प्यार और तुमसे – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

धनाभाव में पली – बढ़ी हुई थी मैं , लेकिन ईश्वर ने रूप देने में भी कटौती कर दी थी । एक तो रंग साँवला, हाइट कम और नाक भी चपटी । पर पढ़ने में अच्छी थी शायद इस वजह से भी लोग मुझसे दोस्ती करते थे । जिस दिन ग्रेजुएशन का आखिरी पेपर था उस दिन आखिर अनुराग ने मुझे  प्रपोज कर ही दिया । हमारा प्यार भी ना, स्कूल से लेकर कॉलेज तक बहुत चर्चे में रहा । अनुराग का

एडमिशन जब ग्यारहवीं में हुआ था तब से वो पहली नज़र में भा गया था । हालांकि वो मुझसे तीन साल सीनियर था ।  रूप भी इतना सजीला कि हर कोई उसका दीवाना हो जाए । और तो और मुस्कुराते हुए जो खरगोश की तरह उसके आगे के दो दाँत दिखते थे तब तो मेरा दिल भी मुझसे बगावत करने लगता । हिम्मत तो नहीं जुटा पा रही थी उससे कुछ कहने की लेकिन मिस्टर कॉलेज अवार्ड जब उसे मिला तो जी चाहा उसे गले से लगा लूँ ।

  मैं काम्या..! इससे पहले तो सिर्फ मैं उसे छिप – छिप के देखती थी पर उस दिन आगे से दूसरी पंक्ति में चौथी सीट पर अपनी प्यारी दोस्त आँचल और गरिमा के साथ बैठी थी तब हम दोनों का एक दूसरे से सामना हुआ । अब तो ये हर रोज का नियम बन गया, एक झलक उसे देख लेने की बेकरारी हर वक़्त होती थी । मौका मिलते ही कभी पानी पीने के बहाने, कभी लंच में कभी ग्राउंड में जाने के बहाने

देखने का पूरा मौका मिल जाता था । सहेलियाँ बोलती थीं ” ये अल्हड़पन है बस, और कुछ नहीं । कच्ची उम्र का प्यार ऐसा ही होता है । और इतना हैंडसम लड़का तेरे से बात करता है, मतलब …दाल में कुछ कला तो है  । ऐसे ही देखते – देखते हम कॉलेज आ गए और बगैर इज़हार किये ये प्यार जारी रहा । बस एक दूसरे को देख के खुश हो लेते, न उसने कहने की हिम्मत जुटाई न मैंने ।

अनुराग ने पढ़ाई खत्म होते ही पापा का कार शोरूम और वाल क्लॉक का व्यापार सम्भाल लिया । पेपर खत्म होते ही कॉलेज से बाहर निकलते समय अनुराग मिल गया । अनुराग ने कहा..”काम्या ! हम रेस्टोरेंट चल सकते हैं क्या ? आज तो तुम्हारा आखिरी दिन है कॉलेज का न, जाने कब मुलाक़ात हो

फिर ? मैंने बहुत डरते हुए उससे हाँ कहा और एक बड़ी सी गाड़ी में बिठाकर वो मुझे ले गया । रेस्टोरेंट पहुँचते ही मेरी पसन्द की उसने दो मोजिटो आर्डर किया और खाने का मेनू मुझे दिखाकर मेरी पसन्द पूछने लगा । मैंने उसकी पसन्द पूछी और हम दोनों एक साथ ही चाउमीन और मंचूरियन बोल पड़े । ऐसा लगता था हमारी पसन्द और सोच सब मिलती हो ।

कभी – कभी इधर साल भर से बीच – बीच में वो मिलता रहा । कभी छेड़ता, कभी  चुहलबाजी करता, बस ऐसे ही समय बीत रहा था । उस दिन बस स्टॉप पर मैं और मेरी सहेली आँचल खड़े थे । बस जल्दी से इच्छा थी कि आँचल से किनारा करके अनुराग के साथ वक़्त बिताऊँ । अनुराग ने हेलो कहते हुए पूछा…”समोसा खाने चलें क्या ? मैं बोलने ही वाली थी फिर किसी और दिन तब तक आँचल ने

कहा..चल खा ही लेते हैं । बहुत अच्छा लगने लगा एक दूसरे के साथ समय बिताकर । जैसे – जैसे कॉलेज में बात फैलने लगी किसी को विश्वास नहीं होता कि अनुराग जैसा स्मार्ट लड़का मुझ जैसी लड़की को कैसे पसन्द कर सकता है , इतराना तो बहुत आता था खुद पर लेकिन बस यही मनाती थी ईश्वर से की मेरे नसीब में खुशियां यूँ ही बरकरार रहे । हो सकता है किसी के लिए खुबसूरत चेहरे की

अहमियत न हो ।खूब मिलते – जुलते अब अनुराग के मन में रिश्ते को आगे बढ़ाने की बात सूझी । राह चलते मैं अनुराग और आँचल एक खुबसूरत घर से गुजर रहे थे । आँचल ने कहा…”हाय ! कितना खुबसूरत घर है ! अनुराग ने मुस्कुराते हुए कहा…”तुम्हें ऐसा ही घर गिफ्ट में दूँगा, हँसी आयी मुझे उसके मज़ाक जैसी बात पर तब तक अनुराग ने मुझसे पूछ लिया..”वैसे, तुम्हें कैसा घर पसन्द है

काम्या ? अच्छा ये बताओ तुम्हारे घर में कौन – कौन है ? मैंने घबराते हुए कहा…मेरा तो ऐसा कोई शौक नहीं । घर में मम्मी – पापा ,दो बहनें और दादी हैं । अब हम एक पार्क में बैठ गए । अनुराग ने अपने पॉकेट से फोन निकालकर फोटो दिखाते हुए कहा…”ये देखो, हमारा प्यारा परिवार , ये मम्मी – पापा, ये मेरा छोटा भाई, और ये दोनों दीदी । आँचल की नज़र उसके सुंदर घर पर गयी और मेरी नज़र उसके भाई पर । मैंने हाथ से फोन खींचते हुए कहा.”भाई की फोटो दिखाना, अनुराग ने कहा..”घर चलो, मिलवाता हूँ तुम्हें   । इसका नाम चिराग है, ये बहुत अच्छा है । मैं तो देखकर सोच में पड़ गयी । बड़ा सा सिर, और नाक होंठ का एक साथ मेल ।

बहुत अजीब सा रूप लग रहा था उसका रूप ।कुल मिलाकर कहें तो डिसऑर्डर जैसा लग रहा था पर इंसान के वश में कहाँ कुछ होता है ये सोचकर कि अनुराग को अच्छा लगेगा उसका दिल रखने के लिए मैं और आँचल उसके साथ चले गए । उसकी मम्मी ने बहुत भव्य स्वागत, आदर – सत्कार किया । आँचल से भी बहुत प्यार से बात हुई । फिर देखा मैंने सामने से एक कमरा दिख रहा था जहाँ चिराग

लेटा हुआ था, उसकी मम्मी ने बताया उसमें दिमाग की थोड़ी कमी है, वैसे तो देखने में ही थोड़ा अजीब लगता है लेकिन अपना हर काम प्यार से समझाने के बाद अच्छे से कर लेता है । उसकी पढ़ाई,उपलब्धि हर क्रियाकलाप में भाग लेने की फोटो सब दिखाया । इतना अपनापन..? मैंने भी मन मे सोच लिया इस घर में आ जाऊँगी तो इसका ख्याल रखना भी मेरा कर्तव्य होगा, आखिर बड़ी भाभी जो बनूँगी ।

सोचते – सोचते लगा जैसे किस सपनों के शहर में खो गयी । लाल पीली साड़ी में सज – धज के तैयार अनुराग के साथ खड़ी हूँ और बस हम दोनों एक ही होने जा रहे हैं । “अरे ! अभी और थोड़ी देर सो लो न ! नहीं सोना है तो काम्या से मिलो और बातें करो । अतीत में मानो लौटी जैसे । अनुराग की मम्मी चिराग से बोल रही थीं जो अपने कमरे से उठकर मुझसे मिलने आ रहा था । आखिर अनुराग की

मम्मी ने पूछ ही लिया…”तुम्हें कैसा लगा सब ? अनुराग का प्यार मेरे मन मे इस कदर हिचकोले ले रहा था कि समझ ही नहीं पाई क्या पूछ रही हैं और मैं किस बात का जवाब दे रही हूँ । मैंने भी सरसतापूर्वक कहा..”सब कुछ बहुत अच्छा है । आंटी ने मेरे घर का पता पूछा, मैंने बता दिया । अब खा पीकर हम लौट रहे थे । अपने घर पहुँची तो मम्मी ने पूछा..इतने देर कहाँ लगाई ? सब कुछ भैया भाभी मम्मी और पापा के सामने अनुराग के बारे में अपने दिल का रहस्य शुरू से आखिरी तक खोलकर रख दिया  । 

उस दिन तेज़ आँधी चल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई । दीपहर के करीब एक बजे होंगे , मैं अभी नहाकर ही निकली थी कि भाभी मम्मी से बोल रही थीं..”माँ जी ! अनुराग जी उनके  पापा और दीदी जीजा जी आए हैं । खुशी से झूम उठी, लगा जैसे ज़माने की सारी खुशी एकपल में मेरे दामन में आ गयी ।

तैयार होकर बाहर ही आने वाली थी कि मम्मी ने कहा..”जब तुझे बुलाउंगी तभी आना, तब तक हम सब बातें कर लें । मैंने हाँ में सिर हिला दिया और चुपके से दरवाजे के किनारे कान लगाई रही । 

जिस बात को सुनने के लिए कान तरस रहे थे ऐसा लग रहा था वो बात शुरू ही नहीं हो रही थी ।

करीब आधे घण्टे बाद मेरा इंतज़ार खत्म हुआ । लेकिन ये क्या हो रहा था कुछ समझ नहीं आया । अनुराग के पापा ने कहा..”आपकी बेटी काम्या का हाथ माँगने आए हैं अपने बेटे के लिए । मेरी मम्मी ने कहा…”जी ! काम्या ने बताया था , बहुत ही जिम्मेदार और खुशमिजाज हैं  अनुराग ! तभी अनुराग

की दीदी ने कहा…”दरअसल आप समझे नहीं, हम अपने छोटे भाई चिराग के साथ काम्या को शादी के रिश्ते में बांधना चाहते हैं । अनुराग बहुत जिम्मेदार और होनहार है तभी तो अपने भाई की इतनी चिंता करते हुए खुशमिजाज और अच्छे स्वभाव वाली लड़की पसन्द किया है, काम्या के देख रेख और प्यार से चिराग जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।

“ये क्या बोल रहे हैं आप ? भैया और पापा के चीखते स्वर और अनुराग के पापा के कठोर निर्णय के बाद मेरा माथा ठनकने लगा । ऐसा लगा कोई हथौड़े से प्रहार कर रहा हो । पर आँसू थाम लिया क्योंकि कुछ और चोट बाकी थी । वो कहते हैं ना कि..अगर आप दुनिया मे रुप लेकर आए हो तो लोग आपके सामने झुकेंगे और रूप नहीं लेकर आए हो तो लोग झुकाएंगे । और शायद कभी कभी इतना कि टूट जाओ…। 

फिर से आँसू पोछकर मजबूत खड़ी हुई । अब अनुराग ने कहा…”दरअसल मैं चिराग के लिए ही बात कर रहा था काम्या के लिए, उसने कुछ और समझ लिया । पहली बार काम्या को देखकर  यही लगा कि शायद मेरे भाई का अब उद्धार होना तय है । “अब भाभी बोली..”आपने खुलकर कभी नहीं कहा…जिस तरह का व्यवहार आप काम्या के साथ कर रहे थे वैसे कोई क्या सोचे ।

सिर पर हाथ मारते हुए अनुराग ने कहा.. “आप सब ऐसा कैसे सोच सकते हैं, मेरे कॉलेज की एक लड़की है आँचल, उसके साथ मेरी शादी होने वाली है, वो मुझे पसन्द है । अब चिराग के भी शादी की उम्र हो रही थी तो मुझे याद आया कॉलेज में थी एक काम्या । आँचल ने ही इस योजना का सुझाव दिया ।फिर मैने उससे सम्पर्क बनाना मिलना जुलना आदि शुरू कर दिया । 

स्कूल कॉलेज में तो सब मेरे डांस और गाने पर फिदा थे तो लोगों के भीड़ में रहने के लिए मैं सबसे बातें करता था । मैंने काम्या को कब कहा कि वो मुझे जीवनसंगिनी के रूप में पसन्द है ?

सिर पर पसीने की बूँदें, हाथ ठंडे और शरीर मानो  शिथिल हो जैसे । एक प्रेम कहानी का ऐसा दुखद अंजाम कभी सपने में नहीं सोचा था । तकलीफ इस बात से ज्यादा हो रही थी कि मेरी पक्की सहेली ने इस कदर विश्वास तोड़कर छलनी किया, । वो मुझे पहले बताती तो सम्भल जाती मैं । अब क्या करूँ प्रभु …क्या करूँ  । ईश्वर को हृदय से याद किया । 

“तो क्या विचार है आपका, साफ बोलिये । अनुराग के दीदी जीजा जी ने कहा । मुझे लगा जैसे मैंने ईश्वर से जरूरत से ज्यादा मांग लिया, असल मे मेरे हक का तो ये ही है । वैसे भी…मेरे जैसी को कोई पसन्द कर ही नहीं सकता है ।

आँसू आँखों से यूँ बहे जा रहे थे मानो कितने समय का बांध टूटा हो ।

“हमारी बेटी को हम किसी अच्छे हाथ में सौंपेंगे, रूप में ही तो कमी है बस, न गुण में कमी न पढ़ाई, होशियारी में कमी । आप जैसे लोग ही आकर ज़िन्दगी में तूफान मचा देते हैं अगर लड़की अपनी कमजोरी को मजबूती बनाकर जीना चाहती है तो । मिल जाएगा कोई अच्छा लड़का तो ही ब्याहूँगी उसे, ईश्वर के लिए आपलोग चले जाइये और दुबारा कभी नज़र मत आइयेगा किसी मोड़ पर । दादी ने बड़ी गर्मजोशी से कहा ।मम्मी पापा के तो जैसे होश ही उड़े हुए थे ।

इतनी बातों के बाद सब दरवाजे से ही बाहर निकले थे कि मैं दौड़ कर हांफते हुए गई और फड़फड़ाते होंठो को थोड़ा विराम देते हुए बोली…अनुराग ! क्या तुम मुझे नहीं पसन्द करते ? उसने बिना चेहरे पर कोई भाव लाए हुए कहा…”नहीं । प्यार और तुमसे ? तुम्हें अपने भाई के लिए पसन्द किया था जिसके

साथ चलकर तुम्हारे हर अवगुण ढंक जाते, लेकिन तुम्हारे घर के लोगों को स्वीकार ही नहीं तुम्हारा महलों में रहना । इससे आगे वो कुछ बोलता मेरे परिवार वालों ने मुझे बहलाते हुए हाथ पकड़कर अंदर किया ।

आँखों पर पानी के छींटे ली जा रही थी पर ऐसा दर्द था जो न धुल रहा था न बह रहा था । मुझे सम्भलने में एक साल से ज्यादा लग गए । एक दिन सब नौकरी के लिए जॉइनिंग लेटर आया, तब लगा मानो मेरे दिन बदल गए ।

प्यार नाम से जो दर्द हुआ अब उसे भूल से भी नहीं याद करना चाहती । 

मौलिक , स्वरचित

अर्चना सिंह

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