प्यार समर्पण ही माँगे ज़रूरी नहीं – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : कभी कभी ज़िंदगी इंसान को इस कदर उलझा देती हैं कि वो समझ ही नहीं पाता क्या करें और जब ज़रूरत हो को कम्बख़्त फोन भी नहीं लगता और जब लगे कोई उठाता नहीं तो दिल और बेचैन हो जाता है ऐसा ही कुछ हाल अभी काव्या का हो रहा था…..

काव्या उदास सी खड़ी मोबाइल से एक नम्बर बार बार डायल कर रही थी। रिंग भी हो रही पर अमन फोन क्यों नहीं उठा रहा? सोचती हुई काव्या एक बार फिर से नम्बर डायल कर दी।

उधर से आवाज आई,‘‘ सॉरी सॉरी काव्या क्लास में था यार मोबाइल नहीं उठा सका….तुम बोलो क्या बात है?‘‘

उधर से काव्या की रूआंसी आवाज आई,‘‘ अमन दादी मेरी शादी के लिए पापा पर जोर दे रही है…मैंने पापा को बोला मुझे अभी शादी नहीं करनी पर पापा बोल रहे तुमने ग्रेजुएशन के बाद जॉब करनी चाही हमने वो भी करने दिया अब दादी की तबियत ठीक नहीं रहती तो हम भी सोच रहे शादी कर दे….अमन तुम अपने घर में बात करो ना हम दोनों शादी तो करना ही चाहते हैं तुम्हारे घर में सब मान जाए तो मैं पापा को मना लूंगी।‘‘

‘‘काव्या तुम तो जानती ही हो मेडिकल की पढ़ाई में वक्त लगता। तुम डेढ़ साल का समय मांगो ना तबतक मेरी पढ़ाई भी पूरी हो जाएगी….फिर हम शादी कर लेंगे …प्लीज़ काव्या तुम बात करो….मेरा दिल बैठा जा रहा इस बात से….पर देखो तुम रो नहीं….अब जाकर बात करो….मैं अभी हॉस्टल जाकर तुमको कॉल करता हूँ।‘‘परेशान से अमन को कुछ समझ ही नहीं आ रहा अब क्या करें

काव्या और अमन एक ही स्कूल में पढ़ते थे। दोनों की दोस्ती बहुत अच्छी थी। एक ही क्लास में थे पर कभी प्यार का एहसास नहीं हुआ बस एक अच्छे दोस्त की तरह दोनों बातें करते। एक दूसरे से अपनी हर समस्या कहते और उसका हल निकाल लेते । दोनों की आपसी समझ इतनी थी कि उन्हें कभी किसी और बेस्ट फ्रेंड की जरूरत ही नहीं पड़ी।

पर बारहवीं के बाद अमन ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले ले लिया उसको शुरू से ही डाक्टर बनने का जुनून सवार था। काव्या को शुरू से शिक्षिका बनना था तो उसने उसी शहर के कॉलेज में दाखिला ले लिया। अब जब दोनों अलग रहने लगे तो एक दूसरे की कमी महसूस करने लगे। बस फोन पर बातें करते और छुट्टियों में जब भी अमन आता तो उनका मिलना होता। अब दोनों को एहसास होने लगा कि दोस्ती से ज्यादा कुछ और भी उनके बीच आने लगा है।



पर दोनों कभी दिल की बात एक दूसरे से कह नहीं पाये। इस साल ही तो अमन ने काव्या के जन्मदिन पर अपने प्यार का इजहार किया था तब काव्या अमन का हाथ पकड़ कर बोली ‘‘ हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं और एक दूसरे को समझते भी है तुमसे अच्छा जीवनसाथी मेरे लिए और कौन हो सकता है !”

दोनों ने सोच लिया था अमन की पढ़ाई खत्म होने के बाद शादी करेंगे तब तक काव्या एक स्कूल ज्वाइन कर लेगी ।

पर आज शादी की बात से दोनों परेशान हो गए थे ….करे तो क्या करें।

अमन हॉस्टल पहुंच कर काव्या को फोन किया ये पता करने उसके पापा क्या बोले।

काव्या रोती हुई बोली ,‘‘नहीं रुकेंगे अमन दो महीने में शादी कर देंगे….क्या करूं….भाग कर आ जाऊ तुम्हारे पास?‘‘

‘‘ नहीं काव्या हम ये गलती नहीं करेंगे….अच्छा मेरी बात ध्यान से सुनो….हम दोनों अच्छे दोस्त पहले है…..प्यार का एहसास तो अभी हुआ ना….तुम प्लीज़ पापा जहां बोलते हैं शादी कर लो…हम अपनी दोस्ती वाला प्यार आगे भी निभाएंगे….बस तुम मेरा साथ मत छोड़ना….तुम्हारे अलावा मुझे कोई समझ भी नहीं सकता।‘‘ अमन जानता था वो अभी शादी नहीं कर सकता….उसके लिए पढ़ाई बहुत जरूरी थी।

दोनों ने आगे भी साथ रहेंगे एक दोस्त बनकर ये वादा किया और काव्या ने पापा की मर्ज़ी से शादी कर ली।

अमन शादी में नहीं आ पाया और शायद आना भी नहीं चाहता था।

वक्त के साथ काव्या अपने घर गृहस्थी में रमने लगी पर एक आदत अभी भी नहीं गई अपने दोस्त अमन से प्रतिदिन बात करना उसका हालचाल पूछना।



तीन साल तक अमन ने शादी नहीं की वो काव्या को भूल नहीं पा रहा था पर अब घर वाले शादी करवाने पर अड़ गए थे।

अमन ने काव्या को फोन किया और सारी बातें बताई।

‘‘ अमन अब तुम भी शादी कर लो ना। मैं देखो तुम्हारी बात मान ली थी ना आज एक बेटी भी है। मैं अपनी हर जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हूं….पर सच यही है तुम्हारे बिना मैं कुछ सोच नहीं पाती हूँ….हर बार प्यार पाना ही प्यार नहीं होता ये तुमने सिखा दिया अब तुम भी आगे बढ़ो।हम अब तक साथ थे आगे भी साथ ही रहेंगे….मेरे पति को भी पता काव्या के लिए उसका दोस्त पहले और वो उसके साथ खुश रहती….हो सकता तुम्हारी पत्नी भी हमारे रिश्ते को समझ जाए।‘‘

कुछ दिनों बाद अमन की भी शादी हो गई।उसकी पत्नी बहुत खुले विचार की थी। दोस्त की जगह क्या होती वो जानती थी। उसने भी अमन और काव्या के रिश्ते पर कभी कोई सवाल नही किया।पर ये दो दिल ही जानते थे पहला प्यार पहला ही होता , उसकी जगह कोई और नहीं ले सकता। बस किस्मत में दोनों का मिलना नहीं लिखा था। आज भी दोनों प्यार के साथ अपनी दोस्ती निभा रहे हैं और बहुत खुश भी हैं।

हर बार प्यार समर्पण ही नहीं मांगता, एक दूसरे को समझ कर उसका साथ देना भी प्यार ही होता है। अगर किसी को खुशियां मिल सकती तो ऐसे प्यार में हर्ज ही क्या है। प्यार तो बस हो जाता है किससे और कैसे हो वो तो बस दो दिल ही जानता।

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#दोस्ती_यारी

धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

 

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