अब तक आपने पढ़ा…..
रोके की रस्म में मनु बेहोश हो जाती है…. पंडित जी शादी का डेट बता कर चले जाते हैं….
अब आगे ….
रामेश्वर जी के कहने पर सबने खाया खाया और सब मेहमान उनसे मिल कर चले गए थे …
अब बस दीनदयाल जी का परिवार ही मनु के घर था….. मनु भी सो गयी थी ….. वृंदा उसके कमरे से बाहर निकल कर आ गयी
रामेश्वर जी ने अनी को आते देखा तो उसे अपने पास बुलाया….
“क्या हुआ मनु को..”?.
अनी ने कहा ” कुछ नहीं काका उसने कुछ खाया नहीं था और थोड़ा स्ट्रेस था… इसलिए ऐसा हो गया आप फिक्र ना करें वो ठीक है “
“और कोई बात तो नहीं ना? ” सावित्री ने पूछा
“नहीं अम्मा कोई बात नही है आप सब बेकार में चिन्ता कर रहे है ..”
सब अनी की बात से आश्वस्त हो गए…
दीनदयाल जी ने उठते हुए कहा ” आप सब भी अब आराम कीजिए बाक़ी कोई बात होगी तो हम कल कर लेंगे “
दीनदयाल जी सब के साथ घर आ गए… अनी और अजय दोनो कमरे में चले गए…
अगली सुबह अनी रेडी हो कर मनु के घर आया उसने वृंदा से मनु के बारे में पूछ लिया थाकि वो उठ गयी है या नहीं…
अनी को आया हुआ देखकर मालती ने उसे बैठने के लिए बोला और मनु को जाकर देख कर आयी….. मनु उठ गयी थी
मालती ने अनी को मनु के कमरे में ही जाने के लिए बोल दिया…
अनी मनु के कमरे में गया तो मनु जूस पी रही थी वो उसके पास गया और उसके माथे पर हाथ रखते हुए पूछा ” कैसा फील कर रही हो “?
“ठीक हूँ “
“खाने से कौन सी दुश्मनी है? जो कल कुछ नहीं खाया तुमने “? अनी उसकी पास बैठ गया और उसकी नब्ज़ देखने लगा
मनु कुछ नहीं बोली ….
अनी ने जूस का गिलास उसके हाथ से लिया और टेबल पर रख दिया…
“तुम एक दिन रेस्ट करो सब ठीक है बस वीकनेस है वो ठीक हो जायेगी ” कहते हुए उनसे मनु का तकिया ठीक किया और उसे लेटने के लिए बोला…..
तभी मालती कमरे में आयी उसके साथ शशांक भी था…. शशांक ने अपने साथ लाया हुआ फूलों का गुलदस्ता मनु को दिया और पूछा ” अब आपकी तबियत कैसी है? “
” ठीक हूँ ” मनु ने जवाब दिया
फिर शशांक ने अनी की तरफ देखा और बोला
“हैलो…डॉ अनिरुद्ध ” और अपना एक हाथ अनी की तरफ बढ़ाया
अनी ने भी हाथ बढ़ाया और उस से हाथ मिलाते हुए बोला ” हैलो मिस्टर शशांक “
“आप इन्हें देखने आए होंगे ” शशांक ने कहा
“जी “अनी ने जवाब दिया
“कोई घबराने वाली बात तो नहीं है “?
“नही… कुछ नहीं बस थोड़ी सी वीकनेस है ठीक हो जायेगी “
‘”हाँ ठीक तो इन्हें होना ही पड़ेगा…. एक महीने में हमारी शादी जो है “
अनी और मुं दोनों ने हैरानी से शशांक की तरफ देखा “एक महीने में “अनी ने कहा
” हाँ पापा वही बात करने आए है… वो हमारी बुआ जा रही है चार धाम की यात्रा पर… फिर वो आ नहीं पायेंगी इसलिए शादी एक महीने में ही होगी ” शशांक ने मनु की तरफ देखते हुए कहा
अनी ने मनु को आराम करने का कह बाहर आ गया….
शशांक अंदर मनु के कमरे में ही था उसने अपनी पॉकेट से एक बॉक्स निकला और मनु को देते हुए बोला ” ये मैं आपके लिए लाया था कल देना था लेकिन आपकी तबियत खराब हो गयी इसलिए दे नहीं पाया.. “
मनु ने कुछ संकोच के साथ उसके हाथ से बॉक्स ले लिया ..
“अभी मैं चलता हूँ आप रेस्ट करें…. और ये मेरा मोबाइल नंबर है शशांक ने उसे एक कार्ड देते हुए कहा “
मनु ने कार्ड लिया और साइड में रख दिया
शशांक हल्के से मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकल गया
शशांक बाहर आया तो रामेश्वर जी और रघुनंदन जी आपस में गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे
मालती ने शशांक के आगे मिठाई की प्लेट करते हुए कहा ” बधाई हो शशांक बेटा एक महीने बाद आपकी शादी की डेट हमने फिक्स कर दी है “
शशांक ने मुस्कुराते हुए प्लेट में से मिठाई का एक टुकडा उठाया और झुक कर मालती और रामेश्वर जी के पैर छुए… रामेश्वर जी ने उसे गले से लगा लिया..
अनी खड़े हुए ये सब देख रहा था और सोच रहा था “एक महीना…. “
“अरे अनी तुम क्या सोचने लगे ” ?रामेश्वर जी ने कहा.. “अगर छुट्टी नहीं है तो ले लो क्योकिं तुम्हारी दोस्त की शादी है तो तुम्हारे बिना कैसे होगी “
अनी ने मुस्कुराते हुए मन में सोचा” मेरे बगैर तो शादी वैसे भी नहीं होगी ” और सिर हिला कर रामेश्वर जी को हाँ कहा
कुछ देर में रघुनंदन जी और शशांक चले गए अतुल और वृंदा उस वक़्त घर पर नहीं थे जब वो लोग शाम को आए तब उन्हें पता चला कि शादी की डेट फिक्स हो गयी है…
वृंदा ने समय मिलते ही अनी को msg किया…
“रोका हो गाय, शादी की डेट भी फिक्स हो गयी और आपने अब तक कुछ नहीं किया शादी भी हो जाएगी… फिर बैठे रहना और सोचना कि काश मैंने कुछ किया होता “
अनी ने जब वृंदा का msg देखा तो मुस्कुराने लगा… और उसने msg किया..
“भाभी आप फिक्र मत करों रिलेक्स “
“हाँ.. रिलेक्स ही तो कर रही हूँ मैं और कल से शादी की तैयारी भी शुरू हो जायेगी…”
“भाभी मैं कर रहा हूँ जो मैं कर सकता हूँ… अब आपकी जो ये मनु है ना… मान ही नहीं रही है … मैं कोशिश कर रहा हूँ.”
“हाँ अभी तो हमारी है और कल शशांक की हो जायेगी “
“ऐसा कुछ नहीं होगा… “अनी ने कहा
“लेकिन मुझे तो ऐसा ही होते नज़र आ रहा है ” चलो मुझे काम है बाक़ी देख लो आप
बाय
बाय अनी ने msg किया और फोन रख दिया….
किसका msg था अजय ने पूछा ” भाभी का “
“क्या बोल रहीं थी “
“शादी की डेट फिक्स हो गयी और मैंने कुछ किया नहीं “
“सही तो कह रही है…. तुम बस बैठे रहो देखना शादी भी हो जायेगी फिर घूमना देवदास बन करने . और करना मनु मनु “
अनी ने अजय की तरफ देखा
” क्या? ” एक तो भाभी तुम्हारी मदद कर रहीं हैं और तुम हो कि कुछ नहीं कर रहे “
“मैं जो कर सकता हूँ कर रहा हूँ..”
“ठीक है करो फिर मैं भी देख रहा हूँ “
इधर मनु के घर में शादी की तैयारी शुरू हो गयी थी… एक ही महीना था और काम बहुत थे….. शशांक ने मालती से मनु का फोन नंबर ले लिया था उसने कॉल किया मनु ने देखा अननोन नंबर है उसने कॉल पिक किया और बोली
“हैलो “
“शशांक बोल रहा हूँ … कैसी है आपकी तबियत अब? “
मनु ने फोन की तरफ देखा… फिर बोला “जी ठीक हैं “
” गुड….आपने फोन नहीं किया तो मैंने आपकी मम्मी से फोन नंबर ले लिया आपका “
“हाँ वो मैं….. “
“समझ सकता हूँ… कोई बात नहीं.. वैसे आपसे कुछ पूछना था “
“जी पूछे “
“कुछ अपने बारे में बता दें .. जैसे कि आपको क्या पसंद है…ये सब इतना जल्दी हो रहा है कि आपसे ज़्यादा मिलने का मौका नहीं मिला “
मनु के होंठों पर शशांक की बात सुनकर मुस्कान आ गयी थी… वो उठी और खिड़की के पास खड़े होकर शशांक की बातों का जवाब देने लगी…. बिना ये जाने कि अनी उसके कमरे में आ चुका था
कुछ देर में मनु ने फोन रख दिया वो घूमी तो अनी खड़ा था…..
अनी ने पूछा “ये किस से बात कर रहीं थी तुम “?
“शशांक से… “
“कुछ ज़्यादा ही बात नहीं कर रहीं थी तुम “?
“वो पूछे रहा था मुझे क्या पसंद है बता दो “?
“तो तुमने बता दिया? “
“हाँ अब शादी होने जा रही है तो ये छोटी – छोटी बातें पता होनी चाहिए “
“हाँ सही कहा “
“अब तबियत कैसी है “?
“ठीक है “
“मनु….”.. तभी आवाज़ लगाते हुए रामेश्वर जी उसके कमरे में आए
“मनु रघुनंदन जी का फोन आया था वो बोल रहे थे कि उनकी बहन कह रहीं है कि तुम्हारी पसंद की ज्वैलरी वो लेंगी क्योंकि पहननी तो तुम्हें है और तुम्हारी तबियत अगर ठीक है तो रेडी हो जाना वो आयेंगी तुम्हें लेन शाम को 6 बजे तक.. “
“जी ठीक है तबियत…. मैं हो जाऊँगी रेडी “
“अनी सब ठीक है ना….”?
“जी काका मनु अब बिल्कुल ठीक है…आप फिक्र ना करें “
“तुम हो तो किस बात की फिकर “उन्होंने अनी के कंधे को
थपथपाते हुए कहा
“अनि चलो आ जाओ बाहर हम साथ बैठ कर नाश्ता करेंगे….और तुमने छुट्टी के लिये बोल दिया ना ?” मनु आ जाओ तुम भी…. “जी.. ” मनु ने कहा
रामेश्वर जी अनी से बात किए जा रहे थे और अनी को जैसे कुछ सुनायी ही नहीं दे रहा था…. वो कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी कोई भी कोशिश मनु का मन बदल नही पा रही थी….. चीज़े और उलझती जा रहीं थी …. दिन गुज़र रहे थे और मनु के शादी की तैयारियां दुगनी तेज़ी से हो रही थी….
पंद्रह दिन बाद…
आज सब शादी का वेन्यु देखने गए थे घर में मनु ही रह गयी थी…. अनी अपने किसी जरूरी मीटिंग में था…. दीनदयाल जी और सुमित्रा रामेश्वर जी के साथ गए थे…
अनी की मीटिंग हो गयी थी उसने अपना लेपटॉप बंद किया और फोन देखा तो उसमें सारे msg में से वृंदा का भी msg था… “हम सब वेन्यु देखने जा रहे मनु घर पर ही है…आप चाहो तू बात कर लो एक बार “
अनी ने फोन को एक तरफ रखा और अपने हाथों का सिर के पीछे किया और आँखो को बंद करके सिर कुर्सी पर टिका लिया….. उसकी बंद आँखों में मनु का चेहरा आ गया… उसका बचपन , शराराते मनु को छोड़ कर पढ़ने जाना, छुट्टियों में उस से मिलने आना…. एक- एक करके सब उसकी आँखों के सामने से गुज़रने लगा… उसने अपनी आँखें खोलीं और तेज़ कदमों से चलता हुआ मनु के घर पहुँच गया….
उसने मनु के घर की डोरबेल बजायी…. मनु ने दरवाज़ा खोला और अनी को देख कर बोली “तुम”
अनी ने मनु का हाथ पकड़ा दरवाज़े को बन्द किया और उसे अंदर ले गया
“अनी छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो “?
अनी मनु कि बात ना सुनते हुए उसे उसके ही कमरे में ले आया…और उसे बेड पर बिठाया…. खुद चेयर लेकर वो उसके पास बैठ गया अनी ने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और उसकी तरफ देखते हुए बोला ” मनु तुम जानती हो तुम क्या करने जा रही हो “?
मनु ने उसकी तरफ देखा… ” तुम अपनी जिंदगी से खेल रही हो…. और साथ में दो और ज़िंदगियों से भी… मत करो ऐसा कोई खुश नही रहेगा इस से…… “
“अनी मेरी शादी होने वाली है तुम यहाँ से चले जाओ ” मनु ने अपना हाथ अनी के हाथों से अलग किया और से उठ कर जाने लगी तो अनी भी उसके साथ उठ गया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा….
मनु अनी के सीने से जाकर लग गयी अनी ने उसे अपनी बाहों में ले लिया…. मनु उसे अपने अलग करने की कोशिश कर रही थी
अनी ने उसे उतना ही कस के पकड़ा हुआ था… कुछ देर अनी मनु को अपनी बाहों में पकड़े रहा मनु वैसे ही खड़ी थी…. अनी ने उसे अपने से अलग किया और उसके माथे को अपने माथे से लगाते हुए बोला… ” मनु नहीं रह पाओगी मेरे बिना और ना मै तुम्हारे बिना… ये ज़िद छोड़ दो मैं तैयार हूँ तुम्हें अपनाने के लिए तुम कुछ मत कहना… मैं कह दूँगा सबसे कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ…कहते हुए उसने मनु को गालों को चूम लिया… मनु की धड़कने अब तेज़ होने लगी थी वो नज़रें नीची किए खड़ी थी…
अनी ने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों से ऊपर किया और बोला
“बोलो तुम ऐसे चुप मत रहो “
मनु की आँखों से आँसू बहने लगे अनी ने फिर से उसे सीने से लगा लिया इस बार मनु ने भी उसे बाहों में भर लिया… मनु की आँखों से बहते हुए आँसू अनी की शर्ट को भिगो रहे थे…..
कुछ देर बाद अनी मनु से अलग हुआ उसने मनु को बैठाया पानी दिया और बोला ” मैं बात करूँ सबसे “
मनु ने उसे देखा और बोली ” नहीं हमारी तक़दीर का फैसला हो चुका है और अब इसे कोई नहीं रोक सकता .. एक बार् मैं गलती कर चुकी हूँ अब मैं पापा को या किसी को परेशान नहीं करना चाहती .. और तुम अब चले जाओ “
अनी उठा और बिना कुछ कहे कमरे से बहार निकल गया…. अब उसे गुस्सा आ रहा था मनु की सोच और उसकी ज़िद अब उसे समझ नहीं आ रही थी
अनी घर आ गया और अपने कमरे में जाकर बैठ गया…. तभी अजय आया और उसने पूछा ” क्या हुआ इतने गुस्से में क्यों है?
“ये मनु कुछ समझती क्यों नहीं है कितनी बार मैं समझा – समझा कर थक गया…. मन करता है इसे अब भगा कर ले जाऊँ तब समझेगी ये…. एक ही ज़िद पकड़ कर बैठ गयी है… पहले ये ऐसी नहीं थी… पता नहीं क्या हो गया है…? “
“वैसे भगाने वाला आईडिया अच्छा है…. मैं तो कहता हूँ कि कल ही चलते हैं ” अजय ने कहा
“हाँ… वो अपने परिवार और मेरे परिवार के लिए सब कुछ दाव पर लगा कर बैठी है और मैं उसे भगा कर ले जाऊँ “
“तो कहा भी तो तुमने ही मैं तो बस…. “
“चुप करो तुम… अब मैं कुछ नहीं करने वाला… मैं जितनी कोशिश कर सकता था करली…. कैसे समझाऊँ उसे सच बता नहीं सकता वो और भड़क जायेगी “
“तो फिर “
“अब सब ऊपर वाले पर छोड़ दिया हम डॉक्टर्स भी जब कोई उमीद नहीं होती तो ऊपर वाले पर छोड़ देते हैं ना तो बस अब मेरी उसकी परीक्षा है देखते हैं इतने बरसों के प्यार का क्या अंजाम होता है “
धीरे- धीरे शादी का दिन नज़दीक आने लगा अब बस 4 दिन बचे थे… रामेश्वर जी के घर उनके क़रीबी रिश्तेदार आने लगे थे…. अभी ज़्यादा लोग नहीं थे इसलिए सब घर पर ही थे ….बाक़ी सब दो दिन पहले ही आने वाले थे….सबके लिए रामेश्वर जी ने होटल बुक किया था जहाँ शादी की बाक़ी रस्में होनी थी और शादी मन्दिर में…
दो दिन बाद सब होटल पहुँच गए अतुल और वृंदा सबको उनके कमरे और बाक़ी जगह दिखा रहे थे…. रामेश्वर जी और मालती सारी व्यवस्था देख रहे थे…. अनी का पूरा परिवार वहाँ था बस अनी और अजय अभी नहीं आए थे …
आज मनु की तेल और हल्दी की रस्म थी…. वृंदा उसे तैयार करके बाहर ले आयी थी…उसके पास ही अंश बैठा हुआ था सबसे पहले वृंदा ने उसे हल्दी लगायी तेल चढ़ाया फिर बाक़ी सबने मनु को हल्दी लगायी तेल चढ़ाया और उतारा …
लेकिन इन सबमें अनी कहीं नहीं था मनु की नज़रें अनी को खोज रही थी…
रात हुयी और मनु को मेहंदी लगाने वाली भी आ गयी…. उसके साथ आयी हुयी बाक़ी लड़कियाँ और लोगो को मेहंदी लगाने लगी….कुछ घंटों में मनु के मेहंदी लग गयी….मनु सामने दरवाज़े पर देख रही थी तभी मेहंदी वाली ने पूछा आपके हसबैंड का नाम क्या है?
मनु ने सामने देखा तो उसे अनी दिखायी दिया उसने बोला “अनि ” मेहंदी वाली ने मुस्कुराते हुए ” अनी ” उसके हाथ पर लिख दिया..
अनी उसे दूर से देख रहा था…. और मनु उसे…. अनी ने अपनी नज़रें मनु से हटायी और सामने से आ रहे अतुल के पास जा कर बात करने लगा
मनु को पता ही नहीं था कि उसके हाथ में अनी का नाम मेहंदी वाली ने लिख दिया था …..
अगले सारे दिन अनी मनु के सामने नहीं आया मनु कुछ बेचैन थी लेकिन उसने मन को अपने काबू में कर रखा था…
शादी का दिन भी आ गया… सब तैयार हो गाड़ियों में बैठ कर मन्दिर के लिए निकल गए मनु तैयार होकर शीशे के सामने बैठी थी उसने देखा तो उसे अनी शीशे नज़र आया… उसने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था… उसकी आँखों में नमी तैर गयी…. तभी वृंदा उसे लेने आ गयी… उसने मनु को संभाल कर गाड़ी में बैठाया और खुद भी बैठ गयी…… जल्दी ही वो लोग मन्दिर पहुँच गए….
बाक़ी सब भी आ चुके थे बस अब शशांक के आने का इंतज़ार था….. कुछ देर में दो गाड़ी आ कर मन्दिर के सामने रुकी शशांक और रघुनंदन जी उसमें से उतरे और दूसरी गाड़ी में से उनकी बहन और बहनोई….. रामेश्वर जी , मालती और बाक़ी सब उनके स्वागत लिए के लिए मन्दिर की सीढ़ियों के पास खड़े थे…
जैसे ही रघुनंदन जी और शशांक को उनको देखा सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे… शशांक और रघुनंदन जी साधारण कपड़ो में दिखायी दिए….
रामेश्वर जी ने आगे बढ़ कर रघुनंदन जी से पूछा… “ये सब “?
रघुनंदन जी ने कहा “आप आए..’.. कह कर वो मन्दिर के ही एक कोने में जाकर खड़े हो गए…बाक़ी सब भी वहाँ आ गए अनी और दीनदयाल जी भी वहाँ आ गए
शशांक ने कहा “अंकल आप गलत मत समझियेगा लेकिन मैं ये शादी नहीं कर सकता “
“और ये बताने तुम अब यहाँ आए हो -“? अतुल ने गुस्सा होते हुए कहा….बाक़ी सब भी हैरानी से शशांक को देख रहे थे
रामेश्वर जी ने अतुल को शांत किया और शशांक से पूछा ” क्या बात है तुम ऐसा क्यों कह रहे हो और रिश्ता तो आप ही लेकर आए थे ना “?
शशांक ने कहा” तब मुझे कहाँ पता था कि जैसा मैंने समझा वैसा नहीं था “
“क्या समझा और क्या नहीं था? ” इस बार मालती ने पूछा
शशांक ने कहा “या तो आप देख नहीं रहे या देखना चाहते नहीं है “
” शशांक ये क्या पहेलियों में बात कर रहे हो साफ – साफ कहो ” रामेश्वर जी का स्वर थोड़ा ऊँचा हो गया
“तो साफ – साफ सुनिए आपकी बेटी की रास लीला के किस्से सारे शहर में सबको पता है “
“ये क्या बकवास कर रहे हो तुम “- अतुल ने कहा
“बकवास नहीं कर रहा दादा मैं अब भी तमीज़ से बोल रहा हूँ…. सबको पता है आपकी बेटी ” शशांक कुछ बोलता इस से पहले अनी ने उसका कौलर पकड़ा और उसे सबके बीच में से बाहर लेकर आ गया…
अनी ने दोनों हाथों से उसका कौलर पकड़ते हुए कहा ” क्या कहा रास लीला मनु के लिए ये लफ्ज़ तुमने इस्तेमाल भी कैसे लिया… मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा “
शशांक ने मुस्कुराते हुए कहा ” क्यों मैंने आपको तो कुछ नहीं कहा और अनी के हाथ से अपना कौलर छुड़ा लिया “
शशांक ने कहा ” कम्बख़्त दिल…उफ्फ़ ..देख रहे हैं आप सब….किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन इनको देखिए… अब भी आप सब नहीं समझ रहे….डाॅक्टर साहब जवाब दीजिए आपको क्या फ़र्क पड़ता है “
अनी ने उसी अंदाज़ में कहा ” मुझे फ़र्क क्यों नहीं पड़ेगा मनु मेरी दोस्त है “
” दोस्त है या दोस्त से बढ़कर है “? शशांक ने तंज कसा
अब अनी चुप था
“क्या हुआ बताइए दोस्त या दोस्त से कहीं ज़्यादा है…..रोके वाले दिन देखा नहीं आप सबने ….शशांक ने थोड़ा रुक कर कहा ” प्यार करते है आप उस से.. अगर नहीं करते तो बताए मैं अभी कि अभी शादी कर लूँगा “
सबकी निगाहें अनी पर थी…..
“बोलें…. ” तब तक मनु भी बाहर आ गयी थी… वो शशांक को हैरानी से देख रही थी
मनु को आता हुआ देख शशांक ने कहा ” आइए मनस्वी जी आज आपके सामने डाॅक्टर साहब जवाब देंगे कि आपसे रिश्ता सिर्फ दोस्ती का है या उस से ज़्यादा है “?
मनु अनी की तरफ घबरा कर देख रही थी और अनी मनु को
क्या करे अनी समझ नहीं पा रहा था…. हर तरफ से मनु की रुसवाई का उसे अब डर लग रहा था…
” अंकल आप सब अब भी नहीं समझ रहे… इतना कुछ आपकी आँखों के सामने होता रहा फिर भी …..डॉक्टर साहब चुप हैं……. आप सब सोच रहे होंगे मुझे कैसे पता चला …तो कुछ आपके पड़ोस में रहते है उनकी मेहरबानी से जिस रोक के दिन जब ये बेहोश हुयी तो मैंने दबी आवाज़ में आपके पड़ोसियों को इन दोनो के बारे में बात करते सुना और कुछ तो मैंने अपनी आँखों से देखा, दोस्ती की कुछ हदें होती हैं …….बोलें डाॅक्टर साहब तब शायद ये सब समझ जाएं “
“और हमें इज़ाज़त दें…..मैं ये शादी नहीं कर सकता बाक़ी आप लोग देख लें क्या करना है ….चलिए पापा ” शशांक ये सब कह कर रघुनंदन जी के साथ चला गया
सब आए हुए लोग आपस में बात करने लगे रामेश्वर जी मनु की तरफ देख रहे थे मनु नज़रें नीची किए हुए खड़ी थी और उसकी आँखों में आँसू थे वृंदा उसके पास आयी और उसे गले से लगा लिया….
अनी ने जब ये सब देखा तो उसने आगे बढ़कर मनु का हाथ पकड़ा और उसे मंडप की तरफ ले गया….
उसने कहा ” पंडित जी शादी की रस्में शुरू करे “
सब उसके पास आने लगे तो उसने हाथ के इशारे रोक दिया….
मनु को जैसे होश ही नहीं था वो जिस बात से डर रही थी वही होने जा रही थी…. पंडित जी ने शादी की रस्में शुरू…
मंत्र पढ़ने शुरू किए एक – एक मंत्रों के साथ देवताओं को आवाहन किया…..अनी ने मनु के साथ सात फेरे लिए… उसकी माँग में सिंदूर भरा और उसे मंगलसूत्र पहनाया….
पंडित जी ने कहा ” इसी के साथ शादी संपन्न हुयी आज से आप पति पत्नी है…. जाइए और सब बड़ों का आशीर्वाद
लीजिए “
अनी ने मनु का हाथ पकड़ा और सबका आशीर्वाद लेने के लिए जाने लगा…. मनु ने उसका हाथ हल्के से पीछे खींचा और ना में सिर हिलाया .. तो अनी ने उसे इशारे से पलकें झपका कर सब ठीक है कहा…. और उसके साथ आगे बढ़ गया…..
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रंगरेज़ (भाग 17 ) (अंतिम भाग) – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर