रंगरेज़ (भाग 14 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

मनु किसी से ना मिलने, ना बात करने और कम्पनी बदलने का अपना फैसला अतुल को बता देती है…..  रघुनंदन जी शशांक का रिश्ता मनु के लिया ले कर आते है..

अब आगे….

वृंदा मनु को समझाने की कोशिश करती है लेकिन मनु उसे धोखे वाली बात बता देती  है…

दो दिन बाद….

कल्याणी के कहने पर विष्मभर जी दीनदयाल और सुमित्रा से अनी और मनु के रिश्ते की बात करते हैं तो व दोनों भी अपनी सहमती दे देते है अब बस अनी से बात करनी थी….. विषमभर जी दीनदयाल को अनी से बात करने के लिए कहते है….

रामेश्वर जी मनु को नाश्ते के बाद पूछते है कि उसका क्या फैसला है… वो रघुनंदन जी को क्या जवाब दे …..मनु इस रिश्ते के लिए हाँ कर देती है…. रामेश्वर जी रघुनंदन जी को फोन करके बता देते हैं कि मनु इस रिश्ते के लिए तैयार है…… और साथ में ये भी बता देते है कि उनके यहाँ शादी मन्दिर में होती है ….

दीनदयाल अनी को अपने कमरे में बुलाते हैं जहाँ उसके साथ अजय भी आ जाता है..

अनी कमरे में आते हुए कहता है “पापा आपने बुलाया… “?

“हाँ बैठो “

अनी अजय के साथ बैठ गया… दीनदयाल जी उस से कहा “अनी हम सबने तुम्हारी शादी के लिए लड़की देखी है “

अनी ये बात सुनकर उनकी तरफ देखने लगा

“वो लड़की अच्छी संस्कारी है और हम उसे काफ़ी समय से जानते है …. पापा और माँ भी चाहते है कि वो हमारे घर कि बहू बनकर आए “

“लेकिन पापा “

“क्या… अब तो तुम्हारी रिसर्च भी पूरी हो गयी”

“हाँ लेकिन…. “

अजय ने अनी से धीरे सी कहा ” अबकी बार लगता है तुझे घोड़ी पर चढ़ा कर ही मानेंगे अंकल “

“चुप करो तुम ” अनी ने उसे कहा

“कुछ कहा तुमने.. “

“अब मैं क्या कहूँ.. एक तो  मनु भी ना कुछ बता नहीं रही है और अब अब ये शादी की बात कर रहे है…. मैंने कहा था मनु से बात करता हूँ मैं लेकिन नहीं उसे तो समय चाहिए…. अब मैं क्या करूँ…..अनी ये सब मन में ही सोच रहा था”

” वैसे उस लड़की को तुम भी जानते हो… “

“मैं जानता हूँ…. “

“हाँ और अच्छी तरह से…. “

“अनी सोचने लगा…. “

“अरे मैं मनु की बात कर रहा हूँ …..अपनी मनु …हम सब चाहते है कि मनु इस घर में आए तुम्हारी दुल्हन और हमारी बहु

बनकर तुम्हें कोई एतराज़ तो नहीं…. ?

अनी के चेहरे पर बड़ी सी smile आ गयी “नहीं पापा आप जैसा कहे…. “

तुम दोनों बचपन के दोस्त हो और हमें भी मनु बहुत पसंद है…. बाक़ी तुम्हें कोई और पसंद हो तो बताओ “?

” पापा कोई नहीं है…. “

दीनदयाल जी उठे और उन्होंने अनी को गले से लगा लिया अनी ने भी दीनदयाल जी को कस के गले से लगा लिया

दीनदयाल जी कमरे से बाहर गए तो अजय ने कहा…..आए हाय क्या लाली उतर आयी है चेहरे पर… अनी मुस्कुराया तो अजय ने उसे गले से लगाते हुए कहा बधाई हो मेरे यार…

दीनदयाल जी वापस आए और बोले ” हम लोग जा रहे हैं शादी की बात करने तुम चलोगे साथ में

अनी ने अजय से अलग होते हुआ कहा ” नहीं पापा आप जाए “

“अंकल जी  अब ये दुल्हा बन कर और हम बारात लेकर जायेंगे..”. अजय ने अनी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा

दीनदयाल जी हँसते हुए बाहर चले

दीनदयाल सुमित्रा के साथ मनु के घर गए जहाँ पहले ही मनु की शादी शशांक से तय होने की रामेश्वर जी और बाक़ी सब खुशियाँ मना रहे थे…..

डोरबेल बजी तो मालती ने दरवाज़ा खोला दीनदयाल जी और सुमित्रा को देख कर वो बहुत खुश हुयी और उन्हें अपने साथ अंदर ली आयी जहाँ बाक़ी सब बैठे थे….

मालती ने उनके सामने मिठाई की प्लेट करते हुए कहा ” आप बहुत अच्छे समय पर आए हैं…. लीजिए मूँह मीठा कीजिए “

दीनदयाल जी और सुमित्रा ने मिठाई ली तो सुमित्रा ने पूछा ” क्या बात है जो आप मिठाई खिला रही है? “

मालती ने खुश होते हुए कहा ” हमने मनु की शादी तय कर दी है … रघुनंदन जी के बेटे शशांक से “

ये सुनकर दीनदयाल और सुमित्रा दोनों एकदूसरे को देखने लगे….. दीनदयाल जी ने मुस्कुराते हुए कहा ” ये तो बड़ी ख़ुशी कि बात है… बधाई हो आप सबको “

कुछ देर बात करके दीनदयाल जी और सुमित्रा चले गए…. लेकिन घर जाकर वो क्या कहेंगे ये सोच रहे थे…

दीनदयाल जी घर पहुँचे तो सब उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे….दीनदयाल जी के पहुँचने पर सब उनसे खुशखबरी की उमीद लगाए बैठे थे…..कल्याणी ने पूछा “क्या हुआ वहाँ…वो लोग मान गए ना?”

. दीनदयाल जी ने कहा ” हमेँ कुछ देर हो गयी….. मनु का रिश्ता उन्होंने शशांक से तय कर दिया “

कोई कुछ बोलता उस से पहले अजय बोला….. “क्या उस से रिश्ता तय कर दिया “?

अनी ने उसे हाथ पकड़ कर नीचे बैठा दिया

दीनदयाल जी ने कहा… “अब जब उसका रिश्ता तय हो ही गया तो हम क्या बोलते … इसलिए हमने कुछ कहा नही “

दीनदयाल जी के साथ विशम्भर और कल्याणी जी दोनों को अफसोस हुआ कि उन्होंने पहले क्यों नहीं बात की…

खैर अब क्या हो सकता था…

अनी अपने कमरे में जाने लगा तो अजय भी उसके पीछे गया… अजय ने कमरे में पहुँच कर दरवाज़ा बंद किया और बोला

“ये मनु ऐसा कैसे कर सकती है “? अनी मुझे लगता है तुम्हें उस से बात करनी चाहिए कि आख़िर ये सब करने के पीछे कारण क्या है “?

अनी चुप खड़ा बस खिड़की से बाहर देख रहा था…..

“अनी कुछ सुन रहे हो या नहीं “? अनी अजय ने थोड़ा ज़ोर से कहा

अनी उसकी तरफ घूमा और बोला ” मैंने पूछा था अभी दो दिन पहले लेकिन वो कुछ बोल ही नहीं रही कि क्या बात है “?

“तो इसका मतलब तुम हार मान कर बैठ जाओगे “?

अनी कुछ बोलता उसके पहले ही अनी का फोन बजा उसने देखा तो वृंदा का फोन था …

“भाभी का फोन है “

” हैलो भाभी “

“अनी  तुम्हें तो पता चल ही गया होगा की मनु कि शादी… “

“” हाँ भाभी अभी पापा ने बताया “

“देखो अनी कोई घर में जाने ना जाने मैं तुम्हारे और मनु के बारे में जानती हूँ …. तुम मनु से प्यार करते हो और वो तुमसे लेकिन पता नहीं उसको क्या हो गया है चीजों को सीधा ना देख कर उल्टा ही सोच रही है “

“मैं आपका मतलब समझा नहीं भाभी बात क्या है….. क्या उल्टा है और क्या सीधा है …आख़िर हुआ क्या है “?

“अनी क्या तुम मुझसे  अभी मिल सकते हो मैं…कैफे में मैं सब बताती हूँ और अनी pkease जो मैं तुम्हें बताऊँगी वो तुम किसिर को नहीं बताओगे “

“ठीक है भाभी मैं आता हुँ “

कुछ देर में वृंदा और अनी कैफे शॉप में पहुँच गए अजय भी उसके साथ था….

वृंदा ने एक – एक करके सारी बात अनी को बतायी… अनी सारी बातें सुन करे हैरान हो गया….

उसने कहा ” इतना सब कुछ मनु अकेले कैसे….. मतलब इतना कुछ इतने साल परिवार से अलग रही सिर्फ इसलिए कि रिश्ते ना बिखर जाए…. मनु ये तुमने….. अरे ये मुझे एक बार तो बताती कि ऐसा कुछ है….. मैं सब देख लेता और ये बेकार की सोच मनु के दिमाग़ में आयी कैसे… कि उसकी परवरिश पर कोई उंगली उठायेगा…..”?

“मैंने बहुत समझाया मनु को लेकिन वो समझने को तैयार ही नहीं है “

“तो अब मनु को कैसे समझाए  “.. अजय ने पूछा

कुछ सोचते हुए अनी ने कहा “भाभी कुछफिक्स हुआ है रोके की रस्म या कुछ शादी का “

“अनी मैं यहाँ तुम्हें ये सब ना हो इसके लिए बात कर रहीं हूँ और तुम कह रहे हो कि रोक या शादी की डेट फिक्स हुयी है

क्या? ” वृंदा ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा

इसका दिमाग़ खराब हो गया है या ये पागल हो गया है.”… अजय ने वृंदा को देखते हुए कहा

“मुझे लगता है आप ठीक कह रहे हो “

” अरे मुझे कुछ नहीं हुआ है आप बताओ तो “

“परसों आयेंगे वो लोग शादी की डेट फिक्स करने और  शगुन देने “

“ठीक है ….और कोई भी आ जाए मनु को मैं अपना बना कर रहूँगा और ये जो उस पर भूत चढ़ा हुआ है उसे तो उतारना होगा “

“मगर कैसे “? वृंदा और अजय ने एक साथ कहा

“वेट एंड वॉच ” अनी ने कहा

“भाभी अब आप घर जाओ और मुझ पर भरोसा रखो “

वृंदा ने अनी की तरफ देखा और ठीक है बोल कर बाहर आ गयी और घर चली गयी….

अजय ने अनी से पूछा तुम करने क्या वाले हो

कुछ नहीं….

लेकिन अभी तो तुमने भाभी से कहा कि “वेट एंड वॉच “

“चलो अभी यहाँ से…”. अनी ने उस से कहा और कैफे से बाहर निकल आया

अनी ने घर पहुँच कर मनु को msg किया

“शादी की बहुत – बहुत बधाई…. “

मनु ने msg देखा और रिप्लाइ किया

“थैंक्स “

“क्या तुम आ सकती हो मिलने थोड़ी देर के लिए अपनी पुरानी जगह पर…. देखो मना मत करना मैं अपने दोस्त से इतना तो माँग ही सकता हूँ फिर तो तुम चली जाओगी “

“हम्म “मनु ने लिखा

अनी उसका msg देख कर मुस्कुराने लगा…

रात को खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए…. मनु छत पर गयी और अनी के घर से होती हुयी छत पर चली गयी…..वहाँ अभी अनी आया नहीं था …थोड़ी सी ठंड थी …मनु अपने दुपट्टे को समेट हुए चाँद को देख रही थी…. तभी अनी आया और उसे शॉल उढ़ाते  हुए उसे अपनी बाहों में ले लिया…. मनु उस से अलग होने के लिए कोशिश कर रही थी …

अनी ने उसके कान के पास धीरे से कहा “श श श.. बस दो मिनट ऐसे ही खड़ी रहो… “

मनु अनी के इतने क़रीब होने से उसकी बाहों में पिघलती जा रही थी… उसकी धड़कने जिनको उसने काबू कर के रखा था वो अब बढ़ती जा रही थी….. मनु ने अपनी आँखों को बंद किया और जैसे खुद को अनी के हवाले कर दिया…..अनी ने उसे अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया…. उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके माथे को अपने होंठों से छू दिया.,..

मनु ने अपनी आँखों को खोला और हैरानी से अनी की तरफ देखने लगी….

अनी ने कहा ” क्या… ये कोई पहली बार तो नहीं किया मैंने “?

“पहले में और अब में फर्क है “

,

“क्या फर्क है “? “तुम पहले भी मेरी थी आज भी हो “

“मेरी शादी तय हो गयी है पता है ना तुम्हें “

“तय हुयी है…. अभी हुयी नहीं है “अनी ने मुस्कुराते हुए मनु की तरफ देखा

बैठो…. अनी ने मनु को  इशारा करते हुए कहा….

मनु बैठ गयी…. अनी उसके पास बैठ गया आज सालों बाद अनी और मनु ऐसे बैठे थे…

“क्यों बुलाया तुमने…. “?

“यूँ ही … सोचा पुराने दिनों को याद कर लूँ फिर ये मौका मिले ना मिले “?

मनु  उसकी इस बात पर  नीचे देखने लगी…

“तुम्हारे बारे में पता चला congratulations… “

थैंक्स …कहते हुए अनी वहीं बिछे हुए गद्दे  पर लेट गया…. मनु का चेहरा अब उसे दिख रहा था

अनी ने अपना एक हाथ मनु की तरफ बढ़ाया… मनु ने इशारे से पूछा” क्या “?

अनी ने फिर अपना हाथ उसे दिखाते हुए तुम्हारा हाथ…. मनु ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा अनी मुस्कुराया और उसने मनु को  अपनी तरफ खींच लिया …. मनु अनी के  ऊपर आ गयी….

मनु हैरानी से अनी की तरफ देखने लगी…. अनी ने उसके आगे आ गए बालों को पीछे उसके कान के पीछे किया… और हल्की सी मुस्कुराहट लिए मनु को देखने लगा…. मनु उसकी आँखों में देख रही थी…… मनु का एक हाथ अनी की सीने पर था और एक उसके कंधे पर…

उसने कुछ बोलने के लिए जैसे ही अपने होठों को हिलाया अनी ने उसके होंठों पर अपनी उंगली रख दी….. मनु उसे वैसे ही देखे जा रही थी.

अनी ने कहा ” मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ… ये मैं कई बार कह चुका हूँ….. और आज एक वादा करता हूँ…. तुम मेरी थी और मेरी ही रहोगी… कहते ही अनी ने उसे पलट दिया और उसके  ऊपर आ गया …. मनु की सांसे अब तेज़ होने लगी थी… अनी ने मनु के होंठों पर अपने होंठ रख दिए….मनु ने आँखें बंद कर ली …

अनी कुछ देर बाद मनु से अलग हुआ… मनु ने अपनी आँखें खोली अनी मुस्कुरा रहा था…. मनु उठी और दौड़ती हुयी अपने घर चली गयी..

अनी मुस्कुराते हुए चाँद को देख रहा था… उसने मन में ही कहा ” प्यार तो आज भी तुम्हें मुझसे ही है  बस इसको अब तुम्हें कुबूल करना है और तुम्हारी इस ज़िद को मुझे ख़तम करना है “

अगला भाग

रंगरेज़ (भाग 15 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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