रंगरेज़ (भाग 11 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

रामेश्वर जी घर आ जाते है और…… उधर मनु को एहसास होता है कि वो अनी से मुहब्बत करती है … अनी उस से मिलने के लिए आता है

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अब आगे….

मनु अनि के हाथ पर अपना हाथ रख देती है और अनी समझ जाता है कि मनु भी उस से मुहब्बत करती है…..

अनी उसे अपनी तरफ घूमता है और उसे अपनी बाहों में भर लेता है…. मनु भी अनी को अपनी बाहों में भर लेती है….

अनी उसे वैसे ही पकड़े हुए कहता है ” बात करूँ मैं घर पर हमारे रिश्ते की “?

मनु भी वैसे ही नहीं उसकी बाहों में खड़ी हो कर बोलती है ” अभी नहीं मेरा मेनेजमेंट हो जाए फिर “

“उसमें तो अभी दो साल हैं तब तक मैं तुमसे दूर कैसे रहूँगा “?

“रहना तो पड़ेगा “….

“हम्म..तुम्हारी पढाई  डिसटर्ब हो मैं ये नहीं चाहता …. मैं आता रहूँगा तुमसे मिलने “

“”बिलकुल नहीं .. तुम अपनी पढाई ध्यान दो हम फोन पर बात कर लेंगे ” मनु  ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा

अनी ने उसे फिर से अपनी बाहों में भर लिया और बोला ” हम्म… ठीक है जैसा आप कहें “

“अब चलें ठंड बढ़ रही है ” मनु ने कहा

“हाँ चलो.. “

अनी ने मनु का हाथ पकड़ा और घाटी से नीचे उतर आए…

अनी कुछ दिन रहा और फिर चला गया ..

मनु भी अपने फाइनल exams की तैयारियों में लग गयी….. उसकी बात अनी से रोज़ ही हो जाती थी……

फिर वो दिन भी आया जब मनु को अहमदाबाद जाना था….अतुल और वृंदा उसके साथ अहमदाबाद गए…  वहाँ होस्टल में सब देखा और दो दिन बाद वापस आ गए…

समय पंख लगा कर उड़ गया….. मनु का एम.बी ए complete हो गया …. वो रामनगर आ गयी थी…..उसको इंटर्नशिप करनी थी…. सभी अच्छी कम्पनीज़ से उसको ऑफर आया था…. उसे decide करना कि किस कंपनी में जाना है….

सुबह नाश्ते के वक़्त

“तो क्या सोचा मनु कहाँ से करोगी इंटर्नशिप? ‘ अतुल ने पूछा

“देख रही हूँ दादा…. कई अच्छी कंपनीज़ से ऑफर आया है…. आपको थोड़ा समय हो तो देख लेते है साथ में “

“हाँ क्यों नहीं….लेकिन आज नहीं आज वृंदा के यहाँ उसके काजिन की शादी में जाना है हम को देखते है.. “

“ठीक है दादा कल देख लेंगे वैसे भी आज मुझे टेलर के यहाँ  जाना है “

“आज हम भी जा रहे है  माता जी के मन्दिर माँ को लेकर…वो बहुत दिनों से कह रही है जाने के लिए  ..  दीनदयाल और सुमित्रा भी कह रहे थे तो हम सब साथ में जाएंगे ” रामेश्वर जी ने कहा

“हाँ आप जाएं …. मुझे थोड़े और काम है मार्केट मे तो मैं वो कर लुंगी… “

ठीक है… रामेश्वर जी ने कहा

कुछ देर मे जिसको जहाँ जाना था वहाँ चला गया….

मनु का मार्केट का काम हो गया था वो घर वापिस आ रही थी

तभी उसका फोन बजा अतुल का फोन था

“हाँ दादा “

“मनु कहाँ हो तुम??

मैं बस घर आ ही गयी हूँ ‘”

“एक पार्सल आया होगा कोई था नहीं घर पर तो मैंने अनी के घर देने के लिए बोला था  वो दे गया है तुम अनी के घर से ले लेना… “

“ठीक है दादा “

मनु अनि के गयी और डोरबेल बजायी..कल्याणी ने दरवाज़ा खोला

“मनु.. आओ”

“अम्मा वो पार्सल लेने आयी थी “

“हाँ वो वहाँ रखा है…. बैठ आज कचौरी बनाई थी खा कर जाना “

“ठीक है अम्मा मैं वॉशरूम जा कर आती हुँ वैसे बाबा कहाँ है “

“उनके दोस्त का फोन आया है बहुत देर से वो बात कर रहे हैं.. पता नहीं क्या “

“अच्छा..”.. मैं आती हूँ कह कर मनु वॉशरूम में चली गयी

मनु आयी तो कल्याणी ने मनु को कचौरी दी.. तब तक

विषम्भर जी भी आ गए…

उन्होंने मनु को देखा तो बोले ” और मनु  कौन सी कम्पनी  में  सोचा इंटरंशिप के लिए जाने का…. “

“अभी तो देख ही रहीं हूँ दादा को कहा है आज देखने दो दिन में फाइनल कर दूँगी… ” ,

“बढ़िया “

“वैसे आप किस से बात करने में लगे हुए थे  ? कल्याणी ने पूछा “

“अरे कुछ नही वो उदय ठाकुर का फोन था.. बात रहे थी कि श्रीवास्तव जी ने जिसको गोद लिया था.. उसने किसी मर्डर दिया ” विषम्भर जी ने कहा

“ओहो !! इस उम्र में ये सब भी देखने को मिलेगा कौन सोचता है… एक तो गोद लो सब अच्छा करो उपर से ये सब … पता नहीं कैसे होते है…… धोख़ा ही देते है ये सब इनसे अच्छे की उमीद रखना ही बेकार है “

” वैसे और कुछ पता चला “?

” अम्मा मैं चलाती हूँ..आप दरवाज़ा बन्द कर लें…और कचौरी बहुत अच्छी बनी है “

“हम्म ” कल्याणी ने कहा

मनु चली गयी…. वो बाहर निकली उसने अतुल को बताने के लिए कि पार्सल ले लिया है फोन देखने लगी ….उसे याद आया वो मोबाइल वहीं टेबल पर रखा हुआ छोड़ आयी है..

वो वापस गयी.. दरवाज़ा खुला हुआ था उसने जैसे ही घर के अंदर कदम रखा तो कल्याणी जी को कहते सुना ” आपको पता है मनु को भी गोद लिया है रामेश्वर ने “

“ये क्या कह रही हो ..”?

मनु के कदम वहीं रुक गए…

“आपको याद है एक बार मनु सीढ़ियों से गिर गयी थी जब वो चार साल की थी उसको ब्लड की ज़रूरत थी आप सब हॉस्पिटल में थे लेकिन सावित्री के साथ मैं घर पर ही थी…. जब उसे ये पता चला तो उनके  मूहॅ से निकल गया ” कैसे मिलेगा ब्लड उसे हमने गोद लिया है ” फिर ब्लड बैंक से इंतज़ाम हुआ तब मनु ठीक हुयी…”

“लेकिन कभी ये बात किसी ने बतायी नहीं”

“सावित्री ने बताया कि वो किसी को ये बात नहीं बताना चाहते है …. फिर मैं भी भूल गयी अभी याद आया जब आपने ज़िक्र छेड़ा ये बात तो मनु को भी नहीं पता है…”

मनु ने ये सब सुन लिया था…उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म शीशा उसके कान में डाल दिया हो….उसे विश्वास नहीं हुआ कि जो कल्याणी जी बोल रहीं हैं वो सच है… उसने किसी ने बताया ही नहीं कि उसे गोद लिया है….

तभी कल्याणी जी उठते हुए बोली ” मनु चली गयी है… मैं दरवाज़ा बंद कर लेती हूँ… “

वो दरवाज़े तक गयी तो देखा मनु खड़ी थी ” उन्होंने पूछा क्या हुआ मनु तुम तो चली गयी थी ना “

कल्याणी जी कि आवाज़ से मनु को होश आया…

बडी मुश्क़िल से वो अपने को संभालते हुए बोली “अम्मा मेरा फोन रह गया था… “

“अच्छा … ले लो “

मनु गयी उसने फोन लिया और घर आ गयी..

विषम्भर जी ने मनु को देखा तो वो थोड़ा सा डर गए कहीं मनु ने सुन तो नहीं लिया सब…. कल्याणी आयी तो उन्होंने पूछा ” “कहीं मनु ने सुन तो नहीं लिया सब “

“नहीं..

“वो तो तब आयी जब मैं बाहर गयी वैसे एक बात मेरे मन में बहुत दिनों से है “

“कैसी बात ? “

“अगर हम मनु को अपने घर ले आए “

“अरे घर क्या ले आए…. उसका दूसरा घर यही तो है “

“अरे आप समझे नहीं वो तो है ही….मेरा मतलब अनी की दुल्हन बना कर “

“ये बात तुम कह रही हा जो उसको हमेशा कुछ न कुछ कहती रहती हो और अभी तो तुम कह रही थी कि गोद लेने वाले लोग ऐसे होते है “

“अरे मेरे कहने का क्या है आप तो मेरी बात को पकड़ कर बैठ जाते है…… सब ऐसे थोड़ी ना होते है..,… मनु देखी हुयी लड़की है और सब जानती है हमारे परिवार के बारे मे और हम किसी को क्यों बताए कि उसे गोद लिया है…और अब तो वो पूरी तरह से बदल गयी है पहले वाली मनु नहीं रही “

“बदल गयी है इसलिए अगर वो पहले की तरह होती तो? “

कल्याणी जी ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा “तो भी मनु मुझे पसंद है “

विषम्भर जी मुस्कुराए और बोले ” हमें तो मनु बहुत पसंद है शुरू से ही…. अब आपने भी कह दिया है तो करेंगे बात दीनदयाल और बहू से भी बात कर लेते है “

“मैं क्या कहती हूँ जी…..कोई अच्छा सा मौका देख कर चलो सब फिर मनु चली जायेगी कहीं उसकी जॉब लग गयी तो “

“अरे इतनी जल्दी नहीं पहले अनी से भी तो बात कर लें “

“हाँ लेकिन थोड़ा जल्दी….. दीनदयाल से तो आज ही बात कर लेना आप “

“ठीक है…. वैसे एक कप चाय मिलेगी? “

“हाँ क्यों नही”….. कहते हुए खुश होकर कल्याणी खड़ी हुयी और किचन में चली गयी

**************

रामेश्वर जी घर आ गए थे और बाक़ी सब भी अब थोड़ा रिलेक्स थे…. रात को खाना खाने के बाद मनु अपने कमरे में थी और अपनी अलमारी में कपड़े रख रही थी तभी उसके कमरे में सावित्री जी आयी उन्होंने पुकारा ” मनु “

मनु ने घूम कर पीछे देखा और मुस्कुराते हुए बोली “अम्मा आप आइये “

सावित्री जी धीरे कदमों से चलती हुयी चेयर पर बैठ गयी….

मनु भी उनके पास वहीं बैठ गयी…. सावित्री जी को समझ नहीं आ रहा था व कहाँ से बात शुरू करें

मनु ने उनके हाथ पर हाथ रखा और बोली ” अम्मा आप कुछ कहना चाहती हैं…. “?

सावित्री ने उसकी तरफ देखा और बोली ” मनु मैं..अम्मा आप किसी भी बात को लेकर अपने को दोषी मत ठहरिए ,,,अगर आप अपने को दोष ठेहरायेंगी तो मैं उससे भी बड़ी दोषी हूँ…… मुझे आप सबसे बात करनी चाहिए थी और पूछना चाहिए था “

“बिलकुल ठीक कह रही हो तुम ” दरवाज़े से आती हुयी मालती ने कहा ” तुम बिना के बताए चलीं गयी…. और फोन किया तो बात भी नहीं करी ये भी नहीं सोचा कि हम सब पर क्या बीतेगी…. कोई वजह होगी जो हमने तुम्हें नहीं बताया…

“माँ…. मैं…. जब मैंने सुना तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि ये सब सच है….. मैं गयी तो कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने कितनी बड़ी गलती की….. फिर मेरी हिम्मत ही नहीं हुयी आप सबसे बात करने की…. “

“लेकिन अतुल से तो तुम बात करती थी…. वरना उसे कैसे पता होता कि तुम कहाँ हो? “

“मैंने बस एक बार बात की थी बाक़ी मैं उनको बस ये बता देती थी कि मैं कहाँ हूँ… “

मालती ने उसके पास बैठते हुए कहा “पता नहीं कितनी परेशानियों का अकेले सामना किया होगा तुमने.”… कहते हुए मालती की आँखों से आँसू निकल आए

मनु ने मालती के आँसू पोंछते हुए कहा ” हाँ परेशानी तो होती है जब आप परिवार से दूर होते है…. लेकिन वही परिवार आपकी हिम्मत भी होत है…अब मैं आ गयी हूँ वापस अब नहीं जाऊँगी… “

“हाँ अब ये नहीं जायेगी और जायेगी भी तो मैं इसको वापस ले आऊँगा..”.. अतुल ने कमरे में आते हुए कहा उसके साथ वृंदा भी थी….

“मैं नहीं जाऊँगी दादा… इतने दिनों आप सबसे दूर रहकर देख लिया अब नहीं… “

मालती ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा… सब कुछ देर बात करके मनु के कमरे से बाहर चले गए….

उधर अनी के दिल में बहुत सवाल थे जब से उसने मनु को देखा.. वो बेचैन हो रहा था रात को खाना खा कर वो और अजय कमरे में सोने आ गए…. अजय को पता था अनी मनु से बात करना चाहता है लेकिन उसने ये भी देखा था कि मनु कुछ बात नहीं कर रही थी अनी से और ना ही उसकी तरफ देख रही थी

अजय कुछ देर में सो गया …लेकिन अनी बार- बार करवटें बदल रहा था उसे नींद नही आ रही थी महसूस तो उसने भी किया था कि मनु उस से बात नहीं कर रही है और थोड़ा दूर दूर है… वो उठा और छत पर चला गया….. वो दूर चाँद को देख रहा था…. उसे मनु के साथ बिताए हुए पल याद आने लगे…..  उसने खुद से ही सवाल किया….. “क्यों?? आख़िर क्या ऐसी बात है जो मनु छुपा रही है..? उसने कभी मुझसे कुछ नहीं छुपाया…. उसके बिना कहे मैं उसकी बात समझ जाता हूँ… फिर ऐसा क्या है जो मैं इतने सालों से समझ नहीं पा रहा हूँ…..  मुझे उस से मिलना होगा और पूछना होगा कि आख़िर बात क्या है? “

अगला भाग

रंगरेज़ (भाग 12 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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