मैं तेज चाल से कॉलेज की तरफ जा रही थी कि अचानक वह मेरे सामने आ गया। दो दिन पहले वह एक दोस्त के साथ मुझे इसी जगह पर छेड़ रहा था, और हमेशा की तरह मैं उसकी तरफ ध्यान न देकर चलती जा रही थी। लेकिन उस दिन मेरा हाथ पकड़ लिया था उसने। मेरे सब्र का पैमाना छलक गया तो मैंने जूडो का दाँव लगा कर उसे पटक दिया। उसका दोस्त तो भाग खड़ा हुआ और वह हैरानी के मारे उठना ही भूल गया था। उसने ऐसा तो सपने में भी न सोचा होगा।
“क्या उस दिन की मार भूल गए? आज तो तुम्हारा दोस्त भी नहीं है।“
“तेरी वजह से मेरी बहुत बेइज्जती हुई, आज नहीं छोड़ूँगा मैं,” वह बोला और इससे पहले मैं कुछ कर पाती, उसने बॉटल से मेरे ऊपर कुछ फेंका।
मुझे अपने चेहरे और गर्दन पर कुछ गीला-गीला महसूस हुआ। एसिड अटैक के दृश्य मेरे ज़ेहन में कौंध गए। मैंने उसकी कमीज़ पकड़ कर जूडो का दाँव लगा कर पटकने के साथ ही उसकी पसलियों में जोरदार किक मारी। वह दर्द से बिलबिला उठा और हैरानी से इधर-उधर देखने लगा। तब तक राह चलते लोग रुक गए थे और एक-दो के मोबाइल भी निकल आए थे।
मैं रुमाल से अपना चेहरा पौंछने लगी और वह उठने की कोशिश करने लगा। मैंने वहीं गिरी पडी बोतल उठाई और बचा खुचा द्रव्य उसके चेहरे पर पलटने लगी। उसने हाथों में सर्जिकल ग्लव्ज़ पहने हुए थे, जिनसे ही वह अपना चेहरा बचाने लगा। मैं हैरान थी, एसिड का असर क्यों नहीं हो रहा था, मुझसे ज्यादा हैरान तो वह था।
“शाबाश बेटी, शाबाश!” तभी भीड़ में से एक पापा की उम्र के एक अंकल निकल कर आए।
मैं हैरानी से उन्हें देख ही रही थी कि पुलिस की गाड़ी भी वहाँ आ गई। मैंने पुलिस को सारी बात बताई तो वे उस लड़के को पकड़ कर ले गए।
पुलिस के जाने के बाद अंकल ने बताया कि थोड़ी दूर ही उनकी दुकान है। और…
“ये लड़का थोड़ी देर पहले ही मेरी दुकान पर आया था। मैं एसिड बिना पहचान-पत्र के नहीं बेचता तो मैंने मना कर दिया। इस पर वह कहने लगा कि एसिड तो कहीं से भी मिल जाएगा।“
“हाँ, एसिड की तो कई दुकानें हैं यहाँ,” मैं सोच में पड़ गई।
“मुझे उस पर शक़ हुआ तो मैंने वापस बुला कर उसे बोतल में पीला पानी दे दिया और पुलिस को फोन भी कर दिया। मेरा शक़ सही निकला।“
“आपका कैसे शुक्रिया अदा करूँ, आपने मेरी जान बचा ली अंकल! तभी तो मैं सही सलामत हूँ, वर्ना मैं अस्पताल में होती,” मैंने उनके सम्मान में हाथ जोड़े।
“कुछ महीने पहले मेरी इकलौती बेटी कैंसर से चल बसी थी, बस उसी का ख्याल आया था मुझको,” अंकल की आँखों में आँसू भर आए तो मेरा भी मन भर आया।
(तरन्नुम तन्हा)
बहुत ही सुन्दर एवं मार्मिक चित्रण