Moral stories in hindi : बारह वर्षीय पोती आरोही को ट्यूशन पढ़ाने के लिए शहर के सबसे बड़े इंस्टीट्यूट से एक अधेड़ उम्र के शालीन से शिक्षक सभी विषयों को पढ़ाने आते है…. रामदयाल जी बैंक में मैनेजर के पद से रिटायर्ड है और आजकल घर पर ही आराम करते है। बेटा बिजनेस के सिलसिले में अधिकतर बाहर ही रहता है और बहू को तो अपनी किट्टी पार्टियों से ही फुरसत नहीं मिलती, रामदयाल जी ने बेटा बहू को बोला भी था
की सातवीं कक्षा की बच्ची को अभी ट्यूशन की आवश्यकता नहीं है बेटे के पास ना सही, कम से कम अंग्रेजी माध्यम से हॉस्टल से पढ़ी हुई बहू तो अपनी इकलौती बेटी को खुद पढ़ा सकती है और मैं भी पढ़ाई में मदद कर सकता हूं पर रामदयाल जी की बात को ना मानकर छोटी सी बच्ची का रोजाना 2 घंटे का ट्यूशन लगा ही दिया क्योंकि बहू को अपनी जीवनशैली में ये बंधन नहीं चाहिए था उसने तो सीधा कह दिया अरे पापा इतना पैसा है तो क्यों ना आरोही को अच्छे से ट्यूटर से पढ़ाया जाए
अब मुझे रोज रोज तो समय होगा नही, रोज ही बाहर जाना होता है और आपकी उम्र भी आराम करने की है तो आरोही के लिए हम सोच समझ कर ही ट्यूशन लगा रहे है फिर आप ये भी देखिए की वो घर के सुरक्षित माहौल में पढ़ेगी तो वैसे भी कोई दिक्कत नही होगी, अब रामदयाल जी भी आगे कुछ ना कह सके और अपने कमरे में आ गए। आरोही रोज शाम को 4 से 6 बजे तक ट्यूशन पढ़ती, पढ़ाई में असुविधा ना हों इसलिए आरोही अपने कमरे में ही पढ़ती,
शुरू शुरू में तो ट्यूशन के दो घंटे बहू घर ही रहती पर धीरे धीरे वो पढ़ती हुई बच्ची को छोड़कर किट्टी पार्टी या दूसरे काम के लिए निकल जाती तो रामदयाल जी अपनी तरफ से पूरी निगरानी रखते…. एक दिन रामदयाल जी बुखार की वजह से दवाई के नशे में गहरी नींद सोए हुए थे की उन्हें कुछ आवाजे आई उन्होंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और छड़ी के सहारे आरोही के कमरे की ओर चलने लगे उन्होंने एक झटके से दरवाजा खोला तो उनका खून खौल उठा उन्होंने देखा अधेड़ उम्र का वो शिक्षक बाज की भांति उनकी मासूम सी पोती को अपने अंक में जकड़े हुए था
, छटपटाती हुई मासूम आरोही को देख रामदयाल जी पूरे ज़ोर से दहाड़े और अपनी छड़ी से ताबातोड़ उस नीच इंसान को पीटने लगे, शोर शराबा सुनकर घर की मेड दौड़ी आई और पड़ोस के लोगों को इक्कठा कर लिया.. अभी सारा माजरा समझ ही आ रहा था की बेटा बहु भी आ गए साथ ही पुलिस को भी फोन कर उस निर्लज इंसान को उनके हवाले कर दिया। आरोही थर थर कांपती हुई अपने दादा जी के गले लग गई, बेटा बहु भी बहुत लज्जित थे
आखिर गलती उन दोनों की ही थी, दरअसल रामदयाल जी को सोता देख उन्हें बिना कुछ बताएं दोनों ने बाहर जानें का प्रोग्राम बना लिया था और आरोही को उसके कमरे में ही बोल कर गए की आपके लिए पिज्जा लायेंगे तब तक आप ट्यूशन भी पढ़ लोगे” बस यही से मौका मिला देख वो नीच इतना घिनौना कार्य करने की हिम्मत कर बैठा… भरे गले और पछतावे के साथ बेटा बहू रामदयाल जी के चरणों में बैठ गए और बोले पिताजी अगर आज आप समय पर ना पहुंचते तो हम कही मुंह दिखाने लायक नही रहते, आपका ये एहसान तो हम पूरे जीवन कभी नही उतार पाएंगे।
मेरे बच्चों #अपनो का कोई एहसान नहीं होता, बल्कि ये तो मेरा फर्ज है” आज के समय में अजनबी तो छोड़ो अपने भी मौका देख कब शैतान बन जाते है पता नहीं चलता इसलिए अपने बच्चों को ऐसे लोगों से बचाकर रखना हमारी ही जिम्मेवारी है। अब तुम लोग आरोही को संभालो और आगे से मेरी ये बात हमेशा याद रखना, कहकर रामदयाल जी ने स्नेह से अपने बच्चो के सर पर हाथ फेरा और छड़ी टिकाते हुए अपने कमरे की ओर चल पड़े।
स्वरचित, मौलिक रचना
#वाक्य से कहानी बनाओ प्रतियोगिता
कविता भड़ाना