पुरुष की अनोखी परिभाषा – रश्मि सिंह : short story with moral

सुमित-अम्मा ये लो दवाई और पानी। अब खाकर थोड़ी देर सो जाओ, मैं यही तुम्हारे पास हूँ।

रागिनी (सुमित की भाभी)-सुमित कहा रह गए, दवा पानी  देते देते सो गये थे क्या। जाओ जल्दी गेहूँ पिसवाकर लेकर आओ, जल्दी आना नहीं तो बहुत मारूँगी तुम्हें।

यहाँ सुमित कोई छोटा बच्चा नही है, जिसे मारने की बात उसकी भाभी कर रही है, सुमित 35 वर्षीय लंबा चौड़ा आदमी है। अब आप सोच रहे होंगे कि इतने बड़े इंसान को कोई भला ऐसे क्यों डाँट रहा है तो इसके लिए आपको 30 साल पहले लेकर चलती हूँ। 

सुमित 6 भाई बहनों में सविता और मुकुल जी की सबसे छोटी संतान है। बचपन से ही बहुत सीधा और स्वभाव से आज्ञाकारी और सुशील। पढ़ने में मेधावी और क्रिकेट का शौक़ीन। सबसे छोटा होने के कारण सभी का लाडला और दुलारा और सबसे ज़्यादा अपनी माँ का, जिसे सुमित अम्मा कहता है। सुमित ने इंटर की परीक्षा पास कर आगे की तैयारी के लिए लाइब्रेरी जॉइन करने के लिए घर में पूछा।

सुमित-अम्मा मुझे लाइब्रेरी जॉइन करनी है, मनीष और रजनी भी कर रहे है।

सविता (सुमित की अम्मा)-अब मनीष और रजनी कर रहे है तो तू क्यों नहीं करेगा, वो तेरे जिगरी दोस्त जो है। ठीक है कर ले। 

सुमित रजनी और मनीष तीनों रोज़ साथ नियत समय पर लाइब्रेरी जाते, पर तीनों की तैयारी के क्षेत्र अलग है। एक और मनीष, सुमित का गहरा दोस्त और रजनी सुमित का प्यार।

एक दिन तीनों लाइब्रेरी से लौट रहे थे, सड़क पार करते हुए मनीष की सैंडल पैर से निकली वो जैसे ही लेने मुड़ा, ट्रक ने आकर टक्कर मारी, मनीष सड़क पर क्षत-विक्षत हो गया।

उस दिन से सुमित को जो गहरा सदमा लगा कि ख़ाना पीना सब त्याग दिया पर अपनी अम्मा और रजनी के प्यार से एक बार फिर उसके जीने की उमंग जगी। ये सब देख सविता जी ने रजनी को अपने घर की बहू बनने का विचार मुकुल जी के सामने रखा, पर उन्होंने रजनी के परिवार वालों से बात करने को कहा।

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कहते है ना सच्चे प्यार को नज़र लग जाये तो कोई दुआ और दवा नहीं बचा सकती। रजनी के परिवार वालों ने ये कहकर रिश्ता ठुकरा दिया कि एक तो लड़का इतने साल से सदमे में था और कुछ कमाता भी नहीं। रजनी की शादी कही ओर कर दी गई और सुमित एक बार फिर अकेला रह गया।

सुमित पहले से ही इतना सीधा था पर हालात और समाज ने उसके सीधेपन और भोलेपन को पागल का नाम दे दिया। सब कहते कोई भी काम हो सुमित को बोल दो कर देगा। थोड़े समय बाद पिता जी चले गये और अब बस अम्मा ही उसका सहारा है क्योंकि भाई, बहेन अपनी दुनिया में रम गए। सबका कहना था कि कौन इसको लेकर चलेगा जिसकी ना कभी शादी होगी ना ये कभी कोई काम कर पाएगा। 

4 भाइयों में से एक भाई प्रवीण के साथ सुमित और उसकी अम्मा रहते है और वो भाई भी इसलिए रखे है कि सुमित और अम्मा के जाने के बाद उनकी सम्पति पर उनका कब्जा होगा। इस कहानी में जो रागिनी है वो प्रवीण की पत्नी है जो सुमित को हर बात पर डॉटती रहती है। सुमित भी सीधा है उसे लगता है उसकी भाभी उसे रोटी देती है मेरा घर बसाने की बात करती है तो वो भी हर डाँट फटकार सुन लेता है।

प्रवीण और बच्चों की छुट्टियाँ हो गई है सब नानी के यहाँ जा रहे है पर सुमित कही नहीं जाता है क्योंकि उसे अम्मा की देखभाल करनी होती है।

सविता-सुमित मैं ज़रा नीचे बैठने जा रही हूँ थोड़ी देर में चाय बना देना जब तक तू थोड़ा आराम कर ले, सुबह से काम में लगा है। शाम के 6 बज गये अभी तक सुमित अम्मा के लिए चाय लेकर नहीं आया।

सविता-सुमित कहा रह गया, उठा नहीं क्या अभी तक। ये कहकर अम्मा फिर बातों में लग गई। जब ज़्यादा देर हुए तो सविता जी ऊपर गई, कमरे में जाकर सुमित को हिलाया, सुमित का शरीर बिलकुल ठंडा पद चुका था। सविता जी के मुख से सुमित सुमित सुमित के अलावा कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

धीरे धीरे भीड़ लग गई, प्रवीण और रागिनी को भी बुला लिया गया। रागिनी तो खुश थी कि चलो इस बला से पीछा छूटा पर दूसरी तरफ़ उदास भी हो गई कि अब कूलर में पानी कौन भरेगा, बाज़ार से सौदा कौन लाएगा आटा कौन पिसवाएगा।

पर आज सुमित का मृत शरीर भी प्रसन्नचित लग रहा था क्योंकि उसे इस नरक के जीवन से फ़ुरसत मिल गई थी। सुमित की अंत्येष्टि में उपस्थित सभी कह रहे थे कि सुमित जैसा पुरुष होना असंभव है जिसने अपने जीवन में दो अनमोल चीज़ों को खो दिया उसके बाद भी अपनी अम्मा और परिवार के लिए हमेशा तत्पर रहा। सभी प्रार्थना कर रहे थे कि अगले जन्म सुमित की दमित इच्छायों की पूर्ति करना और खुशहाल जीवन देना।

आदरणीय पाठकों, 

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 धन्यवाद। 

स्वरचित एवं अप्रकाशित।

रश्मि सिंह

नवाबों की नगरी (लखनऊ)

#पुरुष

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