राधा : एक जुझारू मां – रंजीता अवस्थी

अनुरिता….. एक नामीगिरामी नाम… कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी शक्सियत… और तो और अपने अच्छे कामों के कारण सबके दिलों की रानी…

बात तब की है जब अनुरिता पांच साल की थी। अनुरिता और उसकी मां राधा अकेली ही इस नए शहर में बसने आए। वो उस समय मासूम सी बच्ची थी। जब उसके पापा उसको छोड़कर स्वर्ग सिधार गए थे। परंपराओं का निर्वहन करते हुए सभी रीति रिवाजों के साथ राधा ने अपने पति के सभी कार्यों को बड़ी हिम्मत से निपटाया। राधा जब भी अपनी छोटी सी बेटी को देखती तो उसकी हिम्मत और भी टूट जाती। राधा को समझ में नहीं आ रहा था  कि वो अपना जीवन दुबारा कैसे शुरू करे? अनुरिता के पापा जब राधा को छोड़कर चले गए  तो वो सहन नहीं कर पाई। अनुरिता उस समय बच्ची ही थी पर बहुत समझदार। राधा जब भी उससे अपने दिल की बात करती तो वो अपनी तोतली सी आवाज में बस इतना ही कहती… मां मैं आपके साथ हूं।

अनुरिता ने हर कदम पर राधा का साथ दिया। राधा ने उस शहर को ही छोड़ दिया…और आ गई एक नए शहर में नई जिंदगी की शुरुआत करने।

राधा पढ़ी लिखी महिला थी तो उसने अध्यापिका की नौकरी शुरू कर ली। अनुरिता का दाखिला एक अच्छे स्कूल में करा दिया। अनुरिता ने भी मन लगाकर खूब पढ़ा। उसने जहां तक पढ़ना चाहा राधा ने पढ़ाया… उसने जो करना चाहा राधा ने उसको वही करने दिया… उसको डॉक्टर बनना था… राधा ने अपनी सारे जीवन की पूंजी लगा दी और उसको डॉक्टर की पढ़ाई करवाई।

धीरे धीरे वो आगे बढ़ती गई और उसके साथ राधा के जीवन में भी पंख लग गए… अब दोनों बहुत खुश रहने लगे। अनुरिता अपनी मां के सपनों के साथ साथ अपने सपनों को भी पूरा कर रही थी।


जैसे जैसे समय बीता गया अनुरिता पूरे देश में प्रसिद्ध हो गई। राधा की बेटी अनुरिता  को जहां भी पुरस्कृत किया जाता … वो उसे भी अपने साथ ले जाती और अपनी कामयाबी का श्रेय राधा को ही दे डालती। राधा जब भी कहती बेटी ये तेरी मेहनत का फल है… तो हंस कर कह देती… मेहनत और ईमानदारी भी तो आप से ही सीखी है मां….

धीरे धीरे वक्त बीतता गया और अनुरिता की शादी का वक्त आ गया। यहां पर भी उसने अपने कर्तव्यों को भलीभांति निभाते हुए उसने ऐसे लड़के से शादी की जो उसकी मां का भी ख्याल रखने को तैयार था। उन दोनों ने अपने माता पिता को एक साथ ही रखने का फैसला ले लिया था।

आज अनुरिता  की शादी को दस साल हो चुके हैं  और वो अपने दोनों माता पिता का बहुत ही सुन्दर तरीके से ख्याल रख रही है। अब अनुरिता अकेले नहीं बल्कि उसका पति मुकेश भी उसके साथ कदम से कदम मिलाकर उसका साथ दे रहा है।

आज भी अनुरिता अपनी मां की हिम्मत की दाद देना नहीं भूलती और अपनी मां को धन्यवाद देते नहीं थकती… उसे पता था कि उसकी मां ने उसके लिए क्या क्या किया है।

राधा यानि एक मां इतना ही कहना चाहती है कि अगर एक औरत चाह ले तो वो अकेली ही अपनी सारी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजार सकती है और अपनी सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती है।

रंजीता अवस्थी,

शाहजहांपुर

उत्तर प्रदेश

 

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