रंगरेज़ (भाग 12 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

मनु को कल्याणी जी के द्वारा पता चलता है कि उसे गोद लिया था उसे विश्वास नहीं होता कि इतनी बड़ी बात उसे पता नहीं ….

अनी मनु से बात करने के लिए बेचैन था …

अब आगे….

अनी को किसी भी तरह मनु से बात करनी थी लेकिन उसे मौका ही नहीं मिल रहा था…. दो दिन बाद अनी रामेश्वर जी को देखने उनके घर आया था…. दोपहर का वक़्त था… अनी रामेश्वर जी को देख रहा था तभी अंश “दादाजी “कहते हुए आया और उनके पास आ कर बैठ गया..

” आ गए तुम स्कूल से ? “

“हाँ… आपकी तबियत अब कैसी है? “

“हम बिलकुल ठीक है “

“तो अब आप मेरे साथ खेलेंगे “?

रामेश्वर जी कुछ बोलते उस से पहले अनि बोला ” अभी आपके दादाजी बाहर नहीं खेल सकते चाहे तो आप उनके पास बैठ कर खेल सकते है “

अंश ने जब अनि को देखा तो रामेश्वर जी के पास बेड से उतर कर अनी के पास गया और बोला ” आप डॉक्टर है? “

“जी हम डॉक्टर है ” कहते हुए अनी ने उसे अपनी गोदी में बैठा लिया…

“आप किस चीज के डॉक्टर है ? मम्मी ने बताया कि सब चीज के डॉक्टर अलग होते है… “

अनी मुस्कुराते हुए बोला ” हाँ अलग होते है… हम हार्ट के डॉक्टर है “

“अच्छा… तो आपको सबके हार्ट के बारे में पता है “?

तभी मनु रामेश्वर जी के लिए खाना ले कर आ गयी…..

अनी ने उसकी तरफ देखा… और बोला हाँ

.. लेकिन सबके हार्ट में क्या है ये नहीं पता चलता.. “

मनु ने अनी की तरफ देखा ही नहीं वो रामेश्वर जी से बोली ” पापा चलिए खाना खा लीजिए फिर आपकी मेडिसिन देनी है “

“अंश चलो बेटा खाना खाओ” Lakhs ने उसे पुकारा

अंश अनी की गोदी से उतरा और बोला” मैं खाना खाने जा रहा हूँ आप भी चलिए “

“आप जाओ मैं खा कर आया हूँ ” अनी ने कहा

“ओके…. हम अपनी बातें बाद में करेंगे… बाय “

अनी ने भी मुस्कुराकर उसे बाय कहा और अंश चला गया….

अनी भी उठा और जाने लगा तो रामेश्वर जी ने पूछा ” क्या बात है कब देख रहा हूँ तुम दोनों कुछ बात नहीं कर रहे ना ही पहले की तरह कोई बहस…. लडाई हो गयी है क्या तुम दोनों की “

“नही काका लडाई क्यों होगी जब कोई बात ही नही हुयी….. मनु आपको लेकर थोड़ा सा परेशान है ” अनी ने कहा

“अरे क्या परेशान होना जब तुम हो तो… ” रामेश्वर जी ने कहा

मनु हल्के से मुस्कुरायी उसने रामेश्वर जी को खाने के बाद वाली दवा दी … और उनको रेस्ट करने का बोल कर बाहर निकल आयी……

बाहर अनी मालती से बात कर रहा था….. मालती ने अनु को आते हुए देखा तो बोली ” लाओ ये प्लेट मुझे दो और जो तुम मुझसे पूछ रही थी अपने पापा के बारे में वो अनी से पूछ लो….ये तुम्हें बता देगा और मैं अंश को सुला दूँ फिर खाना लगा दूँगी… तब तक अम्मा की कथा भी हो जायेगी…. “

मालती ये कह कर चली गयी….. अनी मनु की तरफ देख रहा था लेकिन मनु अपनी नज़रों को नीचे किए हुए खड़ी थी….. अनी की नज़रों की तपिश जब उस से सहन नहीं हुयी तो उसने अनी की तरफ देखा….

” तुम्हें क्या पूछना है काका के बारे में ? “

मनु के दिल की धड़कन तेज़ हो गयी…. अनी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे उसके  ही कमरे में ले गया….

उसने मनु को चेयर पर बैठाया वहाँ रखा हुआ पानी का गिलास उसे दिया… मनु ने पानी पी लिया….

अनी ने उसके सामने बैठते हुए कहा ” रिलैक्स…. अब बताओ क्या पूछना चाहती काका के बारे में?

” पापा को ये अटैक कैसे आ गया वो तो इतना फिट है… उनको ना ही बी. पी की प्रॉब्लम है ना ही शुगर की और ना ही कुछ और “

अनी ने उसके दोनों हाथों को अपने हाथ मैं लिया और बोला ” हो जाता है….. तुम परेशान मत हो…. अब वो बिलकुल ठीक है…और मैं हूँ ना ….तुम क्यों फिकर करती हो “? इतना कह कर वो उठ कर जाने लगा तो मनु बोली ” थैंक्स पापा के लिए यहाँ आने के लिए… “

“हम्म “अनी ने कहा और कमरे से बहार निकल गया….

“मनु की आँखे आँसुओं से भर गयी… वो समझ रही थी अनी की बेचैनी को वो उस से बात करना चाहता है .. कितने सवाल है उसके पास वो उनका जवाब चाहता है.. लेकिन वो किसी भी बात का जवाब नहीं दे सकती… “

मनु ने अपने बहते आँसुओं को पोंछा मूँह धोया अपने को ठीक किया और बाहर आ गयी

अनी अपने कमरे आ गया था वो अपने बेड पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया…. और अपनी आँखो को उसने बंद कर लिया…

अनी… अजय उसे पुकारता हुआ कमरे में आया….

“हम्म  ” अनि ने वैसे ही आँखें बंद किए हुए जवाब दिया…

“देख आया अंकल को… वो कैसे है? “

“ठीक है सब उनका ख़याल रख रहे है मेडिसिन समय से ले रहे है.. “

“अच्छा है…”

“मनु से बात हुयी? “

“हाँ वो काका के बारे में पूछ रही थी तो मैंने उसे बता दिया “

और कोई बात

“वो कहाँ थी इतने दिन “?

“नहीं मैंने पूछा नहीं “

“क्यों पूछना चाहिए था ना जब मौका मिला था “

“अभी वो परेशान है “

अजय ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा ” और तुम तो बहुत खुश हो … पिछले सात सालों से परेशान हो उसका कुछ नही “

“पूछ लूँगा अभी यहीं हूँ मैं “

“कब “?

“जब सही मौका मिलेगा तब अब तुम चुप रहोगे या मैं बाहर जाऊँ “

“मैं ही चुप हो जाता हूँ…. तुम रहो यहीं ध्यान में “

कह कर अजय अपने फोन में देखने लगा…

अनी रोज़ रामेश्वर जी को देखने आता… कुछ मेडिसिन उनकी बंद हो गयी थी कुछ अभी देनी थी … मनु ही रहती थी घर पर तो वो उसे ही सब बता कर चला जाता था… लेकिन अनी ने मनु से ना ही  कुछ कहा ना ही कुछ पूछा

एक शाम वृंदा रामेश्वर जी के कमरे में बैठी थी उसे चेयर पर रखा हुआ एक बॉक्स दिखायी दिया…. उसने देखा तो उसमें मेडिसिन थी… उसने रामेश्वर जी से पूछा ” पापा आपकी मेडिसिन है क्या “?

रामेश्वर जी ने कहा ” पता नहीं मनु से पूछो उसे पता होगा “

मनु वो आवाज़ लगाती हुयी बाहर आ गयी….उसने मनु को देखा तो पूछा मनु

“ये पापा की मेडिसिन है क्या “?

मनु ने देखा तो बोली ” नहीं भाभी ये नहीं है आपके पास ये कहाँ से आयी “?

“ये चेयर पर रखी थी…. “

“हो सकता है अनी भूल गया हो “

“अच्छा तो दे आओ तुम “

“कल तो वो आयेगा ही ना ले लेगा… देने क्या जाऊँ मैं “?

“अरे दे आओ क्या पता कुछ ज़रूरी हो”

मनु ने बेमन से बॉक्स हाथ में लिया और जाने लगी….. “क्या ये भाभी भी ना कल ले जाता ना वो एक तो मुझे वैसे ही उसके सामने जाने में डर लगता है अब ये सब “

सोचते हुए वो अनी के घर के बाहर आ गयी उसने डोरबेल बजायी तो सुमित्रा ने दरवाज़ा खोला… “मनु “वो मुस्कुराते हुए बोली… आओ

“काकी ये बॉक्स शायद अनि का है आप उसे देना मैं चलती हूँ…. “

“हम भी तुम्हारे घर  ही जा रहे थे ….वैसे अनी ऊपर है तुम दे दो उसे और फिर आ जाना और बोल देना उसे कि हमसब तुम्हारे घर पर है…. “

“काकी मैं यहाँ रख देती हूँ और चलती हूँ आपके साथ “

“अरे दे आ बेटा और बोल भी देना “

मनु ने सिर हिलाया और धीरे कदमों से सीढ़ियाँ चढ़ने लगी….. कभी इन सीढ़ियों को मनु दो मिनट में एक सास के साथ चढ़ जाती थी…. और आज ना जाने कितनी ही सांसे ऊपर नीचे हो गयी थी उसकी…

वो कमरे में पहुँची तो अनी चेयर पर आँखो को बंद किए हुए बैठा था….. मनु ने दरवाज़ा खटखटाया तो अनी की आँखें खुल गयी…. उसने देखा तो मनु हाथ मे बॉक्स लिए खड़ी थी…..

उसने वो बॉक्स बढ़ाते हुए कहा ” ये तुम्हारा बॉक्स है तुम भूल आए थे घर पर  … “

“हम्म “वहाँ रख दो टेबल पर

मनु ने बॉक्स रखा और घूमी तो अनी उसके पीछे खड़ा था मनु ने अनी को देखा तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरती इस से पहले अनी ने उसे संभाल लिया…. मनु अनी की बाहों में फिर एक बार थी…… अनी को इतने क़रीब देख कर उसका दिल फिर एक बार उस से बगावत कर बैठा था

अनी ने उसे ठीक से खड़ा किया मनु जाने लगी तो अनी ने दरवाज़ा बंद कर लिया..

मनु ने देखा तो बोली ” ये क्या कर रहे हो तुम “

अनी बिना कुछ कहे उसकी तरफ बढ़ने लगा…. मनु पीछे होते हुए  दीवार से जा कर टिक गयी

वो अनी की तरफ देखने लगी अनी उसके बहुत पास आ गया था उसने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और कंधे पर अपना सिर रख दिया,…

मनु वैसे ही खड़ी थी…… अनी ने उसके कंधे पर वैसे ही सिर रखे हुए बोला ”  मैं थक गया हूँ सोचते –  सोचते कि मैंने कहाँ ग़लती की ?? लेकिन मुझे समझ नहीं आया…. तुम बताओ “

मनु का मन कर रहा था कि अभी वो अनी को अपनी बाहों में ले ले और बोल दे कि उसने कोई ग़लती नहीं की… लेकिन वो वैसे ही खड़ी रही

अनी ने अपना सिर उसके कंधे पर से हटाया जवाब के इंतज़ार में उसकी तरफ देखने लगा..

मनु ने कहा ” अनी मुझे जाने दो “

“चली जाना… पहले बताओ मैंने कहाँ ग़लती की “?

“कोई ग़लती नहीं की तुमने…. मैं ही इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी…. इसलिए “

“इसलिए तुमने अचानक बात करना बंद कर दिया… “

“हाँ….मेरा हाथ छोड़ो मुझे जाना है… “

अनी ने उसकी तरफ देखाऔर कहा “तो अपने घरवालों से भी कोई रिश्ता  नही रखना इसलिए उनसे भी बात नहीं की “

मनु उसकी इस बात पर उसे देखने लगी …

“लेकिन उनसे तो तुम बात करती हो तो मुझसे क्यों नहीं? “

“जानती हो हर बार मैं दादा को फोन करता था तो पूछता था मनु कैसी है कहाँ है? वो हर बार एक ही जवाब देते थे “वो जहाँ है ठीक है…. “

“तुमने एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि मेरे ऊपर क्या बीत रही होगी ‘

मनु चुप खड़ी बस उसकी बातें सुन रही थी…

“मनु please बोलो क्या हुआ है? ” इस बार अनी ने थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा

“मैंने कहा ना कोई बात नहीं है …..और मुझे जाना है “

अनी ने आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और बोला ” तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें जानता नही हूँ…. तुम्हारे दिल का हाल मैं बिना कहे समझ जाता हूँ…. तो क्या ये नहीं समझूँगा कि कोई तो बात है जो मनु अपने दिल में छुपाए बैठी हुयी है…. बताओ मनु please “

मनु ने अनी की बाहों को अपने से अलग किया दरवाज़े की तरफ बढ़ी और नीचे उतर गयी….अनी ने उसे जाते हुए देखा तो अपना एक हाथ दीवार पर मारा और बोला ” क्यों तुम नहीं बता रही हो कि हुआ क्या है “?

***********

मनु जब कल्याणी जी को बात सुनकर आयी उसके लिए उस बात यकीन करना  मुश्क़िल था..

वो समझ ही नहीं पा रही थी कि… अपने एक सच सी वो अभी तक अंजान है वो ऐसे उसके सामने आ कर खड़ा हो जायेगा…एकाएक उसके सामने सारे वो पल आने लगे जो उसने इस आँगन में बिताए….. वो सबका प्यार वो अपनापन वो सबके एक पल में पराया लगने लगा..

क्या करे क्या नही उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था…..

कुछ देर में सब वापस आ गए …. मनु को आज संकोच हो रहा था सब बात में… उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो कैसे पूछे कि जो कल्याणी ने कहा वो सच है या नहीं….

उसने ठीक से रात का खाना भी नहीं खाया था…. मालती ने ये देखा कि मनु कुछ परेशान है वो उसके कमरे में गयी तो उसने पूछा ” मनु क्या हुआ??तुम  परेशान क्यों हो?? खाना भी ठीक से नहीं खाया तुमनेकोई बात है क्या?

“नहीं ….बस मेरा मन नहीं था “

तभी अतुल उसके कमरे में आया और बोला  ” मनु  चलो देख लेते है कम्पनि जिसमें तुम जाना चाहती हो.. “

“जी दादा…. आए देख लें आप कुछ  मैंने सेलेक्ट किया है… “

“माँ कोई बात नहीं है बस मन नहीं था इसलिए खाना नहीं खाया… आप कुछ मत सोचें मैं बिलकुल ठीक हूँ… “

“अच्छा…. ठीक है तब तुम देख लो कौन सी कम्पनी जॉइन करनी है… मालती ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और चली गयी…… “

अतुल के साथ मनु ने देखा और कम्पनी सेलेक्ट कर ली…उसने बैगलूरु में infosys जॉइन करने का सोचा

15 दिन बाद उसे जॉइन करना था…. उसने किसी से कुछ नहीं पूछा लेकिन एक फैसला उसने कर लिया था

जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब उसे जाना था मालती उसके साथ ले जाने के लिए खाने का सामान पैक कर रही थी…. वृंदा मनु की पैकिंग में हेल्प कर रही थी…

अतुल उसे छोड़ने जा रहा था मनु ने मना किया लेकिन अतुल ने कहा वो वहाँ  सब देखेगा और ठीक हुआ तो ही वो जॉब जॉइन करने देगा….

मनु अतुल के साथ चली गयी ….. अतुल ने वहाँ सब देखा और

सब उसे ठीक लगा रामनगर वापस आने से एक दिन पहले अतुल मनु के साथ रेस्टुरेंट में बैठा था…. उसने मनु  से पूछा ” क्या बात है ?? बहुत दिनों से देख रहा हूँ तुम किसी  बात को लेकर परेशान हो बताओ मुझे”

मनु ने कहा “दादा एक बात है जो मुझे पता चली है सच है या नहीं … बस उसी बात को लेकर मैं परेशान हूँ “

“क्या पता चला है? “

“क्या मुझे गोद लिया गया था  ? “मनु ने पूछा

मनु के ये कहने पर अतुल हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा और बोला ” ये तुमसे किसने कहा “?

“उस दिन जब आपका पार्सल लेने मैं अनी के घर गयी थी तब कल्याणी अम्मा कह रही थी… “कहते हुए उसने सारी बात जो सुनी थी अतुल को बता दी

अतुल कुछ देर चुप रहा और बोला ” हाँ तुम्हें गोद लिया था “

“तो ये बात मुझे किसी ने बतायी क्यों नहीं “?

“पापा नहीं चाहते थे कि तुम्हें बताए और ज़रूरत भी नहीं थी….  क्योंकि जब हम यहाँ आए उसके कुछ दिनों पहले ही तुम्हें लाए थे…. तो यहाँ किसी को ये बात पता होने का सवाल ही नहीं था….. बाक़ी रिश्तेदार वो तो तुम्हें पता ही है की हमारे सब दूर के रिश्तेदार है बाबा भी अकेले थे और पापा भी…. और दूर के रिश्तेदारों को भी पापा ने बताने से मना कर दिया था… वो नहीं चाहते थे कि कोई भी तुम्हें ये कहे कि तुम्हें गोद लिया है…वर्ना समाज को तो तुम जानती ही हो….कुछ भी करके ज़हर घोलने की आदत होती है उनकी एक को बात पता चले तो पुरी जगह बात फैलने में समय नहीं लगता “

मनु बस अतुल की बात सुन रही थी….

अगला भाग

रंगरेज़ (भाग 13 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर 

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