रंगरेज़ (भाग 13 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…..

अनी मनु से पूछता है कि क्या हुआ है … लेकिन मनु उसे बताती नहीं है….. अतुल मनु को छोड़ने बंगलुरु आता है और मनु उसे बताती है कि कल्याणी अम्मा से उसने सुना कि उसे गोद लिया है…

अब आगे….

अतुल मनु को छोड़ कर वापस चला जाता है…. अनी से मनु की बात होती है तो वो उसे बताता है कि वो अभी busy है … कुछ दिनों में उस से मिलने आयेगा…

मनु ऑफिस जॉइन कर लेती है अभी तो वो पी जी में रह रही थी…. दिन उसका ऑफिस में निकल जाता है…. लेकिन पी जी में आकर फिर उसे वही कल्याणी जी की बात याद आने लगती है….. उसने अतुल को गोद लेने वाली बात तो बतायी थी लेकिन जो उसने आगे धोख़ा देने वाली बात सुनी थी वो नहीं बतायी थी….

वही बात उसे बार – बार परेशान कर रही थी उसने सोचा ” कल्याणी अम्मा को ये बात पता है और मै यदि अनी से रिश्ता रखती हूँ…. अगर कभी भी  कोई भी बात हुयी तो ये गोद लेने और धोख़ा देने वाली बात ज़रूर आयेगी……चाहे फिर सामने वाला चाहे या ना चाहे “

“नहीं मैं ऐसा होने नहीं दूँगी मेरी परवरिश पर कोई उंगली भी उठाए या माँ पापा को कुछ भी कहे मैं ये सहन नहीं कर पाऊँगी… इस से तो अच्छा ये है कि मैं अनी के साथ इस रिश्ते को ख़तम कर दूँ….. लेकिन मैं जहाँ भी होंगी अनी मुझे ढूंढ लेगा फिर मुझे सच बताना पड़ेगा….. कोई तो रास्ता निकालना पड़ेगा “

मनु ने अपनी आँखें बंद की और लेट गयी…

अगले दिन मनु ने सोच लिया था उसे क्या करना है…. उसने अपने सीनियर से बात की और रेज़िगनेशं लेटर उन्हें दिया…

उन्होंने पूछा भी कि क्या हुआ लेकिन मनु ने कहा कि कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है इसलिए वो इस कम्पनी में काम नहीं कर पायेगी……

लेकिन कंपनी की पॉलिसी के अनुसार उसे 1 महीने काम करना ही था … इस बीच मनु ने और कंपनी में apply कर दिया था

अतुल जब घर पहुँचा तो सबने पूछा कि मनु वहाँ ठीक है ना…..? अतुल ने बताया सब ठीक है और मनु का पी .जी.  भी अच्छा है….

वृंदा ने उसके चेहरे की उदासी को पढ़ लिया था….. रात को उसने अतुल से पूछा कि “कोई बात है जो आप छुपा रहे हैं कुछ हुआ है क्या बैंग्लूरु में… “?

अतुल ने कहा ” मनु को ये बात पता चल गयी है कि पापा ने उसे गोद लिया है.. “

“लेकिन कैसे ? किसने बताया मनु को “?

अतुल ने सब बात वृंदा को बता दी…

अब….?

“मनु को मैंने समझाया तो है लेकिन अब वो छोटी बच्ची नहीं है… उसे कितनी मेरी बात समझ में आयी ये मुझे नहीं पता….. किसी को भी ऐसा पता चलेगा तो उसे कैसा फील होगा मैं समझ सकता हूँ… “

“तो आप उसे अकेले क्यों छोड़ आए कुछ दिन उसके साथ रह लेते और उसे समझाते “

“नहीं उसे अकेले रह कर ये डिसाइड करने दो कि क्या करना….कल मैं माँ पापा से बात करूँगा उन्हें बताना ज़रूरी है” “

अतुल ये कह कर बेड पर लेट गया.. लेकिन नींद आज उसकी आँखों में नहीं तु

अतुल और मनु दोनों ने फैसला कर लिया था कि उन्हें क्या करना….. देखना था दोनों का फैसला  किसकी ज़िंदगी में कौन सा नया मोड़ लेकर आता है…..

अगले दिन अतुल ने सबको अपने कमरे में बुलाया

सब अतुल के कमरे में आ गए…

रामेश्वर जी ने पूछा  ” क्या हुआ है तुमने ऐसे क्यों बुलाया… मनु ठीक है ना “?

सब अतुल की तरफ देख रहे थे…..

अतुल ने कहा ” पापा , माँ  मैं जो कहने जा रहा हूँ उसे पहले सुनियेगा फिर फैसला कीजियेगा…

अतुल ने एक हाथ रामेश्वर जी का पकड़ा और एक हाथ मालती का….. दोनों हैरानी से अतुल की तरफ देख रहे थे….

“पापा मनु को पता चल गया है कि उसे गोद लिया है “

रामेश्वर जी ने एक पल को चुप हो गए उन्होंने अतुल की तरफ देखा और बोले ” कैसे ? किसने बताया ?.. हमने मिल कर ये फैसला लिया था कि हम कभी मनु को नहीं बतायेंगे ये बात  फिर कैसे?

मालती की आँखो में आँसू आ गए उसने भरे हुए गले से कहा ” मेरी बच्ची “

रामेश्वर जी ने मालती को साइड से पकड़ा और बोले  ” अतुल किसने बताया “

कल्याणी अम्मा ने…

रामेश्वर जी ने फिर पूछा” उन्हें कैसे पता चला “?

अतुल ने उन्हें वही बात पूरी बता दी जो मनु ने उसे बतायी थी..

रामेश्वर जी उठ कर खड़े हो गए सावित्री जी रामेश्वर के सीने से लग कर रोने लगी…. मेरी गलती है उस दिन मेरे ही मूँह से निकल गया ….

रामेश्वर जी की आँखों में भी आँसू आ गए…

कुछ देर में सब शांत हुए तो अतुल ने कहा ” पापा मनु को मैं समझा कर आया हूँ…. अब वो समझदार हो गयी है उसे अपने फैसले खुद लेने दें.. “

रामेश्वर जी ने हाँ में सिर हिलाया और मनु को फोन लगा दिया…

मनु ने फोन उठाया और बोली

हैलो…

मनु  …वापस आ जा मेरी बच्ची रामेश्वर जी रुँधे हुए गले से बोले

मनु समझ गयी अतुल ने उन्हें सब बता दिया

मनु की आँखों में नमी तैर गयी उसने खुद को संभाला और बोली…”. पापा मैं ठीक हूँ और अभी तो मैंने जॉब जॉइन की है अभी छुट्टी नहीं मिलेगी …. उसने थोड़ा रुक कर कहा “पापा मैं आपसे कुछ माँगू आप देंगें…. रामेश्वर जी ने रुँधे हुए गले से ही हाँ कहा

“आप फोन स्पीकर पर कीजिए… “

रामेश्वर जी ने फोन स्पीकर पर करा और टेबल पर रख दिया….

मनु ने कहा ” आप सब बिलकुल परेशान ना हो मैं ठीक हूँ…. और मैं आप में से किसी से भी नाराज़ नहीं हूँ….. आपने तो मुझे एक अच्छी ज़िंदगी दी….इतना प्यार दिया…. वरना मैं पता नहीं कहाँ….. मनु चुप हो गयी…. उसने फिर कहा मैं बस इतना चाहती हूँ कि कल्याणी अम्मा को आप किसी भी बात के लिए दोषी ना ठेहराएँ…. दो घरों का रिश्ता जैसा था वैसा ही रहे… और अम्मा….कल्याणी अम्मा आपकी आज भी सबसे अच्छी दोस्त है….. इस रिश्ते में कभी भी कड़वाहट मत लाना… रिश्ते बनाने में सदियों लगते  है और टूटने में एक पल….. मैं आऊँगी जब छुट्टी मिलेगी … और अब आप सब मुस्कुरा दें…… “

सब भीगी आँखों से मुस्कुरा दिए

मालती ने कहा ” मेरी छोटी सी मनु इतनी समझदार कब हो गयी पता ही नही चला “

मनु भी भीगी हुयी आँखों से मुस्कुरा दी….

“अपना ध्यान रखना बेटा..”.. रामेश्वर जी ने कहा..

“जी “मनु ने कहा और फोन कट कर दिया मनु की आँखों से आँसू गिरने लगे उसने उन्हें पौंछा और काम करने लगी….

मनु शाम को पी जी में पहुँची ही थी कि अनी का call आ गया…

उसने call पिक करते हुए बोला

हैलो..

हैलो… कैसी हो तुम?

मैं ठीक हूँ

नई जगह कैसा लग रहा है

सारा दिन ऑफिस में निकल जाता है शाम को थक कर नींद आ जाती है बस….

मैं भी नहीं आ पा रहा तुमसे मिलने तीन महीने बहुत बिज़ी हूँ….

हम्म ….

मनु….क्या मैं हमारे रिश्ते की बात करूँ?

मनु ने एक पल सोचा फिर कहा….

अभी नही अभी तो मेरी जॉब लगी ही है और तुम भी तो अभी बीज़ी हो….

हाँ…लेकिन. बात करने में क्या है ?

“रुको थोड़ा…. “

जैसी आपकी इच्छा… वैसे मनु तुम कुछ कहने वाली थी मुझसे तुमने कहा था मार्केट से घर जाओगी तब बताओगी लेकिन तुमने बताया नहीं..

मनु अनी की ये बात सुनकर फिर वही सोचने लगी…

मनु…..

हाँ….

क्या बताने वाली थी तुम?

पता नहीं याद नहीं मुझे

ठीक है जब याद आ जाए बता देना….

हम्म…

सच में कोई बात नहीं है? अनी ने फिर पूछा

नहीं अगर कोई बात होती तो मैं बता देती…

ठीक है चलो तुम रेस्ट करो मैं कल फोन करता हूँ…. बाय

बाय…. मनु ने कहा और फोन रख दिया…

कुछ देर बाद मनु ने अतुल को फोन किया

हाँ मनु बोलो

दादा मुझे आपसे कुछ कहना है और ये बात आप किसी से नहीं कहेंगे…

हम्म बोलो

“दादा मैंने बहुत सोचा   मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए ये सब जो अचानक हो गया उसे समझने के लिए, खुद को समझाने के लिए .. तो मैंने एक फैसला किया है …. मैं ये जॉब छोड़ कर दूसरी जॉब जॉइन करूँगी…. जिसके बारे में मैं किसी को नहीं बताऊंगी…मुझे डर है कहीं माँ पापा मुझे लेन ना आ जाए…..मैं उन्हें मना नहीं कर पाऊँगी….लेकिन आपको बता दूँगी कि मैं कहाँ हूँ…. और दादा आप अनी को कभी नहीं बतायेंगे कि मैं कहाँ हूँ…… मैं नहीं चाहती कि उसके घर ऐसी किसी भी बात को लेकर कोई भी बहस हो…. “

“ठीक है… तुम्हें जितना वक़्त लेना है लो मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ….. लेकिन मनु अगर मुझे कभी भी ज़रूरत हो मेरी तो बेझिझक बोल देना “

“इसलिए तो आपको बता रही हूँ दादा…. मैं अपना नम्बर बदल रहीं हूँ लेकिन आपको नया नम्बर दे दूँगी… “

“ठीक है…. “

मनु ने फोन कट कर दिया उसके मन मे जो था वो उसने अतुल से कह दिया था….

एक महीने बाद उसने जॉब चेंज की जिसके बारे में सिर्फ अतुल को पता था…. मनु ने अपना नंबर बदल लिया था…. उसे डर था अगर घर के किसी भी सदस्य से उसने बात की तो फिर वो अपने को रोक नहीं पायेगी…. अतुल ने भी घर पर सबको बता दिया था……. रामेश्वर जी ने भी यही कहा कि ठीक है वो जितना वक़्त लेना चाहती है ले ले…

मनु कभी एक जगह पर रहती ही नहीं थी इस बार जो उसने कम्पनी जॉइन कि उसमें उसे विदेश जाने का मौका मिला… और पिछले 2 साल से मनु न्यूयॉर्क में थी…. तभी अतुल का फोन आया था कि रामेश्वर जी की तबियत खराब है… और मनु वापस आ गयी……

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मनु अनी की बाहों से खुद को छुड़ा कर आ  गयी थी वो अपने कमरे में बैठी हुयी सोच रही थी….” कब तक वो अनी के सवालों से बच पायेगी… कभी ना कभी तो उसे अनी के सवालों का जवाब देना ही पड़ेगा … उसे सब बताना पड़ेगा…. फिर क्या होगा यही सोच कर मनु का मन घबरा रहा था “

“इतने साल वो दूर रही लेकिन अब अनी उसकी आँखों के सामने है वो कब उसे नज़रंदाज़ कर पायेगी…..”

रामेश्वर जी को घर आए एक महीना हो गया था अब वो पूरी तरह से ठीक थे…

दीनदयाल जी उनके पास रोज़ ही मिलने आते थे.,… रघुनंदन जी कभी फोन पर बात करते तो कभी मिलने आ जाते थे….

कल्याणी या विष्मभर दोनों में से किसी ने अभी दीनदयाल और सुमित्रा से अनी और मनु के रिश्ते की बात कही नहीं थी….

शाम के वक़्त रामेश्वर जी सबके साथ बैठ कर चाय पी रहे थे कि तभी डोरबेल बजी….. मनु ने जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने रघुनंदन जी खड़े थे और शशांक भी.. मनु ने उन्हें हाथ जोड़ कर नमस्ते किय शशांक को हैलो बोला और दोनों के साथ अंदर आ गयी..

रघुनंदन जी को देख कर सब खड़े हो गए और उनको बैठने को बोला….. वृंदा और मनु उनके लिए चाय बनाने किचन में चली गयी…

“रामेश्वर जी अब आप कैसे है? “

” बस बच्चों की सेवा से बिलकुल ठीक है “

“आप बताए… “?

“बस हम भी ठीक है.. मैं घुमा फिरा कर बात नहीं करूँगा… दरअसल मैं आपसे ख़ास बात करने आया था…. “

“हाँ कहें ना क्या बात है “?

“मैं आपकी बेटी मनु के लिए शशांक का रिश्ता लेकर आया था….. मेरे मन में ये बात बहुत दिनों से थी…बस आप ठीक हो जाए इसी का इंतज़ार कर रहा था… “

ये बात सुनकर सब एकदूसरे की तरफ देखने लगे… रामेश्वर जी ने कहा “आपने एकदम से  रिश्ते की बात की है तो हमें थोड़ा वक़्त दीजिए…..हम मनु से और बाक़ी सबसे बात करेंगे… अगर वो हाँ कहती है तो हमें कोई एतराज़ नहीं है “

” बिलकुल हमें कोई जल्दी नहीं है आप पूछ लें… चाहे तो बच्चे आपस में मिल ले “

तभी वृंदा और मनु चाय नाश्ता ले कर आ गए….

अपनी बात कह कर रघुनंदन जी चले गए… मनु को अभी पता नहीं था कि रघुनंदन जी शशांक का रिश्ता लेकर आए थे…

उनके जाने के बाद रामेश्वर जी ने मनु को अपने पास बुलाया और बोले ” रघुनंदन जी शशांक का रिश्ता तुम्हारे लिए लेकर आए थे  ….. शशांक अच्छा लड़का है और काफ़ी दिनों से आना जाना है उसका…. लेकिन कोई तुम्हें पसंद हो तो बताओ…हम मना नहीं करेंगे….. कोई जल्दी नहीं है तुम सोच कर जवाब दो… तुम्हारा जो भी फैसला होगा हमें मंजूर होगा…. “

मनु चुप होकर उनकी बात सुन रही थी…उसने हाँ में सिर हिलाया और कमरे से बाहर चली गयी….

मनु अपने कमरे में गयी तो उसके पीछे वृंदा भी गयी….मनु वृंदा ने उसे पुकारा “

मनु ने उसकी तरफ देखा वृंदा ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और मनु को बेड पर बिठाया और खुद भी बैठ गयी…

“मनु पापा पूछ रहे हैं तो अनी के बारे में बता दो….”

मनु ने वृंदा की तरफ देखा और बोली ” नहीं भाभी मैं उस रिश्ते में रहना नहीं चाहती.. “

“क्या… मतलब क्या है तुम्हारा “?

“मैं बहुत पहले ही ये फैसला कर चुकी हूँ भाभी कि अनी से मैं कोई रिश्ता नहीं रखूँगी “

“लेकिन क्यों ?? कोई नहीं मना करेगा मनु इस रिश्ते के लिए इस बात की गारंटी मैं देती हूँ “

“भाभी आपको पता है कल्याणी अम्मा ने सिर्फ गोद लेने वाली बात ही नहीं कही थी बल्कि ये भी कहा था … जिनको गोद लो अक्सर वो धोख़ा देते है …… अनी से रिश्ता होने के बाद अगर कभी कुछ भी हुआ तो उंगली मेरी परवरिश पर उठेगी.. और माँ पापा को मेरी वजह से कोई कुछ कहे ये मैं सहन नहीं कर पाऊँगी “

“लेकिन ऐसा होगा ही क्यों “?

“नहीं होगा…. लेकिन जब इंसान को किसी के बारे में कोई भी ऐसी पता हो जो उसे नहीं पता होनी चाहिए…. तब ना चाहते हुए भी वो बात आ ही जाती है “

“तो तुम अब क्या करोगी ? शशांक से शादी “?

मनु चुप थी….

“बोलो मनु “

“शायद मेरी किस्मत अनी से नही जुड़ी है “

“तुम मना क्यों नहीं कर देती “?

“भाभी मेरी वजह से पहले ही वो इतना कुछ सह चुके है… अब जो वो कहेंगे वही होगा “

” मनु अनी तुमसे प्यार करता है इतने साल उसने तुम्हारा इंतज़ार किया है उसका क्या “?

“सबको सबका प्यार नहीं मिलता भाभी “

“मनु मैं फिर कह रहीं हूँ तुम गलती करने जा रही हो..तुम हाँ तो करो मैं तुम्हारे भईया से बात करती हूँ “

“नहीं …भाभी किसी से कोई बात करने की ज़रूरत नही है “

वृंदा मनु को समझा रही थी लेकिन मनु उसकी बात समझ नहीं रही थी या ये कहे समझना नहीं चाहती थी..

अगला भाग

रंगरेज़ (भाग 14 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर 

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