मेहर ने मम्मी को मनाते हुए बोला….मम्मा एक बार मिलिये तो आप सहज से बहुत अच्छा है पापा को भी बताइये ना…!!
हाँ मम्मी दीदी सही कह रही है मैं भी मिला हूँ बहुत अच्छा है…!!
अच्छा बेटा इस बारें में तुमकों भी पता था…!!
थैंक यू मानव मेरा साथ देने के लिए कहते हुए मेहर उसके गले लग गयी इतने में पापा आ गये..ऐसा क्या हो गया जो हमेशा लड़ने वाले भाई-बहन में बहुत प्यार उमड़ रहा है..कुछ तो बड़ा है…!!
स्वाति ने कहा संजय मैं चाय ले आती हूँ फिर पूरी बात बताती हूँ…!!
सीधे से बताऊँ मेहर एक लड़के से प्यार करती है मानव भी मिला है
उन्होंने बताया अच्छा परिवार है व इकलौता है तो आपकी क्या राय है..!!
मेरी बेटी ने पंसद किया है तो अच्छा ही होगा…बुला लो…मेहर पापा के गले लग गई…!!
देखना-दिखाना हुआ व शादी भी हो गई…आज दोनों हनीमून के लिए लन्दन जा रहें थे सब छोड़ने एयरपोर्ट आयें थे…मानव ने मेहर को छेड़ते हुए बोला…वहाँ से मेरे लिए प्यारा सा गिफ्ट जरूर लाना…!!
हाँ मेरे भाई अब जाने तो दे…मम्मी ने टोका ऐसे नहीं बोलते…जाकर आतें हैं..!!
ओ के मेरी माँ…मैं जाकर आती हूँ…!!
रोज बात होती थी..तीन दिन से बाद रात के ग्यारह बजे सहज ने अपने पापा को फोन किया….वो बहुत घबराया हुआ था कि…मेहर एकदम बेहोश हो गई और हॉस्पिटल लेकर गया तो…पापा वो नहीं रही पापा..समझ नहीं आ रहा कि क्या हुआ..कैसे हुआ और जोर-जोर से रोने लगा….!!
दोनों घरों की रौनक चली गयी थी….वक्त कब कैसी करवट लेता है कुछ पता नहीं चलता हैं…सहज अपना दर्द छुपाकर मेहर के घर रोज जाता व उनका बहुत ध्यान रखता था…आज एक साल बीत गया था….!!
समय बीतता गया आज संजय व स्वाति सहज के घर आये और उसके पापा-मम्मी से बोले कि हमें सहज की दूसरी शादी करा देनी चाहिए..वो बोलें हम तो यही चाहते हैं पर वो मानेगा नहीं…!!
आप लड़की देखिये उसकों मनाने की जिम्मेदारी हमारी..बहुत समझाया तो मान गया और शादी हो गयी..!!
सहज ने माही को पहले ही सब बता दिया और माही ने भी वादा किया कि वो मेहर के पापा-मम्मी व भाई को हमेशा अपना ही समझेंगी…आज वहाँ खाना था…सब उदास थे पर माही ने अपनी प्यारी बातों से अपना बना लिया…!!
आना-जाना लगा रहता था…अब तो माही मानव को भी छेड़ती रहती थी जल्दी शादी कर ले और भाभी ले आ…!!
मानव कहता तो दीदी आप ही ढूँढ दो ना लड़की…इतने में स्वाति ने कहा कि हाँ तुम ही ढूढों भी और तैयारियाँ भी तुम्हें ही करना हैं..!!
जी मम्मी बिल्कुल मैं ही करूँगी सब और वो गले लग गयी….बस पता नहीं क्यों पर संजय पूरी तरह से अपना नहीं पाया था…!!
मानव की शादी की तारीख निकल गई….माही ने कहा मम्मी मैं रोज आ जाया करूँगी…!!
स्वाति ने कहा हाँ पर पन्द्रह दिन पहले आ जाना…सहज ने कहा मम्मी आप चिन्ता नहीं करो हम दोनों ही आ जाएंगे और आ भी गये…दोनों ने सारी तैयारियाँ बहुत अच्छे से कर रहें थे आज शादी थी…माही घर की बेटी जैसे ही सबका ध्यान रख रही थी..आज घर में बहू आ गई…बहुत जोरो-शोरों से स्वागत किया….!!!!
दो दिन बाद मानव व बहू हनीमून के लिए कुल्लू-मनाली जा रहें थे तो सहज -माही भी वापस जाने वालें थे..स्वाति रोने लग गयी पर फिर बोली कि नहीं बेटा तुम भी जाओ अपना घर संभालों बस मिलने आती रहा करों…!!
संजय से मिलने गयें तो पहली बार उन्होंने माही को गले से लगाया और रोतें हुए बोलें कि मेरी मेहर बहुत प्यारी थी वो तो हमारे दिल में हमेशा है पर बेटा तूने भी हमें अपना बनानें में कोई कसर नहीं छोड़ी..तुझसे प्यारा सा रिश्ता जुड़ गया आती रहना हमें इंतज़ार रहेगा…माही भी रोते हुए बोली …जरूर आऊँगी पापा…!!!!
“किसी अपने के जाने के बाद….
खुशनसीबी से एक रिश्ता मिल जाता है…!!!!
जो कुछ दर्द को कम कर देता है…
कुछ प्यारे से एहसास खुशियों से जीवन में भर देता है…!!!!”
मौलिक व स्वरचित ©®
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)
#एक_रिश्ता