कुछ ही घंटों में सुमित्रा जी की बेटी राधिका की बारात आने वाली थी एक तरफ जहां सुमित्रा जी बहुत ज्यादा ही खुश थीं, वहीं दूसरी तरफ वह एक बात को लेकर बहुत परेशान थीं.उनको समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बात यह थी राधिका उनकी अपनी बेटी नहीं थी बल्कि उन्होंने उसको गोद लिया था, लेकिन आज तक राधिका को यह बात पता नहीं था कि सुमित्रा जी उसकी अपनी मां नहीं है बल्कि वह गोद ली हुई बेटी है.
सुमित्रा जी अपने पति के साथ अमेरिका में रहती थी लेकिन बेटी की शादी उन्होंने दिल्ली में किया है और बेटी का ससुराल वाले और उनका दामाद सारे लोग दिल्ली में ही रहते हैं. उनके मन में यही डर सता रहा था कि शादी के बाद अगर उनकी बेटी को यह बात पता चलेगा किराधिकाउनकी अपनी बेटी नहीं है तो उसके दिल पर क्या बीतेगा. इसलिए सुमित्रा जी सोच रहीं थी कि शादी से पहले ही अपनी बेटी को यह बात बता दे.
लेकिन जब भी वह बताने को सोचती यह सोचकर डर जाती थी.उनकी बेटी यह सच जानने के बाद उनके और उनकी बेटी के बीच जो मां बेटी का रिश्ता है उसमें कहीं दरार न पड़ जाए.इसीलिए वह अपनी बेटी से आज तक यह बात छुपा के रखा.
लेकिन अब इस बात को वह छुपाना नहीं चाहती थी नहीं तो बहुत देर हो जाएगा अगर दूसरों से यह बात पता चलेगा तो? सुमित्रा जी सोच ही रही थी तभी सुमित्रा जी के पति राजेश कमरे में आए और उन्होंने सुमित्रा जी से पूछा, अरे सुमित्रा तुम यहां हो मैं पूरे घर में तुम को ढूंढ रहा हूँ. तुम्हें पता नहीं है तुम्हारी बेटी की कुछ देर में बारात आने वाली है और तुम यहां अकेले आ कर बैठी हो.
राजेश ने सुमित्रा जी के चेहरे पर परेशानी का चिन्ह देखा और देखकर पूछा इतना तनाव में क्यों हो बेटियां तो 1 दिन विदा होती ही हैं. सुमित्रा जी ने राजेश से कहा मैं इसलिए नहीं परेशान हूं बेटी कल विदा हो जाएगी उस बात के लिए तो मैं बहुत खुश हूं, सिर्फ इस बात से डर रही हूं कल को हमारी बेटी को यह बात पता चलेगा कि वह हमारी अपनी बेटी नहीं है उससे हमारा खून का रिश्ता नहीं है तो कल वह क्या सोचेगी हमारे बारे में.
राजेश ने कहा कुछ नहीं होगा चलो तुम, नहीं मैं अपनी बेटी को विदा होने से पहले सच बता देना चाहती हुँ. सुमित्रा जी ने राजेश से कहा आप राधिका को मेरे कमरे में भेज दीजिए.
राजेश ने जाकर अपनी बेटी राधिका से कहा तुम अपनी मां के कमरे में जाओ, तुम्हारी मां तुम्हें बुला रही है वह तुमसे अकेले में कुछ बात करना चाहती है.
राधिका जैसे ही अपने मां के कमरे में आई राधिका ने देखा उसकी मां बहुत परेशान है, चेहरे से पसीना टप टप टपक रहा है राधिका अपनी मां का पसीना पोछी और बोली तुम क्यों परेशान हो रही हो.
सुमित्रा जी ने कहा राधिका मैं तुमसे एक राज की बात बताना चाहती हूं यह बात में बचपन से बताना चाहती थी लेकिन आज तक बता नहीं पाई लेकिन मैं आज तुम्हें बताना चाहती हूं. बेटी लेकिन यह वादा करो यह सब जानने के बाद हमारे बीच जो रिश्ता है वैसा ही उसके बाद भी रहेगा.
राधिका ने कहा मां तुम क्या पहेलियां बुझा रही हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है, साफ साफ कहो क्या बात है. सुमित्रा जी ने एक झटके से राधिका से कहा, “राधिका तुम हमारी सगी बेटी नहीं हो बल्कि हमने तुम्हें गोद लिया था.”
यह बात सुनकर राधिका अपनी मां से बोली तुम्हारा दिमाग ठीक नहीं है क्या? ऐसी बातें कर रही हो मैं तुम्हारी बेटी नहीं हूं तो किसकी बेटी हूँ. बोल दो कि यह सब झूठ है.
सुमित्रा जी ने कहा नहीं राधिका यही सच है और यह बात मैं तुम्हें बहुत पहले ही बताना चाहती थी लेकिन मैं डर जाती थी, लेकिन आज मैं तुम्हें यहां बात बताना चाहती हूं तुम्हारे माता-पिता के बारे में बताना चाहती हूं.
सुमित्रा जी राधिका से बताने लगी.
बात उन दिनों की है जब मैं और प्रताप एक ही कॉलेज में पढ़ा करते थे. प्रताप का परिवार भी मेरे घर से तीसरी गली में रहता था तो हम दोनों साथ ही कॉलेज जाते थे और ट्यूशन भी एक साथ ही पढ़ने जाते थे. कई बार मुझे मैथ में कोई दिक्कत होती थी तो मैं प्रताप के घर जाकर प्रताप से पूछ लिया करती थी.
साथ रहते-रहते हम दोनों कब एक दूसरे को दिल बैठे हमें खुद ही पता नहीं चला.
अभी मैंने ग्रेजुएशन भी खत्म नहीं किया था तभी मेरे घर वाले मेरी शादी करने के बारे में सोचने लगे. मैंने इस बारे में प्रताप से बात की प्रताप ने कहा, “सुमित्रा मैं अभी शादी कैसे कर सकता हूं मैं तो एक रुपए भी कमाता नहीं हूं. और मुझे नहीं लगता है तुम्हारे घर वाले मुझे स्वीकार करेंगे क्योंकि तुम उच्च जाति की हो और मैं दलित जाति का लड़का हूं.
सुमित्रा ने कहा यह बात तो तुम्हें तब सोचना चाहिए था प्रताप, जब तुमने मुझे प्यार का इजहार किया, जब तुम मेरे साथ जीवन बिता ही नहीं सकते थे तो फिर मुझसे प्यार क्यों किया, बताओ, बताओ, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती हूं मुझे किसी भी हाल में तुमसे शादी करना है.
मै एक बेबाक लड़की थी वहां किसी से डरती नहीं थी मैंने अपने घर में खुलेआम सबको बता दिया कि मै शादी करुँगी तो प्रताप से वरना किसी से नहीं. लेकिन जब प्रताप ने शादी करने से ही इनकार कर दिया. तो मै क्या करती मैंने अपने घर वाले की मर्जी से उन्होंने जिस लड़के से मेरी शादी तय की शादी कर ली.
शादी करने के बाद मैं अपने पति के साथ अमेरिका आ गई और यहीं पर रहने लगी. हमारी शादी के 10 साल से भी ज्यादा हो गए हमने कितना डॉक्टर से दिखाया लेकिन फिर भी हमारी गोद सूनी ही रही .
मेरे मम्मी पापा ने गांव में ही दीपावली के दिन पूजा रखा था इसके लिए हमारे सारे रिश्तेदार गांव में पहुंच रहे थे हम भी अमेरिका से अपने गांव जाने के लिए दिल्ली से ही सीधे टैक्सी बुक कर लिया था. मेन रोड से हमारे गांव में जाने के लिए हम जैसे ही मुड़े उधर से एक तेज रफ्तार की कार आई और हमारे कार के साथ लड़ गई. भयंकर एक्सीडेंट हो गया.
किस्मत से मुझे और मेरे पति को हल्का फुल्का चोट आई थी लेकिन सामने वाले गाड़ी में एक फैमिली था. उनकी हालत बहुत गंभीर थी हमने उसी समय एंबुलेंस बुलाया और पुलिस को भी फोन किया हम जैसे ही सामने वाले कार के पास गए तो मैंने देखा कि जो आदमी का एक्सीडेंट हुआ था उसमें से एक प्रताप था प्रताप को देखकर मेरे होश उड़ गए और साथ में एक औरत थी और एक छोटी सी बच्ची मुझे अंदाजा हो गया था. यह प्रताप की पत्नी होगी प्रताप की पत्नी को भी काफी गंभीर रूप से चोट आई हुई थी और एक छोटी सी बच्ची वही पड़ी हुई थी उसको खरोच तक नहीं आई थी.
कुछ देर के बाद एंबुलेंस आया और प्रताप और उसकी पत्नी को लेकर हम भी हॉस्पिटल पहुंचे. कुछ देर के बाद ही प्रताप के घर वाले भी हॉस्पिटल पहुंच चुके थे लेकिन प्रताप और उसकी पत्नी को बचाया नहीं जा सका.
जबकि हमने डॉक्टर से बोल दिया था कि जितना भी खर्चा लगे आप इलाज कीजिए पैसे की चिंता मत कीजिए हम भरेंगे. लेकिन अगर पैसे से ही किसी को बचाया जा सकता था है तो कोई इस दुनिया में मरता ही नहीं जिसको जाना है वह 1 दिन जाएगा ही.
तुम मात्र 2 साल की थी तुम्हें कोई स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था न तुम्हारे दादा दादी ही अपने साथ ले जाने के लिए तैयार थे और ना ही तुम्हारे नाना नानी. बड़ी विकट स्थिति थी आखिर इतनी छोटी बच्ची को कैसे छोड़ सकते हैं आखिर इससे उन लोगों का खून का रिश्ता है.
जब दोनों परिवारों में से कोई भी तुम्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं था तो फिर मैंने अपने पति से कहा कि शायद हो ना हो ईश्वर को यही मंजूर है इस लड़की को हम अपने साथ रखें आखिर हमारी भी कोई संतान है नहीं. मेरे पति ने कहा, “हां ठीक है हम इस लड़की को गोद लेते हैं”
हमने हॉस्पिटल प्रशासन से इस बात के लिए आवेदन दिया, कागजी कारवाई हमने पूरा किया और तुम्हें अपने साथ लेकर अमेरिका चले आए.
राधिका भगवान गवाह है कि हमने आज तक तुम्हें कभी गैर माना हो अगर मैं अपनी बेटी को भी जन्म देती तो इतना ही प्यार करती जितना कि तुम्हें करती हूं और तुम्हारे पापा भी इतना ही प्यार करते हैं. लेकिन यह सच तुम्हे बताना जरूरी था.
यह कहानी सुनने के बाद राधिका ने कहा, माँ कह दो कि यह सच नहीं है. सिर्फ कहानी है तुम ही मेरी मां हो अगर यह सच है तो भी मैं नहीं मानती उस सच को मैंने जब से होश संभाला है तुम्हें ही अपना मां के रूप में देखा है और मरते दम तक तू ही मेरी मां रहोगी. सच क्या है झूठ क्या है मुझे इससे कोई लेना देना है बस मैं इतना जानती हूं कि आप मेरी मां हो.
इतना कहने के बाद सुमित्रा जी के मन से ऐसा लगा कि एक बड़ा सा बोझ उतर गया है वहां अब बिल्कुल तनाव मुक्त हो चुकी है. तभी राजेश जी अंदर आए और उन्होंने बोला अरे मां बेटी क्या खिचड़ी पका रही हो जल्दी से चलो कुछ ही देर में बरात आने वाली है.
सुमित्रा जी ने खुशी-खुशी अपने बेटी की विदाई दी.