जाता तो क्या होता “

उसने मनु को गले से लगा लिया और मनु ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया… कुछ देर बाद अनी ने उसे अलग किया और अपनी पॉकेट से निकाल कर उसे एक बॉक्स दिया… मनु ने उसे खोला और देखा तो उसमें चेन के साथ पेंडेंट था जिसमें

ए एम  लिखा  हुआ था अनी ने उसे वो चेन पहनायी और उसके गालों को चूम लिया…

मनु शर्मा कर जाने लगी तो अनी ने उसका  हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा मनु अनी के बहुत पास खड़ी थी दोनों एक दूसरे कि आँखों में देख रहे थे… अनी मुस्कुराया और उसने अपने होंठ मनु के होंठों पर रख दिए….. आज अनी मनु का और मनु अनी की हो गयी थी हमेशा के लिए…..प्रेम ने दोनों को रंगरेज़ बन कर अपने रंग में रंग लिया था….

कुछ दिन सबके साथ रह कर मनु अनी के साथ अपनी नयी ज़िंदगी शुरू करने  मुंबई चली गयी …. !!

ये थी अनी और मनु की प्रेम कहानी… इस कहानी के साथ बने रहने  और इसको  इतना प्यार देने के  लिए दिल से शुक्रिया

समाप्त

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धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर 

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