पुरुषत्व – स्नेह ज्योति : Moral stories in hindi

जनरल बलबीर सिंह के घर बहुत सालों के बाद एक बेटी ने जन्म लिया । कहने को उनका एक बेटा भी हैं पर बलबीर को हमेशा से एक बेटी की चाह थी । क्योंकि उसकी कोई बहन नही थी वो दो भाई ही थे ।

बचपन में उसे बड़ा चाव था कि मेरी कोई छोटी बहन होती , तो मैं ये करता उसे कंधे पे बैठा सारी दुनिया घूमाता ।

लेकिन उसको बहन की जगह भाई का साथ मिला । कभी -कभी बल्ली (बलबीर)अपने छोटे भाई की चोटी बना उसे बिंदी लगा लोगों को कहता कि देखो ये मेरी छोटी बहन हैं ! इसे कोई डाँटेगा नहीं !! लेकिन थोड़ी देर बाद जब उसका ड्रामा ख़त्म होता तो बाद में वो दुःखी हो जाता ।

इसलिए जब उसे पता चला की उसके यहाँ बेटी हुई हैं तो उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा । उसनें अपनी सेना की टुकड़ी में मिठाई बांटी….ये देख उसके साथी कहने लगे बेटा हुआ है !

तो वो बोला नही मेरी बेटी मेरी दोस्त आयी है । तभी उसने अपनी छुट्टी मंज़ूर करायी और अपने घर चला गया । घर जाकर जब अपनी बेटी को हाथ में उठाया तो उसके पास कहने को कोई शब्द नही बचे बस अश्रुओं की बरसात होने लगी ।

बलबीर को चार दिन की ही छुट्टी मिली थी । इसलिए वो अपना सारा समय अपनी बेटी रिद्धि के साथ बिताना चाहता था । रघु को ये अच्छा नही लगता कि उसके पापा बस रिद्धि के साथ ही रहते हैं । तभी वो अपनी माँ के पास जाता और लिपट के बोलता जैसे रिद्धि के पापा है ! मेरी मम्मी हैं !

बिरजू कहने को उनका नौकर था लेकिन बलबीर ने कभी उसे नौकर नही समझा । वो बचपन से बलबीर के साथ ही खेला कूदा और बड़ा हुआ । वो उसके पापा के ड्राइवर का बेटा था । बिरजू के पापा के देहांत के बाद वो उनकें घर ही रुक गया और घर के काम करने लगा ।

या यूँ कहे बलबीर के जाने के बाद पूरा घर और सबकी हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी बिरजू की थी । बलबीर भी सीमा पे निश्चिंत होकर रहता था ।

क्योंकि वो जानता था कि यहाँ मैं अपने देश की सीमा की दुश्मनो से रक्षा करता हूँ तो वहाँ मेरे घर की रक्षा मेरा भाई बिरजू करता हैं । फ़ौज में होने के कारण कभी किसी शहर तो कभी किसी शहर बस यूँही घूमते रहते थे ।

धीरे धीरे जब बच्चे बड़े हुए तो रघु ने भी अपने पापा की तरह आर्मी को चुना । अब घर में रिद्धि उसकी माँ और बिरजू काका ही रह गए थे । उसकी मम्मी को क्लब सोशल कार्यक्रम से फ़ुरसत ही नही मिलती थी । बलबीर भी अब ब्रिगेडियर बन गए थे ।

तो उन पर अब ज्यादा जिम्मेदारी थी । रिद्धि का बचपन ऐसे ही आँखमिचोली खेलते बीता ।पापा की लाड़ली होने के कारण उसका भाई भी उसे कम समय ही देता था । जब उसके पापा घर आते तो वो दिन उसकी ज़िंदगी के यादगार पल बन जाते ।

लेकिन उनके वापस जाने के बाद वो और उसके काका ही रह जाते । रिद्धि के काका उसका पूरा ध्यान रखते । उसको स्कूल छोड़ना हों या सहेलियों के साथ बाहर कहीं जाना हो । वो हर घड़ी एक साये की तरह उसके साथ रहते ।

कभी-कभी रिद्धि उनसे कहती काका आपने शादी क्यों नही की ??? तो वो बोलते तुम लोग ही मेरा परिवार हों ! और तुम तो मेरी सबसे प्यारी बेटी हो । ये सुन ! रिद्धि उनके गले लग जाती और बोलती आप नही होते तो मेरा क्या होता ???

कुछ दिन बाद जब रिद्धि मार्केट गयी हुई थी अचानक से उसे बाथरूम जाना पड़ा । उसके काका बाहर ही खड़े होकर उसका इंतज़ार कर रहे थे ।

रिद्धि बाथरूम में अकेली थी ,जैसे ही वो बाहर आने लगी तो , उसने देखा कि बाथरूम में एक शॉर्ट सर्किट हुआ और आग लग गयी । यें देख वो घबरा गयी और काका को फ़ोन किया लेकिन उनका फ़ोन मिल नही पाया ।

तो उसने अपने पापा और भाई को फ़ोन किया लेकिन किसी ने कोई जवाब नही दिया । उसने काका को दुबारा फ़ोन किया और उसकी घबराहट भरी आवाज़ सुन बोले ! क्या हुआ बेटी ???

काका जल्दी अंदर आओ बोल वो बेहोश हो गयी । बिरजू ने फटाफट से दरवाज़ा तोड़ा तो देखा कि अंदर आग लगी हुई हैं और रिद्धि बेहोश गिरी पड़ी हैं ।

सब लोग बाहर खड़े हो शोर मचाने लगे ! कोई फायर ब्रिगेड को बुलाओ कुछ करो ! लेकिन बिरजू ने ना आव देखा ना ताव और आग में कूद पड़ा । थोड़ी देर बाद वो रिद्धि को बाहर लेकर आया तो दोनो को अस्पताल ले ज़ाया गया ।

रिद्धि को थोड़ी ही चोट लगी थी , लेकिन बिरजू का एक हाथ बुरी तरह से जल चुका था ।ये देख रिद्धि रोए जा रही थी , तभी बलबीर और उसकी पत्नी वहाँ पहुँचे उन्हें देख रिद्धि उनसे लिपट गयी ।

अगले दिन जब बिरजू घर आया तो बलबीर ने कहा – “अगर तुम नहीं होते तो मैं अपनी जान को खो देता”…ऐसा कैसे हो सकता था ?? अगर वो तुम्हारी जान है , तो वो मेरा दिल हैं ! ऐसे कैसे कुछ हो जाता !

बलबीर ने उसे गले लगा कहा – “आज तुमने साबित कर दिया कि अगर मैं देश की रक्षा करने में व्यस्त हूँ ! तो मेरे परिवार की रक्षा तुम जैसे बहादुर पुरुष करते है “। जिसका हमसे कोई रिश्ता नही पर हर मोड़ पे तुमने मेरे परिवार को सम्भाला है ।

उनकी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश का ध्यान रखा हैं । आज मैं ब्रिगाड़ियेर बलबीर सिंह तुम्हें सलाम करता हूँ । तभी रिद्धि भागती हुई आयी और काका के गले लगकर बोली “पापा मैं आपसे एक चीजें माँगू तो आप मना तो नहीं करेंगे “…..

बोलो क्या चाहती हो ! बस यहीं कि जब मेरी शादी हो तो आपके साथ काका भी मेरा कन्या दान करे । ये सुन ! बलबीर और बिरजू एक दूसरे को देखने लगे….. और हंस कर बोले हमारी बेटी बड़ी हो गयी हैं ! हम वादा करते है कि हम दोनों तुम्हारा कन्या दान करेंगे । ये सुन वो शर्माते हुए दोनों के गले लग गई ।

#पुरुष

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

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