रंगरेज़ (भाग 10 ) – अनु माथुर  : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…

मनु वृंदा से कहती है कि अनी ने उसे प्रपोज़ किया है…… और इधर हॉस्पिटल में मनु और अनी आमने – सामने खड़े थे…

अब आगे…

मनु शशांक से बातें करती हुयी रामेश्वर जी के रूम की तरफ बढ़ रही थी…… कि तभी सामने से दीनदयाल जी अनी और अजय के साथ आते हुए दिखायी दिए….

अनी को देखकर मनु के कदम रुक गए …. अनी भी उसे देखकर रुक गया

दीनदयाल जी ने मनु को देखा तो बोले

” मनु “

दीनदयाल जी आगे बढ़ते हुए मनु के पास गए… “कब आयी बेटा..”? उन्होंने पूछा

उनकी आवाज़ से मनु का ध्यान अनी पर से हटा और वो बोली ” कल”

“कैसी हो “?

मनु ने गर्दन हिला कर ठीक होने के लिए बोला…

चलो पहले रामेश्वर जी से मिल लें…

मनु ने वैसे ही गर्दन हिला कर हाँ कहा…

सब रामेश्वर जी के कमरे की तरफ बढ़ गए ….

अतुल तब तक नाश्ता कर चुका था दीनदयाल जी ने कमरे में पहुँचे और रामेश्वर जी के पास गए और बोले ”  हम दो दिन के लिए तुमसे दूर क्या गए  तुमने तो सबको बुला लिया इतना ही था तो बोल देते हम नहीं जाते “

रामेश्वर जी लेटे हुए ही मुस्कुराने लगे….

“वैसे अच्छा ही हुआ तुम्हारी तबियत खराब हुयी….. अनी भी दो साल से नहीं आया था और मनु को भी बुला लिया तुमने.. “

सब मुस्कुराने लगे

रामेश्वर जी ने रघुनंदन जी की तरफ देखते हुए कहा इनसे तो तुम मिले ही हो…. ये इनका बेटा शशांक…. शशांक ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया….

दीनदयाल जी ने भी सिर हिला कर उसे देखा…. वो बोले ये मेरा बेटा अनिरुद्ध और उसका दोस्त अजय…..

सबने एक दूसरे को अभिवादन किया….. अनी रामेश्वर जी की रिपोर्ट देखने लगा …

“सब ठीक है ना”? अतुल ने पूछा

“सब ठीक है दादा…. काका आप कुछ सोचिए मत ज़्यादा….. और कोई भी बात अपने मन में मत रखियेगा…. ” अनी ने कहा

“अब कहाँ ये बात अपने मन में रखेंगे इनकी लाडली वापस जो आ गयी है “अतुल ने मनु को साइड से पकड़ते हुए कहा मनु मुस्कुराने लगी और उसकी नज़र अनी से जा कर मिल गयी…. मनु ने नज़रें नीची कर ली…

तभी डॉक्टर आ गए…उन्होंने रामेश्वर जी को देखा और बोले

गुड मोर्निंग कैसा फील कर रहे हैं आप?

रामेश्वर जी ने ठीक हूँ बोला

उस डॉक्टर ने अनी को वहाँ देखा तो बोला ” हैलो डॉक्टर अनिरुद्ध “

हैलो…..

“आपको तो सब पता ही है…. तो बस इन्हें अपना ध्यान रखना है.. कोई स्ट्रेस नहीं लेना है और आप के साथ तो डॉक्टर अनिरुद्ध है. ही … उन्होंने रामेश्वर जी की तरफ देखते हुए कहा

रामेश्वर जी ने हाँ कहा

डॉक्टर ने कहा “आप इन्हें ले जा सकते है” उनके साथ जो नर्स आयी थी उन्होंने उस से कहा ” इनके डिस्चार्ज पेपर्स रेडी

करो… “

नर्स डॉक्टर के साथ बाहर चली गयी…और  वार्ड बॉय  आ कर रामेश्वर जी के कपड़े बदलने के लिए अपने साथ ले गया

अतुल के साथ दीनदयाल जी भी reseption पर चले गए ….

मनु रामेश्वर जी का सामान रख रही थी…. शशांक उसे देखे जा रहा था…. अजय ये देख कि शशांक मनु को देख रहा है …. वो उसके पास गया और बोला…..

“आप क्या करते हैं ? “

“मैं दिल्ली सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ…. “

“”ओके…. पहले तो आपको नहीं देखा कभी ” अजय ने कहा

“आप यहीं रहते है? “

“नहीं ,अनी …..मेरा मतलब अनिरुद्ध के साथ आया हूँ बहुत बार यहाँ “

“हम तीन साल पहले ही आए थे पापा को जगह अच्छी लगी घर लिया थोड़ी सी शिफ्टिंग की  लेकिन पूरी तरह से एक साल पहले शिफ्ट किया… “फिर अंकल से.पापा की जान पहचान हुयी फिर दोस्ती हो गयी… अंकल ने एक बार घर पर बुलाया और सबसे मिलवाया… लेकिन मनस्वी जी तब वहाँ नहीं थी इनसे आज ही मिला हूँ… अंकल ने बताया वो बाहर जॉब करती है….” शशांक ने कहा

अच्छा…. अजय ने कहा

“और आप क्या करते है? “

“मैं ओर्थोपेडिक सर्जन हूँ  अनी के साथ मुंबई में “

“अच्छा…… ” शशांक ने कहा

मनु वहाँ रखी हुयी मेडिसिन रख रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि कौन सी मेडिसिन रखनी है कौन सी नही.. क्योकि कुछ खुली हुयी मेडिसिन भी थी…

अनी ने देखा तो उसके पास गया ” उसने सारी मेडिसिन देखी और बोला ” ये मत रखो और बाक़ी रख लो “

मनु ने सिर हिला कर हाँ कहा उसने मेडिसिन रखी तो अनी सामान रखने में उसकी मदद करने लगा…..

अतुल सारे बिल्स दे कर और डिस्चार्ज पेपर्स ले कर आ गया था सा बाहर आए गाड़ी में बैठे और घर की तरफ निकल गए…

मालती ,सावित्री और वृंदा के साथ कल्याणी और सुमित्रा भी सबके आने का इंतज़ार कर रहे थे… सुमित्रा और कल्याणी को मालती ने बता दिया था  कि मनु आ गयी है…..

कुछ देर में सब लोग आ गए अतुल ने रामेश्वर जी को संभाल कर गाड़ी से उतारा

और अंदर जा कर उनके कमरे में लिटा दिया….

बाक़ी सब बाहर बैठ गए… अतुल ने  मालती को बताया कि पापा ठीक है उन्हें रेस्ट करना है और ये पापा की मेडिसिन है….

मालती ने उसके हाथ से बैग लिया और रख लिया….

सब बैठ कर बात कर रहे थे…वृंदा तब तक सबके लिए चाय बना कर ले आयी थी…. चाय पी कर दीनदयाल जी ने कहा ” हम लोग चलते है… आप लोग रेस्ट करो शाम को आयेंगे…. “

“रघुनंदन जी ने भी उठ गए थे और शशांक भी… शशांक ने एक नज़र मनु को देखा जो वृंदा से बात कर रही थी.. और  मुस्कुराते हुए बाहर निकल गया…. “

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अनी मनु को अपने और उसके रिश्ते के बारे में सोचने के लिए छोड़ गया था…मनु के फाइनल exams थे साथ में उसके CAT का एंट्रेंस भी था वो अपनी पढाई में लग हुयी थी….. और साथ ही अनी के साथ अपने रिश्ते को समझने की कोशिश भी कर रही थी…. धीरे – धीरे उसे अनी और अपने रिश्ते की गहराई समझ आ रही थी…. अनी उस से फोन पर नॉर्मल बात करता था…. वो नहीं चाहता था कि उसकी बातों का मनु की पढाई पर असर पड़े….. मनु का एंट्रेंस exam हो गया था और ग्रेजुेएशन का फाइनल exam बाक़ी था….

मनु के अच्छे मार्क्स होने की वजह से उसे अहमदाबाद के आई आई एम में एडमिशन मिल गया…. सब बहुत खुश थे…. मैंनेजमेंट के लिए बेस्ट कॉलेज में मनु को पढ़ने का अवसर मिला उसने  ये खुशखबरी अनी को सुनाने के लिए फोन किया…

एक ही रिंग में अनी ने फोन उठा लिया और बोला….

“बधाई हो “

“तुम्हें कैसे पता? “

” अजी हमने जासूस जो लगा रखे है आपके पल पल की खबर के लिए “

“अनी…तुम ना कभी कोई सरप्राइज रहने ही नहीं देते हो सब तुम्हें पहले ही पता चल जाता है “

“तुम मेरे दिल में जो रहती तो… तो मुझे कैसे पता नहीं चलेगा “

मनु चुप हो गयी थी और मुसकुरा रही थी…

” काश मैं वहाँ होता तो तुम्हारा ऐसे मुस्कुराना देख पाता ” अनी ने कहा

“तुम्हें कैसे पता मैं? “

अनी हँसते हुए बोला ” दिल में जब कोई होता है तो अपने आप पता चलता है चाहे फिर दूरी कितनी भी हो .”

“अहमदाबाद जाना है मुझे… “

“कोई बात नहीं सब जाते है पढ़ने और अब तो तुम्हारी लाइफ में एक नया फेज़ जुड़ने वाला है….. गुड लक “

“थैंक्स… लेकिन अभी तो टाइम है जाने में तो क्या तुम? “

“तुम चाहती हो मैं आऊँ “?

मनु कुछ बोली नहीं

“बोलो?.. तुम बोलोगी तभी मैं आऊँगा… “

“मैं जाने से पहले तुमसे “

” मिलना है…..बिल्कुल…. तुम बुलाओ और हम ना आए ऐसा हो सकता है “?

“बोल तो ऐसे रहा है जैसे सुबह मैं उठूंगी और ये मेरी आँखों के सामने होगा” मनु मन में ही बोली

“मनु…. क्या सोचने लगी? “

“कुछ नहीं “

“चलो फिर मिलते है “

“हम्म….. “

मनु ने फोन रखा…. और मुस्कुराते हुए बेड पर लेट गयी ….” कुछ तो हो रहा है मुझे अनी ठीक कहता है मुझे मुहब्बत हो गयी है …. हाँ अनी मुझे तुमसे मुहब्बत हो गयी है ”  उसने फोन उठाया और उसके पास जो अनी की पिक्स थी उसे देखने लगी…. उसने अनी की पिक पर हाथ फेरा और मुस्कुराते हुए बोली… “तुम सुनना चाहते थे ना कि मेरे दिल में क्या है तो मुझे पता चल गया है “

उसने फोन रखा और सो गयी….

सुबह कमरे में आती सूरज की रोशनी से मनु की आँख खुली तो उसने देखा अनी उसके सामने बैठा मुसकुरा रहा था….” अब ये मुझे दिखने भी लगा ” उसने अपने तकिए को दूसरी तरफ किया और करवट ले कर सो गयी…

गुड मोर्निंग….

मनु ने पलट कर देखा तो अनी उसके सामने बैठा था…

उसने अपनी आँखों को बड़ा किया और बोली ” तुम “? और उठ कर बैठ गयी

“धीरे बोलो …कहते हुए अनी ने उसके मूँह पर हाथ रख दिया “.तुमने ही तो कहा था कि मिलना है तो मैं आ गया “

“लेकिन तुम यहाँ इतनी सुबह? “

“तुमने जब फोन किया था तब मैं आ ही रहा था…. “

“लेकिन अभी तो तुम्हारे आने का कुछ प्लान नही था “

“हाँ था तो नहीं लेकिन 10 दिन का ब्रेक था तो मैं आ गया “

“अच्छा…. चलो तुम जाओ बाहर मैं फ्रेश हो कर आती हूँ “

अनी उठा और उसकी तरफ झुका मनु थोड़ा पीछे हो गयी अनी मुस्कुराया और कमरे से बाहर निकल गया

“मनु से सांस भरी और फ्रेश होने चली गयी “

वो फ्रेश होकर बाहर आयी तो अनी सबके साथ डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था वो भी आ कर बैठ गयी

अतुल ने अनी से पूछा ” काका बता रहे थे कि तुम्हारा आने का कोई प्रोग्राम नहीं था फिर तुम कैसे आ गए “

अनी ने सामने बैठी हुयी मनु को देखा और बोला ” किसी से मिलना था …”

उसकी इस बात पर मनु ने उसकी तरफ देखा….अनी थोड़ा रुका और फिर बोला “ब्रेक था 10 दिन का तो मैं आ गया “

“कोई ख़ास? “अतुल ने पूछा

“बहुत “अनी ने मनु की तरफ देखा तो इस बार मनु ने नज़रें झुका लीं

“वैसे तुम्हारे आने से सबसे ज़्यादा खुशी तो मनु को होती है… “

अतुल बोले जा रहा और मनु नज़रें नीचे किए सुने जा रही थी….

थोड़ी देर में सब नाश्ता करके चले गए… मालती भी अपने कामों में लग गयी

अनी ने मनु को मैसेज किया

” शाम को घूमने चलोगी? “”

“कहाँ? “

“कहीं भी जहाँ सिर्फ तुम और मैं हो “

मनु ने बस smily बनायी

“मैं आऊँ लेने ? “

“नहीं मैं आ जाऊँगी “

” ओके  तो शाम को मिलते है ” अनी ने मैसेज किया

शाम को दोनों घूमने निकले….. अनी ने एक घाटी के पास गाड़ी रोक दी और उतर कर मनु की तरफ का दरवाज़ा खोला मनु बाहर आयी…..

वो थोड़ा आगे बढ़ी और बाहर के नज़ारे को देख कर उसने कहा

” ब्यूटिफुल … “

अनी ने उसे पीछे से अपनी बाहों में लेते हुए कहा ” हम्म “

इस बार मनु ने उसके हाथों पर अपना हाथ रख दिया था..

मनु के ऐसा करते ही अनी समझ गया कि उसके  मुहब्बत के सफ़र को  मंज़िल मिल गयी….

क्रमश:

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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