रंग बदलती ज़िंदगी – स्नेह ज्योति: Moral Stories in Hindi

रूपा और पलक दोनों अच्छी दोस्त थी । जो भी कुछ करती एक दूसरे को बता के करती थी । कॉलेज में रूपा को एक लड़का पसंद था

और पलक को भी इस बारे में सब पता था । लेकिन वो हमेशा रूपा को कहती थी , कि ऐसे रोज़ रोज़ मिलना ठीक नहीं है । अगर किसी ने देख लिया तो बहुत परेशानी वाली बात हो जाएगी ।

एक दिन जब रूपा ने विक्की को मिलने के लिये पार्क में बुलाया , तो शर्मा जी ने पलक को उस लड़के के साथ देख लिया और सब बातें पलक के पापा को जाकर बता दी ।

अगलें दिन जब पलक कॉलेज से वापस आयी , तो उसके पापा ने उसे आवाज़ लगाई । आवाज़ सुन वो घबरा गई , क्योंकि वो थोड़े तेज़ मिजाज़ के थे । इसलिए वो उनसें कम बात करती थी । वो जल्दी से अंदर गई और बोली क्या हुआ पापा आपने बुलाया !

पढ़ाई कैसी चल रही है ?

ठीक !

सुना है ! आज कल बहुत घूमती रहती हो ।

घूमती ! नहीं पापा मैं कही नहीं जाती ।

अच्छा ! तो कुछ दिन पहले शास्त्री नगर के पार्क में क्या कर रही थी ?

ये सुन पलक की साँस अटक गई । आख़िर वो ही हो गया जिसका डर था । कुछ नहीं पापा मैं रूपा के साथ थी ।

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तभी पलक के पापा बहुत ज़ोर से चिल्लाए …. शोर सुन पलक की माँ अंदर आ गई ।

…..क्या हुआ पलक के पापा ! आप इतना ग़ुस्सा क्यों कर रहे है ?

तो पूछो अपनी लाड़ली से किसके साथ घूम रही थी ??

आप क्या कह रहे है ? ऐसा नहीं हो सकता ।

तो पूछो इससे कि पार्क में किस के साथ थी ?

पापा वो तो मैं तो रूपा के साथ थी ……

अच्छा तो वो लड़का कौन था ?

पलक सकुचाती हुई डरती हुई , काँपती आवाज़ में बोली….. पापा वो रूपा विक्की को पसंद करती है । मैं तो बस रूपा के साथ गई थी । मेरा उस लड़के से कोई सरोकार नहीं है ।

 

अच्छा तो अब झूठ भी बोलोगी । अपना इल्ज़ाम रूपा पे डालते हुए शर्म नहीं आती ……

पापा में सच बोल रही हूँ ।

शर्मा जी , ने तुम्हें ख़ुद उस लड़के के साथ पार्क में देखा था । तुम दोनों के अलावा वहाँ कोई नहीं था ।

नहीं पापा रूपा भी मेरे साथ थी मैं सच कह रही हूँ । हो सकता है अंकल ने जब देखा हो , जब रूप फ़ोन पे बात करने के लिए साइड पर गई थी ।

मुझे कुछ नहीं पता ! कल से तुम्हारा कॉलेज जाना बंद ।

पापा आप को मुझ पर यकीन नहीं ?

यक़ीन था तभी पढ़ने की आज़ादी दी थी । लेकिन आज तुमने वो विश्वास खो दिया है ।

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पापा आप जानते है , मुझे पढ़ना कितना पसंद है । ऐसा मत कीजिए पापा आख़री वर्ष है पढ़ाई का मैं रूपा से आपकी बात कराती हूँ ।

नहीं , अब तुम कॉलेज नहीं जाओगी….. ये कह वो बाहर चले गये । पलक अपनी माँ से लिपट कर रोने लगी ।

 

अगलें दिन पलक ने रूपा को फोन कर सब बताया । रूपा ने भी उसे आश्वासन दिया कि वो उसके पापा को सब सच बता देगी । दिन बीतते चलें गए , रूपा ना तो पलक के घर आयी , ना ही उससे बात की । कुछ महीनों के बाद पलक के जीवन में ऐसा मोड़ आया कि आनन फानन उसकी शादी कर दी गई और वो कुछ ना कर पाई ।

आज उसकी शादी को एक साल हो गया है । वो छत पर बैठी आसमाँ को ताक रही होती है कि तभी अमित आता है और पलक को शादी की सालगिरह के उपहार के तौर पर एक पेपर उसके हाथो में थमा देता है । जिसे पढ़ पलक को अपनी क़िस्मत पर यक़ीन नहीं होता । वो अमित की तरफ देख मुस्कुराने लगती है

और उसकी आँखों से ये ख़ुशी आँसू बन छलक जाती हैं । क्योंकि अमित अच्छे से जानता था कि पलक की ख़ुशी उसका पढ़ाई का अधूरा सपना पूरा होने में है । पलक ने भी अमित को गले लगा सालगिरह की मुबारकबाद दी और उसका शुक्रिया भी अदा किया । तब उसे एहसास हुआ कि सच में ज़िंदगी बड़ी अजीब है । वो कभी भी कहीं भी किसी भी मोड़ पर कोई भी रंग दिखा सकती है ।

 

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